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जीएसटी 2017 में भारत वर्ष में लागू किया गया था और अब हम आज नए वर्ष 2019 में प्रवेश कर रहें है और जुलाई 2017 से अभी तक जीएसटी में क्या –क्या हुआ इसके बारे में हम लगातार चर्चा करते रहें हैं आइये आज देखें कि 2019 में आप जीएसटी से क्या आशा और उम्मीद रख सकते हैं:-
जिस समय भारत में जीएसटी लगाया गया था उस समय भी यही बताया गया था कि जीएसटी की प्रक्रियाएं जिस प्रकार से कठिन से कठिन बनाई जा रही है और व्यापार एवं उध्योग के लिए इन्हें पूरा करना आसान नहीं होगा . इसका एक बहुत बड़ा कारण था कि जीएसटी भारत में लाया तो एक बहुत अच्छे उद्देश्य से था लेकिन इसे जिन लोगों ने प्रारम्भ में बनाया उनका एक ही ख्याल था कि जीएसटी में कर की चोरी किस तरह से रोकी जाये और इसी एक मात्र उद्देश्य ने जीएसटी की सरलीकरण की राह में बहुत बड़ी बाधा खड़ी कर दी जो कि जीएसटी का मुख्य उद्देश्य था और इस सख्ती ने आज हालात यहाँ तक पहुचा दिए है कि अब ये सवाल पूंछा जा रहा है कि क्या अब भी जीएसटी को बचाया जा सकता है ?
जीएसटी कौंसिल की 31वीं मीटिंग जो 22 दिसम्बर 2019 को हुई है इससे आम करदाता एवं कर विशेषज्ञों को बहुत अधिक उम्मीद थी . आइये एकबार देखें कि क्या ये उम्मीदें पूरी हुई या फिर से उन्हें निराश होना पडा. आइये देखें कहाँ तक करदाता की उम्मीदें पूरी हुई है और जहां नहीं हो पाई उनमें आगे क्या उम्मीद है और जहाँ नहीं हुई है वहां सरकार की क्या मजबूरियां थी .
Important changes proposed in GST Council’s 31st Meeting GST Council की 31st मिटींग आज 22/12/2018 को हुई जिसमें नीम्न प्रकार के GST में amendment करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके लिए जल्द ही notifications issue किए जायेंगे। 1. हर एक tax head के लिए single cash ledger ही रहेगा। इसके लिए GST Portal पर […]
GST विभाग में फर्जी पंजीयन एवं फर्जी व्यापार को रोकने के लिए GST पंजीयन में वकालतनामा लगाया जाना अनिवार्य किया जाए ! मान्यवर ! आपको विदित है कि इन दिनों लगातार गुड्स एवं सर्विस टैक्स विभाग में फर्जी पंजीयन हो रहे हैं तथा गुड्स एवं सर्विस टैक्स की लगातार टैक्सचोरी/फर्जी टैक्स बिल/फर्जी टैक्स रिफंड आदि […]
जीएसटी कौंसिल की 31वीं मीटिंग 22 दिसंबर 2018 अर्थात इससे सप्ताह में होनी है और इस समय जीएसटी जिस हालात से गुजर रहा है ,आप समझ सकते हैं कि यह मीटिंग बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण हो गई है क्यों कि हमने अपने पहले लेख में आपको बताया था कि जीएसटी में ना सिर्फ बहुत अधिक सुधार की गंजाइश है बल्कि अब यह जीएसटी के अस्तित्व के लिए अनिवार्य भी है .
इस समय भी जीएसटी सिस्टम सही से काम नहीं कर रहा है और रिटर्न भरनी की अंतिम तिथी जब भी होती है तब यह सिस्टम फ़ैल हो जाता है लेकिन अभी हाल ही मै अंतिम तिथी के कई दिन पहले भी बंद होना प्रारम्भ हो गया है .
हमारे देश में 1 जुलाई 2017 से बाजे गाजे के साथ GST लगाया गया! लम्बे चौड़े भाषण दिए गए थे कि- एक देश, एक कर! व्यापारी को अब बड़ी आसानी हो जाएगी! पड़ोस के बच्चे से भी अपना रिटर्न भरवा सकोगे ! और क्या बोला था कि रिटर्न तो आपको बस एक ही भरनी होगी ! बाकी रिटर्न अपने आप भर जाया करेंगे।चुटकियो का खेल है रिटर्न भरना, इत्यादि ! सब बातें अब फेल हो गयी ! सबसे पहले तो पड़ोस के बच्चे से रिटर्न का एक कॉलम तो भरवाकर दिखाओ !
जीएसटी लागू हुए लगभग अब दो माह पूरे होने को है तो आइये अब समय आ गया है की हम चर्चा प्रारम्भ करें जीएसटी होने के बाद की समस्याओं की और आज चर्चा कर रहें है कुछ् ऐसे ही छोटे व् मध्यम दर्जे की डीलर्स की व्यवहारिक रूप से सिर्फ कम्पोजीशन स्कीम के तहत ही काम कर सकते है लेकिन जी.एस.टी. के सिस्टम की तकनीकी खामियों के कारण उन्हें कपोजीशन के लाभ से वंचित कर दिया गया है .
ये कैसा सरल कानून और कार्यतंत्र बनाया है सरकार ने GST का, जिसमें कि उसको रोज ही नए-नए सर्कुलर, अमेंडमेंट ही नहीं बल्कि extension भी लाना पड़ रहा है, जिससे करदाताओं और सलाहकारों को असुविधा और confusion दोनों ही हो रहे हैं।