Follow Us :

जीएसटी इनपुट क्रेडिट -ईमानदार व्यापारी की मुश्किलें – कथा, पटकथा एवं संवाद – सुधीर हालाखंडी

पात्र

1. राजेश (एक डीलर)
2. मुकेश (राजेश का दोस्त)
3. सुधीर सर (जीएसटी विशेषज्ञ)
4. सोनू (सुधीर सर का सहायक)

दृश्य 1: राजेश का ऑफिस

(राजेश अपने ऑफिस में बैठा हुआ है और उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं। वह अपने आईटीसी लेजर को देख रहा है)

दृश्य 1 राजेश का ऑफिस

राजेश: (स्वयं से) ये क्या हो गया? मेरी आईटीसी क्यों डेबिट हो गई है? मैंने तो ईमानदारी से जीएसटी अपने विक्रेता को दिया है।

(मुकेश प्रवेश करता है)

मुकेश: अरे राजेश भाई , क्या हुआ? इतने परेशान क्यों हो?

राजेश: (चिंतित स्वर में) मरे जीएसटी लेजर में मेरी आईटीसी ब्लॉक हो गई है। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि क्यों।

मुकेश: अरे, चलो सुधीर सर के पास चलते हैं। वो जरूर मदद करेंगे।

दृश्य 2: सुधीर सर का ऑफिस

(राजेश और मुकेश सुधीर सर के ऑफिस में प्रवेश करते हैं। सुधीर सर अपने डेस्क पर काम कर रहे हैं। सोनू चाय और पानी लाते हुए दिखाई देता है)

दृश्य 2 सुधीर सर का ऑफिस

सुधीर सर: (मुस्कुराते हुए) आओ, राजेश जी , मुकेश जी भी साथ । क्या बात है ? कोई समस्या आ गई दिखती है …

तभी सुधीर सर का एक सहायक सोनू केबिन में प्रवेश करता है …

सोनू: (चाय और पानी रखते हुए) सर, चाय और पानी।

सुधीर सर: धन्यवाद । (राजेश और मुकेश की तरफ) बैठो, लो चाय पीओ पहले तो फिर बताओ क्या समस्या है? काफी चिंतित लग रहे हो . आप दोनों …

राजेश: हाँ सर, बात ही ऐसी है …. मेरी आईटीसी ब्लॉक हो गई है। मैंने तो ईमानदारी से जीएसटी अपने विक्रेता को दिया है मेरे पास बिल भी है , माल भी आया है और भुगतान भी किया है । अब मेरी आईटीसी क्यों ब्लॉक हुई है? क्या मुसीबत है सर ! ये तो ऐसा ही हुआ कि भागते हुए घोड़े की टांगे तोड़ दी गई हो.

सुधीर सर: (गंभीरता से) राजेश, ये इन दिनों बड़ी भारी समस्या है. यदि आपके विक्रेता को अस्तित्वहीन पाया जाता है या आपने माल प्राप्त ही नहीं किया है तो सरकार आपकी क्रेडिट रोक सकती है और आपसे वसूली कर सकती है। इसके अलावा यदि आपके विक्रेता ने आपको बेचे गए माल पर कर का भुगतान नहीं किया है तो फिर आपकी इनपुट क्रेडिट रोक दी जाती है .

यह क़ानून ही अपने आप में अजीब है। आपका विक्रेता रिटर्न नहीं भरे तो आप ज़िम्मेदार, वो टैक्स नहीं भरे तो आप ज़िम्मेदार। जबकि उसे लाइसेंस सरकार ने दिया है। आप खुद ही सोचे आपके पास अपने विक्रेता को कानून का पालन करने के लिए मजबूर करने के लिए क्या अधिकार है .

राजेश: (आश्चर्य और गुस्से में) यह तो ग़लत है, सर। विक्रेता की गलती का दंड मुझे क्यों? सरकार को विक्रेता से वसूली करनी चाहिए, मुझ पर दोहरा कर क्यों? मैं तो उसे कर का भुगतान ईमानदारी से कर चुका हूँ. अब सरकार जाने और वो माल बेचने वाला जाने …. मैं तो बिल की कॉपी , बैंक अकाउंट पेश कर देता हूँ .. सर ! मैं तो उसको भुगतान कर चुका हूँ …

सुधीर सर: हाँ, तुम्हारा कहना सही है। यह प्रावधान ग़लत ही नहीं तुम्हारे और तुम्हारे जैसे सभी क्रेताओं के प्रति अन्याय है। समझ ही नहीं आता कि विक्रेता अस्तित्वहीन कैसे हो जाता है जबकि विभाग ने उसे रजिस्ट्रेशन दिया , उसके कृत्यों के बारे में उसके बयान लेता है और उसका कर निर्धारण भी करता है और डिमांड भी कायम करता है। राष्ट्रीय स्तर पर जितनी भी व्यापार एसोसिएशन्स हैं, उन्हें इसका विरोध करना चाहिए और इस अजीबो गरीब प्रावधान हटाने के लिए सरकार को लिखना चाहिए। सरकार उनकी सुनती है पर यदि कोई ढंग से कहें तो सही……..

दूसरा एक और मुद्दा है कि विक्रेता कर नहीं चुकाता है … तो सही है यह सरकार का काम है विक्रेता से कर वसूले…. क्रेता का इससे क्या लेना देना .

राजेश: (सोचते हुए) लेकिन, सर, अगर विक्रेता के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है तो हम क्या कर सकते हैं? हम अपना व्यापार कैसे करें ….

सुधीर सर: (गंभीरता से) यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने विक्रेताओं की पूरी जानकारी रखें और उनसे समय-समय पर पुष्टि करते रहें। साथ ही, व्यापारिक एसोसिएशन्स और उद्योग समूहों के माध्यम से सरकार पर दबाव डालें कि इस कानून को बदले.

मुकेश: (चिंतित स्वर में) लेकिन अभी भी मेरा सवाल है कि फिर हम ऐसे में व्यापार कैसे करें सर ?

सुधीर सर: हाँ, यह मुश्किल है। सरकार को यह कानून बदल कर अपने अधिकारों का सही प्रयोग कर विक्रेता से कर वसूल करना चाहिए और ईमानदार क्रेता को राहत देनी चाहिए। इस बीच, आपको अपने व्यापारिक एसोसिएशन के साथ मिलकर आवाज उठानी होगी आखिर विक्रेता की गलतियों का दंड कैसे और कब तक क्रेता को उठाना पडेगा .

राजेश: (उलझन में) और अगर हमें न्याय नहीं मिलता तो क्या?

सुधीर सर: तब हमें उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करनी चाहिए और न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करनी चाहिए। यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन हमें न्याय के लिए प्रयास करना होगा। इसके लिए भी आप अपनी एसोसिएशन की मदद लें .

दृश्य 3: व्यापार एसोसिएशन की बैठक

(राजेश, मुकेश और अन्य व्यापारियों के साथ बैठक कर रहे हैं।)

दृश्य 3 व्यापार एसोसिएशन की बैठक

अध्यक्ष : साथियों, राजेश जी ने मुझे सारा मामला समझा दिया है और मैंने भी फोन पर सुधीर सर से इस मामले में मार्गदर्शन ले लिया है . आज से हमें एकजुट होकर इस अन्यायपूर्ण कानून का विरोध करना होगा। हमें सरकार से मांग करनी चाहिए कि वह विक्रेता से कर वसूले और ईमानदार व्यापारियों को राहत दे। आज ही मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष से बात करूंगा और इस मामले को राष्ट्रीय स्तर वित्त मंत्रालय के सामने रखना पडेगा .

राजेश – क्या हम अलग -अलग अपील करने की जगह हम इस पूरे प्रावधान के लिए हाई कोर्ट में रिट दायर कर सकते हैं .

एक अन्य व्यापारी – ये कैसा प्रावधान है भाई लोगों. ऐसे तो हम माल खरीदने के बाद कभी भी संतुष्ट ही नहीं हो सकते कि हमारी इनपुट क्रेडिट सुरक्षित है या नहीं. अध्यक्ष जी जहां भी बात करनी है आप जल्दी करें . मेरे ख्याल से लोकल लेवल पर तो कुछ हो नहीं सकता है .

सभी व्यापारी: (एकस्वर में) – हाँ हाँ ….. कुछ तो ठोस करना पडेगा.

अध्यक्ष :- हाँ, हम इसके लिए सरकार को पत्र लिखेंगे और जहाँ भी जरुरत होगी वहां और कार्यवाही करेंगे.

चिंतित मुद्रा में सभी बात करते है ……. आपस में बात करते हुए … समस्या बहुत गंभीर होती जा रही है.

सभी लोग – जी अध्यक्ष जी ….

अध्यक्ष – एक बात और है … जो सुधीर सर ने मुझे समझाई है जो मुझे पूरी तरह से समझ आ गई है और यही बात हमें सरकार तक भी पहूचानी है …

राजेश – यह कौन सी बात है … अध्यक्ष जी .

अध्यक्ष – ध्यान से सुनिए … इस बात में बहुत बड़ा लॉजिक है … हम भी व्यापार करते हैं और कभी कभी कोई खरीददार हमसे माल खरीदता है और हमारा एजेंट पैसे क्रेता से लेकर भाग जाता है तो हम कौनसा फिर से अपने क्रेता से पैसे वसूल करते हैं या कर सकते हैं … हम भी एजेंट को ही पकड़ने की कोशिश करते है …तो फिर कर एकत्र करना भी तो सरकार की एक कमर्शियल एक्टिविटी है और कर एकत्र करने वाला डीलर सरकार का एजेंट है तो ऐसे में यदि वो सरकार का टैक्स लेकर भाग जाता है या भागता नहीं है लेकिन जमा नहीं कराता है तो फिर सरकार को यह पैसा या तो उस एजेंट से वसूलना चाहिए या फिर खुद ही भुगतना चाहिए … एक ईमानदार करदाता जो पूर्ण सद्विश्वास के साथ माल खरीद कर भुगतान करता है उसे दोहरे कर का दंड क्यों …

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Search Post by Date
July 2024
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031