जीएसटी का राजस्व लगातार बढ़ रहा है और इसके लिए भारत का व्यापार , उद्योग और सरकार बधाई के पात्र है लेकिन साथ ही कर दाताओं और प्रोफेशनल्स की परेशानियों में कोई कमी नहीं हो रही है और सरकार को अब इनपर भी ध्यान देना चाहिए क्यों की इस जुलाई में जीएसटी को लागू हुये 5 वर्ष हो जायंगे लेकिन समस्याएं कम होने की जगह बढ़ती जा रही है .
आइये पहले हाल ही की घटनाओं की चर्चा करें . अभी आपने देखा होगा कि जीएसटी के मुख्य रिटर्न के आधार जीएसटीआर- 2 बी निर्धारित तिथि पर साईट पर नहीं आ सका और उसके लिए भी अंतिम समय पर यह निर्देश दिए गए कि इस माह डीलर्स अपने जीएसटीआर 2 -A से काम चला लें लेकिन यह व्यवस्था नियम विरुद्ध है बल्कि जीएसटी के नेटवर्क के अधिकार क्षेत्र के बाहर भी है.
देखिये अभी थोड़े समय पूर्व ही ईंटो पर कर की एक नईं दर घोषित की गई और इसके साथ ही कई विशेषज्ञों ने यह बता दिया था कि जीएसटी रिटर्न में 3 प्रतिशत की कोई व्यवस्था नहीं है लेकिन रिटर्न भरने के अंतिम दिनों तक इस समस्या का कोई हल नहीं किया गया . इसका हल नहीं हो सका यह हम नहीं कह सकते क्यों कि भारत सूचना तकनीक में एक बहुत उन्नत देश है लेकिन शायद संबंधित पक्ष को अपनी जिम्मेदारी का अहसास करवाया ही नहीं गया है और लापरवाही का कोई दंड नहीं है ऐसा इस पक्ष को पूरा विशवास है .
अभी जीएसटी विभाग से लगातार इतने नोटिस आ रहें हैं जिनकी कल्पना जीएसटी से प्रारम्भ से ही जुड़े विशेषज्ञों ने की ही नहीं होगी. आप कल्पना कीजिये कि सरकार स्वयं कोविड से जुड़े समय के लिए एक निर्धारित सीमा तक ब्याज माफ़ कर दे लेकिन सिस्टम इसी माफ़ किये हुए ब्याज के भुगतान के लिए भी नोटिस बड़ी संख्या में जारी हुए हैं जिसके जवाब में डीलर को सरकार द्वारा माफ़ किये गए ब्याज स्त्रोत बताना है अर्थात वो नोटिफिकेशन नम्बर बताना है जिससे यह ब्याज माफ़ हुआ है . इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है . सरकार इस तरह के नोटिस की संख्या को नियंत्रित करे और कम से कम आधारहीन नोटिस तो बंद हो . इस प्रकार के नोटिस विभाग और प्रोफेशनल्स का बहुत समय खराब कर रहें है . सरकार कम से कम किसी फर्क , जिसके लिए जिसके लिए नोटिस जारी किये जा रहें है , की सीमा तो तय करे . 10.00 रूपये , 25.00 रूपये , 100.00 रूपये के नोटिस जारी होना एक व्यर्थ प्रक्रिया का हिस्सा है जिसे बंद होना ही चाहिए. 2017 से जुडी कई व्यवस्थाओं के बारे में नोटिस अब जारी हो रहें है जो कि बिलकुल भी व्यवहारिक नहीं है . जीएसटी नेटवर्क की समस्याओं के कारण समय सीमा बढ़ गई है लेकिन 2017 की समस्याएं तो 2020 में ही हो जाना चाहिए.
सरकार अब जीएसटी सिस्टम और प्रक्रियाओं को नियंत्रित करे ताकि जीएसटी के बढ़ते राजस्व के साथ-साथ जीएसटी के पालन में आने वाली समयाएं को भी दूर किया जा सके.