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वस्तु एवं सेवा कर या जी एस टी एक व्यापक, बहु-स्तरीय, डेस्टिनेशन (गंतव्य) आधारित कर है जो वस्तु व् सेवा कर बढ़ते हुए मूल्य पर लगेगा. यह कर प्रणाली वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) की तरह ही है, जहाँ प्रत्येक सप्लाई पर सप्लाई के मूल्य में जो भी इजाफा होगा उस पर कर देय होगा. नई GST प्रणाली में यों तो अनेक कर (टैक्स) समाहित किये गए है,
आई.जी.एस.टी. बिक्री के लिए ट्रांजेक्शन- प्रथम विक्रेता x मुंबई – 10 लाख रूपये मुंबई के ही y को . द्वितीय विक्रेता – Y मुंबई 10.50 लाख रूपये राजस्थान के Z को . तृतीय विक्रेता – Z राजस्थान 11 लाख रूपये राजस्थान में ही उपभोक्ता को. 1.पहला ट्रांजेक्शन राज्य के भीतर है . 2. दूसरा ट्रांजेक्शन अन्तर प्रान्तीय है (IGST). तीसरा ट्रांजेक्शन राज्य के भीतर है .
जी.एस. टी. के लिए 1 अप्रैल 2017 की तारीख तो अब स्थगित की जा चुकी है और अब नयी तारीख 1 जुलाई 2017 दी गई है . एक तारीख और है 16 सितम्बर 20017 और इस तारीख तक यदि जी.एस.टी. लागू नहीं हुआ तो एक अप्रत्यक्ष करो को लेकर एक संकट पैदा हो जाएगा क्यों की जी.एस.टी. संवैधानिक संशोधन विधेयक के अनुसार 16 सितम्बर 2017 को अभी लागू सभी कर समाप्त हो जायेंगे.
जी.एस.टी. की जो पिछली कुछ बैठकें हुई थी उनमें से अंतिम तीन मीटिंग्स में जो मुद्दा सबसे अधिक चर्चा का विषय बना था वह था करदाताओं के ऊपर दोहरे नियंत्रण अर्थात ड्यूल कण्ट्रोल का.
नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने देश के प्रधानमंत्री पद का भार संभालने के साथ ही देश की समग्र विकास के लिए विदेशी निवेश के लिए सफल प्रयास शुरु कर दिये है। उन्होंने अपनी प्रत्येक विदेश यात्रा में जिनमें मुख्यतः जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया में देश के औद्योगिक व अन्य क्षेत्र के विकास के लिए विदेश में रह रहे अप्रवासी भारतीयों के साथ विदेशी उद्योगपतिओं को भारत में निवेश करने का आमंत्रण दिया, जिसको सभी ने सहर्ष स्वीकार किया।
सरकार ने विभिन्न स्तरों पर टैक्स लगा रखे हैं, सरकार द्वारा प्रत्येक टैक्स विभाग में टैक्स की चोरी रोकने के लिए अन्वेषण अनुभाग बना हुआ है, जिनका मात्र काम यही है कि टैक्स की चोरी रोकी जाए। इसके लिए एक पूरा अमला जिले स्तर से शासन तक लगा रहता है, इस टैक्स की चोरी रोकने के लिए सरकार द्वारा प्रतिवर्ष अरबों रूपया खर्च किया जाता है। फिर भी टैक्स की चोरी हो रही है, ‘आखिर क्यों?’
जीएसटी अर्थात वस्तु एवं सेवाकर को देश का सबसे बड़ा क्रांतिकारी एवं सुधार का टैक्स बिल भी कहा जा सकता है। संभावना इसकी भी है कि जीएसटी के माध्यम से सरकार देश का काला धन की अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से को इस कर प्रणाली में शामिल कर देश में व्याप्त कालेधन पर अपनी पकड़ मजबूत बना लें।
आयकर में निर्धारण वर्ष 2015-16 के लिए समाप्त होने वाला वित्तीय वर्ष 31-03-2015 को समाप्त हो चुका है अर्थात वर्ष 01—4-2014 से 31-03-2015 का जो वर्ष है उसका आयकर रिटर्न अभी सभी को भरने है और अभी तक भी सरकार और हमारे कानून निर्माता आयकर के मुख्य रिटर्न अर्थात आयकर रिटर्न संख्या 3 से 7 अभी तक जारी नहीं हुए है.
सरकार भारत में गुड्स एंड सर्विस टैक्स दिनांक 01/04/2016 से लाने की घोषणा कर चुकी है और इसके लिए सरकारी स्तर पर तैयारी भी चल रही है . क्या होगा भारत में इस कर का भविष्य और क्या संभावना है कि जी.एस.टी. सरकार लागू कर पायेगी उसी तिथी से जिसकी वह घोषणा कर रही है […]
चुकी कम्पनीज एक्ट 2013 जब से आया है एक कंपनी को फण्ड रेज करने के ऊपर बहुत सारे कंडीशन लग गया है I जैसे कंपनी प्राइवेट या पब्लिक निम्न के अलावा किसी से लोन नहीं ले सकती है:- (a) अपने डायरेक्टर से( लेकिन डायरेक्टर लोन लेकर कंपनी को लोन नहीं दे सकती है) (b) किसी ऐसे कंपनी से जहाँ कॉमन डायरेक्टर ना हो (c) किसी बैंक या फाइनेंसियल Institutions से . यदि कंपनी उपरोक्त के अलावा किसी से लोन लेती है तो इसे पब्लिक deposit माना जायेगा, इस तरीके से फण्ड रेज करने का दायरा बहुत ही सिमित कर दिया गया है,पहले प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अपने किसी रिलेटिव से, अपने शेयर होल्डर्स से अपने किसी ग्रुप कंपनी से लोन लेकर फण्ड रेज कर लेती थी लेकिन अब फण्ड रेज करने का ये सब तरीका समाप्त हो गया है कंपनी एक्ट के नए प्रावधानों के अनुसार.