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जी एस टी (GST) या वस्तु एवं सेवा कर : एक सामान्य विवेचन

परिवर्तन संसार का शाश्वत नियम है. दिन प्रतिदिन हम परिवर्तन देखते है. कुछ परिवर्तन सामान्य होते है व् वे सहज स्वीकार्य हो जाते है. परन्तु जब कोई परिवर्तन वर्तमान में आमूलचूल परिवर्तन करता है तो एक स्वाभाविक जिज्ञासा पैदा होती है कि परिवर्तन कैसा होगा? उसके नफे व् नुकसान के प्रति एक सहज भय या अनिश्चितता बन जाती है. वस्तु एवं सेवा कर यानिकि GOODS AND SERVICES TAX भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है, जो कि 1 जुलाई 2017 से प्रभावी हुई है | नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली वर्षों के अध्ययन के बाद सभी पहलुओं पर सोच विचार कर लागु की गयी है लेकिन सरकार के निरंतर व् सघन प्रयासों के बावजूद अनेक प्रश्न हैं व् भांति भांति की भ्रांतिया व् उलझने बनी हुई है. जी एस टी क्या है और यह वर्तमान टैक्स प्रणाली को कैसे सुधारेगा? आपके अनेक सवालों के साथ इस प्रणाली के महत्व के विषयों पर इस आलेख में विचार व् स्तिथि स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है.

1. जी एस टी (GST) में सप्लाई व् टैक्स के प्रकार

वस्तु एवं सेवा कर या जी एस टी एक व्यापक, बहु-स्तरीय, डेस्टिनेशन (गंतव्य) आधारित कर है जो वस्तु व् सेवा कर बढ़ते हुए मूल्य पर लगेगा. यह कर प्रणाली वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) की तरह ही है, जहाँ प्रत्येक सप्लाई पर सप्लाई के मूल्य में जो भी इजाफा होगा उस पर कर देय होगा. नई GST प्रणाली में यों तो अनेक कर (टैक्स) समाहित किये गए है, परन्तु एक सामान्य व्यापारी के लिए अब तक अलग लगने वाले सेवा कर, वैट व् एक्साइज ड्यूटी व् अन्य कर एक ही टैक्स की, एक ही रिटर्न, एक ही विभाग की ऑनलाइन देखरेख में, एक साथ फाइल करना है. पूर्व में भरी हुई एक्साइज ड्यूटी पर भी वैट लगता था वह अब नहीं लगेगा. कोई भी वस्तु निर्माता उत्पादन पूर्व कच्चा मॉल खरीदता है और वह भी ख़रीदे हुए कच्चे माल पर टैक्स अदा करता है. यह माल उत्पादन कर्ता से डिस्ट्रीब्यूटर, होल सेलर, रिटेलर व् अंत में उपभोक्ता. सामान्यतया कोई भी सप्लाई ऊपर लिखी चैन से गुजरती है व् हर एक स्टेज पर वस्तु की ली गयी सप्लाई में मूल्यवृद्धि ( वैल्यू ऐडिशन) होती है अतः हर एक स्टेज पर की गयी वृद्धि पर लगने वाला टैक्स लागु होगा इसे निम्न लिखित उदारहण से समझा जा सकता है ।

वस्तु का मूल्य Rs. वस्तु पर लिया गया टैक्स @ 12 % कर सहित वस्तु का मूल्य इनवॉइस अनुसार भुगतान किया गया कर (in Rs.)

(यह कर सप्लाई लेने वाले को क्रेडिट के रूप में उपलब्ध होगा)

खरीददार द्वारा दिया गया वास्तविक टैक्स जो की उसके द्वारा किये मूल्य इजाफे पर ही बना है सप्लाई का प्रकार टैक्स का प्रकार
निर्माता से

स्टॉकिस्ट

 

100 12 112 12 12.00

(इसमें निर्माता द्वारा कच्चे माल पर ली गई क्रेडिट उपलब्ध थी)

दिल्ली से अहमदाबाद ( एक राज्य से दूसरे राज्य) IGST 12 %
स्टॉकिस्ट से

हॉलसेलर

 

120 14.40 134.40 14.40 2.40 अहमदाबाद से हिम्मत नगर (एक ही राज्य के अंतर्गत) CGST + SGST

6% + 6 %

हॉलसेलर से

रिटेलर

 

150 18.00 168.00 18.00 3.60 हिम्मत नगर से ईडर (एक ही राज्य के अंतर्गत) CGST + SGST

6 % + 6 %

रिटेलर से

उपभोक्ता

190 22.80 212.80 22.80 (अंतिम उपभोक्ता द्वारा दिया गया टैक्स) 4.80 ईडर से ईडर (एक ही राज्य के अंतर्गत) CGST + SGST

6% + 6 %

IGST – इंटीग्रेटेड (समेकित) वस्तु व् सेवा कर : यह कर अंतरराज्यीय (one state to another state) आपूर्ति व् आयात की दशा में लगाया जाता है (इसे पूर्व कर व्यवस्था के वैट व् एक्साइज ड्यूटी/ सेवा कर की तरह माना जा सकता है)

SGST व् CGST यानिकि स्टेट (राज्य) वस्तु व् सेवा कर तथा केंद्रीय वस्तु व् सेवा कर : यह कर दो भागों [SGST इसे पूर्व कर व्यवस्था के वैट की तरह माना जा सकता है व् CGST इसे पूर्व कर व्यवस्था की एक्साइज ड्यूटी/ सेवा कर की तरह माना जा सकता है] में राज्य की सीमा के अंदर (within a state) होने वाली आपूर्ति पर लगाया जाता है.

उपरोक्त सारणी से यह भी स्पष्ट होता है कि पहला व्यवहार एक राज्य से दूसरे राज्य मे हुआ था अतः भुगतान किया गया टैक्स IGST था व् सप्लाई लेने वाले को उसके इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट खाते में IGST की क्रेडिट मिली थी. परन्तु सप्लाई लेने वाले द्वारा कोई भी सप्लाई अन्य राज्य को नहीं दिए जाने की दशा में उनके खाते में उपलब्ध IGST की क्रेडिट का प्रयोग SGST व् CGST के भुगतान के लिए किया जा सकेगा / इसी तरह SGST व् CGST में उपलब्ध क्रेडिट का प्रयोग IGST टैक्स के भुगतान के लिए किया जा सकता है. एक मात्र प्रतिबंध इस बात का है कि CGST व् SGST में उपलब्ध क्रेडिट का प्रयोग आपस में CGST से SGST व् विलोमतः नहीं किया जा सकता है. अतः यह कहा जा सकता है की पूर्व प्रणाली में वैट क्रेडिट का इस्तेमाल एक्साइज भुगतान के लिए व् एक्साइज क्रेडिट का इस्तेमाल वैट हेतु नहीं किया जा सकता था परन्तु अब नई प्रणाली में अब यह संभव है.

2. जीएसटी पंजीकरण करने के लिए आवश्यक दस्तावेज निम्न प्रकार से हैं:

  • प्रोप्राईटर/ पार्टनर / डायरेक्टर का फोटो
  • प्रोप्राईटर/ पार्टनर / डायरेक्टर के पते, पैन, आधार कार्ड आदि
  • करदाता का संविधान/प्रकार
  • व्यापार स्थान/ स्थानों एक ही राज्य में पते के सबूत
  • वस्तुएं व् HSN कोड / सेवाएं व् उनके एकाउंटिंग कोड
  • बैंक खाता विवरण
  • हस्ताक्षर के लिए अधिकृत करने का पत्र.

3. जी एस टी रिटर्न

फॉर्म GSTR -1 : महीने के दरम्यान की गई सप्लाई का विवरण (between 1st to 10th of the following month)

फॉर्म GSTR -2 A : महीने के दरम्यान ली गई सप्लाई जो की सप्लाई कर्ता द्वारा दाखिल किये गए GSTR -1 के आधार पर सिस्टम द्वारा स्वतः बनेगा

फॉर्म GSTR – 2 : ली गई सप्लाई का विवरण जिन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना है जिसमे रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म की क्रेडिट भी शामिल है (on 15th of the following month).

फॉर्म GSTR -1 A : महीने के दरम्यान की गई सप्लाई के विवरण में सुधार, परिवर्तन व् अन्य करेक्शन

फॉर्म GSTR -3 : महीने की फाइनल रिटर्न जो की ली गई क्रेडिट व् देय टैक्स के अनुसार किसी भी टैक्स अदाकर्ता द्वारा अदा किये जाने वाले टैक्स का विवरण है व् देय टैक्स जिस माह की रिटर्न है उसके बाद वाले माह की १८ तारीख तक भरना है. (for filing return last date 20th of the following month)

वतर्मान में पहले दो माह के लिए मासिक रिटर्न के प्रावधानों में कुछ ढील दी गयी है व् फॉर्म GSTR- 3B भरना रहेगा, जो की पूरी रिटर्न का सरलीकरण है.

4. रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के बारे में (सेवा या गुड्स की सप्लाई लेने वाले को टैक्स अदा करने का सिस्टम)

एक रजिस्टर्ड टैक्स अदा कर्ता यदि कोई भी सेवा या गुड्स बिना रजिस्टर्ड व्यक्ति से लेता है यानिकि उसको प्राप्त बिल पर टैक्स का भुगतान सप्लाई कर्ता द्वारा नहीं किया गया है तो ली गयी सप्लाई के मूल्य पर सेवा या गुड्स लेने वाला व्यक्ति टैक्स का भुगतान नकद ( इलेक्ट्रॉनिक कॅश लेजर ) द्वारा करेगा व् अदा किये गए टैक्स की क्रेडिट उसे उसके इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में उसके द्वारा आगे की जाने वाली सप्लाई पर टैक्स अदा करने हेतु उपलब्ध होगी. इसे ही रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म कहा गया है. कुछ ऐसी सेवाएं भी है जिन पर आवश्यक रूप से रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म द्वारा ही टैक्स का भुगतान होगा मसलन ट्रांसपोर्टेशन ऑफ़ गुड्स बॉय रोड(GTA ). परन्तु सरकार ने छोटे व्यापारियों की समस्याओं को ध्यान रखते हुए दिन प्रति-दिन के ऐसे अपंजीकृत व्यक्तिओं से ली जाने वाली सेवा व् गुड्स पर किये गए खर्चे पर 5,000 /- प्रति दिन के हिसाब से छूट दी है. परन्तु यह छूट GTA व् 11 अन्य सेवाओं पर उपलब्ध नहीं है, जहाँ आवश्यक रूप से रिवर्स चार्ज द्वारा ही टैक्स का भुगतान करना है. GTA पर 750 /- तक के बिल पर टैक्स भरने की आवशयकता नहीं हैं.

5. पुरानी टैक्स प्रणाली (एक्साइज एवं वैट) से GST में जाने पर उपलब्ध क्रेडिट व् स्टॉक में पड़े माल के बारे में :

5.1 यदि आप वतर्मान में सेंट्रल एक्साइज ( यानिकि निर्माता) है, सेवा कर या वैट में पंजीकृत है तो आपके अंतिम रिटर्न जो की दिनांक 30 जून 2017 की अवधि तक के लिए दाखिल करना है, उस रिटर्न में उपलब्ध क्रेडिट नए सिस्टम यानिकि जी एस टी में आपको उपलब्ध होगी. इस हेतु शर्त यह है की आप के अपने सारे रिटर्न मसलन वैट, सेवाकर व् एक्साइज के पिछले छह माह के रिटर्न निरंतर फ़ाइल किये हुए हो व् क्रेडिट पिछले टैक्स सिस्टम में व् जी एस टी में क्रेडिट हेतु पात्र है / यानिकि इनपुट टैक्स क्रेडिट के नियमो के आधीन क्रेडिट पात्र है. साथ ही यह देखा जाना चाहिए की आपके सारे लंबित वैट के फॉर्म मसलन फॉर्म “सी” आदि का निपटान 90 दिनों के अंदर कर दिया गया है. ऐसे फॉर्म्स के लंबित रहने की दशा में फॉर्म में दर्शाए गए टैक्स के काटने के बाद की क्रेडिट ही उपलब्ध होगी.

5.2 ट्रेडर्स के लिए : – सेक्शन 140 के उप सेक्शन ३ के अनुसार यदि आप वैट में पंजीकृत थे, परन्तु सेंट्रल एक्साइज में पंजीकृत नहीं थे, ऐसी दशा में आपको सेंट्रल एक्साइज की क्रेडिट C G S T के लेजर में आपके स्टॉक में रहे माल के बैलेंस के अनुसार कुछ प्रावधानों के अधीन मिल पायेगी. पूरी क्रेडिट हेतु एक्साइज पेमेंट दर्शाती इनवॉइस आवश्यक है. ऐसी इनवॉइस 12 महीने से पुरानी न हो. इस हेतु आपको आपकी इन्वॉइसेस में दर्शायी गई टैक्स राशि व् स्टॉक का विवरण FORM TRANS-1 में 90 दिनों के अंतर्गत ऑनलाइन पोर्टल पर फ़ाइल करना है. यह ध्यान रहे की आपका स्टॉक का विवरण आपके खातों व् लेखे जोखे के अनुसार है. यह विवरण सक्षम अधिकारी द्वारा जाँच योग्य है व् सक्षम अधिकारी इस हेतु आवश्यक जानकारी आपसे मांग सकता है.

5.3 उपरोक्त सब पैरा 5.2 के विपरीत यदि आपके पास एक्साइज ड्यूटी के भुगतान को दिखाती इनवॉइस नहीं है पर वैट का भुगतान दिखाती हुई इनवॉइस है तो आप जब भी स्टोक में पड़े माल की सप्लाई (बिक्री) अगले छह माह की अवधि तक करेंगे व् उस पर आप 12 % आई जी एस टी भरते हैं तो आपको 6 % का 40 % व् यदि टैक्स दर 18 % या इससे अधिक है तो उक्त दर की आधी दर (यानिकि सी जी एस टी ) का 60 % तक की क्रेडिट आपको उपलब्ध होगी. आप द्वारा ऐसे माल की बिक्री का विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर FORM TRANS-2 प्रति माह फ़ाइल करना होगा. एंटी प्रॉफीटिरिंग कानून के तहत व्यापारी ऐसे मामलों में जहाँ उन्हें 40 % या 60 % दर अनुसार क्रेडिट लेना हैं वे अपने सप्लाई के इन्वॉइसेस में ऐसी मिलने वाली क्रेडिट की रकम अपनी सप्लाई प्राप्त करता (BUYER ) से कम करके ही बाकि मूल्य वसूल करेंगे.

6. प्लेस आफ सप्लाई के बारे में :

जैसा की आपको उपरोक्त विवेचन से मालूम हुआ कि राज्य के अंदर व् राज्य के बाहर की गयी सप्लाई अलग अलग प्रकार की है व् उन पर लगने वाले टैक्स IGST या फिर SGST + CGST है व् यदि आप से किसी भी गलती के कारण गलत टैक्स भर दिया गया तो गलत भरे टैक्स का रिफंड लेना होगा व् उचित तथा लागु होने वाला टैक्स ही भरना होगा अतः प्लेस आफ सप्लाई समझना आवश्यक है.

सप्लाई का प्रकार जगह जहाँ से माल रवाना हुआ खरीदने वाले स्थान सप्लाई प्राप्त होने का स्थान लागु होने वाला टैक्स
गुजरात का व्यापारी “ए” राजस्थान के व्यापारी “बी” को सीधी सप्लाई करता है Gujarat Rajasthan Rajasthan IGST
राजस्थान से राजस्थान के व्यापारी या उपभोक्ता को सप्लाई Rajasthan Rajasthan Rajasthan CGST + SGST
राजस्थान का व्यापारी “अ”, गुजरात के व्यापारी “बी” के निर्देश पर महाराष्ट्र के व्यापारी “सी” को सीधे माल भेजता है व् इनवॉइस बिल टू “बी” व् शिप “सी” के अनुसार बनती है Rajasthan Gujarat Maharashtra IGST
राजस्थान का व्यापारी “अ”, गुजरात के व्यापारी “बी” के निर्देश पर राजस्थान के व्यापारी “सी” को सीधे माल भेजता है. Rajasthan Gujarat Rajasthan IGST
राजस्थान का व्यापारी “अ”, राजस्थान के व्यापारी “बी” के निर्देश पर गुजरात के व्यापारी “सी” को सीधे माल भेजता है. Bill to B and Ship to C Rajasthan Rajasthan Gujarat CGST + SGST

7. सामान्य परन्तु महत्वपूर्ण जानकारियां :

7.1 यदि आप भविष्य में होने वाली किसी भी सप्लाई के प्रति सप्लाई प्राप्त कर्ता से एडवांस लेते हैं तो जिस माह आपने एडवांस लिया उसी माह आपकी टैक्स देने की पात्रता बन जाती है तथा भविष्य में सप्लाई होने पर अग्रिम पर दिया गया टैक्स एडजस्ट हो जायेगा.

7.2 इसी प्रकार यदि आप आपके भुगतान देरी से आने से आपने आपके सप्लाई प्राप्त-कर्ता से ब्याज लिया है तो ऐसा लिया गया ब्याज भी टैक्स पात्र है.

7.3 इसी प्रकार आप ने आपके यहाँ आयी सप्लाई पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया है व् उक्त सप्लाई के प्रति सप्लाई भेजने वाले व्यापारी को 180 दिनों तक तक भी भुगतान नहीं किया है तो आप द्वारा ली गयी इनपुट टैक्स क्रेडिट ब्याज सहित वसूल की जाएगी.

7.4 एक अन्य नियम के अनुसार यदि आपके वेंडर यानिकि आप के सप्लाई-कर्ता ने सरकार के खाते में सप्लाई के प्रति टैक्स अदा नहीं किया है या संबधित रिटर्न फ़ाइल नहीं किया है तो आप द्वारा उक्त सप्लाई पर ली गयी इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस वसूल कर ली जाएगी अतः आप अच्छी छवि वाले व्यापारी के साथ ही काम करना पसंद करेंगे.

7.5 GSTR-3 के अनुसार यदि किसी की टैक्स पात्रता मानाकि रूपये 200000 बनती है और वह टैक्स के प्रति 195000 ही जमा कराता है तो शार्ट पेमेंट होने से उनकी रिटर्न स्वीकार नहीं होगी व् उनके सारे खरीददारों की इनपुट टैक्स क्रेडिट अमान्य हो जाएगी. अतः समय पर टैक्स अदा करना अति आवश्यक है.

7.6 सभी कार्य ऑनलाइन होंगे मसलन नाम, पते में परिवर्तन, व्यापार के स्थान में कोई परिवर्तन, नए स्थान का जोड़ना, बैंक अकाउंट में परिवर्तन आदि व् सरकारी दफ्तरों में आने जाने का काम नहीं रहेगा. सारे रिफंड ऑनलाइन होंगे व् निश्चित समयावधि में रिफंड देना बाध्यकारी है.

7.7 व्यापारियों को उनके समय पर टैक्स के भुगतान व् अन्य नियमों के उचित पालना के अनुसार ग्रेडिंग मिलेगी अतः बेहतर ग्रेडिंग होने से व्यापार में रेटिंग बढ़ेगी जो व्यापार के लिए हितकर है

7.8 इनवॉइस सीरियल नंबर से चलेंगे और वे पूर्व प्रिंटेड भी हो सकते हैं व् कंप्यूटर द्वारा भी बनाये जा सकते है. इनवॉइस बनने के बाद परिवर्तन नहीं होगा व् भूलचूक व् आवशयक परिवर्तन क्रेडिट नोट व् डेबिट नोट के माध्यम से होंगे.

7.9 कम्पोज़िशन स्कीम के तहत लिमिट 75 लाख है व् और जिन व्यापारियों का टर्न ओवर पिछले वित्तीय वर्ष में 75 लाख रूपये तक था वे इस स्किम में जा सकते हैं. जिन व्यापारियों को इस स्कीम में जाना है उन्हें अपना स्टॉक जो की 30.6.2017 के बाद पड़ा था, वह घोषित करना है एवं यदि वह टैक्स पैड नहीं था तो उस पर टैक्स अदा करना है. परन्तु यदि कोई भी माल अन्य राज्य से ख़रीदा हुआ स्टॉक में है तो वे व्यापारी कम्पोज़िशन स्कीम का लाभ नहीं ले सकते है क्योंकि वह सिर्फ CST पैड है एवं उस माल पर उस राज्य में लगने वाले वैट का भुगतान नहीं हुआ था. यह प्रतिबन्ध सिर्फ आरम्भ में है और भविष्य में आप अंतर्राज्यीय सप्लाई ले सकेंगे. इस स्कीम के अंदर माल की सप्लाई करते वक्त इनवॉइस नहीं बनाकर बिल ऑफ़ सप्लाई बनाना है व् सप्लाई प्राप्त कर्ता से कोई भी टैक्स नहीं वसूलना है. रिटर्न इस हेतु त्रेमासिक है व् टर्न ओवर पर 0.5 की दर से अलग अलग CGST व् SGST भरना है. ऐसे व्यापारी एक राज्य से दूसरे राज्य में सप्लाई नहीं दे सकते हैं.

7.10 इनवॉइस में सप्लाई प्राप्त-कर्ता का GSTN नंबर व् अन्य आवश्यक सूचनाएं अवश्य रूप से लिखे अन्यथा उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने में संकट पैदा होगा.

7.11 सभी निर्यात व् सेज़ (SEZ) को सप्लाई टैक्स मुक्त है. इस हेतु टैक्स अदा कर बाद में एक्सपोर्ट होने पर रिफंड लिया जा सकता है अथवा बॉन्ड के अंतर्गत बिना टैक्स के भुगतान किये माल की निकासी की जा सकती है.

7.12 रजिस्ट्रेशन लेने में उन लोगों को छूट है जिनका टर्न ओवर रूपये २० लाख से कम है. यह टर्न ओवर ऐसे लोगों के सभी व्यापार मसलन गुड्स की सप्लाई, सेवा की सप्लाई, प्रॉपर्टी किराया (व्यापार के लिए )आदि या एक से अधिक व्यापार जो की एक ही पैन नंबर से संचालित है के लिए सम्मिलित रूप से है. ऐसे लोग अंतर्राज्यीय व्यापार नहीं कर सकते है.

7.13 GST में कर वंचन, कर कम भरना, गलत या अधूरी जानकारी अथवा तथ्यों को छिपाना, देरी, रिटर्न देरी से फाइल करने, भुगतान में विलम्ब आदि पर ब्याज व् पेनल्टी के प्रोविज़न्स है. विभिन्न दशाओं में रु. 100 प्रति दिन या टैक्स की रकम का 25 % या 50 % या 100 % पेनल्टी के प्रावधान है व् भूल मान लेने के दशा में कम पेनल्टी का प्रावधान है. कुल मिलाकर अपना काम सामान्य रूप से करने वाले व्यक्ति को किसी डर की आवश्यकता नहीं हैं.

7.14 GST में ट्रेड डिस्काउंट का भी प्रावधान है. मानाकि आपका खरीददार नियमित है और आप उसको 10 % डिस्काउंट देना चाहते तो आप ऐसा कर सकते है व् बिल में लिखी मूल कीमत से कम कर सकते है. समय पर भुगतान प्राप्त होने पर आप क्रेडिट नोट के द्वारा पार्टी के अकाउंट को क्रेडिट कर सकते है क्योंकि मूल इनवॉइस में परिवर्तन संभव नहीं है. परन्तु जितना मूल्य कम किया गया, उस पर सप्लाई प्राप्त कर्ता को इनपुट क्रेडिट रिवर्स करना पड़ेगा. स्कीम के तहत जैसे की आप 10 आइटम पर एक आइटम फ्री एक ही इनवॉइस में दे सकते है. इसी प्रकार मुफ्त सैंपल भी आप दे सकते है पर सैंपल बनाने में जो इनपुट्स लगे है उनकी ली गयी क्रेडिट रिवर्स करनी पड़ेगी.

7.15 इनपुट क्रेडिट का दायरा बहुत बढ़ा दिया गया है जिसमे आप अपने व्यापर के प्रति दिन प्रतिदिन जो भी सेवाएं व् माल लेते है उन सभी पर आपको इनपुट क्रेडिट मिलेगी. इसमें व्यापार के लिए भवन निर्माण, मोटर व्हीकल तथा पेट्रोलियम प्रोडक्ट शामिल नहीं है. इनमे मसलन CA की सर्विस, ऑडिट फीस, व्यापार के लिए यात्रा, इस हेतु होटल में ठहरना, स्टेशनरी, कंप्यूटर आदि शामिल है.

7.15 माल वापसी की दशा की माल लौटने वाले व्यक्ति को अपनी इनवॉइस बनाकर सप्लायर के नाम माल वापस करना होगा, इससे ली गयी क्रेडिट रिवर्स होगी व् मूल सप्लाई कर्ता को अपनी क्रेडिट वापस मिल जाएगी.

7.16 माल के टूटने फूटने, इसके जल जाने, बट्टे खाते में डालने, चोरी होने की दशा में माल पर ली गयी क्रेडिट रिवर्स करनी होगी.

7.17 हमारा देश 130 करोड़ की जनसँख्या वाला देश है, जहाँ 22 भाषाएँ बोली जाती है व् 29 राज्य है एवं विभिन्न तबके के लोग रहते है अतः GST में देश के विभिन्न वर्गों कि आवश्यकता के अनुरूप 0 %, 3 %, 5 %, 12 %, 18 % व् 28 % कि दर है. GST में पेपर वर्क समाप्त हो रहा है. सारे काम ऑनलाइन होंगे. सरकारी दफ्तरों में नहीं जाना पड़ेगा. समय की बचत होगी. कई सारे टैक्स एक ही टैक्स में समाहित कर दिए गए हैं. जम्मू एवं कश्मीर में भी GST लागु हो गया है. GST की सफलता देश कि सफलता है. हमारी अनेक विभिन्नताओं के बावजूद हम एक राष्ट्र है व् एक टैक्स की नीति के तहत एक ही टैक्स प्रणाली लाना एक मील का पत्थर साबित होगा व् इससे हमारी जीडीपी में इजाफा होगा. माल का आवागमन सहज व् तेजी से हो सकेगा.

8. निम्नलिखित मामलों में जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता है

  • माल अथवा सेवाओं की अंतर्राज्यीय (Inter- State) आपूर्ति करने वाले
  • कोई भी व्यक्ति जो एक कर योग्य क्षेत्र में माल अथवा सेवाओं की आपूर्ति करता है और जिसके व्यवसाय का कोई निश्चित स्थान नहीं है – जिसे आकस्मिक कर योग्य व्यक्तियों के रूप में जाना जाता है |
  • कोई भी व्यक्ति जो माल अथवा सेवाओं की आपूर्ति करता है और भारत में व्यापार का कोई निश्चित स्थान नहीं है.
  • रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत कर का भुगतान करने वाले व्यक्ति.
  • एजेंट ऑफ़ सप्लायर (आढ़तिया) जो अन्य पंजीकृत कर योग्य व्यक्तियों की ओर से सप्लाई करता है.
  • वितरक या इनपुट सेवा वितरक | इस व्यक्ति के पास आपूर्तिकर्ता के कार्यालय के रूप में एक ही पैन है। ई-कॉमर्स ऑपरेटर (इ-व्यवसाय)
  • ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से सप्लाई करने वाले व्यक्ति.
  • एग्रीगेटर जो अपने ब्रांड नाम के तहत सेवाएं प्रदान करता है, मसलन OLA, UBER.
  • आपूर्ति में आये माल की इसके आपूर्ति कर्ता को वापस लौटाए जाने के लिए टैक्स इनवॉइस बनाकर ही वापस करना होगा, ऐसी इनवॉइस पर लागु होने वाला टैक्स भरना है, जिससे की लागु होने वाले टैक्स की माल की आपूर्ति कर्ता को पुनः टैक्स क्रेडिट उपलब्ध हो सके.

9. इनपुट टैक्स क्रेडिट के बारे में.

इसके सब सेक्शन 1 के अनुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट आंशिक रूप से व्यापर के प्रति व् आंशिक रूप से अन्य जगह प्रयोग में आयी है तो क्रेडिट जो की व्यापर के प्रति प्रयोग में आयी है, केवल उसी की क्रेडिट मिलेगी. सब सेक्शन 2 के अनुसार यदि इनपुट टैक्स क्रेडिट आंशिक रूप से टैक्सेबल आपूर्ति व् आंशिक रूप से कर मुक्त सप्लाई के प्रति प्रयोग में आयी है तो टैक्स क्रेडिट केवल टैक्सेबल आपूर्ति (जिसमे शून्य रेट की आपूर्ति भी शामिल है) के मामलों में ही मिलेगी. सब सेक्शन 3 के अनुसार कर मुक्त सप्लाई में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के अंतर्गत वाली आपूर्ति भी शामिल है.

सब सेक्शन 5 के अनुसार निम्न मामलों में इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध नहीं होगी :

अ) मोटर व्हीकल केवल उन मामलो को छोड़कर जहाँ आउटपुट सप्लाई भी मोटर व्हीकल है या पैसंजर के यातायात में सलग्न है या ड्राइविंग आदि के ट्रेनिंग में रत है.

ब ) खाद्य सामग्री व् ड्रिंक्स, आउट- डोर कैटरिंग, सौंदर्यकरण हेतु लिया इलाज, स्वास्थ्य सेवा, श्रृंगार प्रसाधन व् प्लास्टिक शल्य क्रिया, क्लब/ स्वास्थ्य/ फिटनेस केंद्र के मेंबर की आंतरिक आपूर्ति, रेंट- ए- कैब, स्वास्थ्य बीमाकरण, जीवन बीमा (केवल वे मामलें छोड़कर जहाँ ऐसा बीमा किसी कानून के तहत आवश्यक है), कर्मचारियों के अवकाश आदि के दौरान की यात्रा व् अन्य सुविधाएँ.

स) वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट सेवा की इनवर्ड आपूर्ति जो की किसी अचल सम्पति के निर्माण से संबधित है.

द ) वस्तु व् सेवाओं की वह आपूर्ति जो की किसी अचल सम्पति के निर्माण के लिए काम में लायी गयी है, जिसमे प्लांट एंड मशीनरी व् उनके आधार (FOUNDATION ) शामिल नहीं है. निर्माण कार्य में पुन्र निर्माण, नवीनीकरण, वृध्दीकरण, परिवर्तन व् सुधार शामिल है.

इ) वे मामले जहाँ माल खो गया है, चोरी हो गया है, नाश हो गया है, माल स्टॉक से राइट ऑफ़ किया गया है या बतौर सैंपल के मुफ्त में दे दिया गया है, इनपुट टैक्स क्रेडिट रिवर्स करनी होगी.

10. एक्सपोर्ट यानिकि की निर्यात के बारे में:

सभी एक्सोपोर्ट शून्य की दर पर है. परन्तु आपके प्रतिष्ठान से पोर्ट आफ एक्सपोर्ट तक जाने के लिए या तो माल पर लगने वाला टैक्स भरना है या फिर बांड के तहत बिना टैक्स भरे माल की निकासी की जा सकती है. बांड अपने क्षेत्र के केंद्रीय GST के असिस्टेंट / डिप्टी कमिश्नर के ऑफिस में भर कर मंजूर करवाना होगा. सामान्यतया बांड एक वर्ष के लिए मान्य होता है. जहाँ टैक्स भर कर माल की निकासी की गयी है वहां एक्सपोर्ट के बाद भरा हुआ टैक्स IGST का रिफंड मिल सकेगा. सेज़ (SEZ ) को की जाने सप्लाई के लिए भी यही प्रकिर्या है.

11. GST के इनवॉइस का प्रारूप इस प्रकार से है :

GST Invoice

आलेख :

महेंद्र के कोठारी, पूर्व अधीक्षक केंद्रीय उत्पादन शुल्क

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8 Comments

  1. Tejpal Jain says:

    Very nice article and we hope that in future more information on GST in our mother tongue will be available on this portal.

  2. GIRISH says:

    TRANSPORTATION, INSURANCE COST:
    EARLIER WE USE TO ADD ONLY PACKING FORWARDING CHARGES TO ARRIVE ASSESSABLE/ TRANSACTIONAL VALUE.

    NOW THE FREIGHT & OTHER SERVICES BILLED IN INVOICE TREATED AS BUNDEL SUPPLY & WE NEED TO PAY GST ON ENTIRE AMOUNT.

    NOW MY QUESTION,

    WHEN FREIGHT ALREADY CHARGED IN INVOICE & GST PAID ON PRODUCT GSTN RATE.
    WHETHER AGAIN NEED TO PAY GST ON REVERSE CHARGE,

    WHETHER CREDIT OF GST PAID ON FREIGHT WILL BE AVAILABLE AS INPUT CREDIT.

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