आयकर में निर्धारण वर्ष 2015-16 के लिए समाप्त होने वाला वित्तीय वर्ष 31-03-2015 को समाप्त हो चुका है अर्थात वर्ष 01—4-2014 से 31-03-2015 का जो वर्ष है उसका आयकर रिटर्न अभी सभी को भरने है और अभी तक भी सरकार और हमारे कानून निर्माता आयकर के मुख्य रिटर्न अर्थात आयकर रिटर्न संख्या 3 से 7 अभी तक जारी नहीं हुए है.
जिन व्यावसायिक एवं ओद्योगिक संस्थाओं को आयकर कानून के तहत ऑडिट करवाना होता है उनके रिटर्न भी इसी श्रेणी में शामिल है . इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल है उनके रिटर्न भी अभी जारी होने बाकी है .
ध्यान रखें कि आपको इस निर्धारण वर्ष 2015-16 में किन नियमो के तहत कर देना है यह सब तो एक साल पहले ही तय हो चुका था और इस प्रकार आयकर रिटर्न जारी करने के लिए हमारे कानून निर्माताओं के पास पूरा एक साल का समय था वह भी तब जब वे ये रिटर्न 1 अप्रैल 2015 को जारी किये जाते लेकिन अब जब कि वित्तीय वर्ष समाप्त हुए 100 दिन से भी अधिक बीत चुके है आयकर रिटर्न संख्या -3 से 7 जारी नहीं हो पाए है . आखिर देंखे क्या कारण हो सकते है इस देरी के और क्या हर साल होने वाली इस समस्या का कोई स्थायी हल भी है .
देखिये वैसे तो हर वर्ष नया रिटर्न जारी करना पड़े इसका कोई तर्क नहीं है पर हमारे कानून निर्माता हर वर्ष रिटर्न के नए प्रारूप जारी करना चाहतें है . आयकर कानून में आजकल हर वर्ष कोई बहुत बड़े परिवर्तन नहीं होते है और ऐसी हालात में पिछले वर्ष के रिटर्न को ही थोड़ा सा जहाँ भी जरुरी हो परिवर्तन कर जारी किया जा सकता है और कर कानूनों में प्रक्रियाओं के सरलीकरण की मांग भी यही है. लेकिन ऐसा होता नहीं है .
आयकर रिटर्न के प्रारूप तैयार करते समय सरलीकरण की नीति को ध्यान में नहीं रख कर यह ज्यादा ध्यान रखा जाता है कि रिटर्न्स को किस तरह से अधिक से अधिक जटिल और बड़ा बनाया जाए और इसी प्रयास के तहत हर वर्ष एक नया रिटर्न जारी किया जाता है और देरी का सबसे बड़ा कारण भी यही है . देरी का सबसे बड़ा दूसरा कारण यह है कि जो लोग रिटर्न्स बनाते है और जारी करने है उन पर समय पर रिटर्न्स जारी करने का कोई प्रशासनिक और नैतिक दबाव भी नहीं है.
क्या यह खबर की भारत में आयकर के मुख्य रिटर्न्स अभी तक जारी नहीं हुए है और प्रतिवर्ष ऐसा ही होता है यह खबर विदेशों में नहीं जाती है ? कई भारतीय नागरिक जो भारत के बाहर रहते है उनमे से भी कुछ को भी इन रिटर्न्स की आवश्यकता रहती है इसके अतिरिक्त भारत में निवास करने वाले कई व्यक्तियों को अपनी आय के सबूत के रूप में भी अपना रिटर्न विदेश में किसी ना किसी काम के लिए भेजना होता है . इसके अतिरिक्त यह रिटर्न्स बड़ी- बड़ी कंपनियों को भी भरने होते है .इसके अतिरिक्त भी सोशल मीडिया पर भी यह खबर है कि रिटर्न्स अभी तक जारी नहीं हुए है . क्या यह सब हमारी कार्यप्रणाली का विदेशो में माखौल उड़ाने के लिए काफी नहीं है . भारत की जनता की राय से तो हमारे कानून निर्माता और नौकरशाह नहीं डरते है लेकिन कम से कम विदेशों में तो हमारे देश की छवि का उन्हें ध्यान रखते हुए आयकर रिटर्न्स 1 अप्रैल को जारी कर देने चाहिए.
इसके अतिरिक्त जिन निर्धारितियों को अपना ऑडिट करवाना होता है वे तो अपनी ऑडिट रिपोर्ट भी आयकर साईट पर पेश करते है जिसमे वित्तीय प्रपत्र जैसे बैलेंस शीट, लाभ हानि खाता इत्यादि सभी होते है और साथ लगने वाले फॉर्म 3 CD में शेष अन्य सूचनाये होती है और इन्हें ही आयकर प्रपत्र में भी दोहराया जाता है और आयकर रिटर्न्स का लगभग 75 प्रतिशत भाग केवल दोहराव ही है . इसलिए ऑडिटेड मामलों में केवल एक पेज का ही आयकर रिटर्न्स काफी होना चाहिए जिसमे केवल आय एवं उस पर लगने वाले कर की गणना एवं उसके भुगतान का विवरण होना चाहिए. सूचनाओं के दोहराव से हमारे कानून निर्मातो क्यों नहीं बचना चाहते है या उन पर ऐसा कोई प्रशासनिक एवं नैतिक दबाव है ही नहीं.
(Author may be contacted at sudhirhalakhandi@gmail.com or on 9198280 67256)
any comment sent for my e/mail address
PERFECT.
अगर टैक्स ऑडिट रिपोर्ट प्रक्रिया को ही कैंसिल करें और रिटर्न फॉर्म में डिटेल्स देना अनिवार्य करें तो जनता का समय एवं पैसा दोनों की बचत होगी ।
वैसे भी टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की उपयोगिता सवालों के घेरें में हैं ।
जनहित में जारी। …………
Nice artical