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वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के लागू होने के उपरांत वित्तीय वर्ष 2017- 2018 , और 2018-2019 में जीएसटी विभाग द्वारा जारी नोटिस धारा 61, 73, और 74 में फॉर्म जीएसटीआर 2a को आधार मानते हुए नोटिस जारी किए हैं। तथा कर योग्य करदाता पर फार्म GSTR 2A के आधार पर कर आरोपित किया गया है। जिस पर माननीय मद्रास हाई कोर्ट द्वारा  जीएसटी आर 2A जो अधिसूचित नहीं किया गया। के आधार को अस्वीकार करते हुए मैनुअल तरीके से डॉक्यूमेंट के आधार पर भौतिक सत्यापन करने हेतु आदेश पारित किया है ।इस रिट पिटीशन के संबंध में हम एक निर्णय का सार आपके समक्ष प्रस्तुत करते है-

टीवीएल TVL के मामले में माननीय मद्रास उच्च न्यायालय । कविन एचपी गैस ग्रामीण वितरक (KAVIN HP GAS GRAMIN VITRAK) बनाम वाणिज्यिक कर आयुक्त एवं अन्य।  रिट याचिका संख्या 6764 और 6765 / 2023 दिनांक 24 नवंबर, 2023 में माना कि उत्तरदाता फॉर्म जीएसटीआर-2 को सूचित करके रिटर्न दाखिल करने का कोई अवसर दिए बिना, कर योग्य व्यक्ति से रिटर्न दाखिल करने की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। इसलिए, प्रतिवादियों को डीलरों को मैन्युअल रूप से रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देनी चाहिए और रिट याचिकाओं को बिना किसी लागत के अनुमति दी जानी चाहिए।

तथ्य:

टी.वी.एल. कविन एचपी गैस ग्रामीण वितरक(TVL KAVIN HP GAS GRAMIN VITRAK)(” याचिकाकर्ता “) पेट्रोलियम गैसों और अन्य गैसीय हाइड्रोकार्बन से संबंधित व्यवसाय में लगा हुआ है। राजस्व विभाग (” प्रतिवादी “) ने वित्तीय वर्ष (“वित्तीय वर्ष”) में दाखिल किए गए फॉर्म जीएसटीआर-3बी की जांच और सत्यापन के आधार पर 27 अप्रैल, 2022 को कारण बताओ नोटिसजारी किया। और वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 में विलंबित इनपुट टैक्स क्रेडिट (” आईटीसी “) का दावा करने का कारण बताएं। प्रतिवादी ने पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद पर आईटीसी के गलत दावे को माफ करने और उलटने का निर्देश दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि फॉर्म जीएसटीआर-3बी भौतिक रूप से दाखिल किया गया था ।और दलील दी थी ।कि की गई बिक्री और एकत्रित कर की जानकारी आपूर्तिकर्ता द्वारा जीएसटीआर-1 में दी गई थी। हालाँकि, याचिकाकर्ता आईटीसी का दावा नहीं कर सका ।क्योंकि फॉर्म जीएसटीआर-2 अधिसूचित नहीं किया गया था। इसके अलावा, जब डीलरों ने बाहरी आपूर्ति/बिक्री पर कर का भुगतान नहीं किया, तो जीएसटी पोर्टल ने फॉर्म जीएसटीआर 3बी को ऑनलाइन भरने की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण आईटीसी का ऑनलाइन दावा नहीं किया जा सका। इसलिए, याचिकाकर्ता ने खरीद का हिसाब-किताब किया और कर चालान के माध्यम से किए गए भुगतान को जमा किया, खातों की पुस्तकों में आईटीसी का दावा किया और फॉर्म जीएसटीआर -3 बी के माध्यम से आईटीसी का लाभ उठाया, जो भौतिक रूप से दायर किया गया था।

इसके अलावा, प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता की दलीलों पर विचार किए बिना 16 अगस्त, 2022 को एक( NON SPEAKING ORDER )गैर-बोलने वाला आदेश पारित किया।

इसलिए, विवादित आदेश के विरुद्ध होकर वर्तमान रिट याचिका माननीय मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई थी।

 विषय

क्या फॉर्म जीएसटीआर-2 अधिसूचित नहीं होने पर भौतिक फॉर्म जीएसटीआर-3बी रिटर्न जमा करके आईटीसी का दावा किया जा सकता है?

निर्णय

माननीय मद्रास उच्च न्यायालय ने 2023 के रिट याचिका संख्या 6764 और 6765 के मामले में निम्नानुसार निर्णय लिया:

ध्यान योग्य यह कि, यदि जीएसटीएन(GSTN )ने कर के भुगतान या अधूरे फॉर्म जीएसटीआर-3बी के बिना जीएसटीएन दाखिल करने का विकल्प प्रदान किया है।, तो डीलर आईटीसी का दावा करने के लिए पात्र होगा। इसे जीएसटीएन नेटवर्क में प्रदान नहीं किया गया था, इसलिए डीलर निर्धारित समय के भीतर फॉर्म जीएसटीआर-3बी दाखिल न करने के आधार पर आईटीसी का दावा करने के लिए प्रतिबंधित हैं।

उल्लेखनीय है कि, यदि जीएसटीएन नेटवर्क में फॉर्म जीएसटीआर-3बी की अधूरी फाइलिंग का विकल्प प्रदान किया गया था।तो डीलर इस दावे का लाभ उठाएंगे और स्व-मूल्यांकन आईटीसी ऑनलाइन निर्धारित करेंगे। याचिकाकर्ता ने वास्तविक व्यावहारिक कठिनाई व्यक्त की थी। जीएसटी परिषद उपयुक्त प्राधिकारी हो सकती है,। लेकिन उत्तरदाताओं को इसे सुधारने के लिए कदम उठाने चाहिए। तब तक उत्तरदाताओं को डीलरों को मैन्युअल रूप से रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देनी चाहिए।

हंस राज संस बनाम भारत संघ और अन्य(Hansraj & Sons v/s union of India)[(रिट पिटीशन नंबर 36396/2019 दिनांक 16 दिसंबर, 2019] और एडफर्ट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत संघ(Adfard technology private limited versus union of India) के मामले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर भरोसा किया। अन्य [2018  मे रिट 30949 दिनांक 04 नवंबर, 2019], जिसमें माननीय न्यायालय ने माना कि किसी भी सक्षम तंत्र के अभाव में निर्धारिती को क्रेडिट प्राप्त करने से इनकार नहीं किया जाना चाहिए।

माना कि, जब भी याचिकाकर्ता करों का भुगतान किए बिना बाहरी आपूर्ति/बिक्री पर आईटीसी का दावा कर रहा हो।, तो प्रतिवादी याचिकाकर्ता को मैन्युअल रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देंगे। और उत्तरदाताओं को विलंबित रिटर्न स्वीकार करने का निर्देश दिया और यदि रिटर्न अन्यथा क्रम में और विधि के अनुसार है, ।तो आईटीसी के दावे की अनुमति दी जा सकती है। इसलिए, विवादित आदेश रद्द किया जाता है और रिट याचिका स्वीकार की जाती है।

उपरोक्त निर्णय से स्पष्ट है कि कर योग्य करदाता के लिए जीएसटीएन नेटवर्क द्वारा अधिसूचित फॉर्म जीएसटी 2a पहले उपलब्ध कराना आवश्यक है।

यह लेखक के निजी विचार है।

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