यह कि CBIC बोर्ड ने एक नोटिफिकेशन संख्या 08/2025 – सेंट्रल टैक्स dated 23rd January, 2025 जारी से जीएसटी R9C वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक के दाखिल करने हेतु दिनांक 31.03.2025 तक का समय प्रदान किया है। यह विलंब शुल्क माफी का लाभ उठाने के लिए 31 मार्च 2025 तक लंबित GSTR-9C दाखिल करें।
यह कि 23 जनवरी, 2025 को, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने अधिसूचना संख्या 8/2025 जारी की, जिसमें उन पंजीकृत करदाताओं पर लागू विलंब शुल्क को संबोधित किया गया, जो GSTR-9 के साथ GSTR-9C दाखिल करने में विफल रहे। वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20, 2020-21, 2021-22 और 2022-23 के लिए, यदि किसी करदाता ने अपने GSTR-9 के साथ अपना GSTR-9C फॉर्म जमा नहीं किया है, तो GSTR-9C दाखिल करने में देरी के लिए विलंब शुल्क माफी की गणना उसके जमा करने की तिथि तक की जाएगी, बशर्ते कि GSTR-9C 31 मार्च, 2025 को या उससे पहले दाखिल किया गया हो। यह महत्वपूर्ण है कि पहले से भुगतान किए गए किसी भी विलंब शुल्क के लिए कोई रिफंड उपलब्ध नहीं होगा। यह कि cbic द्वारा एक Circular No. 246/03/2025-GST Dated 30.01.2025 के द्वारा एक स्पष्टीकरण भी जारी किया है
यह कि करदाता और टैक्स प्रोफेशनल के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों के अलावा, आजकल एक प्रमुख चिंता जीएसटीआर 9सी के देरी से दाखिल होने पर धारा 47 के तहत विलंब शुल्क लगाने के इर्द-गिर्द घूमती है। करदाता और टैक्स प्रोफेशनल को जीएसटीआर 9सी के देरी से दाखिल होने के लिए कारण बताओ नोटिस मिल रहे हैं। इस लेख के माध्यम से हमारे द्वारा जहाँ जीएसटीआर 9 और जीएसटीआर 9सी दोनों ही देरी से दाखिल किए जाते हैं।
विधि व्यवस्था
यह कि बारीकियों में जाने से पहले, वार्षिक रिटर्न, विलंब शुल्क और जीएसटीआर 9 / जीएसटीआर 9 सी दाखिल करने की प्रक्रिया और तंत्र को नियंत्रित करने वाले सीजीएसटी अधिनियम 2017 के सेक्शन को समझना आवश्यक है-
धारा 44. वार्षिक विवरणी- (1) प्रत्येक पंजीकृत व्यक्ति, इनपुट सेवा वितरक, धारा 51 या धारा 52 के तहत कर का भुगतान करने वाले व्यक्ति, एक आकस्मिक कर योग्य व्यक्ति और एक अनिवासी कर योग्य व्यक्ति के अलावा एक वार्षिक रिटर्न प्रस्तुत करेगा जिसमें एक स्व-प्रमाणित समाधान कथन शामिल हो सकता है, वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तुत रिटर्न में घोषित आपूर्ति के मूल्य को प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से लेखा परीक्षित वार्षिक वित्तीय विवरण के साथ मिलाते हुए , ऐसे समय के भीतर और ऐसे प्ररूप में और ऐसी रीति से जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है।
उपरोक्त सेक्शन के अवलोकन से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि-
यह कि जीएसटीआर 9सी को एक समाधान विवरण के रूप में परिभाषित किया गया है, जो रिटर्न(Return) से अलग है। यह कि जीएसटीआर 9 में जीएसटीआर 9सी शामिल हो सकता है। यह कि जीएसटीआर 9/9सी दोनों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से दाखिल करना आवश्यक है । यह कि जीएसटीआर 9/9सी को भौतिक रूप में दाखिल नहीं किया जा सकता।
धारा 47 – विलंब शुल्क –
(A) ………………
(B) कोई भी पंजीकृत व्यक्ति, जो धारा 44 के अधीन अपेक्षित विवरणी नियत तारीख तक प्रस्तुत करने में असफल रहता है, वह प्रत्येक दिन के लिए, जिसके दौरान ऐसी विफलता जारी रहती है, एक सौ रुपए का विलम्ब शुल्क देने के लिए दायी होगा, जो राज्य या संघ राज्यक्षेत्र में उसके कारोबार के एक चौथाई प्रतिशत पर संगणित अधिकतम राशि के अधीन होगा। यह गणना अब टर्नओवर के हिसाब से की जाती है,कम टर्नओवर पर जीएसटीR 9 के लिए कम विलंब शुल्क का प्रावधान किया गया है और अधिक टर्नओवर के लिए अधिक विलंब शुल्क निर्धारित किया गया है। (नोटिफिकेशन संख्या 07/2023/सेंट्रल टैक्स/31.03.2023 )
यह कि धारा 47 से यह निष्कर्ष निकलता है कि-
यह कि रिटर्न (जीएसटीआर 9) देरी से दाखिल करने पर विलंब शुल्क निर्धारित किया गया है।यह कि समाधान विवरण (जी.एस.टी.आर. 9सी) के लिए कोई अलग विलंब शुल्क निर्धारित नहीं है।
यह कि अब जीएसटीआर 9/9सी की शब्दावली और फाइलिंग क्रम पर विचार करें-
यह कि सीजीएसटी अधिनियम 2017 के अनुसार, जीएसटीआर 9 को वार्षिक रिटर्न कहा जाता है, जबकि जीएसटीआर 9सी को समाधान विवरण कहा जाता है। यह कि फाइलिंग प्रक्रिया के अनुसार सबसे पहले जीएसटीआर 9 जमा करना अनिवार्य है, तथा इसके पूरा होने के बाद ही जीएसटीआर 9सी दाखिल किया जा सकता है। यह कि जीएसटीआर 9 जमा करने से पहले जीएसटीआर 9सी दाखिल करना असंभव है।
यह कि जीएसटीआर 9सी को देरी से दाखिल करने पर कोई विलम्ब शुल्क नहीं लगता है।जो निम्नलिखित तथ्यों पर आधारित है-
1. यह कि धारा 44 के अनुसार जीएसटीआर 9सी एक समाधान विवरण है, रिटर्न(Return )नहीं हैं।
2. यह कि जीएसटीआर 9सी जीएसटीआर 9 का एक अभिन्न अंग है, और दोनों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से दाखिल किया जाना चाहिए।
3. यह कि करदाता ने जीएसटीआर 9 का विलम्ब शुल्क अदा कर दिया है और जीएसटीआर 9 दाखिल करने की तिथि के समान ही जीएसटीआर 9सी दाखिल कर दिया है।
4. यह कि धारा 47 के अंतर्गत जीएसटीआर 9सी के लिए कोई अलग विलंब शुल्क निर्धारित नहीं है।
5. यह कि जीएसटीएन पोर्टल पर गणना विसंगति पूर्ण है,जीएसटीएन पोर्टल पर देखी गई एक उल्लेखनीय विसंगति को उजागर करना जरूरी है। जबकि पोर्टल जीएसटीआर-9 दाखिल करने के दौरान स्वचालित रूप से विलंब शुल्क की गणना करता है, जीएसटीआर-9सी के लिए ऐसी कोई गणना नहीं है। यह असमानता विधायी में कमी का संकेत है। और यह पुष्टि करती है कि जीएसटीआर-9सी के विलंब से दाखिल के संबंध में विलंब शुल्क के लिए कोई अलग प्रावधान नहीं है। यह जीएसटी अधिनियम के भीतर स्पष्टता के साथ संरेखित है, जो पुष्टि करता है कि जीएसटीआर-9सी के विलंबित दाखिल के लिए कोई अलग विलंब शुल्क नहीं है।
6. यह कि एक ही कार्य के लिए करदाता को दो बार दंडित करना उचित नहीं है।
7. यह कि नियत तिथि पर जीएसटीआर 9सी दाखिल करने में असमर्थ जीएसटीआर 9सी को नियत तिथि पर दाखिल करना असंभव हो गया है, क्योंकि जीएसटीआर 9 नियत समय सीमा तक दाखिल नहीं किया गया था । इसके अलावा, दोनों वैधानिक प्रावधान और नियम जीएसटीआर 9सी को मैन्युअल रूप से दाखिल करने पर रोक लगाते हैं, तथा धारा 44 में उल्लिखित अनिवार्य इलेक्ट्रॉनिक प्रस्तुति पर जोर देते हैं।
8. यह कि GSTR 9 से पहले GSTR 9C दाखिल करना असंभव है। यह कि कि कानून किसी व्यक्ति को ऐसा कार्य करने के लिए बाध्य नहीं करता है जो निरर्थक, असंभव या उसकी क्षमता से परे हो। असंभवता के तर्क का समर्थन के लिए कई न्यायिक निर्णय हैंI
निष्कर्ष –
यदि कि उपरोक्त लेख से स्पष्ट है किGSTR 9 और GSTR 9C दोनों एक ही तिथि पर दाखिल किए जाते हैं, और GSTR 9 के लिए विलंब शुल्क पहले ही तय हो चुका है, तो जीएसटी R 9 C पर कोई अतिरिक्त विलंब शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए, जैसा कि ऊपर लेख में चर्चा की गई है। इस संबंध में, लेक्स नॉन कॉगिट एड इम्पॉसिबिलिया(Lex non Cogit Ad impossibilia) के सिद्धांत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो GSTR 9C के विलंब से दाखिल को उचित ठहराते हैं। अब इस नोटिफिकेशन के द्वारा यदि किसी करदाता ने जीएसटीR 9C दाखिल नहीं किया है, तो वह वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक के जीएसटीR 9C दाखिल कर सकेगा ।साथ ही जीएसटी विभाग द्वारा जैसा है वैसा के आधार पर निर्णय लिया है, कि यदि पूर्व में कोई शुल्क जमा है तो उसका कोई लाभ नहीं दिया जाएगा ।यह अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई है कि जीएसटी में ईमानदार करदाता को अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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डिस्क्लेमर- यह लेखक के निजी विचार हैं।किसी भी निर्णय पर जाने से पूर्व अपने टैक्स प्रोफेशनल से विचार विमर्श किया जाना आवश्यक है। किसी असुविधा के लिए लेखक जिम्मेदार नहीं होगा।
Sir,
Also read article of CA Om Prakash Jain s/o J.K.Jain Jaipur ON SIMILAR LINES, titled “Whether Late Fee is payable for Late filing of Reconciliation Statement (GSTR-9C)─No” , pub. in (2024) J.K.Jain’s GST & VR-PAGES A-7-A-8.
CA Om Prakash Jain s/o J.K.Jain Jaipur
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