संक्षिप्त सारांश: बजट 2025 में जीएसटी अधिनियम 2017 के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं, जिनमें इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC), वाउचर टैक्सेशन, SEZ छूट, और अपील प्रक्रिया शामिल हैं। Input Service Distributor (ISD) को अब अंतर-राज्यीय लेनदेन में ITC वितरण की अनुमति दी गई है। वाउचर टैक्सेशन समाप्त कर दिया गया है, जिससे अब उन पर अलग से टैक्स नहीं लगेगा। क्रेडिट नोट के नियमों में बदलाव किया गया है, जिसमें टैक्स में छूट तभी मिलेगी जब ग्राहक ने ITC क्लेम नहीं किया हो या उसे वापस कर दिया हो। रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया को सख्त किया गया है, जिससे फर्जी ITC क्लेम पर रोक लगेगी। जीएसटी ट्रैकिंग नियमों को मजबूत करते हुए Unique Identification Marking को अनिवार्य किया गया है, और नियमों का पालन न करने पर ₹1 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। SEZ और Free Trade Warehousing Zones में कुछ ट्रांजैक्शनों को टैक्स-फ्री कर दिया गया है, लेकिन पहले से भरे गए टैक्स पर रिफंड नहीं मिलेगा। धारा 107 और 112 में संशोधन प्रस्तावित किया गया है, जिसके तहत अपील दायर करने के लिए विवादित राशि का 10% और दंड मामलों में 10% अतिरिक्त टैक्स जमा करना अनिवार्य होगा। ये सभी संशोधन संसद की स्वीकृति के बाद कानून का रूप लेंगे।
दिनांक 1 फरवरी 2025 को लोकसभा में बजट 2025 प्रस्तावित बजट को लोकसभा के पटल पर रखा गया है। जिसमें जीएसटी अधिनियम 2017 के अंतर्गत कुछ संशोधन प्रस्तुत किए गए हैं जिन्हें इस बिल के माध्यम से एक्ट में परिवर्तित किया जाना प्रस्तावित है।
जीएसटी अधिनियम 2017 के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC), वाउचर टैक्सेशन, क्रेडिट नोट, अपील प्रक्रिया और SEZ जैसे कई क्षेत्रों में बदलाव किए गए हैं। सरकार का दावा है कि ये संशोधन टैक्स प्रणाली को सरल बनाएंगे और कर चोरी पर लगाम कसेंगे।
ISD को मिली बड़ी राहत, ITC वितरण के नियम बदले-
यह कि संशोधन के तहत Input Service Distributor (ISD) को अब अंतर-राज्यीय (Inter-State) लेनदेन में भी ITC बांटने की अनुमति मिल गई है। पहले यह सुविधा केवल उसी राज्य में थी, जिससे कई व्यापारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
Local Authority की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है, जिसमें अब Municipal Fund और Local Fund को भी शामिल किया गया है।
वाउचर टैक्सेशन खत्म, अब अलग से नहीं लगेगा टैक्स-
यह कि अब से वाउचर को न तो वस्तु माना जाएगा और न ही सेवा, जिससे उनके इस्तेमाल पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगेगा। पहले इनके उपयोग पर ‘समय की आपूर्ति’ के आधार पर टैक्स लागू होता था।
क्रेडिट नोट और आउटपुट टैक्स के नियमों में बदलाव-
यह कि अब सप्लायर को टैक्स में छूट तभी मिलेगी, जब ग्राहक ने ITC क्लेम नहीं किया हो या उसे वापस कर दिया हो। पहले यह साबित करना पड़ता था कि ग्राहक ने ITC वापसी की है, जिससे व्यापारियों को परेशानी होती थी।
रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया हुई सख्त-
यह कि अब ITC स्टेटमेंट में अधिक जानकारी जोड़ी जा सकेगी और रिटर्न दाखिल करने से पहले कुछ अतिरिक्त शर्तें पूरी करनी होंगी। सरकार का कहना है कि इससे फर्जी ITC क्लेम पर रोक लगेगी।
ट्रैकिंग और ट्रेसिंग में गड़बड़ी पर ₹1 लाख तक जुर्माना-
यह कि अगर कोई व्यापारी Unique Identification Marking का पालन नहीं करता है, तो उसे ₹1 लाख या 10% टैक्स जितना जुर्माना देना होगा। सरकार ने खासतौर पर टैक्स चोरी रोकने के लिए नए नियमों को कड़ा किया है।सरकार नेजीएसटी में Unique Identification Marking को अनिवार्य बना दिया है, जिससे नकली सामान और कर चोरी पर रोक लग सकेगी।
SEZ और Free Trade Zones में टैक्स छूट-
यह कि सरकार ने SEZ (Special Economic Zones) और Free Trade Warehousing Zones (FTWZ) में कुछ ट्रांजैक्शन को टैक्स-फ्री कर दिया है। यह नियम 1 जुलाई 2017 से लागू माना जाएगा। हालांकि, यदि किसी ने पहले से टैक्स जमा किया है, तो उसे रिफंड नहीं मिलेगा।
अपील के सेक्शन 107 और 112 में भी संशोधन- यह कि प्रस्तावित किया गया है जिसके अनुसार धारा 107 के अंतर्गत दंड विवादित राशि का 10% पूर्व में जमा करना होगा तथा धारा 122 के अंतर्गत प्रस्तुत दंड अपील में 10% अतिरिक्त टैक्स जमा करना होगा तभी अपील प्रस्तुत की जा सकेगी।दंड से संबंधित मामलों के लिए अपीलीय प्राधिकरणों के समक्ष अपील में दंड के लिए 10% पूर्व-जमा आवश्यकता पेश की गई।
निष्कर्ष –
यह कि उपरोक्त संशोधन लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित करने के उपरांत कानून का रूप ग्रहण करेंगे, अभी तक इस बजट में इन्हें प्रस्तावित किया गया है।
*****
डिस्क्लेमर: यह लेखक के निजी विचार हैं। किसी भी निर्णय पर जाने से पूर्व अपने टैक्स प्रोफेशनल से सलाह कर लें। लेखक की कोई जिम्मेदारी नहीं है।