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आम बजट में जिस तरह से नए कर ढ़ांचे की पेशकश की गयी है उससे तो यही संकेत मिलता है कि सरकार आने वाले वर्षों में पुरानी व्यवस्था को कहीं स्थगित ही न कर दे हालांकि अभी तक तो हमें पुरानी व्यवस्था को अपनाने का विकल्प दे रखा है। नये कर ढांचे में हम जैसों को अर्थात बिना किसी पेंशन वाले छोटे वरिष्ठ शेयर निवेशकों को साधारण श्रेणी वाले लाभ पर ही सन्तोष करना पड़ेगा । जबकि हम २०१९ से ही सरकार को अपने सीमित साधनों के माध्यम से हमारी समस्या से अवगत कराने का प्रयास करते आ रहे हैं। लेकिन लगता है कि अबतक सरकार तक बिना किसी पेंशन वाले छोटे वरिष्ठ शेयर निवेशकों की समस्या पहूंच ही नहीं पायी है।

इस बार के बजट पर गौर करने के बाद बिना किसी पेंशन वाले छोटे वरिष्ठ शेयर निवेशक अपना जीवन यापन जिस तरह से व्यवस्थित कर इज्जत की जिन्दगी जी रहे हैं, उनके सामने यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि कौन सी कर व्यवस्था का चयन किया जाय क्योंकि पुरानी व्यवस्था के अन्तर्गत हम बिना किसी पेंशन वाले छोटे वरिष्ठशेयर निवेशक जो कर छूट वाले निवेश अपना रखे हैं ,करते ही रहने पड़ेंगे।अब उदाहरण के तौर पर चिकित्सा बीमा प्रीमियम इसलिये भरना आवश्यक है ताकि आवश्यकता पड़ने पर हमें किसी के आगे हाथ नहीं पसारना पड़े। हालांकि सरकार ने तो हम सभी वरिष्ठ, जो ७० साल पार कर चूके हैं, को प्रधानमन्त्री सुरक्षा बीमा योजना से ही बाहर रखा हुआ है।जबकि यह सर्वविदित है कि आजकल के इस भागदौड़ भरी जिंदगी में जीवन जीना बहुत ही जोखिम भरा हो गया है। हम लोग आये दिन हो रही दुर्घटनाओं और हादसों की खबर सुनते ही रहते है अर्थात दुर्घटना किसी का भी हो सकता है भले ही वह सौ साल का ही क्यों न हो। इसलिये ही यह समझ से बाहर हो जाता है कि सरकार ने ऐसा निर्णय क्यों लिया ? इस प्रकार की विसंगति क्यों रखी।

चूंकि ऐसा सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि इस बार वाले बजट में सब क्षेत्र / श्रेणी / वर्ग का पूरा पूरा ध्यान रखा गया है इसलिये यह इंगित करना आवश्यक है कि छोटे वरिष्ठ शेयर निवेशक जो बिना किसी पेंशन वाले हैं उनको तो सरकार भूल चूकी है। जबकि वेतनभोगी हो या किसान या पेंशनर्स, बताने का मतलब यही है कि जब सभी वर्ग का ध्यान रखा गया है तो फिर बिना किसी पेंशन वाले छोटे वरिष्ठ शेयर निवेशकों को सरकार में बैठे नेतागण हों या अधिकारी,जो अपने अपने क्षेत्र में महारत हासिल रखते हैं, बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया, क्यों ?

आप सभी के ध्याननार्थ बता दूं कि बिना किसी पेंशन वाले छोटे वरिष्ठ शेयर निवेशकों का मुख्य मुद्दा दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ व लाभांश से सम्बन्धित है। उसका कारण यह है कि हम जो भी गैर-सरकारी संस्थानों में नौकरी करते थे, यह तो जानते ही थे कि पद मुक्त बाद हमें पेन्शन तो मिलनी नहीं है अतः हमारे बुढापे के लिये लम्बी अवधि के लिये सोच समझकर किया गया शेयर निवेश सब हिसाब से लाभप्रद रहेगा साथ में यह अप्रत्यक्ष रुप से राष्ट्र निर्माण में एक तरह का छोटा सहयोग भी, जो हमें उस समय के सभी आर्थिक विशेषज्ञों ने हर बार, हर साल समझाया था और यहां तक समझाया कि लम्बी अवधि के लिये किये गये शेयर निवेश से हमारे बुढापे में हमें हमारी आवश्यकता की पूर्ति, इस शेयर निवेश से आसानी से होती रहेगी। हमने उन पर विश्वास किया, इसी कारण हमारे सारे तरह के शेयरों में निवेश इसी प्रकार से किये गये हैं जिससे हम लाभांश के साथ साथ दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ उठाते हुए जीवन के शेष दिन इज्जत से बीता सकें। इसलिये ही आवश्यकता पड़ने पर शेयर बेच आवश्यकता की पूर्ति भी करते रहते हैं।

इस आलेख का उद्देश्य यही है कि कोई तो पाठक ऐसा मिलेगा जो इसे उचित तरीके से हमारी समस्या सरकार तक पहूंचा देगा ताकि सरकार बिना किसी पेंशन वाले छोटे वरिष्ठ शेयर निवेशकों को आकर्षक प्रस्ताव या छूट प्रस्तावित करेगी जिससे ये लोग स्वयं ही नयी कर व्यवस्था को सहर्ष स्वीकार करने को प्रेरित हों जाय।

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गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’, जय नारायण व्यास काॅलोनी, बीकानेर | 7976870397 / 9829129011[ W ]

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