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चूँकि प्रधानमन्त्री मोदीजी सब तरफ सुधार के पक्षधर हैं और वे न केवल सभी क्षेत्र में प्रचलित नियमों में भी सुधार हेतु सुझाव आमन्त्रित किये हुये हैं बल्कि सभी सरकारी रिकॉर्ड का द्रुतगति से डिजिटलाइजेशन भी करा रहे हैं, इसलिये वित्तीय क्षेत्र विशेष रूप से शेयर निवेश से सम्बन्धित कुछ सुधार हेतु सुझाव आप सभी के ध्याननार्थ यहाँ उल्लेख करते हुये आपको बताना चाहूँगा  कि जहाँ  तक मैंने खोजा है भारत सरकार की किसी भी साइट पर  भारत में रजिस्टर्ड या कार्यरत कम्पनी का 1956 से आज तक का पूरा क्रमवार आँकड़ा [डाटा] उपलब्ध नहीं है। यहाँ  क्रमवार आँकड़ा का मतलब यह है कि कम्पनी जब भी पहली बार कम्पनीज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हुयी तब से आजतक उसकी क्या स्थिति है। यदि ऐसा आँकड़ा [डाटा] उपलब्ध है तो कृपया पूरा सही लिंक / पीडीएफ उपलब्ध करवा दें ताकि आम, साधारण, छोटे, वरिष्ठ शेयरधारकों को अपनी समस्या हल करने में / सही कदम उठाने में सहायता मिल जाय। अन्यथा मोदीजी की कार्यप्रणाली अनुसार इस विषय पर शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही प्रारम्भ करना सब हितधारकों के लिये  उचित रहेगा।

कृपया यह ध्यान रखें सभी आम, साधारण, छोटे शेयरधारक, विशेषकर वरिष्ठ शेयरधारक अपने शेयर डीमेट कराना चाहते हैं लेकिन वे ऐसा चाहकर भी, अपनी अपनी समस्याओं के अलावा सरकार द्वारा बुनियादी समस्याओं पर समुचित ध्यान न देने के चलते नहीं कर पा रहे हैं ।

उपरोक्त श्रेणी के सभी शेयरधारक सरकार से जिन बुनियादी समस्याओं पर राहत / ध्यान दे लेने का आग्रह करते हैं उनमें से निम्न तीन मुख्य समस्याओं  को बिना किसी विलंब से उचित समाधान / हल कर राहत प्रदान करने का आग्रह करते हैं –

1] कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]  के साथ ही भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी )  के वेब में सभी कम्पनियों का नाम होना चाहिए यानि जिस नाम से सबसे पहले कम्पनी सूचीबद्ध हुयी या उसे रकम उगाने की अनुमति मिली, उसी से शुरू हो । फिर उसमेंं हर  प्रकार के बदलाब का भी पूरा पूरा  उल्लेख हो ताकि निवेशक को बिना ज्यादा दिक्कत के जिस तरह भी ढूंढे उसे सही जानकारी मिल जाय।

जैसा सभी जानते हैं कि जब भी कोई कम्पनी बनती है तो उसको रजिस्ट्रार आफ कम्पनीज से स्वीकृति लेनी पड़ती है अर्थात सरकार के इस विभाग में इस नयी कम्पनी का सारा विवरण दर्ज हो जाता है। इसके बाद आम आदमी को अपने अंश ( शेयर ) बेचने के लिये सरकारी विभाग से सारे विवरण दे अनुमति प्राप्त करते हैं। अभी ऐसी अनुमति 1988 से सेबी दे रही है जबकि सेबी के पहले कन्ट्रोलर आप कैपिटल इसूज देती थी।

ऐसी काफी कम्पनियाँ हैं जो शेयर बाजार अर्थात स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होकर  असूचीबद्ध हो गयी या किसी ने उसको खरीदने के बाद नये प्रतिभूति जारी किये या फिर नाम बदला । इस तरह इन सबके चलते छोटे वरिष्ठ शेयरधारक परेशानी झेल रहे हैं जिसका निवारण  कारपोरेट कार्य मन्त्रालय [MCA]   को करना चाहिये अन्यथा छोटे वरिष्ठ शेयरधारक इस तरह की परेशानियों से ऊबर ही नहीं पायेंगे।

उपरोक्त लिखने का यही आशय है कि सरकार के विभागों में आजतक की सभी कम्पनी का विवरण उपलब्ध है अर्थात 1956 से शुरू करके सभी कम्पनियां आज किस परिस्थिति में है, का विवरण उपलब्ध कराया जाना चाहिये। लेकिन वित्त मंत्रालय के किसी भी विभाग में यह सिलसिलेवार उपलब्ध नहीं है जबकि डिजिटल व्यवहार तेजी से बढ़ा है। जिसके चलते सरकार के अन्य विभागों में ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌डिजिटाइजेशन का असर देखने मिल रहा है। इसलिये उपरोक्त जानकारी वित्त विभाग के अन्तर्गत विभाग में भी  युद्ध स्तर पर  सरकार को पूरा कर लेना  सभी के हित में है अर्थात  छोटे निवेशकों व साधारण आम जनता के साथ-साथ सरकारी एजेंसियों के भी ।

2] बहुत से शेयर केवल सी डी एस एल पर ही डीमेट हो सकते हैं।उसी प्रकार कुछ ऐसे भी शेयर होते हैं जो केवल एन एस डी एल पर ही डीमेट हो सकते हैं ।

आवश्यक डीमेट के चलते सभी शेयर निवेशकों का  किसी एक डिपाजिटरी में तो खाता होना अनिवार्य है, जो होता भी है। इसलिये छोटे कम मुल्य वाले शेयरों को डीमेट करवाने में अतिरिक्त सालाना खर्चे के चलते डीमेट करवाना बुद्धिमत्ता नहीं ।

हालांकि सेबी ने एक बेसिक सर्विसेज डीमेट खाता की सुविधा चालू कर रखी है लेकिन उदाहरण के तौर पर यदि किसी का एन एस डी एल में डीमेट खाता है तब सी डी एस एल में बेसिक सर्विसेज डीमेट खाता खुल नहीं सकता इस कारण से जो शेयर केवल सी डी एस एल पर ही डीमेट हो पायेंगे वहां यह  नियम  छोटे कम मुल्य वाले शेयरों को डीमेट करवाने में बाधक है।

अतः सेबी निम्न दो सुझावों में से एक को लागू कर निवेशकों की उपरोक्त समस्या को हल कर सकता है –

क) सभी कम्पनियों को दोनों डिपाजिटरी में डीमेट की सुविधा उपलब्ध करना अनिवार्य करके।

ख) इस नियम में भी संशोधन अतिआवश्यक है ताकि एन एस डी एल में डीमेट खाता है तो भी सी डी एस एल में बेसिक सर्विसेज डीमेट खाता खुल जाय।

3] चूँकि  सेबी ने 31 मार्च 2023 तक पैन आदि नहीं जुड़वाने / सम्बन्ध कराने [ linked ]पर लाभांश के साथ शेयर पर एक तरह की रोक [फ्रीज़ ] करने की चेतावनी जारी की थी, लेकिन अब इसे रोक दिया गया है जो स्वागत योग्य है जबकि लाभांश सात साल तक का बकाया रह जाने पर लाभांश को आईपीएफ में ट्रान्सफर करना चालू कर रखा है।

उपरोक्त परिदृश्य में यह अवश्य जान लें कि निवेशक पैन आदि जुड़वाना चाहते हुये भी लाचार हैं, असहाय हैं क्योंकि उनके पास जुड़वाने  के लिए कहाँ अग्रेषित करें वह पता ही नहीं है । अतः सरकार से यही निवेदन रहेगा कि –

अ ] भारत में रजिस्टर्ड या कार्यरत कम्पनी का 1956 से आज तक का पूरा क्रमवार आँकड़ा [डाटा] शीघ्रातिशीघ्र उपलब्ध करवायें।

ब ] क्रमवार आँकड़ा [डाटा] उपलब्ध होने तक सभी निवेशकों से आग्रह कर भौतिक शेयर जमा करा कर उनके बदले में उन्हें  एक म्यूचूअल फंड की  तरह प्रपत्र [होल्डिंग स्टेटमेन्ट] जारी कर दे।और उस  प्रपत्र [होल्डिंग स्टेटमेन्ट]के अन्त में डीमेट में जमा देने हेतु कॉलम हो जिसे आवश्यकता पड़ने पर [कालान्तर में]  हस्ताक्षर कर डीमेट करवाया जा सके। इस प्रक्रिया से बहुत ज्यादा संख्या में भौतिक शेयर वापस हो जायेंगे और सभी के पैन वगैरह की सारी जानकारी भी सरकार के पास आ जायेगी ।

आपकी जानकारी के लिये आज तक हम लोगों ने  यानि  आम, साधारण, छोटे, वरिष्ठ शेयरधारकों ने  हमेशा अपनी बचत को तीन कारणों से शेयरों में लगाया।  वे कारण हैं  –

अ] भारत में रजिस्टर्ड या कार्यरत कम्पनी का 1956 से आज तक का पूरा क्रमवार आँकड़ा [डाटा] शीघ्रातिशीघ्र उपलब्ध करवायें।

ब ] क्रमवार आँकड़ा [डाटा] उपलब्ध होने तक सभी निवेशकों से आग्रह कर भौतिक शेयर जमा करा कर उनके बदले में उन्हें  एक म्यूचूअल फंड की  तरह प्रपत्र [होल्डिंग स्टेटमेन्ट] जारी कर दे।और उस  प्रपत्र [होल्डिंग स्टेटमेन्ट]के अन्त में डीमेट में जमा देने हेतु कॉलम हो जिसे आवश्यकता पड़ने पर [कालान्तर में]  हस्ताक्षर कर डीमेट करवाया जा सके। इस प्रक्रिया से बहुत ज्यादा संख्या में भौतिक शेयर वापस हो जायेंगे और सभी के पैन वगैरह की सारी जानकारी भी सरकार के पास आ जायेगी ।

आपकी जानकारी के लिये आज तक हम लोगों ने  यानि  आम, साधारण, छोटे, वरिष्ठ शेयरधारकों ने  हमेशा अपनी बचत को तीन कारणों से शेयरों में लगाया।  वे कारण हैं  –

क ) सभी सरकारें कहिये या  सभी विशेषज्ञ ( Experts )  यही सन्देश देते रहे हैं कि शेयर निवेश का मतलब है अप्रत्यक्ष रुप से राष्ट्र निर्माण में सहयोग इसलिये गोल्ड या भूमि में निवेश का सोचा ही नहीं।

ख ) चूकिं हममें से जो भी गैरसरकारी संस्थानों में नौकरी कर बचत करते थे तो उद्देश्य यही रहता कि हमें पेन्शन तो मिलनी नहीं है अतः हमारे बुढापे के लिये शेयर निवेश सब हिसाब से लाभप्रद रहेगा साथ में पहला बिन्दु भी पूरा होता रहेगा यानि अप्रत्यक्ष रूप से हमारा राष्ट्र निर्माण में सहयोग तो होगा ही साथ ही साथ शेयर संस्कृति [ Equity Cult. movement ] वाले सरकारी आह्वान में सहभागिता भी।और आने वाले समय में हमें हमारी आवश्यकता की पूर्ति इस शेयर निवेश से होती रहेगी इसका विश्वास भी था।

ग ) सोच समझकर शेयरों मेंं किया गया निवेश जोखिम मुक्त माना जाता  रहा है साथ ही साथ आसानी से कर सकने वाला भी। इसके अलावा सभी सरकारों नें  शेयर निवेश को बढावा देने के लिये लगातार न केवल प्रोत्साहित करते रहे बल्कि अपने अपने तरीके से इसमें गिरावट न हो इस ओर हमेशा सकारात्मक कदम उठाये हैं।

आज ५० / ६० साल तक निवेशित रहने के बाद यानि समय समय पर अपनी अपनी कमाई अनुसार टैक्स चुकाने के बाद जो भी बचत शेयरों में लगायी अब वही वापस टैक्स दायरे में आती है तो मन में चोट लगती है, ग्लानि होती है, कष्ट पहुँचता है।

यह पोस्ट संक्षेप में लिखी गयी है आवश्यकता होने पर उपरोक्त सभी बिंदुओं को विस्तार से समझा कर प्रस्तुत किजा सकता है ।

विश्वास है कि सरकार ऊपर उल्लेखित सभी तथ्यों पर गौर कर, ठीक से पहल कर  हम  सभी को यथाशीघ्र उचित राहत प्रदान कर देगी।

(Republished with changes)

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One Comment

  1. Rajkumar Ghuwalewala says:

    Binaniji इसमें एक विषय और जोड़ दे। जो शेयर डीमेट खाते में वर्षो से पड़े है बाजार से डॉलिस्ट हो चुके है उनको देख कर रोज जी जलता है अतह उन्हे इन खातों से ही हटा दिया जाए तो ज्यादा अच्छा होगा

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