55 वी जीएसटी काउंसिल की मीटिंग 21 दिसंबर 2024 को जैसलमेर राजस्थान में हुई। जिसके पश्चात सोशल मीडिया और आमजन में पुरानी और यूज्ड गाड़ियों के बेचने पर जीएसटी लगाने को लेकर जमकर वित्त मंत्रालय की किरकिरी हो रही है।
21 दिसंबर, 2024 को जैसलमेर राजस्थान में जीएसटी काउंसिल ने पुरानी और यूज्ड गाड़ियों के बेचने पर जीएसटी लगाने को लेकर फैसला लिया गया था ।जिसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स भी शामिल है.। इसके बाद भारी आलोचना के बावजूद वित मंत्रालय को सफाई जारी करने में तीन दिन लग गए। अब वित मंत्रालय ने कहा है कि पुरानी गाड़ियों के बेचने पर जीएसटी लगाने को लेकर फैले भम्र को दूर करने लिए सफाई जारी किया है. वित्त मंत्रालय नेFAQ से साफ किया है कि अगर पुरानी गाड़ियों के बेचने पर मार्जिन नेगेटिव में है और कोई मुनाफा नहीं हो रहा है तो उसपर जीएसटी नहीं देना होगा.
वित्त मंत्रालय ने पुरानी और यूज्ड गाड़ियां जिसमें EV भी शामिल है उसे बेचे जाने पर जीएसटी को लेकर FAQ (Frequently Asked Questions) जारी किया है। जिसमें आम लोगों के मन में उठ रहे सभी सवालों का जवाब उदाहरण के साथ देने की कोशिश की गई है। जिससे इस विषय को लेकर फैल रहे भ्रम की स्थिति को दूर किया जाने का प्रयास किया है-
Q.1 जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में ईवी (EVs) के अलावा पुरानी और यूज्ड गाड़ियों (Old and Used Vehicles) के सेल को लेकर क्या सुझाव दिया गया है?
Ans- इस मामले के सरलीकरण के लिए जीएसटी काउंसिल ने सभी पुरानी और इस्तेमाल की गई गाड़ियां जिसमें ईवी भी शामिल है उसपर 18 फईसदी जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया है. पहले अलग-अलग दरें लगाई जाती थी. जीएसटी काउंसिल ने कोई भी नया टैक्स लगाने की सिफारिश नहीं की है.
Q.2 पुरानी और यूज्ड गाड़ियों के बेचने पर किसे जीएसटी का भुगतान करना है?
Ans- केवल रजिस्टर्ड व्यक्ति जो पुरानी और यूज्ड गाड़ियों के सेल से जुड़े कारोबार करते हैं उन्हें ही जीएसटी का भुगतान करना है.
Q.3 क्या कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को पुरानी और यूज्ड कार बेचता है तो क्या इसपर जीएसटी का भुगतान करना होगा?
Ans- नहीं. ऐसे मामले में जीएसटी लागू नहीं होगा.
Q.4 क्या पुरानी और यूज्ड गाड़ियों के सेल वैल्यू पर देना होगा जीएसटी?
Ans– जीएसटी में रजिस्टर्ड व्यक्ति ने इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 32 के तहत डेप्रीसिएशन (Depreciation) क्लेम किया है, जीएसटी केवल सप्लायर के मार्जिन वैल्यू पर देना होगा. यानि पैसेंजर गाड़ियों के सेल वैल्यू और डेप्रीसिएटेड वैल्यू के बीच जो अंतर होगा उसपर जीएसटी का भुगतान करना होगा. लेकिन ऐसे मामलों में जब मार्जिन नेगेटिव में रहेगा तब कोई जीएसटी नहीं लगेगा.
जीएसटी विभाग ने इस पूरे मामले में स्पष्टीकरण जारी करने के लिए उदाहरण भी दिए हैं.
उदाहरण 1 – मान लिजिए कोई रजिस्टर्ड व्यक्ति कोई पुरानी और इस्तेमाल की गई गाड़ी को किसी व्यक्ति को 10 लाख रुपये में बेचता है, जिसी पर्चेज वैल्यू 20 लाख रुपये थी और इनकम टैक्स एक्ट के तहत 8 लाख रुपये का डेप्रीसिएशन क्लेम किया गया है तो उसे सप्लायर के मार्जिन पर कोई जीएसटी नहीं देना होगा. यानी सेलिंग प्राइस का डिफ्रेंशियल वैल्यू 10 लाख रुपये है और डेप्रीसीएटेड वैल्यू (12 लाख रुपये यानी 20 लाख – 8 लाख रुपये) नेगेटिव है.
अगर डेप्रीसीएटेड वैल्यू 12 लाख रुपये है और कार की सेलिंग प्राइस 15 लाख रुपये है तो ऐसे मामले में सप्लायर के 3 लाख रुपये के मार्जिन पर 18 फीसदी के दर से जीएसटी का भुगतान करना होगा.
उदाहरण नंबर 2 – मान लिजिए अगर कोई रजिस्टर्ड व्यक्ति 10 लाख रुपये में पुरानी और इस्तेमाल की गई व्हीकल किसी व्यक्ति को 10 लाख रुपये में बेचता है जिसमें रजिस्टर्ड व्यक्ति का पर्चेंज प्राइस 12 लाख रुपये था. तो ऐसे मामले में सप्लायर को कोई जीएसटी देने की जरूरत नहीं है क्योंकि सप्लायर का मार्जिन नेगेटिव में है.
लेकिन अगर पर्चेज प्राइस 20 लाख रुपये है और सेलिंग प्राइस 22 लाख रुपये है तो 2 लाख रुपये के सप्लायर के मार्जिन पर जीएसटी का भुगतान करना होगा।
निष्कर्ष
उपरोक्त एडवाइजरी से स्पष्ट है कि जीएसटी विभाग वित्त मंत्रालय जीएसटी के विषय पर स्पष्ट रूपरेखा कायम नहीं कर पा रहा है। जीएसटी 2017 से लगाया गया था। और वन नेशन वन टैक्स के सिद्धांत पर इसे पास किया गया था, लेकिन समय-समय पर इसमें परिवर्तन के कारण करदाता, टैक्स प्रोफेशनल, व्यापार और उद्योग जगत और देश का सामान्य जन्म इससे प्रभावित हो रहा है।
55 वी जीएसटी काउंसिल की मीटिंग जैसलमेर राजस्थान में आयोजित की गई, जिसमें कंपोजिशन डीलर के लिए आरसीएम छोड़ देने का प्रावधान किया गया है ।यह कदम दिशाहीनता की ओर ले जा रहा है ।क्योंकि अभी हाल में ही 10 अक्टूबर2024 से किराये पर आरसीएम की व्यवस्था की गई थी ।तो बहुत-बहुत जल्दी अपनी पॉलिसी में परिवर्तन करना एक गंभीर विषय है।
यह लेखक के निजी विचार है।