जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक 21 दिसंबर 2024 को जैसलमेर (राजस्थान) में हुई, जिसमें विभिन्न सिफारिशें की गईं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ सीजीएसटी/आईजीएसटी कानून में प्रस्तावित बदलाव, नियम, स्पष्टीकरण और कुछ दरों में कमी/दरों में वृद्धि, छूट, मुआवजा उपकर, आईटीसी/आईएसडी से संबंधित संशोधन आदि शामिल हैं। जबकि जीएसटी परिषद ने आईजीएसटी निपटान के संबंध में सिफारिश को मंजूरी दी, इसने जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) के आंतरिक कामकाज के लिए प्रक्रियात्मक नियमों को कानूनी समूह द्वारा जांच के बाद अधिसूचित करने पर ध्यान दिया। साथ ही, इसने जीएसटी मुआवजे के पुनर्गठन पर मंत्रियों के समूह के लिए समय सीमा 30 जून, 2025 तक बढ़ा दी।
55 वीं बैठक 21 दिसंबर 2024 को जैसलमेर में हुई, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित प्रमुख निर्णय की व्याख्या प्रस्तुत हैं –
निम्नलिखित जीएसटी संशोधन में लेखक की टिप्पणियों के साथ कुछ संशोधन की व्याख्या-
वर्तमान में रिवर्स प्रभार के अंतर्गत हैं। कंपोजिशन स्कीम के तहत पंजीकृत करदाताओं को 10.10.2024 से ‘जैसा है जहां है’ के आधार पर अपंजीकृत व्यक्ति द्वारा पंजीकृत व्यक्तियों को किसी भी वाणिज्यिक / अचल संपत्ति (आवासीय आवास के अलावा) को किराए पर देने के लिए रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत कवर नहीं किया जाएगा।
लेखक की टिप्पणी –
जीएसटी काउंसिल द्वारा जारी आरसीएम की नीति पूर्णतया त्रुटि पूर्ण है, क्योंकि हाल ही में अक्टूबर 2024 में आरसीएम पर नई व्यवस्था लागू की गई थी अब पुनः उसमें संशोधन करदाता, उद्योग, व्यापार जगत और टैक्स प्रोफेशनल के लिए नई समस्या पैदा करेगा।
होटलों के मामले में घोषित टैरिफ की परिभाषा हटा दी गई है और निर्दिष्ट परिसर में संशोधन किया गया है; होटलों में रेस्तरां सेवाओं पर 01.04.2025 से ITC के साथ 18% और ITC के बिना 5% की दर से GST लगेगा। संबंधित वित्तीय वर्ष के लिए विकल्प चुना जाना है।
लेखक की टिप्पणी –
जीएसटी विभाग द्वारा रेस्टोरेंट की सेवाओं पर 18% कर लगाना गलत है ,क्योंकि कर चोरी को बढ़ावा मिलेगा।
सफारी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रभाव को खत्म करने के लिए धारा 17(5) में बदलाव की सिफारिश की गई।
लेखक के टिप्पणी –
सफारी रिट्रीट के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रभाव को समाप्त करने के कारण अच्छे करदाताओं के मन में आशंका उत्पन्न होगी क्योंकि व्यवस्थापिका द्वारा बनाए गए नियमों को कार्यपालिका द्वारा लागू किया जाता है तथा कार्यपालिका द्वारा उन कार्यों का अनुसंधान करके उचित निर्णय दिया जाता है इसलिए जीएसटी विभाग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए था।
वित्त वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक के लिए फॉर्म जीएसटीआर 9 और जीएसटीआर 9सी के लिए विलंब शुल्क माफ कर अनुपालन में।
लेखक की टिप्पणी –
जीएसटी अधिनियम में इस तरह की प्रक्रिया को बार-बार दोहराने से अच्छे करदाता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
इनवॉयस प्रबंधन प्रणाली (IMS) के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करने हेतु कानून/नियमों में संशोधन जीएसटीएटी के आंतरिक कामकाज के लिए प्रक्रियागत नियमों को जांच के बाद अधिसूचित किया जाएगा।
लेखक की टिप्पणी –
इस मीटिंग में इनवॉइस मैनेजमेंट प्रणाली को अधिक मजबूत बनाने के लिए जीएसटी अधिनियम 2017 के धारा 37(3) में आवश्यक संशोधन होगा, जिसके कारण करदाता अपनी जीएसटी 3B संशोधन के पश्चात माह की 14 से 20 तारीख तक ही दाखिल कर पाएगा, अर्थात अभी तक करदाता 1 तारीख से 20 तारीख तक जीएसटी R 3B दाखिल कर सकता था। धारा 39 में भी संशोधन हो जाएगा।
01.04.2025 से इनपुट सेवा वितरण (आईएसडी) में अंतर-राज्यीय आरसीएम लेनदेन को शामिल किया जाएगा।
एफएसआई प्रदान करने के लिए नगर पालिकाओं द्वारा एकत्र किए गए शुल्क पर आरसीएम आधार पर जीएसटी पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। ये परिवर्तन कानून में संशोधन/परिवर्तनों की अधिसूचना/स्पष्टीकरण जारी होने के बाद प्रभावी होंगे।
लेखक की टिप्पणी –आरसीएम का विषय ऐसा हो गया है जिसके लिए जीएसटी विभाग के पास कोई कार्य योजना नहीं है लेखक के अनुसार आरसीएम लगाने की आवश्यकता ही नहीं है।
Track and Trace Machinum
सुधार के लिए कर चोरी की आशंका वाले निर्दिष्ट सामानों के लिए ट्रैक और ट्रेस तंत्र (Track and Trace Machinum) शुरू किया जाएगा।
हाल में जीएसटी काउंसिल की 55वीं मीटिंग 21 दिसंबर 2025 को जैसलमेर राजस्थान में आयोजित की गई थी, तथा कर चोरी रोकने के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसे ट्रैक और ट्रेंस मेकैनिज्म(Track and Trace Machinum) के नाम से घोषित किया गया है। लेकिन इसके संबंध में क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी , यह अभी तक अधिसूचित नहीं है। जैसा की दुनिया के अन्य देशों में ट्रैक और ट्रेस मेकैनिज्म (Track and Trace Machinum) को अपनाया गया है। उससे ही मिलता-जुलता ट्रैक और ट्रेस मेकैनिज्म (Track and Trace Machinum) भारत में भी अपनाया जाएगा हम संक्षिप्त में विदेश में प्रयोग किया जा रहे हैं ट्रैक और ट्रेस मेकैनिज्म के संबंध में संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार कर रहे हैं।
55 वी जीएसटी मीटिंग की प्रेस विज्ञप्ति में पार्ट C
C. जीएसटी में अनुपालन को सरल बनाने के उपाय
(MEASURES FOR STREAMLINING COMPLIANCES IN GST)
1. ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म (Track and Trace Machinum) के लिए नए प्रावधान को शामिल करना-
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 में धारा 148ए के माध्यम से एक सक्षम प्रावधान को शामिल करना ताकि सरकार को निर्दिष्ट चोरी की संभावना वाली वस्तुओं के लिए ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म (Track and Trace Machinum)को लागू करने का अधिकार मिल सके।
यह प्रणाली एक विशिष्ट पहचान चिह्न पर आधारित होगी, जिसे उक्त वस्तुओं या उनके पैकेजों पर चिपकाया जाएगा। यह ऐसी प्रणाली विकसित करने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा और आपूर्ति श्रृंखला में निर्दिष्ट वस्तुओं का पता लगाने के लिए तंत्र के कार्यान्वयन में मदद करेगा।
ऑपरेशन ट्रैक और ट्रेस मेकैनिज्म (Track and Trace Machinum) क्या है ?
क्योंकि अभी तक भारत में कहीं भी इस तरह का कोई सिस्टम नहीं है ,जीएसटी विभाग एक सिस्टम पर कार्य कर रहा है ,वर्तमान में कुछ वस्तुओं पर इस सिस्टम का प्रयोग किया जाएगाया किया जा रहा है।(शायद मादक पदार्थ, बीड़ी सिगरेट, और पान गुटका आदि)जिसके लिए जीएसटी विभाग ने विदेश से इस विषय में सिस्टम बनाने के लिए मदद ली है तथा अपने अनुसंधान शाखा और पोर्टल में परिवर्तन कर रहे हैं, कि वह इस सिस्टम को स्वीकार कर सके ।अभी तक इस सिस्टम के लिए कोई लिटरेचर या प्रयोग उपलब्ध नहीं है ,हम यहां पर यूरोपियन कंट्री में ट्रैक और ट्रेस मेकैनिज्म (Track and Trace Machinum) को आधार मानते हुए इसका उल्लेख कर रहे हैं।
उदाहरण –
यदि एक मैन्युफैक्चरर स्पोर्ट्स गुड्स की मैन्युफैक्चरिंग करता है ।जीएसटी विभाग स्पोर्ट्स गुड्स पर ट्रैक एंड ट्रेस मेकैनिज्म (Track and Trace Machinum) लागू करता है।तो उस स्थिति में उस मैन्युफैक्चर को निम्न प्रक्रिया का पालन करना होगा –
मैन्युफैक्चरर/निर्माता यूनिक आइडेंटिफिकेशन मार्क (Unique Identification Mark /UIM) यह ID जीएसटी विभाग द्वारा जारी की जाएगी, जिसके लिए निर्माता को निम्नलिखित तथ्यों को घोषित करना होगा-
A माल का विवरण।
B माल के निर्माण का स्थान ।
C माल के संबंध में मशीनरी का प्रयोग ।
D रिटेल मार्केट का विवरण ।
E यदि माल इंपोर्ट किया गया है तो उसका विवरण ।
उपरोक्त विवरण को निर्माता द्वारा जीएसटी विभाग को सूचित करना होगा उसके पश्चात निर्माता उस माल को
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थोक विक्रेता
↓
डिस्ट्रीब्यूटर
↓
रिटेलर
उपरोक्त सारी प्रक्रिया को जीएसटी विभाग द्वारा रिकॉर्ड किया जाएगा जब तक माल रिटेलर के पास पहुंचेगा ।यहां स्पष्ट करना चाहता हूं कि जिस प्रकार से फ्लिपकार्ट ,अमेजॉन आदि ई-कॉमर्स कंपनियों के द्वारा या पोस्ट /कोरियर कंपनियों द्वारा माल के पहुंचने के संबंध में सभी रिकार्ड को ट्रेकिंग के द्वारा यह पता लगाया जा सकता है, कि उक्त माल इस समय कहां पर है ।इसी प्रकार जीएसटी विभाग इस ट्रैक और ट्रेंस मेकैनिज्म(Track and Trace Machinum)पर कार्य कर रहा है।
ट्रैक और ट्रेस मेकैनिज्म (Track and Trace Machinum) से लाभ –
ऑनलाइन डाटा होने के कारण जीएसटी के प्राधिकारी राजस्व के नुकसान को बचाने में कामयाब होगे।
सरकार भी अवैध रूप से माल की आवाजाही औरअवैध बिक्री पर रोक लगाने में कामयाब होगी। और सबसे अधिक लाभ उपभोक्ता को होगा, क्योंकि वह खरीद रहे हैं माल के संबंध में सभी जानकारी से लाभ ले सकेगा जैसे माल का निर्माण कहां हुआ है, किस तारीख को हुआ है आदि।
निष्कर्ष –
यह कि 55 वी जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के निर्णय से बहुत कुछ हासिल नहीं हो सका ।जिस तरीके से मीडियाऔर प्रिंट मीडिया में प्रमुखता से विषय उठाए गए थे, उन पर विचार आंशिक रूप से किया गया।
कुछ प्रस्ताव पर लेखक द्वारा टिप्पणी की गई है ,जो आज के परिदृश्य में उचित है ।जीएसटी में बार-बार संशोधन करने से टैक्स प्रोफेशनल ,करदाता, व्यापार और उद्योग जगत आशंकित रहता है तथा उसे उचित निर्णय लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
यह लेखक के निजी विचार है।