Summary: भारत में ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया, बढ़ती स्वास्थ्य और पर्यावरण जागरूकता के चलते, किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बन चुकी है। इसमें पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आपकी खेती NPOP या PGS-India के मानकों के अनुसार हो। इसके लिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग पूरी तरह से बंद करना होगा। परंपरागत से ऑर्गेनिक खेती में परिवर्तन में 2-3 वर्ष लग सकते हैं। सर्टिफिकेशन के लिए आवेदन करने से पहले जरूरी दस्तावेज़ जैसे PAN कार्ड, आधार कार्ड, जमीन का स्वामित्व प्रमाण, खेत का नक्शा, जल और मृदा परीक्षण रिपोर्ट, और पिछले 2-3 वर्षों का खेती रिकॉर्ड तैयार करना होगा। सर्टिफिकेशन के लिए दो विकल्प होते हैं – NPOP के तहत APEDA द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंसियों से प्रमाणन या PGS-India के तहत स्थानीय समूहों या NGOs से सर्टिफिकेशन प्राप्त करना। प्रक्रिया में फील्ड निरीक्षण, रिपोर्ट मूल्यांकन और प्रमाणन जारी करना शामिल है। इसके बाद आप इंडिया ऑर्गेनिक, PGS-India और Jaivik Bharat लोगो का उपयोग कर सकते हैं। सर्टिफिकेशन वार्षिक रूप से नवीनीकरण के लिए होता है, और अगर मानक का उल्लंघन होता है, तो प्रमाणन रद्द भी हो सकता है। आप इस पूरी प्रक्रिया में विशेषज्ञों की मदद ले सकते हैं।
आज के समय में स्वास्थ्य और पर्यावरण को लेकर बढ़ती जागरूकता के चलते ऑर्गेनिक खेती की मांग तेज़ी से बढ़ी है। यदि आप किसान हैं या कोई कृषि आधारित व्यवसाय चला रहे हैं, तो ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन प्राप्त करना आपको घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में प्रतिस्पर्धी लाभ दिला सकता है।
इस ब्लॉग में हम आपको भारत में ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन प्राप्त करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया सरल भाषा में समझा रहे हैं।
Page Contents
1. ऑर्गेनिक मानकों का पालन
सर्टिफिकेशन के लिए आवेदन करने से पहले ज़रूरी है कि आपकी खेती NPOP (National Programme for Organic Production) या PGS-India (Participatory Guarantee System) के मानकों के अनुरूप हो। इसमें रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का पूर्णतः बहिष्कार करना शामिल है।
2. परिवर्तन अवधि (Conversion Period)
परंपरागत खेती से ऑर्गेनिक खेती में परिवर्तित होने के लिए 2 से 3 वर्षों की अवधि आवश्यक होती है। इस दौरान खेत में केवल जैविक विधियाँ अपनाई जाती हैं ताकि भूमि पूरी तरह से रासायन मुक्त हो जाए।
3. लागत और समय
- लागत: सर्टिफिकेशन की कुल लागत ₹5,000 से ₹50,000 तक हो सकती है। यह खेत के आकार और सर्टिफिकेशन एजेंसी पर निर्भर करता है।
- समय: पूरी प्रक्रिया को पूरा करने में 1 महीने से 3 साल तक का समय लग सकता है, जो आपके फार्म की स्थिति और चुने गए मानकों पर आधारित होता है।
4. आवश्यक दस्तावेज़
सर्टिफिकेशन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है:
- PAN कार्ड और आधार कार्ड
- ज़मीन के स्वामित्व का प्रमाण
- खेत का नक्शा (Layout Map)
- ऑर्गेनिक फार्म मैनेजमेंट प्लान
- पिछले 2-3 वर्षों की खेती के रिकॉर्ड
- जल और मृदा परीक्षण रिपोर्ट
- प्रोसेसिंग यूनिट का विवरण (यदि लागू हो)
5. प्रमाणन एजेंसी का चयन
आप दो विकल्पों में से किसी एक को चुन सकते हैं:
- NPOP के तहत: APEDA द्वारा मान्यता प्राप्त प्रमाणन एजेंसियों से संपर्क करें। यह प्रणाली निर्यात और प्रीमियम घरेलू बाज़ारों के लिए उपयुक्त है।
- PGS-India के तहत: स्थानीय किसान समूहों या NGOs के माध्यम से कम लागत में प्रमाणन प्राप्त किया जा सकता है। यह प्रणाली छोटे किसानों के लिए अधिक उपयुक्त है।
6. निरीक्षण और मूल्यांकन प्रक्रिया
- फील्ड निरीक्षण: प्रमाणन एजेंसी आपके खेत की स्थिति, तकनीक, और रिकॉर्ड्स की विस्तार से जांच करती है।
- रिपोर्ट और मूल्यांकन: निरीक्षण के बाद एक रिपोर्ट तैयार की जाती है जिसमें सभी आवश्यक मानकों के पालन की पुष्टि की जाती है।
- प्रमाणन जारी करना: यदि सब कुछ सही पाया गया तो सर्टिफिकेशन जारी कर दिया जाता है।
7. लोगो का उपयोग
प्रमाणन मिलने के बाद आप इन मान्यता प्राप्त लोगो का उपयोग कर सकते हैं:
- India Organic Logo (NPOP के लिए)
- PGS-India Organic Logo (PGS के तहत प्रमाणन प्राप्त उत्पादों के लिए)
- Jaivik Bharat Logo (FSSAI द्वारा घरेलू बिक्री के लिए)
8. वार्षिक निरीक्षण और नवीनीकरण
- हर वर्ष सर्टिफिकेशन का नवीनीकरण आवश्यक है।
- यदि किसी निरीक्षण में मानकों का उल्लंघन पाया जाता है, तो सर्टिफिकेशन रद्द भी हो सकता है।
- निरंतर सहायता और मार्गदर्शन के लिए आप विशेषज्ञों की सहायता ले सकते हैं।
क्या आपको मदद चाहिए?
हम ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन की पूरी प्रक्रिया में आपकी सहायता करते हैं — आवेदन, दस्तावेज़, निरीक्षण की तैयारी, और नवीनीकरण तक।
संपर्क करें: +91-9352296200 | ईमेल करें: capiyushmittal90@gmail.com