Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

यह कि जीएसटी एक्ट 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया था ।जब किसी अधिनियम को लागू किया जाता है। और उसमें विधि अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है। तो निश्चित रूप से उन आदेश ,निर्णय, नोटिस और अन्य प्रकरण में कहीं ना कहीं कोई त्रुटि किसी भी तथ्य के कारण जैसे अंकगणितीय , लिपिकीय त्रुटि और अन्य कारण से हो सकती है। ऐसी त्रुटि को ठीक करने का प्रावधान वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 161 में किया गया है। साथ ही धारा 161 में संशोधन के संबंध में धारा 160 का उल्लेख किया गया है। यह कि कोई भी संशोधन से धारा 160 का उल्लंघन नहीं होगा। आईये अब हम धारा 161 के संबंध में एक विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत करते हैं

 वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत जब कर प्राधिकरी द्वारा कोई नोटिस , सम्मन ,आदेश ,निर्णय या अन्य प्रकरण में निर्णय लिया जाता है। तो कभी-कभी त्रुटि हो जाती है। जिसको सुधारने के संबंध में वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत धारा 161 का प्रावधान किया गया है।

धारा 161 का उद्देश्य

प्रथम आधार

 जब किसी आदेश, निर्णय, सम्मन या अन्य प्रकरण में कोई त्रुटि होती है। तो उस त्रुटि को सुधारने के लिए स्वत संज्ञान के आधार पर जिसे एक्ट में SUO MOTO शब्द इस्तेमाल किया गया है ।SUO MOTU शब्द लैटिन भाषा से लिया गया है। जिसका हिंदी देवनागरी में स्वतः संज्ञान शब्द दिया गया है। अर्थात यदि प्रॉपर ऑफिसर को पत्रावली पर किसी त्रुटि का ज्ञान होता है। तो वह SUO MOTU अर्थात स्वत संज्ञान के आधार पर उसे त्रुटि का संशोधन अर्थात सुधार कर सकता है।

दूसरा आधार

 यदि किसी करदाता को किसी आदेश, निर्णय, सम्मन ,नोटिस आदि में किसी प्रकार की त्रुटि का ज्ञान होता है ।तो वह कर प्राधिकारी को उस के संबंध में सूचित करेगा । जिसके आधार पर कर प्राधिकारी उस त्रुटि का सुधार करेगा।

तीसरा आधार

 जब अन्य कर आधिकारी द्वारा नोटिस के आधार पर है ।जिसमें अधिकारी को त्रुटि का संज्ञान आने पर एक निश्चित अवधि में उसे त्रुटि का सुधार किया जाएगा। केंद्र और राज्य कर आधिकारी एक दूसरे को सूचित कर सकते हैं।

संशोधन की प्रकृति

विधि में त्रुटि

 जब कोई कर प्राधिकारी द्वारा किसी आदेश, निर्णय, सम्मन ,नोटिस या अन्य विषय में विधि के प्रतिकूल कोई निर्णय पारित किया जाता है। तो यह त्रुटि विधि नियम के प्रतिकूल मानी जाएगी ।जिसका सुधार कर प्राधिकारी द्वारा किया जाएगा।

तथ्य में त्रुटि

जब किसी आदेश या निर्णय या नोटिस या समन और अन्य विषय में तथ्यों के विपरीत कोई निर्णय किया जाता है। तथा उचित तथ्यों का समावेश नहीं किया जाता है। उन स्थिति में यह त्रुटि तथ्यों में त्रुटि मानी जाएगी। जिसका सुधार इस धारा के अंतर्गत किया जाएगा।

लिपिकीय या अंकगणितीय त्रुटि

 जब कोई आदेश या निर्णय या समन या नोटिस या अन्य विषय में त्रुटि का सुधार लिपकीय या अंकगणित के कारण होता है ।उसे आदेश या निर्णय या समन या नोटिस या अन्य विषय में इस त्रुटि का भी संशोधन का सुधार कर प्राधिकारी द्वारा इस धारा के अंतर्गत किया जाता है।

यह कि धारा 161 में ऐसे तर्क वितर्क या संग्रहित तत्वों को शामिल नहीं कर सकते ।जो कोई नया उद्देश्य उत्पन्न होता हो ।केवल स्पष्ट त्रुटि का ही संशोधन होगा।

त्रुटि का संशोधन में निम्नलिखित तत्वों का शामिल होना आवश्यक है

यह कि कर प्राधिकारी द्वारा स्पष्ट विधि और नियमों का गलत प्रयोग करना। या

यह कि कर प्राधिकारी द्वारा ऐसे प्रावधान लागू करना जो वर्तमान स्थिति में अनुप्रयोग है । या

यह कि कर प्राधिकारी द्वारा अनिवार्य प्रावधानों को लागू नहीं किया गया हो। तथा एक्ट की गलत व्याख्या की गई हो । या

Amendment GST Act

यह कि कर अधिकारी द्वारा क्षेत्राधिकार से संबंधित तथ्यों की अवहेलना की हो ।जैसे उच्च न्यायालय द्वारा आदेशित विषय पर उसकी अवहेलना करना।

यह कि जीएसटी अधिनियम की धारा 161 में तो त्रुटी या गलती समझना अति आवश्यक तत्व है।

धारा 161 की समय सीमा

 यह कि किसी आदेश, निर्णय, समन ,नोटिस, प्रमाण पत्र या अन्य तथ्य के लिए आदेश होने की तारीख से 6 माह के अंदर उसे त्रुटि का संशोधन होना अनिवार्य है ।धारा 161 कर प्राधिकारी के साथ-साथ करदाता को भी है। यह अधिकार प्रदान करती है। कि आदेश जारी होने के तीन माह के अंदर वह कर प्राधिकारी को उस त्रुटि या गलती के लिए निवेदन कर सकता है। इसके संबंध में कर प्राधिकारी 6 माह की अवधि में उस त्रुटि या गलती का संशोधन संबंधी आदेश पारित करेगा ।यहां स्पष्ट करना है। कि यह भूल सुधार आदेश होने वाली तारीख से कल 6 माह में जारी होगा है। ऐसा नहीं है । कि त्रुटि का पता चलने से 6 माह में सुधार होना है अर्थात आदेश या निर्णय से कुल 6 माह की अवधि निर्धारित की गई है।

निष्कर्ष

यह कि उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है। कि वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत कर प्राधिकारी और करदाता को भूल सुधार का अवसर प्रदान करती है। तथा एक नियत समय अवधि में ऐसी भूल सुधार का आदेश पारित होना चाहिए। यदि करदाता को इस भूल सुधार में संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है। तो वह वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 107 में प्रथम अपील प्रस्तुत कर सकता है। तथा इसी प्रकार यदि कर प्राधिकारी द्वारा मांग पत्र फार्म DRC 07 जारी किया जाता है ।तथा करदाता या कर प्राधिकारी को DRC 07 अर्थात मांग पत्र में किसी प्रकार की त्रुटि नजर आती है। तो वह संशोधित फॉर्म DRC 08 में उसका संशोधन करके आदेश जारी करेगा।

यह लेखक के निजी विचार है।

Sponsored

Author Bio

मेरा नाम संजय शर्मा हैं।मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इनडायरेक्ट टैक्सेस में वकालत करता हूं ।तथा मेरी शैक्षिक � View Full Profile

My Published Posts

जीएसटी में नया रिटर्न GSTR 7 आगामी GST काउंसिल बैठक: टैक्स बदलाव प्रस्ताव PAN 2.0: नया PAN कार्ड अपने ईमेल पर फ्री में कैसे प्राप्त करें? जानें पूरी प्रक्रिया PAN 2.0 अपग्रेड: टैक्सपेयर के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर भारतीय संविधान का संक्षिप्त परिचय: संरचना और महत्व View More Published Posts

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Ads Free tax News and Updates
Sponsored
Search Post by Date
December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031