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यह कि CBIC द्वारा हाल ही में कुछ परिवर्तन किए हैं । जिसमें सेवा के संबंध में एक विज्ञप्ति जारी की है । कि जिसमें सेवा के संबंध में एचएसएन कोड उसके रेट के संदर्भ में सुझाव और प्रतिक्रिया मांगी गई है । तथा एचएसएन कोड HSN CODE टर्नओवर के हिसाब से 1 फरवरी 2024 से टैक्स इनवॉइस ई इनवॉइस और ई वे बिल के लिए निर्देश जारी किया है तथा एक निर्देश जो प्रधान आयुक्त राज्य कर असम द्वारा अपने क्षेत्राधिकार के लिए जारी किया है उसका मूल्यांकन हमारे द्वारा किया गया है उपरोक्त विषय पर संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार हैं –

1. सेवा से संबंधी

जीएसटी के तहत अपनाई गई सेवाओं के वर्गीकरण की योजना यूएनसीपीसी (वस्तुओं और सेवाओं का संयुक्त राष्ट्र केंद्रीय उत्पाद वर्गीकरण) पर आधारित है। हालाँकि, जबकि यूएनसीपीसी 5 अंकों का वर्गीकरण अपनाता है, जीएसटी के लिए अपनाया गया वर्गीकरण 4-अंकीय वर्गीकरण है जिसमें अंक 99 सेवाओं के लिए पूर्व-निर्धारित है । जो यह दर्शाता है । कि ये सेवाएँ हैं। वर्गीकरण की यह योजना 28 जून, 2017 की दर अधिसूचना संख्या 11/2017-CT(R) के साथ संलग्न की गई है।

इस अधिसूचना में, विभिन्न सेवाओं के लिए लागू जीएसटी दरों को निर्दिष्ट करने वाली जीएसटी दर अनुसूची में छह अंकों के स्तर पर सेवाओं के वर्गीकरण का उल्लेख नहीं है। इसलिए, व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सेवाओं के वर्गीकरण के साथ जीएसटी दर अनुसूची को सुसंगत बनाने का प्रयास किया गया है। इस नोट के साथ संलग्न दस्तावेज़ (पृष्ठ 1 से 74) सेवाओं पर जीएसटी दरों की एक स्व-निहित मसौदा अनुसूची है, । जिसमें सेवा कोड (6-अंक), सेवा का विवरण और लागू दर, शर्त के साथ लागू, हैं। एक साथ दिए गए हैं। साथ ही, मौजूदा दर अधिसूचना में निर्दिष्ट कई शर्तों को मानकीकृत, कोडित किया गया है। और एक अलग तालिका में ले जाया गया है। जिससे अधिसूचना के मुख्य भाग को पढ़ना आसान हो गया है।

सभी सभी टैक्स प्रोफेशनल,करदाताओं से इस विषय में सुझाव मांगे गए हैं । जो दिनांक 31 जनवरी 2024 तक प्रेषित किए जा सकते हैं। इसे ईमेल आईडी [email protected] पर मेल किया जा सकता है।

वर्गीकरण के 6 अंकों के स्तर पर सेवाओं की ड्राफ्ट दर अनुसूची यहां देखी जा सकती है: CBIC Notice Seeks Input on GST Rate Schedule Harmonization for Services

2. यह की 4डिजिट और 6 डिजिट जो कि e वे बिल और इन्वॉइसिंग के लिए आवश्यक है । तथा 1 फरवरी 2024 से इसे लागू किया जा रहा है । अतः जिन कर दाता का टर्नओवर रुपए 5 करोड़ से कम है। वह4 डिजिट का प्रयोग करेंगे । और जिन करदाता का टर्नओवर 5 करोड़ से अधिक है। वह 6 डिजिट अपने टैक्स इनवॉइस,और ई वे बिल पर लागू करेंगे।

अधिसूचना संख्या 12/2017-केंद्रीय कर दिनांक 28 जून, 2017 के अनुसार, अधिसूचना संख्या 78/2020-केंद्रीय कर दिनांक 15 अक्टूबर, 2020 द्वारा संशोधित, रुपये तक के कारोबार वाले करदाता। पिछले वित्तीय वर्ष में 5 करोड़ रुपये से अधिक टर्नओवर वाले लोगों को 4-अंकीय स्तर पर सेवाओं के वर्गीकरण की घोषणा करने की आवश्यकता है। 6 अंकों के स्तर पर 5 करोड़।

3. यह कि प्रधान आयुक्त राज्य कर असम द्वारा एक निर्देश संख्या 13 /2023 जीएसटी 18दिसंबर 2023 में जारी किया है । जिसमें असम राज्य द्वारा आईआईटी बिग डाटा सॉफ्टवेयर के आधार पर जारी नोटिस डीआरसी 01 के संबंध में कुछ निर्देश जारी किए हैं । जिसमें स्पष्ट किया गया है। कि वित्तीय वर्ष 2017 18 और 2018 19 में क्योंकि प्रारंभिक वर्ष होने के कारण व्यावहारिक कठिनाइयों का सभी को सामना करना पड़ रहा है । तथा करदाताओं के वादों का पूर्व में ऑडिट /स्कूटीनी/सम्मन आदि जैसी कार्रवाई हो जाने के बावजूद उन्हें डीआरसी 01 जारी किए गए हैं । इसके संबंध में 18 दिसंबर 2023 के इस निर्देश में विभिन्न बिंदुओं पर प्रधान आयुक्त ने निर्देश जारी किया है। जिसका संक्षेप में निम्न वर्णन है:

1. जिन मामलों में ऑडिट की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। वहां एचडी बिग डाटा सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके नोटिस जारी की गई है। उसे वापस लिया जाए।

2. जिन मामलों में रिटर्न की जांच की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। लेकिन आईआईटी बिग डाटा सॉफ्टवेयर ने जिन बिंदुओं पर नोटिस जारी किया है । उनका मूल्यांकन किया जाना चाहिए । यदि पूर्व में उनका मूल्यांकन हो चुका है। तो किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाए।

3. जिन मामलों में सम्मन आदि की कार्रवाई पूरी हो चुकी है । उन्हें भी आईआईटी बिग डाटा द्वारा यदि नोटिस दिया गया है । तो उसे भी वापस लिया जाना चाहिए।

4. जिन मामलों में प्रॉपर ऑफिसर द्वारा धारा 74 के नोटिस जारी किए गए हैं । साथ ही आईआईटी बिग डाटा द्वारा भी नए नोटिस जारी किए हैं तो उन नोटिस को भी वापस लिया जाना चाहिए।

5. जिन मामलों में करदाता द्वारा भुगतान से डीआरसी 03 किया है या जहां डीआरसी 07 जारी किया गया है । ऐसे आधार पर आईआईटी बिग डाटा का उपयोग करके जारी किए गए नोटिस को उचित सत्यापन के बाद वापस लिया जाना चाहिए।

6. जिन मामलों में गुड्स की आवाजाही केवल चालान के द्वारा की गई है । उन मामलों की करवाई धारा 122 के अंतर्गत की जानी चाहिए और आईआईटी बिग डाटा सॉफ्टवेयर से जारी नोटिस को हटा लेना चाहिए।

7. जिन मामलों में धारा 17(5 )के अंतर्गत आईटीसी का विवाद है । उनमें प्रॉपर ऑफिसर को रिकॉर्ड के आधार पर उनका निस्तारण करना चाहिए । जहां कर दाता को धारा 17(5 )के अंतर्गत आईटीसी ब्लॉक की गई है । उसका निस्तारण दस्तावेज के आधार पर किया जाना चाहिए।

8. जिन मामलों में नियम 42/43 के अंतर्गत आईटीसी रिवर्सल लागू है । उनमें नियम 42 /43 के अंतर्गत वास्तविक टर्नओवर के आधार पर और सत्यापन की उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए तथा करदाता से कोई स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं किया जाएगा। जब तक की असाधारण स्थिति ना हो।

निष्कर्ष

उपरोक्त मान दण्ड के संबंध में जहां नोटिस हटाने की आवश्यकता नहीं है । उन मामलों में उचित तरीके से नोटिस दिया जाना चाहिए । करदाता को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए और कार्रवाई को समय व तरीके से पूरा किया जाना चाहिए । उपरोक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाएगा । जहां जिन मामलों में नोटिस वापस लेने की आवश्यकता है । वहां करदाता से ने तो कोई लिखित दलील मांगी जाएगी और नहीं किसी करदाता को किसी व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। ऐसे मामलों में उचित अधिकारी कारण दर्ज करते हुए । प्रत्येक मामले के तथ्य और सामग्री के आधार पर स्वत संज्ञान लेकर कार्रवाई बंद कर देगा ।

लेखक का मत

उपरोक्त निर्देश जो प्रधान आयुक्त असम सरकार द्वारा जारी किया है। ऐसा निर्देश CBIC और प्रत्येक स्टेट कमिश्नर को जारी करना चाहिए था। ताकि करदाता के विरुद्ध कई कई बार जो नोटिस जारी किए जा रहे हैं । उन्हें रोका जा सके। यह निर्देश वित्तीय वर्ष 2017-18 के स्कूटीनी करने से पूर्व जारी किए जाने चाहिए थे । लेकिन कई निर्देश जारी होने के बावजूद करदाताओं को धारा 61 और 73 के नोटिस दो दो, तीन-तीन बार जारी किए गए हैं । जो जीएसटीएन की प्रक्रिया पर सवाल उठता है?

यह लेखक के निजी विचार है।

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मेरा नाम संजय शर्मा हैं।मैं उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इनडायरेक्ट टैक्सेस में वकालत करता हूं ।तथा मेरी शैक्षिक � View Full Profile

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