जीएसटी विभाग नोटिस जारी कर रहा है,। कि आपूर्तिकर्ताओं को दी गई छूट और प्रोत्साहन पर कर की मांग कर रहा है, खासकर उत्पादों के डीलरों और वितरकों के संदर्भ में। व्यवहारिक तौर पर निर्माता कई तरह की छूट देते नजर आते हैं। इस तरह की छूट बिक्री लक्ष्य तक पहुंचने, मूल्य में गिरावट योजनाओं, पूर्व-सहमत अंतिम ग्राहक छूट प्रतिपूर्ति पर आधारित हो सकती है। कुछ मामलों में, विनिर्माताओं के विज्ञापन, बिक्री संवर्धन के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है। विनिर्माता इन छूट/प्रोत्साहन योजनाओं को प्रभावी बनाने के लिए ऐसे डीलरों को वाणिज्यिक क्रेडिट नोट(Commercial credit note) बिना टैक्स जारी कर सकते हैं।
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 में छूट/डिस्काउंट शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है ।जब किसी शब्द को परिभाषित नहीं किया होता है ।तो उसका अर्थ समझने के लिए विभिन्न शब्दकोश संग्रह से उस शब्द का अर्थ परिभाषित किया जाता है।
कैंब्रिज डिक्शनरी के अनुसार छूट /डिस्काउंट का मतलब किसी वस्तु की कीमत कम करना या प्रतिशत के रूप में छूट दिया जाना है। और वस्तुओं की कीमत में कमी के रूप में की जाती है।
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार जब किसी वस्तु को कुल मूल्य में से कम मूल्य पर देने को छूट कहा जाता है।
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत टैक्स इनवॉइस जारी करने के समय सप्लाई के संबंध में लेनदेन मूल्य से कटौती के रूप में छूट का दावा किया जा सकता है । क्या आपूर्ति के बाद की छूट को आपूर्ति के मूल्य से तभी काटा जा सकता है? जब सप्लाई करने से पहले किए गए एग्रीमेंट के अनुसार सप्लायर उसी के लिए क्रेडिट नोट जारी करता है ।और प्राप्तकर्ता ऐसे क्रेडिट नोट से संबंधित क्रेडिट राशि का रिवर्सल कर देता है।
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 34 के अंतर्गत क्रेडिट नोट जारी किया जाता है ।वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 34(1 )में प्रावधान है कि सप्लायर द्वारा क्रेडिट नोट केवल निम्नलिखित परिस्थितियों में जारी किया जाएगा
1. यदि टैक्स इनवॉइस में दिखाया गया कर योग्य मूल्य सप्लाई के कार्यों के मूल्य से अधिक है/
2. यदि टैक्स इनवॉइस में लगाया गया सप्लाई पर टैक्स अधिक है/
3. यदि प्राप्तकर्ता ने गुड्स वापस कर दिया है/
4. यदि गुड्स और सर्विस में कमी पाई जाती है।
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 34(2) में प्रावधान किया गया है ।कि क्रेडिट नोट उसे वित्त वर्ष की समाप्ति के बाद 30 नवंबर या उससे पहले जारी किया जाना चाहिए ।जिसमें आपूर्ति की गई थी या उसे वित्त वर्ष के वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की तारीख जो दोनों में पहले हो जारी किया जा सकता है। हमें सावधानीपूर्वक जांच करने पर यदि हम समझते हैं ।कि अन्य बातों के साथ-साथ कर योग्य मूल्य में कमी के लिए भी क्रेडिट नोट जारी किया जा सकता है।
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 में क्रेडिट नोट जारी करना एक वैकल्पिक व्यवस्था है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं ।कि छुट/डिस्काउंट देने के लिए कमर्शियल क्रेडिट नोट जारी करने पर किसी प्रकार की रोक नहीं है। इसके संबंध में हम CBIC के द्वारा जारी सर्कुलर संख्या 72/ 46/ 2018 /26/10/2018 जिसमें स्पष्ट किया गया है, कि कमर्शियल क्रेडिट नोट जारी करने की कोई समय सीमा नहीं है।
अब यह प्रश्न उठता है। कि क्या निर्माता द्वारा किसी डीलर/ डिस्ट्रीब्यूटर को छूट /डिस्काउंट देना वास्तव में सप्लायर द्वारा की गई गुड्स और सर्विसेज की सप्लाई के लिए के लिए प्राप्त प्रतिफल है ।और उसे पर जीएसटी की लेवी लागू होगी?
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत छूट/प्रोत्साहन का विश्लेषण
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम के अंतर्गत कर का आरोपण तभी हो सकता है ।जब वस्तु और सेवा की सप्लाई की जाती है। और उसके बदले में प्रतिफल प्राप्त किया जाता है। निर्माता द्वारा दी जा रही छूट के संबंध में क्रेडिट नोट में कर नहीं लगाया जाता।
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम की धारा 7 और 9 में सप्लाई के समय वस्तु या सेवा का होना आवश्यक है। और जब निर्माता क्रेडिट नोट जारी करता है। उसे समय कोई सप्लाई नहीं होती है ।जिससे स्पष्ट है। कि जीएसटी में आपूर्ति नहीं हुई है।
हमारे द्वारा वर्तमान मामले में निर्माता, वितरक और ग्राहक से संबंधित आपूर्ति का मूल्य बिक्री के लिए वास्तव भुगतान की गई या देय कीमत यानी लेनदेन का मूल्य होगा
अंतिम ग्राहक सामान के लिए वितरक डीलर द्वारा निर्माता के निर्देश पर सप्लाई का मूल्य में गिरावट होती है ।जिसके लिए निर्माता द्वारा बिना जीएसटी के प्रभाव के कमर्शियल क्रेडिट नोट जारी किया जाता है ।क्योंकि ये निर्माता द्वारा डीलर को आपूर्ति के आगे सामान की खरीद मूल्य में कमी के रूप में दिया जाता है ।इसलिए जीएसटी के अंतर्गत ऐसी कीमत में गिरावट या छूट का कोई जीएसटी निहित नहीं होती है ।ऐसे मामलों में डीलर द्वारा ऐसी छूट के विरुद्ध वस्तु और सेवाओं की कोई आपूर्ति नहीं की जा रही ।इसलिए जीएसटी की लेवी नहीं लगेगी।
डैमेज गुड्स की स्थिति
जब डीलर द्वारा क्षतिग्रस्त सामान संग्रह किया जाता है। तो डीलर के द्वारा जीएसटी क्रेडिट नोट जारी किया जाता है। बाद में निर्माता इसके लिए डीलर को एक कमर्शियल क्रेडिट नोट जारी करता है ।यदि डीलर द्वारा जीएसटी क्रेडिट नोट जारी किया जाता है। तो उसे रिटर्न में खुलासा करना होगा और प्राप्तकर्ता को ऐसे क्रेडिट नोट से संबंधित आईटीसी को रिवर्स करना होगा ।इसलिए इसे सामान की वापसी के लिए डीलर अपने ग्राहकों को जीएसटी क्रेडिट नोट जारी करेगा । डीलर भविष्य की कर देयता के विरुद्ध क्रेडिट नोट को समायोजित जीएसटी में कर सकेगा। इसके अतिरिक्त कंपनियां द्वारा बिना जीएसटी के प्रभाव के कमर्शियल क्रेडिट नोट जारी किए जाते हैं । वह डीलर को क्रेडिट नोट को रिवर्सल करने की आवश्यकता नहीं होगी। जिसका उल्लेख परिपत्र संख्या 72/46 /2018 26/10/2018 में स्पष्ट किया गया है।
बिक्री के पश्चात छूट प्राप्तकर्ता को निर्माता कंपनियों के साथ एग्रीमेंट के अनुसार ग्राहकों को रियायती दर पर सामान की आपूर्ति करने के लिए कहा जाता है ।डीलर द्वारा दी गई छूट को निर्माता कंपनियों द्वारा डीलर के खिलाफ व्यापार में प्राप्त को कम करके सामायोजित किया जाता है ।ऐसे मामलों में छूट की गणना डीलर द्वारा ग्राहकों को की गई बिक्री और उसकी कीमत के आधार पर की जाती है। जिसमें जीएसटी लागू नहीं होता है।
क्या डीलर टैक्स इनवॉइस जारी कर सकता है ?डीलर द्वारा छूट की राशि के लिए जीएसटी का भुगतान किया जा सकता है। बिक्री के बाद छूट के बदले में डीलर द्वारा कंपनियों को वस्तु या सेवाओं की कोई अलग से आपूर्ति नहीं की जाती है ।इसलिए डीलर द्वारा कंपनियों को टैक्स इनवॉइस जारी करने की आवश्यकता नहीं होती है।
इस प्रकार के लेनदेन में निर्माता कंपनियां डीलर को अपने ग्राहकों को अतिरिक्त छूट देने की निर्देश देती है ग्राहकों को उनके भुगतान में कमी के माध्यम से प्रतिपूर्ति मिलती है और डीलर को कंपनियों से दे खातों में कटौती के रूप में मुआवजा प्राप्त होता है।
बिक्री प्रचार
इस प्रकार के लेन देन में कंपनियों द्वारा ग्राहकों को माल की सप्लाई के बाद बिक्री के बाद छूट दी जाती है । डीलर केवल कंपनियों से ग्राहकों तक छूट पहुंचने के माध्यम के रूप में कार्य करता है । बिक्री के बाद की छूट के लिए जीएसटी का क्रेडिट नोट जारी नहीं किया जा सकता ।जिसके लिए आपूर्ति से पहले क्या आपूर्ति के समय कोई सहमति या एग्रीमेंट नहीं था।
यह छूट निर्माता द्वारा डीलर को आपूर्ति की गई वस्तुओं की खरीद मूल्य में कमी के रूप में दी जाती है। डीलर के लिए जीएसटी के अंतर्गत ऐसी बिक्री के बाद छूट पर कोई जीएसटी की लेवी नहीं लगाई जा सकती।
अन्य विषय जिन पर जीएसटी लागू होगा
एजेंसी सेवा के लिए निर्मिता से कमीशन और उसी के लिए टीडीएस काटा जाता है ।यह राशि कमीशन के रूप में प्राप्त होती है । छूट के रूप में नहीं कमीशन की प्राप्ति प्रमुख एजेंट के संबंध को इंगित करती है ।और एजेंसी सेवाएं प्रदान करने के लिए डीलर को जीएसटी का भुगतान करना चाहिए।
निर्माता विज्ञापन में अपने नाम का उल्लेख करने के लिए डीलर को भुगतान करते हैं ।जो डीलर समाचार पत्र, होर्डिंग प्रचार आदि में खर्च करते हैं। डीलर द्वारा इन कंपनियों को विज्ञापन सेवाएं प्रदान की जा रही है ।तो डीलर को विज्ञापन सेवाओं के लिए एक टैक्स इनवॉइस जारी करनी चाहिए और उस पर लागू जीएसटी का भुगतान निर्माता द्वारा किया जाना चाहिए।
डीलर के शोरूम में
निर्माता कंपनी अपना विज्ञापन करती है ।जिसके लिए डीलर को एक टैक्स इनवाइस निर्माता डीलर के लिए जारी करना चाहिए और जीएसटी लगाना चाहिए।
निम्नलिखित छूट /प्रोत्साहन पर जीएसटी नहीं लगेगा
वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 7(1)( ए) सप्लाई को परिभाषित करती है ।जिसमें वस्तुओं की सप्लाई या सेवा की आपूर्ति या किसी प्रतिफल के लिए आपूर्ति शामिल है। इन दावों को प्राप्त करने के माध्यम से डीलर के बारे में यह नहीं कहा जा सकता ।कि उसने किसी भी वस्तु /सेवा की आपूर्ति उसे प्रतिफल के लिए की है ।जहां उसे छूट दी गई है ।इसलिए केवल निर्माता से विभिन्न उत्पादों की खरीद के प्रमुख अनुबंध के हिस्से के रूप में माना जाना चाहिए । डीलर द्वारा किसी भी सेवा की अलग आपूर्ति के रूप में।
निर्माता, वितरक और डीलर द्वारा दर्ज किए गए दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से स्थापित किया जाना चाहिए। कि छूट अन्य दावों के भुगतान के खिलाफ डीलर द्वारा निर्मिता को वितरण बिक्री प्रोत्साहन या किसी अन्य सेवा का कोई इरादा या प्रावधान नहीं किया गया है ।ऐसे भुगतानों के बदले में डीलर द्वारा निर्मिता को सप्लाई नहीं की गई /वस्तु सेवाओं की आपूर्ति नहीं है।में डीलर पर जीएसटी लेवी नहीं लगेगी।
निम्नलिखित वादों में छूट /प्रोत्साहन के संबंध में माननीय न्यायालय द्वारा विभिन्न सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं
1. सरयू मोटर्स बनाम सेवा कर आयुक्त 2016 STR 158
2. एपी ग्रुप लिमिटेड बना आयुक्त 2013 FCAFC 105
3. रोहन मोटर्स लिमिटेड 2021 जीएसटी एल 315
4. टोयोटा लिकोजी ऑटो प्राइवेट लिमिटेड 2017 STR 299
5. प्रभाकर मरोत्राकर एंड संस 2019 जीएसटीएल 294
6. भारत पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड बनाम CST 2014 STR 433
उपरोक्त वादों से स्पष्ट है कि छूट प्रोत्साहन को एक कर योग्य व्यक्ति द्वारा किस प्रकार प्रयोग करना है।
लेखक का मत
मेरा करदाताओं को सुझाव है। कि वितरक ,डीलरों और निर्माता के बीच में छूट /प्रोत्साहन के कारण कोई स्पष्ट रूप से समझौता एग्रीमेंट के रूप में दर्शाया जाना चाहिए। ताकि भविष्य में सुनिश्चित किया जा सके। कि जीएसटी विभाग ब्याज और जुर्माने के साथ अन्य मांग नहीं उठा सके ।और कर योग्य व्यक्ति को कानूनी कार्रवाई से गुजरना पड़े ।जो अत्यंत कष्टकारी होता है।
यह लेखक के निजी विचार हैं।