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वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 30 सितंबर 2023 को धारा 73 के अंतर्गत DRC01 जारी कर दिए गए हैं ।इसलिए टैक्स प्रोफेशनल के लिए अति आवश्यक हो जाता है। कि वह धारा 73 के नोटिस का जवाब किस प्रकार तैयार करें ।इसके संबंध में एक समीक्षा प्रस्तुत हैं

कारण बताओ नोटिस SCN का उत्तर देने से पूर्व निम्नलिखित तथ्यों की जांच करना आवश्यक हैं –

1. यह कि कारण बताओं नोटिस SCN प्रॉपर अफसर के क्षेत्राधिकार से बाहर नहीं होना चाहिए ।तथा प्रॉपर ऑफिसर की मौद्रिक सीमा के अंतर्गत ही यह कारण बताओं नोटिस SCN जारी किया जाना चाहिए।

2. यह कि कारण बताओं नोटिस स्पष्ट होना चाहिए

3. यह कि कारण बताओं नोटिस की सर्विस उचित रूप से होनी चाहिए।

4. यह कि कारण बताओं नोटिस निर्धारित प्रारूप में होना चाहिए ।तथा जो तथ्य बताए गए हो ।उनका विवरण कारण बताओं नोटिस में स्पष्ट होना चाहिए तथा किन धाराओं/नियमो के अंतर्गत मांग की जा रही है।

5. यह कि कारण बताओं नोटिस SCN का उत्तर देने से पूर्व संबंधित सभी दस्तावेज/ चालान/ रिकॉर्ड आदि का संग्रह करके रखें।

6. यह कि कारण बताओं नोटिसSCN के लिए तथ्यों, विधि और विधि शास्त्र के अनुसार व्यापक उत्तर का विवरण तैयार करे।SCN में जांच करें कि ASMT 10 के अतिरिक्त बिंदु ना हो। नए बिंदु नही जारी होगे। क्यों कि आंकड़े जीएसटी पोर्टल पर आधारित हैं।

7. यह कि आवश्यक हो तो कारण बताओं नोटिस का जवाब निर्धारित समय अवधि में प्रस्तुत करें अन्यथा विस्तारित अवधि में भी अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं।

8. यह कि कारण बताओं नोटिस का जवाब दाखिल करने के बाद उसकी रसीद अपने पास रखें। तथा कारण बताओं नोटिस के निर्णय से पहले व्यक्तिगत सुनवाई की अनुमति का अनुरोध करें।

Proper officer नियत तारीख से पूर्व पर्सनल हियरिंग का अवसर प्रदान करते हैं।जो उसकी इच्छा पर निर्भर है। अन्यथा इस प्रावधान को वर्ष 2019 से समाप्त कर दिया है। यह अवधारणा सर्विस टैक्स और कस्टम से लिया गया था। कि विवाद कम से कम हो।

कारण बताओं नोटिस के लिए आधार –

यदि किसी करदाता ने कर जमा नहीं किया है/ कर कम जमा किया है /आईटीसी गलत ली है/ आईटीसी ज्यादा ली है या रिफंड गलत तरीके से लिया गया है । तो ऐसी स्थिति में प्रॉपर ऑफिसर धारा 73 के अंतर्गत नियम 142 के अंतर्गत drc01 जारी करता है ।यदि करदाता धारा 73 का जवाब दाखिल नहीं करता है ।तो अधिकारी को यह अधिकार है। कि वह जीएसटी एक्ट की धारा 79 उप धारा 1 (a)के अंतर्गत drc09 के अंतर्गत धनराशि के लिए रिकवरी प्रोसीजर शुरू कर सकता है।

करदाता द्वारा डीआरसी 01 का ड्राफ्ट निम्न प्रकार देना चाहिए-

1. यह की प्रॉपर ऑफिसर द्वारा जारी drc01 में DSC द्वारा सिग्नेचर नहीं किए हैं। जो विधि विरुद्ध है।

Writ petition no 872 / 2003मेसर्स Marg ERP LTDV/S CGST दिल्ली हाई कोर्ट में माननीय न्यायालय ने स्पष्ट किया। कि किसी भी नोटिस और आदेश पर हस्ताक्षर न होना वैध नोटिस और आदेश नहीं माना जाएगा।

2. यह कि डॉक्यूमेंट आईडेंटिफिकेशन नंबर DIN/Document Reference Number DRN सही होना चाहिए ।जो इस कारण बताओं नोटिस में सही/ नहीं है। जिस कारण यह कारण बताओं नोटिस शून्य है।

3. यह कि उपरोक्त कारण बताओं नोटिस में करदाता को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए

विभिन्न विसंगतियों के संबंध में हमारा उत्तर बिंदुवार प्रस्तुत है-

1. जीएसटी आर 1 और 3b में कम टैक्स की संबंध में

यह कि वित्तीय वर्ष 2017-18 जीएसटी एक्ट का प्रथम वर्ष है ।जिसके कारण अधिकारी ,कर्मचारी और करदाता इसकी कठिनाइयों के कारण सही जानकारी उपलब्ध न होने के कारण त्रुटियां हुई है। जिसके लिए करदाता को दोषी नहीं ठहर जा सकता है। हमारे द्वारा जीएसटी r1 की कुछ एंट्री निम्नलिखित पुनः प्रस्तुत है –

Date Tax /Invoice No/ GST IN/ Invoice Value

2. जीएसटी 3b और जीएसटी 2a में अधिक आईटीसी क्लेम की गई-

यह कि हमारे द्वारा अपने रिटर्न में अधिक आईटीसी नहीं ली गई है। हमारे द्वारा वही आईटीसी ली गई है । जिसके हमारे पास टैक्स इनवॉइस /गुड्स पर कब्जा /बैंक के द्वारा भुगतान तथा वास्तविक रूप से गुड्स के मूवमेंट के ट्रांजैक्शन के बिल हमारे पास मौजूद है ।जो धारा 16 की सभी शर्तों को पूर्ण करता है। अतः हमारे द्वारा 3b में आईटीसी सही ली गई है।

A. 28 अक्टूबर, 2021 को यूनियन ऑफ इंडिया .. बनाम भारती एयरटेल लिमिटेड परिपत्र संख्या 26/26/2017-जीएसटी, दिनांक 29-12-2017 मे GSTR 2 को निलंबित किया गया था।

B. मेसर्स ईकॉम ग्रिल कॉफी ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड V/S सीजीएसटी मे माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में माननीय न्यायालय ने जीएसटी की धारा 16 की शर्तें पूर्ण करने पर आईटीसी को स्वीकार किया है।

C. मेसर्स दिया एजेंसी वर्सेस स्टेट टैक्स ऑफीसर केरला Writ पिटीशन संख्या 29769 वर्ष 2023 में माननीय केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है ।कि आईटीसी को इस आधार पर निरस्त नहीं किया जा सकता। कि वह जीएसटी 2a में नजर नहीं आ रही हैजीएसटी 2a मात्र एक सूचना है।

सूची निम्न प्रकार बनाए

Date/ Tax Invoice No/GST IN/ Invoice Value/ e-way bill no

3. यदि सप्लायर उपलब्ध नहीं है-

यह कि करदाता द्वारा सप्लायर से जो माल खरीदा है। उसके संदर्भ में उसके पास धारा 16 जीएसटी एक्ट 2017 की सभी शर्तों को पूर्ण करते हुए। टैक्स इनवॉइस /माल /  पेमेंट बैंक द्वारा तथा माल की movement का सबूत है तथा माल के मूवमेंट के साथ ई वे बिल भी संलग्न था। यदि आज की स्थिति में सप्लायर अपने स्थान पर नहीं है या बंद हो गया है या उसका रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया गया है ।तो उसके लिए करदाता को दोषी नहीं माना जा सकता है। जब कर दाता ने सप्लायर से माल लिया उस समय तक सप्लायर द्वारा अपने जीएसटी 3b दाखिल किए हैं ।जिससे स्पष्ट है। कि धारा 16 के अनुसार उसने अपना धारा 39 के अंतर्गत टैक्स जमा किया है।

A  मैसर्स  डीवाई बीथेल इंटरप्राइजेज बनाम राज्य कर अधिकारी डाटा सेल मद्रास उच्च न्यायालय रिट पिटिशन संख्या 2127 वर्ष 2021 आदेश दिनांक 24 फरवरी 2021

B मेसर्स LGW इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया रिट पिटीशन संख्या 23512 वर्ष 2019

C CIT बनाम T Maneklal मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड रिट पिटीशन संख्या 115 वर्ष 1978 मुंबई हाई कोर्ट

D मेसर्स Gargo ट्रेडर्स बनाम जॉइंट कमिश्नर ऑफ़ कमर्शियल टैक्स रिट पिटीशन 1009 वर्ष 2022 माननीय न्यायालय कोलकाता हाई कोर्ट।

E  सेंट्रल एक्साइज कमिश्नर जालंधर बनाम केके इंडस्ट्रीज वर्ष 2013 

F मेंहदी मेडिकल्स बनाम राज्य कर अधिकारी (केरल उच्च न्यायालय) अपील संख्या: 2023 का WP(C) संख्या 30660 निर्णय/आदेश की तिथि: 19/09/2023 संबंधित मूल्यांकन वर्ष : न्यायालय:  उच्च न्यायालय , केरल उच्च न्यायालय 

उपरोक्त न्यायालय के निर्णय से स्पष्ट है। कि करदाता द्वारा धारा 16 की सभी शर्तों को पूरा करते हुए माल खरीदा है जो उसके कब्जे में है।

RCM के संबंध में –

यह कि करदाता द्वारा 1 जुलाई 2017 से 12 अक्टूबर 2017 तक विभिन्न मदों में आरसीएम जमा किया है। जिसका सत्यापन जुलाई ,अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2017 के 3b के द्वारा किया जा सकता है। जिसमें हमारे द्वारा आरसीएम की कर देयता को स्वीकार करते हुए कर जमा किया है।/

यह कि 1 जुलाई 2017 से आरसीएम मद में रुपए ₹5000 तक की छूट प्रति दिन की अनुमति थी ।अतः करदाता पर आरसीएम की मद में कोई कर देयता नहीं बनती हैं।

आरसीएम के संबंध में लेजर से स्पष्ट किया जा सकता हैं।

निम्न प्रपत्र से भी सहायता मिलती है

1.CGST द्वारा जारी पत्र 183/15/2022-GST 27th December, 2022/ इस परिपत्र में यदि आप के पास legal documents,goods का passion, भुगतान बैंक खाते से, सप्लायर ने u/S39 की रिटर्न फाइल होनी चाहिए। तो आपको ITC प्राप्त होगी।

2.कमिश्नर , राज्य कर उत्तर प्रदेश के कंप्यूटर परिपत्र संख्या 2 3 2 4 0 0 6 दिनांक 18/5 /2023 पत्रांक/ जीएसटी /2023 24/95 राज्य कर लखनऊ

 इस मे GSTR 9, REVERSE आदि पर आधारित हैं। ये लाभप्रद है।

आशा करता हूं। कि उपरोक्त समीक्षा से टैक्स प्रोफेशनल को काफ़ी लाभ होगा। यदि आपको कोई गलती लगे। तो कृपया भूल सुधार कर ले।

यह लेखक के निजी विचार है।

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