४८ वीं जीएसटी काउंसिल मीटिंग निकली बेनतीजा
मीटिंग शुरू होने से पहले हितधारकों को काफी उम्मीदें थीं कि सरकार का राजस्व हर महीने १.५० लाख करोड़ रुपए के आसपास हो रहा है तो शायद कुछ रियायतें या सरलीकरण के फैसले हो, जैसे:
१. विभिन्न सामग्री और उत्पादों में कर की दरों में तर्कसंगता पर निर्णय हो, जैसे जरूरी खाद्य पदार्थ पर कोई टैक्स न हो, आदि
२. उम्मीद थी कि कर की दरें पान मसाले, गुटका तंबाकू, आदि पर बढ़ेंगी और आटोमोबाइल सेक्टर में कमी का लाभ मिल सकेगा
३. आनलाइन गेमिंग, जुआ, सट्टा एवं अन्य तरह के चांस आधारित खेलों पर बढ़ी दर से जीएसटी लगेगी ताकि इस क्षेत्र पर लगाम लगें और इस का लाभ पर्यटन क्षेत्र में जीएसटी की कमी से मिले
४. जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थापना का रास्ता साफ हो ताकि विवादों का निराकरण जल्द से जल्द हो सके
५. नया कानून हैं और इसकी समझ सही ढंग से विभाग को भी नहीं है और ऐसे में जीएसटी के फ़ार्म भरने में गलतियों के कारण अधिकारी व्यापारी को तंग करते हैं और किसी तरह की टैक्स चोरी न होने के बावजूद भी टैक्स, पेनल्टी और ब्याज भरवाते है.
६. उम्मीद थी कि सरकार कोई ऐसी रियायती योजना लेकर आती जिसमें कुछ लेट फीस जमा कर व्यापारी को पुरानी चीजों पर भूल सुधार कर पेश करने का एक और मौका मिलता जिससे विवादों की संभावना कम होती
७. इसी तरह इनपुट क्रेडिट सही ढंग से नहीं मिलने के कारण न केवल व्यापारी भी परेशान रहा बल्कि विभाग भी नहीं समझ पा रहा है. ऐसे में सालाना आधार पर इनपुट रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का एक मौका दिए जाने की उम्मीद थी.
८. विभाग में कामकाज की एक सतत् और स्टेंडर्ड प्रक्रिया बनें
९. जीएसटी कानून का सरलीकरण के साथ विभिन्न फ़ार्म, आदि का युक्तिकरण
१०. जीएसटी रिफंड प्रक्रिया में सरलता के साथ ही रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म को तर्कसंगत बनाना
११. पेट्रोल डीजल गैस, प्रापर्टी, बिजली और शराब जो राज्यों के दायरे में आते हैं, उनके दामों में कैसे कमी लाई जाए और साथ ही राज्यों के राजस्व पर भी असर न हो
१२. व्यापार में आसानी कैसे बढ़े, इस ओर अनुपालनो और कागजी कार्यों में कमी कैसे आए
आम जनता के साथ साथ हर छोटे बड़े व्यापारी की भी जीएसटी की इस ४८ वीं मीटिंग से उपरोक्त बिन्दुओं पर बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन सही मायनों में मीटिंग समय की बरबादी और बेनतीजा निकली.
हालांकि वित्त मंत्री ने प्रेस को यह बताने का प्रयास किया की सभी सदस्यों ने मिलकर राजस्व बढ़ाने पर विचार किया और बाकी बातें आने वाली मीटिंग तक बढ़ा दी गई.
राजस्व सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि थर्ड पार्टी सूचना का सहारा लिया जाएगा ताकि जो व्यापारी रजिस्टर्ड नहीं है और टैक्स चोरी कर रह है, उसे पकड़ा जायेगा. उदाहरण के तौर पर मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र बिजली विभाग से कमर्शियल कनेक्शन की सूची निकाली जाएगी और अनरजिस्टर्ड व्यापारी की जांच होगी.
कुल मिलाकर छोटे छोटे निर्णय और स्पष्टीकरण जारी कर मीटिंग खत्म कर दी गई और इस बात पर जोर दिया कि देश में जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारी जो कि अभी १.४० करोड़ है, उनकी संख्या बढ़ाई जाए ताकि राजस्व बढ़े.
रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को और सरल एवं तेज बनाने की कोशिश की गई है ताकि रजिस्ट्रेशन का संख्या बल बढ़ाया जा सके. जैसे कि आयकर में ८ करोड़ लोग रिटर्न भरते हैं लेकिन आयकर भरने वाले मात्र १.५० करोड़ है.
अब जीएसटी में रजिस्टर्ड १.४० करोड़ व्यापारी में से मात्र १० लाख व्यापारी ९५% जीएसटी जमा करते हैं. ऐसे में जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारी को बढ़ाने से भ्रष्टाचार ज्यादा होगा राजस्व नहीं बढ़ेगा.
सरकार को समझना होगा राजस्व करदाता के साथ मिलकर काम करने से बढ़ता है, नियमों को सरल बनाने से बढ़ता है, कानून को तर्कसंगत बनाने से बढ़ता है और व्यापारी की बात समझने से बढ़ता है न कि कठोर कदमों से या डराकर या रजिस्टर्ड व्यापारी बढ़ाकर.
जीएसटी काउंसिल मीटिंग ने एक बात तो साबित कर दी की सभी राज्य और सभी राजनीतिक दल केवल वोट बैंक से मतलब रखते हैं. आम जनता की सिर्फ चैनलों पर बात करते हैं लेकिन जहां निर्णय लिया जा सकता है वहां सब मौन रहकर देश की आर्थिक नीति कुछ अधिकारियों के ऊपर छोड़कर अपनी रोटी सेंकने में लग जाते हैं. अधिकारी का यदि निर्णय सही रहा तो नीति सही नहीं तो जनता तो भुगत ही रही है.
*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर ९८२६१४४९६५*
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