सारांश: ऑनलाइन जुए और लॉटरी जीत पर 31.2% का भारी आयकर लगाया जाता है, जिसका कोई रिफंड नहीं मिलता, जो प्रतिभागियों के बीच चिंता का विषय बन गया है। जबकि कुछ व्यक्ति जल्दी ही बड़े धनराशि जीत सकते हैं, अधिकांश लोग महत्वपूर्ण राशि जीतने के लिए वर्षों तक प्रयास करते हैं, केवल भारी कर का बोझ उठाने के लिए। युवा वर्ग तेजी से ऑनलाइन प्लेटफार्मों की ओर रुख कर रहा है, इन खेलों में महारत हासिल करने में समय बिता रहा है, अक्सर माता-पिता या सरकारी हस्तक्षेप के बिना। हालांकि स्पष्ट जोखिम हैं, सरकार ने इस क्षेत्र को प्रभावी रूप से नियंत्रित नहीं किया है, और ऑनलाइन गेम इन्फ्लुएंसर्स को भी सम्मानित किया गया है। आलोचकों का तर्क है कि इस तरह की भारी कराधान युवाओं को अवैध रास्तों और क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग की ओर धकेल सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था से धन बाहर जा सकता है। वर्तमान कर प्रावधान, जो धारा 194B, 194BB, और 194BBJ के अंतर्गत आते हैं, जुए की जीत पर सख्त नियम लागू करते हैं, जिसमें जीत पर स्रोत पर कर कटौती की आवश्यकता होती है, और अनुपालन न करने पर गंभीर दंड का प्रावधान होता है। उल्लेखनीय है कि विजेता अपने कर योग्य आय से कोई व्यय या हानि की कटौती नहीं कर सकते, जिससे शुद्ध जीत पर भारी कर लगता है। ऑनलाइन गेमिंग और जुए की बढ़ती लोकप्रियता को नियमित आय के स्रोत के रूप में देखने के साथ, लेख सरकार से इस आय को सामान्य व्यापारिक आय के रूप में वर्गीकृत करने और आवश्यक कटौती और रिफंड की अनुमति देने की मांग करता है, ताकि इसे औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल किया जा सके।
यदि हम इक्का-दुक्का लोगों को छोड़ दें जो अपने पहले या दूसरे प्रयास में ही बड़ी रकम सट्टे में जीत जाते हैं, तो हम पाएंगे कि लोग बरसों का समय बर्बाद करने के बाद जुए सट्टे गेम में रकम जीत पाते हैं।
वे और हैरान तब हो जाते हैं जब उन्हें पता चलता है कि इस रकम का एक तिहाई हिस्सा आयकर विभाग को चला जाएगा टैक्स के रूप में और यह टैक्स किसी भी प्रकार से रिफंड भी नहीं होगा चाहे उनकी आय पर कटे हुए टैक्स के बराबर टैक्स बनता भी न हो।
आज के समय इसमें कोई संदेह नहीं कि युवा वर्ग की रेगुलर आमदनी का स्त्रोत आनलाइन माध्यम बन गया है और वे अपने सालों का समय इन खेलों और सट्टों को समझने एवं महारत हासिल करने में लगा देते हैं। समय की मांग को देखते हुए न मां-बाप बच्चों को रोक पाते हैं और न ही सरकार कोई रोक लगा पाई है। उल्टा प्रधानमंत्री द्वारा ऐसे आनलाइन गेम इन्फूलेंसर युवाओं को सम्मानित किया गया है जिनके लाखों करोड़ों में फालोवर्स है।
क्या सरकार को नहीं समझना चाहिए कि ऐसे स्रोत से हो रही आय के उचित मापदंड होने चाहिए? इतनी भारी टैक्स कटौती का प्रावधान युवा वर्ग को ऐसे चैनलों में ले जाएगा जो गैर कानूनी होंगे और सरकार के रेडार से बहार होंगे। क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग बढ़ेगा और काले धन का उपयोग होगा। अर्थव्यवस्था में पैसा आने की बजाय बाहरी लोगों के पास जाएगा।
जरूरत है ऐसी आय को भी सामान्य व्यापारिक आय का दर्जा दिए जाने की- जिसमें सभी प्रकार की छूटें प्रावधान अनुसार मिलें और टैक्स रिफंड भी, क्योंकि यह तो तय है कि आने वाले समय में आनलाइन गेमिंग सट्टा वृहद स्तर पर बढ़ेगा और सामान्य जन जन के बीच आय का एक नियमित और महत्वपूर्ण साधन बनेगा।
आइए आयकर के उन प्रावधानों को समझें जो आज हम पर इन जुए सट्टे की आय पर लागू है:
१. आयकर की धारा १९४ बी, १९४ बीबी और १९४ बीबीजे सभी प्रकार के जुए सट्टे की आय पर लागू होती है।
2. यह धाराएं कहती हैं कि इनाम देने वाले को ३१.२% का आयकर काटकर जीतने वाले को जीती हुई रकम देनी होगी।
3. ऐसा नहीं करने पर इनाम देने वाले पर टैक्स कटौती जो वह नहीं कर पाया, उसके बराबर की पेनल्टी चुकानी होगी और न केवल पेनल्टी बल्कि टैक्स कटौती की रकम ज्यादा होने पर ३ महीने से लेकर ७ साल तक की जेल होने का भी प्रावधान बनाया गया है।
4. साफ है कड़े प्रावधान होने से इनाम देने वाला किसी भी प्रकार की चूक करने से बचेगा।
5. इसके अलावा यदि इनाम किसी वस्तु के माध्यम से दिया जा रहा है तो इनाम देने वाले को इसका आयकर या तो अपनी जेब से भरना होगा या फिर जीतने वाले से पैसे लेकर भरना होगा।
6. मतलब साफ़ है जीतने वाले को अपने इनाम का एक तिहाई हिस्सा आयकर के रूप में जमा करना ही होगा।
7. इस आय पर किसी भी प्रकार की कोई भी छूट आयकर की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत उसे प्राप्त नहीं होगी।
8. आयकर टैक्स कटौती का कोई भी रिफंड उसे प्राप्त नहीं होगा चाहे उसकी आय किसी भी स्लेब में हो।
9. आनलाइन गेमिंग में आय की गणना को नियम १३३ में समझाया गया है।
10. धारा १९४ बी में आने वाली आय है – लाटरी, क्रासवर्ड पजल, फेन्टसी स्पोर्ट्स, जुआ, टीवी शो, ताश पत्ती और दोड़ पर सट्टा।
11. धारा १९४ बीबी में शामिल हैं घुड़ दौड़ से होने वाली आय।
12. धारा १९४ बीबीजे जो की ०१/०४/२०२३ से लागू हुआ है – उसमें शामिल हैं आनलाइन गेमिंग में होने वाली शुद्ध आय जैसे की ड्रीम ११, पेटीएम फर्स्ट गेम, गेम्स क्राफ्ट, आदि।
13. आयकर तो कट जाता है लेकिन किसी भी प्रकार के खर्च की या नुकसान की कोई कटौती नहीं मिलती है।
14. इसके बावजूद भी जन सामान्य में आनलाइन जुए सट्टे का प्रभाव और दिवानापन बढ़ता जा रहा है।
15. साफ है आज का जन सामान्य इसे नियमित आय के रूप में देख रहा है जिस पर सरकार या बड़े बुजुर्गो द्वारा लगाई जा रही बंदिशें बेमानी साबित हो रही है।
ऐसे में अब जरूरी है कि सरकार ऐसी आय को अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा समझते हुए आयकर के नियमों में उचित बदलाव करें ताकि लोग इसे एक व्यापार का जरिया समझें न कि जुआ सट्टा!