Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

Summary: राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में दो प्रमुख आडिट फर्मों, बीएसआर एंड कंपनी (केपीएमजी का भारतीय यूनिट) और लोधा एंड कंपनी द्वारा किए गए आडिट में खामियों को उजागर किया है। एनएफआरए की रिपोर्ट में चार प्रमुख खामियों की पहचान की गई है: (1) रिलेटेड पार्टी लेन-देन की सही रिपोर्टिंग में कमी, (2) व्यक्तिगत खर्चों को व्यापारिक लेन-देन के रूप में दिखाना, (3) आडिट स्वतंत्रता पर समझौता, और (4) आडिट कागजात और वर्किंग पेपर्स की कमी। रिपोर्ट के अनुसार, बीएसआर एंड कंपनी ने 550 करोड़ रुपये के लेन-देन की सही रिपोर्टिंग नहीं की, जबकि लोधा एंड कंपनी ने अपने आडिट निष्कर्षों को दस्तावेजों के माध्यम से साबित नहीं किया। इसके अलावा, कागजात को हार्ड कापी में रखने के बजाय डिजिटल रूप में रखा जाना चाहिए था। इन खामियों से आडिट क्वालिटी की कमजोरियां सामने आईं, जो आडिट की निष्पक्षता और मानकों की अवहेलना को दर्शाती हैं। सीए अनिल अग्रवाल ने इस मुद्दे पर आडिट फर्मों को सुधार की आवश्यकता की बात की, ताकि आडिट क्वालिटी में सुधार हो और भविष्य में किसी भी अधिकारी द्वारा उनकी क्षमता पर सवाल न उठाए जाएं।

एनएफआरए द्वारा अपने पोर्टल पर प्रकाशित जांच रिपोर्ट में दो बड़ी आडिट फर्मों द्वारा वित्तीय वर्ष २२-२३ में किए गए आडिट में खामियां बताई गई. यह दो फर्में है – बीएसआर एंड कंपनी जो कि केपीएमजी का भारतीय युनिट है और लोधा एंड कंपनी. जांच दिसंबर २०२३ में शुरू की गई एवं उसकी रिपोर्ट १९/१२/२४ को पोर्टल पर जारी की गई.

*एनएफआरए ने चार प्रमुख बिंदुओं पर खामियां बताई गई:*

 1. रिलेटेड पार्टी लेन-देन की जांच में खामियां

2. व्यापारिक पैसे का व्यक्तिगत लेन-देन एवं खर्च व्यापार में बताना

3. आडिट स्वतंत्रता के साथ समझौता करना एवं

4. आडिट कागजात रखने में खामियां

सबसे पहले एनएफआरए ने रिलेटेड पार्टी लेन-देन की सही जानकारी और तरीके से रिपोर्टिंग न करने पर उक्त फर्मों को फटकार लगाई। ५५० करोड़ रुपए का लेन-देन बीएसआर कंपनी द्वारा सही तरीके से रिपोर्टिंग न करना आडिट क्वालिटी स्टेंडर्ड का पालन नहीं हैं।

इसके बाद कंपनी अधिनियम की धारा १४३(१)e एवं धारा १८५ के अनुपालन की सही तरीके से रिपोर्टिंग न करना बताया गया जिसके अंतर्गत व्यक्तिगत लेन-देन को व्यापारिक खर्च के रूप में दर्शाना और कंपनी के पैसे का निदेशकों द्वारा अपने व्यक्तिगत उपयोग में लाना – आडिट में जांच में कमी पाई गई।

तीसरा आडिट की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाए गए, जिसमें पाया गया कि ब्रांच आडिट करने वाले आडिटर हेड आफिस के प्रेशर में काम करते हैं जिससे आडिट क्वालिटी में फर्क पड़ता है और आडिट की स्वतंत्रता बाधित होती है।

आखिर में आडिट वर्किंग पेपर्स और कागजातों में कमी और सही ढंग से नहीं रखने को चिन्हित किया गया। बताया गया कि लोधा एंड कंपनी द्वारा अपने आडिट के निष्कर्षो को कागजात के माध्यम से नहीं साबित किया गया। इसके अलावा कागजातों को हार्ड कापी में ज्यादा तरहीज दीं गई जबकि एनएफआरए के अनुसार डिजिटल फार्म में होना ज्यादा जरूरी है ।

*उपरोक्त चार बिंदुओं पर नजर डालें तो हम पाएंगे कि हर आडिट और आडिट क्वालिटी के लिए हर आडिट फर्म को ध्यान देना होगा खासकर आडिट डाक्यूमेंटेशन को लेकर, क्योंकि आडिट रिपोर्ट में हम निष्कर्षो पर काफी विस्तार से लिखते हैं एवं डिस्क्लेमर देते हैं लेकिन किस आधार पर या कागजातों पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे, इसका कोई भी एविडेंस नहीं पाया जाता। साथ ही निदेशकों और इनसे संबंधित संस्थानों द्वारा किए गए लेन-देन की विवेचना सही ढंग से आडिट में नहीं होना हमारी आडिट क्वालिटी की खामियों को उजागर करता है जिस पर अक्सर हमें फटकार लगाई जाती है।*

*आज सही समय है कि हम इन खामियों से उबर कर आडिट क्वालिटी के स्टेंडर्ड के और ऊंचे आयाम स्थापित करें ताकि सरकार या अन्य कोई भी अथारिटी हमारी काम्पीटेंसी पर कभी सवाल न उठा सके।*

*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर ९८२६१४४९६५*

Sponsored

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Ads Free tax News and Updates
Sponsored
Search Post by Date
December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031