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सारांश: राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने समूह लेखा परीक्षकों की प्रथाओं, विशेष रूप से गहन समीक्षा के बिना सहायक लेखा परीक्षकों की रिपोर्ट पर उनकी निर्भरता के बारे में चिंता जताई है। एनएफआरए ने कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड के मामले का हवाला दिया, जहां सहायक कंपनियों के माध्यम से प्रमोटरों द्वारा कथित तौर पर धन का दुरुपयोग किया गया था। समूह ऑडिटर, सहायक ऑडिटरों की स्वच्छ ऑडिट रिपोर्ट पर भरोसा करते हुए, मुख्य ऑडिट में धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने में विफल रहा, जिससे निवेशकों को गुमराह किया गया। रिलायंस कैपिटल, आईएलएंडएफएस और सीजी पावर के ऑडिट में भी इसी तरह के मुद्दे सामने आए थे। एनएफआरए ने इस बात पर जोर दिया कि ऑडिटर केवल प्रबंधन घोषणाओं या सहायक ऑडिट रिपोर्टों पर भरोसा करके जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं। इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए, एनएफआरए ने ऑडिट मानक 600 को संशोधित करने की योजना बनाई है, जो समूह लेखा परीक्षक द्वारा सहायक लेखा परीक्षकों के काम की व्यापक समीक्षा और मूल्यांकन को अनिवार्य करता है। इन संशोधनों को अंतिम रूप देने के लिए एनएफआरए आरबीआई, सेबी, आईसीएआई और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के साथ एक संयुक्त बैठक करेगा। प्रस्तावित परिवर्तनों का उद्देश्य समूह लेखा परीक्षकों की जवाबदेही को बढ़ाना है, यह सुनिश्चित करना है कि वे अपर्याप्त ऑडिटिंग के बचाव के रूप में गलत सहायक ऑडिट रिपोर्ट का हवाला नहीं दे सकें। एनएफआरए का रुख यह स्पष्ट करता है कि निवेशकों और अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए लेखा परीक्षकों को अपनी जांच का दायरा बढ़ाना चाहिए और चुनौतियों की परवाह किए बिना सटीक रिपोर्ट देनी चाहिए।

नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथारिटी जो लिस्टेड कंपनी के आडिटर के कार्य की जांच हेतु सबसे बड़ी एजेंसी है – उसने मुख्य या ग्रुप आडिटर के काम में नाराजगी व्यक्त करते हुए खामियां बताई है। ख़ासकर ग्रुप आडिटर द्वारा सहायक कंपनियों के आडिटर द्वारा दी गई साफ आडिट रिपोर्ट का सहारा लेकर खामियां रिपोर्ट नहीं की जाती है और जिससे पैसों का गबन इन लिस्टेड कंपनियों द्वारा किया जाता है।

एनएफआरए ने लिस्टेड कंपनी काफी डे इंटरप्राइजेज लिमिटेड का उदाहरण देते हुए बताया कि साफ दिख रहा था कि पब्लिक के पैसे को ग़लत ढंग से प्रोमोटर्स द्वारा संचालित सहायक कंपनियों में निवेश कर दिशा दी गई थी लेकिन सहायक कंपनियों के आडिटर द्वारा रिपोर्ट में इसकी जानकारी न होने के आधार पर मुख्य आडिटर ने इस फ्राड फंड डाइवर्जन के बारे में मुख्य आडिट रिपोर्ट में न बताकर प्रोमोटर्स के साथ मिलकर आम निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करी है। यही बात और खामियां रिलायंस कैपिटल, आईएल एंड एफएस और सीजी पावर की रिपोर्ट में भी सामने आई थी।

एनएफआरए ने कहा की आडिटर मैनेजमेंट डिक्लेरेशन और रिपोर्ट के आधार पर अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं जो उचित नहीं है।

इन खामियों को दूर करने हेतु और आडिट मानक ६०० को संशोधित कर लागू करने के लिए एनएफआरए अगले हफ्ते आरबीआई, सेबी, आईसीएआई और कंपनी मंत्रालय के साथ एक संयुक्त मीटिंग करेगा ताकि मुख्य आडिटर की जवाबदेही तय हो सकें ख़ासकर सहायक आडिटर की रिपोर्ट पर किस हद तक विश्वास किया जा सके। एनएफआरए का मानना है कि मुख्य आडिटर सहायक आडिटर का बहाना बनाकर गलत रिपोर्टिंग कर रहे हैं जिससे निवेशकों को नुक़सान हो रहा है। सहायक आडिटर के कार्य की बिना समीक्षा किए आडिट का कार्य प्रोमोटर्स के फायदे के लिए किया जा रहा है जो कि अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक है।

संशोधित अंतरराष्ट्रीय आडिट स्टेंडर्ड ६०० क्या कहता है:

१. मुख्य आडिटर को सहायक आडिटर द्वारा किए गए कार्य की पूर्णतः जांच एवं समीक्षा करनी होगी।

2. सभी तरह के कागजातों एवं सबूतों के आंकलन के बाद ही आडिट रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी होगी।

3. मुख्य आडिटर और सहायक आडिटर के बीच एक मजबूत सामांजस्य और सूचना का आदान प्रदान होना जरूरी है।

4. नैतिक जिम्मेदारी को निभाना होगा।

5. सहायक आडिटर की योग्यता और काबिलियत की जांच करनी होगी।

6. किस हद तक सहायक आडिटर के कार्य की जांच और समीक्षा होगी, यह तय करना होगा और साथ ही पता लगाना होगा कि सहायक आडिटर का प्रोमोटर्स के साथ कितना गहरा ताल्लुक़ात है।

साफ है कि एनएफआरए संशोधित आडिट मानक ६०० लागू करना चाहता है ताकि मुख्य आडिटर जब पूरे ग्रुप के खातों पर रिपोर्ट कर रहा है तो सहायक आडिटर की ग़लत रिपोर्ट का हवाला न दे सकें। यह जवाबदारी पूर्णतः मुख्य आडिटर की होगी यदि सहायक कंपनियों के माध्यम से प्रोमोटर्स द्वारा पैसे का गबन किया जाता है और इसलिए अब मुख्य आडिटर के निर्देश और जांच के दायरे में ही सहायक आडिटर को काम करना होगा।

उपरोक्त एनएफआरए के व्यक्तव से यह साफ है कि आडिटर को अपनी जांच का दायरा बढ़ाना होगा। प्रबंधन द्वारा डिक्लेरेशन देने से या ब्रांच/ सहायक आडिटर की रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्टिंग नहीं की जा सकती। व्यवहारिक समस्या को दरकिनार करते हुए एनएफआरए चाहता है कि लिस्टेड कंपनियों का आडिट या तो जिम्मेदारी से करें अथवा न करें। ऐसे में आडिट करना अब एक कठिन कार्य होता जा रहा है। आडिट से आडिटर न दूर हो इसलिए सीए संस्थान को चाहिए कि मानक के साथ आडिट कागजात और सबूत की गाइडलाइंस भी जारी करें ताकि आडिटर यह बता सकें कि उसके द्वारा कार्य पूरी सजगता से किया गया और किसी भी प्रकार की खामी उसके द्वारा नहीं बरती गई।

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