Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

हाल में ही डोलो 650 टेबलेट बनाने वाली कंपनी माइक्रो लेब पर आयकर रेड के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आये.

कोरोना काल में देश में सबसे ज्यादा टेबलेट बिकने का रिकॉर्ड दर्ज करने वाली कंपनी ने फर्जी रुप से मेडिकल संस्थानों और डाक्टरों को 1000 करोड़ रुपये का खर्च सेल्स प्रमोशन के नाम पर डाला गया.

फीवर कम करने वाली यह दवाई के 350 करोड़ टेबलेट की बिक्री दर्ज की गई और कंपनी ने सारे खर्च काटकर 400 करोड़ रुपये अपनी कमाई में दर्ज किए.

स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े डाक्टर और पैशेवरों पर कंपनी ने जमकर पैसे खर्च किए. इनका घूमना फिरना, सेमिनार खर्च, मेडिकल प्रोमोशन, जागरूकता कार्यक्रम आदि के नाम पर अपनी किताबों में करीब 1000 करोड़ रुपये के खर्च डाले गए.

यही नहीं इसके अलावा आयकर की धारा के अन्तर्गत विशिष्ट खर्चों की छूट, रिसर्च एंड डेवलपमेंट छूट, नए युनिट पर सब्सिडी एवं छूटें आदि का उपयोग कर करीब 300 करोड़ रुपये की कर चोरी के दस्तावेज भी विभाग के पकड़ में आए हैं.

और शायद यही कारण है कि सरकार ने सेल्स प्रमोशन के नाम पर अनाप शनाप खर्च करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए धारा 194 आर को 01/07/2022 से लागू कर दिया.

जिस तरह माइक्रो लेब ने पैसे बांटकर मेडिकल पैशेवरों से डोलो टेबलेट लिखवाकर उसकी बिक्री में जबरदस्त इजाफा किया, भले ही वे मरीज के लिए जरुरी थी या नहीं. ऐसे गैर जिम्मेदाराना और असमाजिक खर्च का फर्जीवाड़ा रोकने हेतु धारा 194 आर को लागू किया गया.

इनकम टैक्स एक्ट के नए सेक्शन 194R में कहा गया है कि कोई बिजनेस (कंपनी) अगर दूसरे व्यक्ति को कोई ऐसा बेनेफिट देती है जिसका संबंध उसके बिजनेस या प्रोफेशन से है तो उसे उस पर 10 फीसदी (उसकी वैल्यू पर) TDS काटना होगा।

1. इस सेक्शन में टीडीएस सिर्फ रेजिडेंट पर्सन को पेमेंट करने पर टैक्स ही काटा जायेगा, नॉन – रेजिडेंट के केस में यह सेक्शन लागू नहीं होगा।

2. ऐसे पर्सन द्वारा टैक्स नहीं काटा जायेगा , जिनका बिज़नेस टर्नओवर 1 करोड़ से कम हो। प्रोफेशन के केस में यह लिमिट 50 लाख की होगी।

3. रेजिडेंट पर्सन को दिए जाने वाले बेनिफिट्स नकद में भी हो सकते है या प्रकार (कार , बाइक, टिकट्स, प्रोडक्ट, आदि) में भी, या दोनों में भी।

4. सेक्शन 194 आर में टीडीएस उस केस में कटेगा, जब दिए गए बेनिफिट्स या लाभ की कुल राशि एक फाइनेंसियल ईयर में 20 हजार से ज्यादा की हो।

5. यह सेक्शन 1 जुलाई 2022 से एप्लीकेबल होगा, लेकिन 20 हजार की लिमिट की कैलकुलेशन में अप्रैल 2022 से 30 जून 2022 तक के पीरियड के बेनिफिट्स को भी शामिल किया जायेगा।

6. 20 हजार से ज्यादा के बेनिफिट्स होने पर सेक्शन 194 आर में 10 % की रेट से टैक्स काटा जायेगा।

7. टैक्स डिडक्टर (बेनिफिट देने वाले पर्सन ) द्वारा यह चेक नहीं किया जायेगा कि प्राप्तकर्ता के हाथों में बेनिफिट की राशि टैक्सेबल है या नहीं।

8. अगर यह पूरी तरह से वस्तु में है या कुछ पार्ट नकद में और कुछ पार्ट वस्तु में, और नकद की राशि टैक्स के लिए पर्याप्त नहीं है , तो टैक्स डिडक्टर द्वारा ये बेनिफिट्स प्राप्तकर्ता को उसी केस में दिए जायेंगे जब प्राप्तकर्ता ने पर्याप्त टैक्स की राशि जमा करवा दी हो।

जैसे – कंपनी द्वारा किसी डीलर को टारगेट अचीव करने पर बाइक गिफ्ट में दी जाती है, तो कंपनी द्वारा बाइक डीलर को उसी केस में दी जाएगी, जब डीलर द्वारा टीडीएस की राशि जमा कर दी हो।

9. डिडक्टर की यह जिम्मेदारी नहीं है कि बेनिफिट्स की राशि प्राप्तकर्ता के हाथों में टैक्सेबल है या नहीं, उसको सिर्फ टीडीएस काटना है।

यानि की अगर लाभ एक कैपिटल असेट्स है, तो भी डिडक्टर द्वारा इस पर टैक्स काटा जायेगा।

10. कैपिटल असेट्स पर टैक्स नहीं लगाया जाता है, इसलिए यह मतभेद का विषय था कि इस तरह के बेनिफिट पर टीडीएस काटा जायेगा या नहीं।

लेकिन, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कैपिटल असेट्स देने पर भी टीडीएस काटने की जिम्मेदारी तय करके इस मतभेद को खत्म कर दिया है.

*मतलब साफ है कोई भी खर्च कंपनी द्वारा व्यापारिक उद्देश्य से किया जाता है और उससे दूसरे व्यक्ति को साल में 20000/- रुपये से ऊपर का लाभ नकद या वस्तु के रूप में मिलता है , तो फिर कंपनी की जबाबदारी होगी की लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्ति का 10% आयकर काटें चाहे उस दूसरे व्यक्ति को टैक्स लगता हो या नहीं, अन्यथा कंपनी द्वारा किया गया पूरा खर्च अमान्य होगा और आय में जोड़ दिया जावेगा.*

*शायद डोलो टेबलेट जैसी प्रवृत्ति को रोकने के लिए जनहित में धारा 194 आर जरुरी थी.*

*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965*

*****

Disclaimer: The contents of this article are for information purposes only and do not constitute an advice or a legal opinion and are personal views of the author. It is based upon relevant law and/or facts available at that point of time and prepared with due accuracy & reliability. Readers are requested to check and refer relevant provisions of statute, latest judicial pronouncements, circulars, clarifications etc before acting on the basis of the above write up.  The possibility of other views on the subject matter cannot be ruled out. By the use of the said information, you agree that Author / TaxGuru is not responsible or liable in any manner for the authenticity, accuracy, completeness, errors or any kind of omissions in this piece of information for any action taken thereof. This is not any kind of advertisement or solicitation of work by a professional.

Sponsored

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Sponsored
Search Post by Date
August 2024
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031