Goods and Services Tax : The provisions for tax and penalty determination under the currently applicable Section 73 (Nonfraud cases) and Section 74 (Fraud ...
Goods and Services Tax : बजट 2024 में GST की धारा 73 और 74 को हटाकर नई धारा 74A लागू की �...
Income Tax : Explore the new Section 128A proposed in Budget 2024, detailing tax relief for non-fraud cases under Section 73. Learn how this im...
Income Tax : Explore controversy surrounding Section 87A of Income Tax Act and its impact on short-term capital gains. Learn why rebate was sud...
Goods and Services Tax : Discover the challenges faced by dealers when GST ITC is blocked. Learn expert advice, legal insights, and potential actions to re...
Goods and Services Tax : गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसियों को जीएसटी कर का फॉरव...
Goods and Services Tax : Goods Transport Agencies have to submit Annexure V to opt for Forward charge of Tax and for the Financial Year 2023-24 and the d...
Goods and Services Tax : AIMTPA – All India MSME and Tax Professionals Association has invited two GST Experts on it’s Platform on 24th July 2021 and a...
Goods and Services Tax : The Goods and Service Tax – An Introductory study written by CA Sudhir Halakhandi in the ICAI CA Journal at the time of start of...
ध्यान रखें इस समय सरकार पूरा प्रयास कर रही है कि किसी भी तरह से जीएसटी से जुडी समस्याएँ हल कर करदाताओं को राहत दी जा सके और देर से ही सही इस और से सकारात्मक संकेत आने लगे है और यह एक उम्मीद जगाता है कि अब उलझे हुए जीएसटी को सुलझा लिया जाएगा लेकिन इन प्रयासों को और गति देने की आवश्यकता है और समस्याओं को सुलझाने के लिए विभागीय अधिकारियों के साथ जमीनी स्तर पर जुडे जीएसटी विशेषज्ञों की मदद ले और इस समय नए प्रयोग करना जैसे “इनपुट क्रेडिट का 20%” वाले प्रावधान फिलहाल स्थगित रखे.
The GSTR-9 is a very complicated return form and once I have described it as a ‘Round Square’. It is not a simple return and like most of the cases of GST procedures simplification is missing from this form also and further filing instructions attached with this Return form are also confusing.
कार , स्कूटर्स , मोटर साइकल्स इत्यादि यदि आप अपने व्यवसाय के लिए खरीदते हैं या उनकी मरम्मत कराते हैं , टायर बदलवाते हैं और इस पर जीएसटी का भुगतान करते हैं तो क्या आप इसकी इनपुट क्रेडिट ले सकते हैं क्या ? यह सवाल कई बार पूछा जाता रहा है तो आइये आज इस […]
इस समय की सरकार का आम चुनाव के पहले जो अंतरिम बजट इस समय वित्त मंत्री श्री पीयूष गोयल ने पेश किया उसमें यह तो उम्मीद थी कि आयकर में कुछ तो छूट मिलेगी ही और इस सम्बन्ध में ये उम्मीद कुछ हद तक पूरी तो हुई ही है और अब 5 लाख तक की कुल आय पर कोई कर नहीं देना पडेगा. आइये इसे और अन्य परिवर्तनों को ध्यान से देखें कि आखिर इस अंतरिम बजट में हुआ क्या है कर प्रस्तावों को लेकर.
भारत में लगने वाले जीएसटी के बारे में सोचे तो कभी –कभी एक नाम आता है जहन में और वो नाम है जीएसटी एक्सपर्ट सुधीर हालाखंडी का . आइये आज उनसे एक मुलाक़ात करते हैं और अन्य बातों के साथ –साथ मालुम करते हैं कि कैसा रहा भारत में जीएसटी का 18 महीने का सफ़र और अब आगे उन्हें क्या चाहिए
सुधीर हालाखंडी जीएसटी कोंसिल की 32वीं मीटिंग: जीएसटी कौंसिल की ताजा मीटिंग के फैसले और उनके प्रभाव जीएसटी कौंसिल की 32वीं कौंसिल की मीटिंग 10 जनवरी को संपन्न हो गई और इसमें जैसी कि अपेक्षा थी लगभग उससे के अनुसार छोटे एवं मध्यम उद्योग एवं व्यापार के हित में जो फैसले लिए गए उनका और […]
जीएसटी कौंसिल की 32 वीं मीटिंग अब 10 जनवरी 2019 को हो रही है, माहौल और कारण कोई भी हो, जिनके कारण हम अब जीएसटी में तीव्र सुधारों की आशा कर रहें हैं , उनकी गहराई में जाने की जगह , आइये देखें इस मीटिंग से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं क्यों कि अब जीएसटी कौंसिल के त्वरित फैसले ही जीएसटी में उद्योग एवं व्यापार का विश्वास को ना सिर्फ पुन: स्थापित कर सकते हैं बल्कि जीएसटी को भी एक नया जीवन दे सकते हैं :-
When goods and service tax was introduced in India in July 2017 and first returns were filed in the Month of Aug. 2018, the first most controversial aspect of the GST was surfaced in the form of GST Late fees.
जीएसटी के दौरान रिटर्न देरी से पेश किये जाने के लिए लेट फीस के प्रावधान बनाये गये थे उनके बारे में जीएसटी विशेषज्ञ प्रारम्भ से ही सहमत की नहीं थे क्यों कि जीएसटी कानून नया था और ये लेट फीस के कानून ना सिर्फ सख्त थे बल्कि लेट फीस की राशि का डीलर द्वारा भुगतान किये जाने वाले कर की राशी से भी कोई संबंध नही था और इसके कारण हुआ यह कि जिन कर दाताओं के कोई कर की मांग नहीं थी उन्हें भी लेट फीस के रूप में हजारों रूपये की लेट फीस जमा करानी पड़ी थी.
जीएसटी के दौरान ई –वे बिल का एक प्रावधान है जिसके अनुसार 50 हजार से अधिक के माल की सप्लाई पर ई –वे बिल जारी करना होता है और इस प्रावधान को लेकर व्यापार और उध्योग प्रारम्भ से ही असहज महसूस करता रहा है और इस सम्बन्ध में प्रारम्भ से ही दो तरह की मांग की गई उनमें से एक तो थी कि इस फॉर्म की अनिवार्यता को 50 हजार रुपये से बढ़ा कर 2 लाख कर दिया जाए और दूसरी थी कि इस केवल एक राज्य से दूसरे राज्य को गई गई सप्लाई के दौरान ही लागू किया जाए अर्थात राज्य के भीतर की सप्लाई पर पर ई-वे से या तो मुक्ति दी जाए या कोई छूट दी जाये .