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अभी जारी धारा 73 (Unfraud cases ) और 74 (Fraud cases ) में कर एवं पेनाल्टी के निर्धारण के प्रावधान को हटा कर वित्तीय वर्ष 2024 -25 एक नयी धारा 74A प्रस्तावित है . धारा 73 और 74 अब केवल वित्तीय वर्ष 2023-2024 तक मामलो के सम्बन्ध में ही लागू रहेगी और उसके बाद के मामलों अर्थात वित्तीय वर्ष 2024- 25 और आगे के वर्षों में धारा 74A लागू हो जायेगी. वित्तीय वर्ष 2024 -25 धारा 74A दोनों धाराओं की जगह एक ही धारा होगी जिसके तहत कर एवं पेनाल्टी की गणना की जायेगी अर्थात अब फ्रॉड इत्यादि के केस और अनफ्रॉड के केस एक नयी धारा 74A के तहत आयेंगे और यह वितीय वर्ष 2024 -25 से लागू होगा. आइये समझे कि आखिर किया क्या गया है इस परिवर्तन के जरिये और पहले से अर्थात इस समय 2023-24 वित्तीय वर्ष तक लागू धारा 73 और 74 क्या है क्यों कि बिना धारा 73 और 74 को समझे नए प्रावधान को समझना थोड़ा मुश्किल है .

आइये सबसे पह्ले यह देख लें कि इस समय 2023-24 वित्तीय वर्ष तक लागू जीएसटी कानून की धारा 73 और 74 क्या है . इसके लिए हम यदि इनके शीर्षक देखें तो हमें एक अनुमान तो लग ही जाएगा कि यह धाराएं किस परिस्तिथि में लागू है और इनका अर्थ क्या है :-

Section 73 :- Determination of Tax not paid or short paid or erroneously refunded or input credit wrongly availed or utilised for any reason other than fraud or any willful misstatement or suppression of facts.

आइये इस धारा के शीर्षक का हिंदी अनुवाद भी देख लें :-

धारा 73 :- धोखाधड़ी या किसी जानबूझकर गलत बयानी या तथ्यों को दबाने को छोड़कर किसी अन्य कारण से भुगतान न किए गए या कम भुगतान किए गए या गलती से रिफंड के माध्यम लौटाए गए कर या गलत तरीके से लिए गए उपयोग किए गए इनपुट क्रेडिट का निर्धारण ।

यहाँ ध्यान रखें ये सभी केस जिनका जिक्र इस धारा 73 के तहत किया गया है उन्हें आप कर कम चुकाना , गलती से रिफंड लेना , इनपुट क्रेडिट को गलत तरीके से लिया जाना के रूपों में समझ सकते हैं लेकिन इन सबका कारण कोई धोखाधड़ी , जानबूझ कर की गई गलतबयानी , तथ्यों को दबाना नहीं है इसलिए हम इस लेख में इस प्रकार की गलती को Nonfraud केस कहेंगे. आइये देखें कि धारा 73 के तहत प्रावधान क्या है :-

आइये देखें कि धारा 73 के तहत प्रावधान क्या है :-

जीएसटी की धारा 73 कर निर्धारण से संबंधित है जब कर का भुगतान नहीं किया गया है, कम भुगतान किया गया है, गलत तरीके से रिफंड लिया है, या इनपुट टैक्स क्रेडिट गलत तरीके से प्राप्त या उपयोग किया गया है और यह धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयान, या तथ्यों को छुपाने के अलावा अन्य कारणों से। इस धारा के तहत अधिकारी कारण बताओ नोटिस जारी करते हैं। नोटिस आदेश जारी करने के लिए निर्धारित समय से तीन महीने तक ही जारी किया जा सकता है। आइये अब देखने कि इस सम्बन्ध में आदेश जारी करने की अंतिम तिथि क्या है . आदेश वित्तीय वर्ष के वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथि से तीन साल के भीतर जारी किया जाना चाहिए। इस प्रकार इस धारा के तहत आदेश उस अवधि के वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथि के 3 साल पूर्व पूर्व जारी हो जाना चाहिए और इस सम्बन्ध में नोटिस आदेश जारी होने के लिए तय अवधि के तीन माह पूर्व हो जाना चाहिए . इस अवधि को आप ध्यान में रखिये क्यों कि इस नयी धारा के तहत परिवर्तित का दिया गया है .

धारा 73 स्वैच्छिक भुगतान पर दंड में छूट मिलती है। यदि नोटिस जारी होने के पूर्व कभी भी या नोटिस जारी होने के 30 दिनों के भीतर भुगतान कर देने पर केवल कर एवं ब्याज का भुगतान करना पड़ता है और ऐसा नहीं करने पर कर , ब्याज एवं दंड के रूप में कर का 10% या 10,000 रुपये , जो भी अधिक हो का भुगतान करना होगा. इस भुगतान के समय को भी नोट कर लीजिये और नयी धारा 74 A परिवर्तित कर दिया गया है .

यहाँ यह ध्यान रखिये कि धारा 73 के अधीन इसी धारा 73 के तहत नोटिस जारी किया जाता है जो इस बात का संकेत होता है कि जिस मामले में जो भी कर एवं ब्याज जमा कराना है वह किसी Unfraud Case से सम्बंधित है लेकिन नयी धारा जिसे हम आगे देखेंगे वहां जारी नोटिस इस बात की और कोई संकेत नहीं करता है .

आइये अब Fraud Case में वित्तीय वर्ष 2023-24 तक के लिए जारी धारा 74 भी देख ले :-

Section 74:- Determination of tax not paid or short paid or erroneluly refunded or input tax credit wrongly availed or utilised by reason of fraud or any willful mistatement or suppression of facts.

आइये देखें इस प्रावधान का हिंदी अनुवाद देख लें :-

धारा 24:- धोखाधड़ी या किसी जानबूझकर गलत विवरण या तथ्यों को दबाने के कारण भुगतान न किए गए या कम भुगतान किए गए या गलती से जारी किये गए रिफंड के जरिये वापस किए गए कर का निर्धारण या गलत तरीके से लिए गए या उपयोग किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट का निर्धारण।

आइये देखें यह धारा 74 क्या कहती है :-

जीएसटी की यह धारा 74 कर निर्धारण से संबंधित है जब कर का भुगतान नहीं किया गया है, कम भुगतान किया गया है, गलत तरीके से वापिस किया गया है, या इनपुट टैक्स क्रेडिट गलत तरीके से प्राप्त या उपयोग किया गया है, और यह सब धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयान, या तथ्यों को छुपाने के कारण हुआ है। इस धारा के तहत अधिकारी कारण बताओ नोटिस जारी करते हैं। नोटिस आदेश जारी करने के लिए निर्धारित समय से छह महीने पहले होना चाहिए। आदेश वित्तीय वर्ष के वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथि से पांच साल के भीतर जारी किया जाना चाहिए तो आपने देखा इस धारा 74 के तहत नोटिस वार्षिक रिटर्न भरने की नियत तिथि के 5 साल में से 6 माह कम रहते जारी हो जाना चाहिए और निर्धारण आदेश वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथि से 5 साल के भीतर जारी हो जाना चाहिए. इस अवधि को आप ध्यान में रख लें क्यों कि नयी धारा 74A जो कि वित्तीय वर्ष 2024 -25 और उसके बाद आने वाले वर्षो से जुड़े मामलो के लिए है में यह अवधि बदल दी गयी है .

इस धारा के तहत कर , ब्याज एवं दंड के रूप में कर , धारा 50 के तहत ब्याज एवं पेनाल्टी के रूप में कर का 100 प्रतिशत भुगतान करना होता है लेकिन स्वैच्छिक भुगतान पर भी दंड करने का प्रावधान भी है ।

यदि करदाता कारण बताओ नोटिस जारी होने से पहले भुगतान करता है, तो दंड केवल 15% ही होता है । नोटिस जारी होने के 30 दिनों के भीतर भुगतान पर दंड कर का 100 प्रतिशत की जगह 25 प्रतिशत ही जमा करना होता है । करदाता को ब्याज तो हर मामले में चुकाना पड़ता है।

यदि धारा 74 के तहत आदेश जारी होने के 30 दिनों के भीतर आप कर, ब्याज चुका देते हैं तो तो दंड 50% ही भुगतान करना होगा.

इसके बाद दंड की राशि कर की राशि के बराबर अर्थात कर की राशि का 100 प्रतिशत होता है .

दंड की राशि के बारे में इन प्रावधानों को और उनके प्रतिशत को भी ध्यान से देख लीजिये ताकि आप जब नयी धारा को देखें तो आपको समझने में आसानी रहे.

यह प्रावधान धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयान, या तथ्यों को छुपाने के कारण लागू होता है। इससे राजस्व की सुरक्षा और धोखाधड़ी की रोकथाम सुनिश्चित होती है।

प्रस्तावित नयी धारा 74 A

अब यहाँ यह ध्यान रखने कि पहले अर्थात अभी तक धारा 73 – बिना फ्रॉड इत्यादि के की गई गलती जिससे कर कम जमा हुआ है , या इनपुट क्रेडिट ज्यादा ले लिया गया है या रिफंड अधिक ले लिया गया है के लिए थी और धारा 74 फ्रॉड इत्यादि के तहत की गई इसी तरह की गलती के लिए थी. इन दोनों धाराओं में सक्षम अधिकारी नोटिस जारी करते समय ही धाराओं का उल्लेख करता था लेकिन अब ये दोनों गलतियां या अपराध एक ही धारा 74 A के तहत आ जायेंगे और गलती का कारण फ्रॉड है या नहीं यह केस की प्रक्रिया के दौरान तय किया जाएगा. हाँ एक बार तय हो जाने के बाद FRAUD एवं UNFRAUD के केस में कर एवं ब्याज तो चुकाना ही होगा लेकिन दंड की राशि अलग -अलग होगी. आइये देखें कि यह नयी धारा 74 A क्या कहती है .

नए प्रावधान में यह ध्यान रखने कि यदि कर की राशि जिसके बारे में नोटिस जारी किया जाना है वह एक वित्तीय वर्ष में 1000 रूपये से कम है तो कोई नोटिस इस धारा के तहत जारी नही किया जाएगा.

अब Fraud और Unfraud दोनों ही किस्म में केस में उस अवधि के वार्षिक रिटर्न भरने की निर्धारित तिथि से 42 माह के भीतर नोटिस जारी किया जा सकेगा और ध्यान रखें कि नोटिस जारी करते समय गलती का प्रकार तय नहीं करना है तो फिर नोटिस जारी करने का अलग -अलग समय हो ही नहीं सकता लेकिन ध्यान रखें कि Unfraud Cases के मामलों में जो की धारा 73 के तहत आते थे में यह समय सीमा वार्षिक रिटर्न भरने की निर्धारित तिथि 3 वर्ष थी और Fraud के केस में यह समय सीमा 5 वर्ष थी जिसे अब दोनों ही प्रकार के केस में 42 माह कर दिया गया है.

पिछली धारा 73 और 74 का अध्ययन करे तो यह स्पष्ट है कि बाकी सभी प्रावधान लगभग एक ही है लेकिन किस धारा के तहत गलती या अपराध आ रहा है इसका समय सरकार ने अपने या अपने अधिकारियों की सुविधा के बदल दिया है . अब सक्षम अधिकारी के पास केस की प्रक्रिया के दौरान ही पूरा समय और शक्तियाँ होगीं कि वह यह तय कर सके कि कोई केस समान्य गलती का है या फिर करदाता का उद्देश्य किसी फ्रॉड इत्यादि के तहत कर की चोरी करने का था लेकिन यहाँ एक बात और है कि अब डीलर को भी नोटिस जारी होने पर अपराध या गलती के प्रकार के सम्बन्ध में अपना पक्ष प्रस्तुत करने का पर्याप्त मौक़ा मिलेगा.

यहाँ यह ध्यान रखें कि सक्षम अधिकारी को नोटिस जारी होने के 12 महीने के भीतर इस सम्बन्ध में अपना आदेश- Order जारी करना होगा. इस समय जारी धारा73 एवं 74 में यह समय वार्षिक रिटर्न भरने की नियत अवधि से क्रमश : 3 वर्ष या 5 वर्ष था और नोटिस जारी करने का समय इस समय से तीन माह एवं 6 माह पूर्व था और कई बार जब नोटिस अंतिम समय में जारी किये जाते थे तो फैसला करने का समय कम मिल सकता था तो अब धारा 74 A के तहत यह समय आदेश जारी करने के 12 माह के भीतर जारी कर देना चाहिए.

यहाँ यह ध्यान रखें कि यदि सक्षम अधिकारी इस 12 माह की अवधि के दौरान आदेश जारी नहीं कर सके तो कमीशनर अथवा जॉइंट कमीश्नर , इसके कारण को लिखने के बाद , 6 माह और बढ़ा सकते हैं लेकिन ऐसा उन्हें मूल अवधि के समाप्त होने के पूर्व करना होगा.

आइये इस नए प्रावधान में कर , ब्याज और पेनाल्टी से जुड़े प्रावधान क्या है :-

आइये पहले देखें कि Non Fraud cases में ये नए प्रावधान क्या कहते हैं :-

1. यदि आप नोटिस जारी होने के पहले ही कर एवं धारा 50 के तहत निर्धारित ब्याज चुका देते हैं तो फिर आपको किसी भी तरह की पेनाल्टी जमा कराने की आवश्यकता नहीं है .

2. यदि आप इस सम्बन्ध में नोटिस जारी होने के 60 दिन के भीतर (पहले धारा 73 में यह समय 30 दिन था जैसा कि आपको ऊपर बाताया गया है) कर एवं ब्याज चुका देते हैं तो भी आपको किसी तरह की पेनाल्टी जमा कराने की आवशयकता नहीं है .

3. अन्य सभी मामलों में जहाँ आप ऊपर लिखे बिंदु संख्या 1 अथवा 2 का लाभ नहीं लेते हैं तो पेनाल्टी कर का 10 प्रतिशत या 20000.00 (SGST+CGST) रूपये जो अधिक होती है वह लगती है .

यहाँ भी आप ध्यान रखने कि धारा में परिवर्तन तो किया गया है लेकिन करदाताओं के लिए कोई सुधार नही किया है क्यों कि यदि कर की राशि मात्र 2500.00 रूपये भी है तो भी पेनाल्टी 20 हजार हो जायेगी जो कि तार्किक नहीं है इसमें सुधार की मांग प्रारम्भ से ही की जा रही है लेकिन इस परिवर्तित धारा 74 A में भी कोई सुधार नहीं किया गया है.

आइये देखें कि अब Fraud इत्यादि के केस में यह नया प्रावधान क्या कहता है :-

1. यदि आप Show Cause Notice जारी होने के पहले ही कर एवं ब्याज जमा करा देते हैं तो फिर आपको पेनाल्टी के रूप में कर का 15 प्रतिशत ही जमा कराना होगा.

2. यदि आप इस तरह का नोटिस जारी होने के 60 दिन के भीतर कर एवं ब्याज जमा करा देते है तो आपको पेनाल्टी के रूप में कर का 25 प्रतिशत जमा कराना होगा.

3. यदि आप इस सम्बन्ध में आर्डर जारी होने के 60 दिन के भीतर कर एवं ब्याज जमा करा देते है तो उसके साथ आपको पेनाल्टी के रूप में कर का 50 प्रतिशत जमा कराना होगा.

यदि यह सभी समय बीत जाते है तो फिर पेनाल्टी कर का 100 प्रतिशत होगी जिसका भुगतान डीलर को करना होगा.

इस प्रकार इस लेख में वित्तीय वर्ष 2023-24 तक जारी धारा 73 एवं 74 और इस बजट के द्वारा प्रस्तावित नयी धारा 74 A का ऊपर विवेचन किया गया है जिससे आपको यह भी समझ आ जाए कि परिवर्तन क्या हुआ है और पूरा नया सेक्शन 74 A क्या कहता है . इसके अतिरिक्त इस समय धारा 73 और 74 को कानून की किताब से हटाया भी नहीं गया है और वो भी 2023-24 वित्तीय वर्ष तक के केस तो अभी बाकी है इसलिए आप धारा 73 एवं 74 को अभी भूल नहीं सकते हैं .

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