-जीएसटी एक्सपर्ट सुधीर हालाखंडी के साथ एक इंटरव्यू- जीएसटी का 18 माह का सफ़र और अब क्या होना चाहिए
भारत में लगने वाले जीएसटी के बारे में सोचे तो कभी –कभी एक नाम आता है जहन में और वो नाम है जीएसटी एक्सपर्ट सुधीर हालाखंडी का . आइये आज उनसे एक मुलाक़ात करते हैं और अन्य बातों के साथ –साथ मालुम करते हैं कि कैसा रहा भारत में जीएसटी का 18 महीने का सफ़र और अब आगे उन्हें क्या चाहिए
प्रश्न :- जीएसटी जब भारत में लगा तब से आप इस पर लिख रहें हैं कैसे शुरू हुआ यह सिलसिला .
सुधीर हालाखंडी – जीएसटी तो भारत में लगा है जुलाई 2017 से लेकिन मेरा जीएसटी पर लिखना 2007 में शुरू हो चुका था जब मैंने ICAI के जर्नल में एक लेख जीएसटी के प्रारम्भिक स्वरूप और इसकी भारत में अवधारणा पर लिखा था. सब तभी से जीएसटी पर लेखन चल रहा है .
प्रश्न :- हिन्दी में जीएसटी पर या यों कहिये कि कर कानूनों पर हिन्दी में बहुत कम ही लिखा जाता है . आपने इस मिथक को कैसे तोड़ा और क्या आपको पता था कि आपका हिन्दी लेखन धीरे- धीरे इतना लोकप्रिय हो जाएगा.
सुधीर हालाखंडी – इसकी भी एक दिलचस्प कहानी है . 2007 से मैं जीएसटी पर लिख रहा था तब इस पर बहुत साहित्य उपलब्ध नहीं था और बहुत ही कम एक्सपर्ट इस विषय पर लिख रहे थे. लेकिन जैसे –जैसे जीएसटी लगने का समय नजदीक आया तो लिखने वालों की संख्या एकाएक कई गुणा बढ़ गई लेकिन हिन्दी में बहुत ही कम एक्सपर्ट लिख रहे थे . अब चूँकि लिखने वालों की संख्या बहुत अधिक थी इसलिए अब मेरे लिखे का अलग से कोई ज्यादा महत्त्व नहीं रह गया था और कुछ नया करने के लिए मैंने हिन्दी में जीएसटी पर लिखना शुरू किया .
इसका एक दूसरा कारण भी था कि हिन्दी भाषी क्षेत्र भारत में बहुत बड़ा है और इसके व्यवसायी वर्ग को जीएसटी पर हिन्दी में साहित्य की बहुत अधिक आवश्यकता थी और पहली बार ऐसा हुआ कि व्यवसायी वर्ग ने स्वयम कर कानून को पढ़ना और समझना शुरू किया जिसमें मेरे द्वारा लिखें लेखों से उन्हें बहुत मदद मिली ऐसा मुझे बार- बार बताया गया जिससे मेरा हिन्दी में निरंतर लिखना प्रारम्भ हो गया .
इसकी लोकप्रियता के बारे में तो मैं कुछ ख़ास नहीं कह सकता लेकिन एक बात आपसे शेयर कर सकता हूँ कि मैं कई वर्षों से अंग्रेजी में लिख रहा था तो कई बार मुझे खुद बताना पड़ता था कि मैंने कहाँ –कहाँ लिखा है लेकिन हिन्दी में लिखने के बाद लोग मुझे खुद बताते थे कि मेरे लेख उन्होंने कहाँ पढ़े है .
प्रश्न:- आइये अब बात करें जीएसटी की . चलिए आपके हिसाब से कैसा रहा यह अब तक का 18 माह का सफ़र.
सुधीर हालाखंडी – जीएसटी जब लगने वाला था तब भी मैंने कहा था कि यह एक अनिश्चितता से भरा कर है और इससे सरकार को वांछित राजस्व प्राप्त होगा या नहीं यह कर लगाने के पहले आंका नहीं जा सकता इसलिए सरकार को इस कर से प्रारम्भ में परेशानी आ सकती है . लेकिन इससे भी बड़ी परेशानी प्रक्रियाओं के कठिन होने की कारण आएगी इसकी कल्पना मुझे नहीं थी . जीएसटी की कठिन प्रक्रियाओं ने जीएसटी के राजस्व पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा को पीछे धकेल दिया है. यह एक दुर्भाग्य पूर्ण स्तिथी है .
प्रश्न:- जीएसटी की 18 माह के सफ़र में सबसे मुश्किल क्या लगा आपको.
सुधीर हालाखंडी – प्रक्रियाएं प्रारम्भ से ही काफी कठिन थी . हमारे राजनैतिक नेतृत्व ने जीएसटी भारत में एक दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ लागू कर अपना काम सफलता पूर्वक कर दिया जिसके लिए वे हमेशा बधाई के पात्र रहेंगे लेकिन इसे लागू करने की प्रक्रियाएं विशेषज्ञों को बनानी थी और यहीं गलती हुई है जिसे सुधारने के लिए हमारा राजनैतिक नेतृत्व लगातार प्रयास कर रहा है लेकिन कोई बात अगर बिगड़ गई है तो सुधारने में समय तो लगता ही है और यही लगता हुआ समय जीएसटी के लिए खतरनाक साबित हो रहा है .
प्रश्न :- प्रक्रियाएं बनाने में गलती तो हुई है और आप इसका कारण क्या मानते हैं ?
सुधीर हालाखंडी – जीएसटी वेट और सेंट्रल एक्साइज को हटा कर लगाया गया था लेकिन यह असल में यह व्यवहारिक रूप से वेट के बहुत अधिक नजदीक है इसलिए जीएसटी की प्रक्रियाएं वेट में अनुभवी विशेषज्ञों द्वारा बनाई जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसीलिये प्रक्रियाएं बहुत ही मुश्किल बन गई और डीलर्स परेशान हो गए. जिन भी विशेषज्ञों ने ये प्रक्रियाएं बनाई उनका सख्ती पर बहुत जोर था और यही जीएसटी के लिए घातक बाबित हो रहा है.
प्रश्न :- अब क्या हो सकता है ?
सुधीर हालाखंडी – हमारी सरकार जीएसटी कौंसिल के माध्यम से प्रयास तो कर रही है लेकिन इसमें अब काफी समय लगेगा फिर भी कुछ प्रयास काफी सराहनीय है जैसे माल के सम्बन्ध में रजिस्ट्रेशन की सीमा बढ़ा कर 40 लाख करना , कम्पोजीशन डीलर्स का रिटर्न त्रैमासिक की जगह वार्षिक करना , कम्पोजीशन डीलर्स की लिमिट बढ़ाना , सेवा क्षेत्र के लिए कम्पोजीशन स्कीम प्रारम्भ करना, एक ही लेजर से सारे करों का भुगतान करना इत्यादि .
प्रश्न :- सेवा क्षेत्र के लिए किये गए प्रयास से आप संतुष्ट हैं ? मैंने कहीं पढ़ा है आपको इसकी 6 प्रतिशत दर पर कुछ एतराज है .
सुधीर हालाखंडी :- देखिये एक तो माल एवं सेवाओं के लिए अलग –अलग रजिस्ट्रेशन की सीमाएं रखना जीएसटी के मूल स्वरुप में नहीं था इसके अतिरिक्त सेवा क्षेत्र के लिए कम्पोजीशन की दर 3 से 5 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए . ऐसा मेरा मत है . हमने फिर से सुझाव दिया है देखें क्या होता है . चूँकि सरकार अब हर सुझाव सुन रही है इसलिए हो सकता है इस बारे में भी सरकार का कोई और सकारात्मक रुख नजर आ जाए.
प्रश्न :- आपके अनुसार जब सरकार अब सब सुन ही रही है तो जीएसटी सुधार के लिए आपके पास और भी सुझाव होंगे जिनके पूरा होने पर भारत में जीएसटी सार्थक रूप से काम कर सकता है .
सुधीर हालाखंडी :- देखिये शुरू से ही मैं यह कह रहा हूँ कि सरकार को बिल टू बिल की जगह डीलर टू डीलर बिक्री या सप्लाई की डिटेल मांगनी चाहिए इससे डीलर्स के साथ –साथ सिस्टम पर भी कम बोझ पडेगा जिससे सिस्टम की स्पीड भी बढ़ेगी और बार-बार का ब्रेक डाउन भी बंद होगा . इसके अतिरिक्त मासिक 3 B भी अब बंद होना चाहिए और डीलर्स द्वारा भरे जाने वाले रिटर्न्स की संख्या भी कुछ कम होनी चाहिए.
प्रश्न :- और रिवर्स चार्ज ?
सुधीर हालाखंडी :- यदि जीएसटी में रिवर्स चार्ज की कोई उपयोगिता होती तो सरकार इसे लगातार स्थगित नहीं करती . रिवर्स चार्ज को स्थगित करने की जगह इसे अब हमेशा के लिए समाप्त कर देना चाहिए.
प्रश्न :- और भी कुछ ?
सुधीर हालाखंडी :– सरकार डीलर्स पर विश्वास करे और कठिन प्रक्रियाओं की जगह जीएसटी सरलीकरण की नीति अपनाएँ . इसके अतिरिक्त अब तक भरे सभी रिटर्न्स में संशोधन का डीलर्स को मौक़ा दिया जाना चाहिए .
प्रश्न :- जीएसटी लेट फीस जो माफ़ हुई है उसके बारे में आपकी क्या राय है ?
सुधीर हालाखंडी :- मैंने लिखा है कि यह उन डीलर्स के साथ भेदभाव है जिन्होंने लेट फीस के साथ पहले ही रिटर्न भर दिए हैं . सरकार को उनकी लेट फीस अब लौटा देनी चाहिए और इस फैसले को शीघ्र ही ले लेना चाहिए .
प्रश्न :- आप कहते हैं प्रक्रियाएं कठिन हैं जब कि कहा यह गया था कि पडौस का बच्चा भी जीएसटी का रिटर्न भर सकता है .
सुधीर हालाखंडी :- सर, इस पर काफी मजाक हो चुका है अब हम इसे छोड ही दें तो अच्छा है .
प्रश्न :- जीएसटी नेटवर्क ?
सुधीर हालाखंडी :- कोई अच्छा कम नहीं कर पाया है और सरकार को अब इसके कारण खोज कर सुधार करना चाहिए .
प्रश्न :- क्या जीएसटी भारत में पूरी तरह सेटल हो पायेगा .
सुधीर हालाखंडी :- हाँ , क्यों नहीं पर अब इसमें थोड़ा वक्त लगेगा क्यों कि जो गलतियां शुरू में हो गई उन्हें सुधारने में अब समय लगेगा और इसका एक कारण यह भी है कि हमारे कानून निर्माता एक साथ सारी गलतियां सुधारने की जगह एक- एक करके सुधार रहें है आर इससे भी ज्यादा समय लग रहा है .
प्रश्न :- जीएसटी पर कार्टून ? ये कैसे शुरू हुए ?
सुधीर हालाखंडी :- शौक तो पुराना था और अब मैंने इसे जीएसटी की और मौड़ दिया . इस और अब कोई ख़ास मेरी तरफ से नहीं होने वाला है .
प्रश्न :- इतना कैसे लिख लेते हैं ?
सुधीर हालाखंडी :- पढता बहुत हूँ और पढने की स्पीड बहुत तेज हैं और उसी का परिणाम हैं कि मुझे लिखना पड़ता है .
-आपका समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
– जी आपका भी धन्यवाद .
manyavar mahoday ji vahut vahut vahut dhanyvaad
aapse ek do nivedan aur haink i ek to late fees hamesh ke liye hut jaye dusra return revise kia option bhi aa jaaye
wonderful interview…Dhanyawad sir
nice