रिटर्न्स फाइल कर देने के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से आपको नोटिस मिल सकता है। ऐसे में घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। आपको इनकम टैक्स ऐक्ट के जिस सेक्शन के तहत नोटिस मिला हो, उसके मुताबिक ही जवाब तैयार करें। इस काम में हम आपकी मदद कर रहे हैं।

इनकम टैक्स ऐक्ट में कुछ धाराएं हैं जिनके तहत आपको टैक्स नोटिस मिल सकता है। अगर आपको नोटिस मिले तो आपको संबंधित सेक्शन के मुताबिक ही जवाब भी देना चाहिए। तो चलिए देखते हैं किस सेक्शन में मिलता है कैसा नोटिस और क्या हो सकता है उसका जवाब…

सेक्शन 139(9)

टैक्स रिटर्न्स फाइल करने में गड़बड़ी हुई तो आपको इस सेक्शन के तहत नोटिस मिलेगा। गड़बड़ियों में ये बातें सम्मिलित हो सकती हैं…

अगर आपने गलत आईटीआर फॉर्म का इस्तेमाल किया।

अगर अपने पूरा टैक्स नहीं भरा है।

अगर आपने कटे हुए टैक्स पर रिफंड तो क्लेम किया, लेकिन संबंधित इनकम की जानकारी नहीं दी।

अगर आईटीआर फॉर्म एवं पैन कार्ड में नाम एक जैसा नहीं है।

अगर आपने टैक्स तो भर दिया, लेकिन इनकम की जानकारी नहीं दी।

नोटिस भेजने की सीमा- कोई नहीं

जवाब देने की समयसीमा- असेसिंग ऑफिसर की ओर से सूचना जारी किए जाने की तारीख के 15वें दिन के अंदर। आप चाहें तो लोकल असेसिंग ऑफिसर को आवेदन देकर कुछ और वक्त मांग सकते हैं। अगर आपने जवाब नहीं दिया तो रिटर्न अमान्य हो जाएगा।

क्या करना चाहिए?

इनकम टैक्स फाइलिंग साइट (https://incometaxindiaefiling. gov.in/e-Filing/) पर जाकर संबंधित आकलन वर्ष का सही आईटीआर फॉर्म डाउनलोड करें।

फिर सेक्शन 139(9) के तहत मिले नोटिस के जवाब में, जहां ऑरिजिनल रिटर्न फाइलिंग में गलती हुई है (In response to a notice under Section 139(9) where the original return filed was a defective return) का ऑप्शन चुनें।

रेफरेंस और अकनॉलेजमेंट नंबर भरें और सुधार के साथ फॉर्म भरें।

नोटिस U/S139(9) के जवाब में ई-फाइल (e-file in response to notice u/s 139(9)) पर क्लिक कर नोटिस में मिले पासवर्ड का इस्तेमाल कर फॉर्म अपलोड कर दें।

सेक्शन 143(1)

यह नोटिस से ज्यादा आपकी ओर से फाइल किए गए रिटर्न का आकलन होता है। इस सेक्शन के तहत आपको तीन तरह का नोटिस मिल सकता है…

1. यह सामान्य तौर पर आपकी ओर से फाइल किए गए रिटर्न्स का आखिरी आकलन हो सकता है क्योंकि टैक्स ऑफिसर के आकलन से आपका आकलन मिल गया है।

2. यह रिफंड नोटिस की तरह हो सकता है जिसमें असेसिंग ऑफिसर की गणना के मुताबिक आपने ज्यादा टैक्स भर दिया है।

3. यह एक डिमांड नोटिस हो सकता है जिसमें असेसिंग ऑफिसर की गणना के मुताबिक आपने कम टैक्स भरा है।

नोटिस भेजने की समयसीमा

जिस वित्त वर्ष में आपने टैक्स रिटर्न फाइल किया है, उसके एक साल के अंदर।

जवाब देने की समयसीमा

अगर टैक्स बकाया है तो आपको 30 दिनों के अंदर देना होगा।

क्या करें?

अगर आपकी ओर से फाइल रिटर्न्स में कोई गड़बड़ी नहीं है तो आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। अगर आप रिफंड के दावेदार हैं तो आपने रिटर्न में जिस बैंक अकाउंट का जिक्र किया है, उसमें पैसे आ जाएंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आप रिफंड की मांग दुबारा कर सकते हैं। अगर टैक्स बकाया है तो आपको 30 दिनों के अंदर इसे चुकाना होगा।

सेक्शन 143(1A)

The Accounts hub के फाउंडर टैक्स गुरु ने कहा, ‘हालांकि यह प्रावधान पहले से था, लेकिन इसी साल इतनी बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स को कंप्यूटर जनित नोटिस भेजे जा रहा हैं।’ दरअसल, यह आपके उस प्रस्ताव पर सवाल-जवाब की प्रक्रिया मात्र है जिसमें आपने विभिन्न नियमों तहत टैक्स छूट की मांग की है। इस सेक्शन के तहत तब नोटिस मिल सकता है जब… 

आपकी ओर से फाइल रिटर्न में आय की जानकारी और फॉर्म 16 में दर्ज इनकम की रकम में अंतर हो।

आपकी ओर से सेक्शन 80C के तहत किए गए टैक्स छूट के दावे में अंतर हो।

चैप्टर VIA और फॉर्म 26AS में अंतर हो।

जवाब देने की समयसीमा- नोटिस जारी होने के 30 दिनों के अंदर।

सेक्शन 148

फाइल किए गए रिटर्न में अगर आपकी कोई इनकम शामिल नहीं हुई तो यह नोटिस दिया जाएगा।

नोटिस भेजने की समयसीमा

छूटी हुई इनकम अगर 1 लाख या उससे कम है तो असेसमेंट इयर के 4 साल के अंदर और अगर 1 लाख से ज्यादा है तो 6 साल के अंदर तक नोटिस मिल सकता है।

जवाब देने की समयसीमा 

अगर असेसिंग ऑफिसर ने कोई समय सीमा दी है तो उसके अंदर और नहीं दी गई तो नोटिस मिलने के 30 दिन के अंदर दोबारा रिटर्न भर दिया जाना चाहिए।

क्या करें?

असेसिंग ऑफिसर के कहे मुताबिक संबंधित असेसमेंट इयर के रिटर्न फाइल कर दें।

सेक्शन 143(2)
रिटर्न्स की प्राथमिक जांच के बाद दिया जाने वाला यह एक स्क्रूटिनी असेसमेंट नोटिस है। चंदक के मुताबिक, ‘यह तीन तरह का हो सकता है। पहले दोनों कंप्यूटर असिस्टेड स्क्रूटिनी सेलेक्शन (CASS) में आते हैं, जबकि तीसरा मैन्यूअल स्क्रूटिनी नोटिस है।’ उनके मुताबिक 2016-17 में असेसमेंट की अवधि 21 महीने थी जो अब घटकर 18 महीने रह गई। इसे और भी कम किए जाने की संभावना है।

-लिमिटेड परपज स्क्रूटिनी: यह पूरी तरह से स्क्रूटिनी नहीं है। इसमें कुछ ही बातों पर ध्यान दिया जाता है और केवल उन्हीं को वेरिफाई करना होता है।

-कम्पलीट स्क्रूटिनी: यह एक विस्तृत स्क्रूटिनी होती है। टैक्स रिटर्न्स में गड़बड़ी पाए जाने पर ऐसा किया जाता है।

-मैन्यूअल स्क्रूटिनी: यह नोटिस भेजने का फैसला असेसमेंट ऑफिसर करता है, लेकिन इसे इनकम टैक्स कमिश्नर के अप्रूवल के बाद ही भेजा जा सकता है।

नोटिस भेजने की समयसीमा

जिस वित्त वर्ष में रिटर्न फाइल किया गया है उसके खत्म होने से 6 महीने पहले नोटिस का जवाब देना होता है।

जवाब देने की समयसीमा

इसके बाद टैक्सपेयर को खुद या किसी प्रतिनिधि के जरिए तय समयसीमा में संबंधित ऑफिसर के सामने पेश होना होता है।

क्या करें?

नोटिस मिलने पर एक भी हियरिंग को मिस न करें। अपने साथ इनकम और खर्च से जुड़े दस्तावेज लेकर जाएं। इस सेक्शन का उल्लंघन करने पर-

ऑफिसर अपने हिसाब से असेसमेंट कर टैक्स लायबिलिटी तय कर सकता है।

सेक्शन 271(1)(B) के तहत 10,000 रुपये देने पड़ सकते हैं।

276(D) के तहत 1 साल तक की सजा हो सकती है। इसके जुर्माना भी देन पड़ सकता है।

सेक्शन 234 (F)

आयकर कानून में शामिल किया जाने वाला यह एक नया सेक्शन है। इसके तहत असेसमेंट इयर की 31 जुलाई तक रिटर्न न फाइल किए जाने पर फी या जुर्माना लग सकता है। The Accounts hub के फाउंडर टैक्स गुरु कहते हैं, ‘अभी तक सैलरी पाने वाले टैक्सपेयर्स टैक्स भरने के बाद 31 जुलाई से पहले रिटर्न भरने को लेकर निश्चिंत हो जाते थे, लेकिन अब ऐसा करना अनिवार्य कर दिया गया है।’

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