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 टैक्‍स देनदारी घटाने में करते हैं मदद

आयकर कानून के तहत कई तरह के टैक्‍स बेनिफिट उपलब्‍ध हैं. ये आपकी टैक्‍स देनदारी घटाने में मदद करते हैं. कोई भी इनका फायदा उठा सकता है. आइए, यहां इनके बारे में जानते हैं.

1. एग्‍जेम्‍पशन

इसका मतलब वैसे खर्च, इनकम या निवेश से है, जिन पर टैक्स नहीं लगता. इससे आपकी कुल टैक्स योग्य इनकम घट जाती है. मसलन, इक्विटी शेयर और म्‍यूचुअल फंडों से मिले डिविडेंड पर टैक्‍स से छूट मिलती है. ऐसी इनकम पर कोई टैक्‍स देने की जरूरत नहीं होती है.

2. डिडक्‍शन

टैक्‍सपेयर्स की कुल इनकम में से कुछ चीजें घटाकर टैक्‍सेबल इनकम निकाली जाती है. सेक्‍शन 80सी के तहत 1,50,000 रुपये तक का निवेश, सेक्‍शन 80डी के तहत खुद/माता-पिता के लिए मेडिक्‍लेम, सेक्‍शन 80ई के तहत खुद/रिश्‍तेदार की उच्‍च शिक्षा के लिए लोन पर ब्‍याज, 80जी के तहत दिए गए डोनेशन टैक्‍स योग्‍य इनकम से घट जाते हैं.

3. रिबेट

एग्‍जेम्‍पशन और डिडक्शन के बाद बचने वाली रकम कुल टैक्सेबल इनकम कहलाती है. इसी पर टैक्स देनदारी बनती है. टैक्स कैलकुलेट हो जाने के बाद रिबेट इनकम टैक्स के रूप में दी जाने वाली रकम में राहत देती है. यह टैक्स की वह रकम है जिसे टैक्‍सपेयर को देने की जरूरत नहीं होती है. अगर खास तरह के निवेश के चलते रिबेट मिलती है तो इनकम टैक्‍स का कैलकुलेशन होने के बाद असली देय टैक्‍स घट जाता है.

4. अलाउंस

ये सैलरी के अतिरिक्‍त दिए जाते हैं. कुछ खास तरह के खर्च पूरा करने के लिए इन्‍हें दिया जाता है. कुछ सामान्‍य तरह के अलाउंस में डीए, हाउस रेंट, एलटीए, एजुकेशन, मेडिकल ट्रांसपोर्ट इत्‍यादि शामिल हैं.

5. इंडेक्‍सेशन

इसका इस्‍तेमाल निवेश के खरीद मूल्‍य को एडजस्‍ट करने के लिए किया जाता है. इसका मकसद निवेश में महंगाई के असर को शामिल करना होता है. इंडेक्‍सेशन लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस को कम करने में मदद करता है. इससे टैक्‍स योग्‍य इनकम घटाने में मदद मिलती है.

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