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देश की सबसे बड़ी आयकर छापेमारी कार्यवाही की ओर बढ़ रही विभाग की टीम पिछले ५ दिनों से छानबीन कर रही है।

यह कार्यवाही हवाला के माध्यम से टैक्स चोरी के इनपुट पर हुई।

इसके केंद्र बिंदु में अमरावती ग्रुप, पिटेल बिल्डर और मुंबई का चतुर्वेदी ग्रुप है। कई नौकरशाहों ने इन कंपनियों के जरिए अपनी काली कमाई को रीयल एस्टेट के कारोबार में खपाने का काम किया है।

यह छापेमारी नोएडा, गुड़गांव, दिल्ली, मुंबई, लखनऊ के साथ पश्चिम बंगाल में कुल 34 ठिकानों पर हुई। इन ठिकानों से बुधवार शाम तक करीब 3 करोड़ कैश रुपये बरामद होने की सूचना है। बरामद हुए कैश के दस्तावेज भी आयकर विभाग ने बिल्डरों से मांगे हैं।

टीम छापेमारी के दौरान दस्तावेजों और कई महत्वपूर्ण कागजातों को खंगाल रही है। करीब २५० शैल या बेनामी कंपनियों का उपयोग किया गया ।

देश के इतने सारे ठिकानों पर एक साथ कार्यवाही मुंबई स्थित हवाला कारोबारी चतुर्वेदी की अहम भूमिका मानी जा रही है।

आपको सभी को जानकर आश्चर्य होगा कि देश में हवाला कारोबार का ४०% लेन-देन २००० रुपए नोट के माध्यम से होता है।  देश भर में ऐसे कई बड़े हवाला कारोबारी है जिनकी तिजोरियों में पचास हजार करोड़ से ज्यादा दो हजार के नोट भरें पड़े है, जिन्हे खपाना बड़ी चुनौती बन गया है। इसके कारण बीते १५ दिनों से हवाला कारोबार में जबरदस्त तहलका सा मचा हुआ है.

इस परेशानी से बचने के लिये कई हवाला कारोबारी अपने पास स्टॉक किये गये दो हजार के नोटों की खेप अब ज्वैलरी और जमीनों की सौदेबाजी में खपा रहे है।

आरबीआई की इंटेलिजेंस विंग ने दो हजार के नोटों पर निगरानी बढ़ा दी और पुख्ता तौर पर तथ्य का पता लगा लिया कि दो हजार के हजार के नोट हवाला में इस्तेमाल हो रहे है। इसके बाद रिजर्व बैंक ने दो हजार के नोट चलन से बाहर करने का निर्णय लिया जो गत २३ मई से लागू कर दिया।

दो हजार रूपये के नोट चलन से बाहर होने के बाद पिछले सप्ताह भर से डिजिटल पेमेंट में 30 फीसदी की गिरावट आई है।

वजह यह है कि दो हजार के नोट खपाने के लिये ज्यादातर लोग कैश लेनदेन कर रहे हैं।

ज्यादातर ग्राहक सौ-दौ रुपये की छोटी मोटी खरीदारी के लिए भी दो हजार रुपये के नोट का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं।

दो हजार रूपये की नोटबंदी का सबसे ज्यादा असर रियल एस्टेट जगत में देखने को मिल रहा । रीयल एस्टेट महंगा होने के बाद भी लोग खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

ज्वैलरी खरीद में आई चमक सर्राफा बाजार में भी देखने को मिल रही है। एक अनुमान के मुताबिक सर्राफा बाजार में पिछले सप्ताहभर के अंतराल में देश भर में ३००० करोड़ रुपए से ज्यादा कारोबार हुआ है जो दिवाली के समकक्ष है.

हवाला कारोबारियों द्वारा जल्दबाजी में २००० रुपए के नोटों को ठिकाने में लगाने की कोशिश ने विभाग को महत्वपूर्ण सुराग दिए और जिस पर देर न करते हुए आयकर विभाग ने देश की सबसे बड़ी आयकर रेड को अंजाम दिया एवं पिछले ५ दिनों से देश भर के लगभग १०० से ज्यादा ठिकानों पर कार्यवाही चल रही है. कितना छुपी आय बाहर आएगी, यह तो समय बताएगा. लेकिन यह बात तो तय है कि कैश लेन-देन अब जोखिम से भरा नहीं होगा.

एक आम और मध्यम वर्गीय करदाता को इन ६ तरह के कैश लेन-देन पर ध्यान रखना होगा:

१. बैंक एफआईआर टुकड़ों में या एक बार में पूरे साल में कैश द्वारा १० लाख रुपए से ज्यादा की न बनवाएं अन्यथा आपको आय का स्त्रोत बताना होगा.

२. सेविंग बैंक खाते में साल भर में १० लाख रुपए से ज्यादा कैश और करेंट खाते में साल भर में ५० लाख रुपए से ज्यादा का कैश न जमा हो.

३. क्रेडिट कार्ड बिल का एक लाख रुपए का एकमुश्त भुगतान या साल भर में १० लाख रुपए से अधिक का कैश भुगतान यदि किया गया है तो जबाब देना पड़ेगा.

४. प्रापर्टी खरीद बेच में किया गया कैश भुगतान का स्पष्टीकरण आपको विभाग में देना पड़ेगा.

५. शेयर, बांड या अन्य प्रतिभुतियों की कैश खरीद बेच का स्पष्टीकरण आपको देना होगा.

६. विदेशी मुद्रा लेन-देन और खर्च का स्पष्टीकरण आपको देना होगा.

कहने का मतलब साफ है कि किसी भी प्रकार के लेन-देन को छुपाने के लिए हम कैश लेन-देन करते हैं और जिसके लिए हमें हवाला कारोबारियों की जरूरत पड़ती है जो न केवल जोखिम भरा है बल्कि हमारा पैसा डुबो भी सकता है और साथ ही टैक्स देनदारी आएगी हो अलग. आज के समय समझदारी इसमें ही है कि कैश लेन-देन का उपयोग कम से कम करें ताकि गैर कानूनी कैश लेन-देन पर रोक लग सकें और भविष्य में यदि किसी भी प्रकार की नोटबंदी हो तो भी हमें कोई फर्क न पड़े.

*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर ९८२६१४४९६५*

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