जिस स्तर पर साइबर फ्राड, धोखाधड़ी और ठगी पूरे देश में फ़ैल रही है, इसके लिए जरूरी हो गया कि:
१. साइबर लेनदेन में जागरूकता
२. साइबर सुरक्षा के नियमों की जानकारी
३. साइबर सुरक्षा इंश्योरेंस
पहला, यह सरकार और वित्तीय संस्थानों की जवाबदेही होगी कि लोगों को साइबर माहौल में वित्तीय लेनदेन में क्या सावधानी बरतें, इसकी जागरूकता हो.
दूसरा, साइबर सुरक्षा नियमों और कानून की जानकारी बहुत आवश्यक है. आम जनता को पता होना चाहिए कि कैसे साइबर नियमों को प्रयोग कर कैसे साइबर ठगी से बचा जा सकता है.
तीसरा और सबसे अहम है साइबर सुरक्षा इंश्योरेंस कवच जो आज आम जनता को उपलब्ध नहीं है. सिर्फ उन कंपनियों को इंश्योरेंस उपलब्ध है जहां साइबर सुरक्षा और प्रशासनिक विभाग एवं व्यवस्था उपलब्ध है.
हमने पिछले साल से साइबर इन्फॉर्मेशन की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी देखी है.
ये साइबर अटैक प्रमुख रूप से रैंसमवेयर और बिजनेस ईमेल कॉम्प्रोमाइज अटैक के कॉम्बिनेशन रहे हैं.
बिजनेस में रुकावटों के चलते क्लेम की बड़ी संख्या देखने को मिली, क्योंकि साइबर अटैकर लगातार पहले से ज्यादा चालाक होते जा रहे हैं.
इसके साथ ही, बड़े पैमाने पर डाटा एक्सफिल्ट्रेशन की एक परेशान करने वाला ट्रेंड भी देखा है, जिसके कारण डाटा लायबिलिटी के क्लेम सामने आए हैं.
*इंश्योरेंस देते समय रिस्क की समीक्षा करने के अलावा, कंपनी का व्यापक मूल्यांकन किया जाता है*:
१. ह्यूमन फायरवॉल कितना मजबूत है
२. आंतरिक प्रक्रियाएं कितनी मैच्योर हैं
३. टेक्नोलॉजी यानी सेफ्टी कंट्रोल कितने अच्छी तरह से व्यवस्थित किए गए हैं
४. यह मूल्यांकन इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी पॉलिसी, व्यापार निरंतरता योजनाओं, डाटा की प्रकृति, इंडस्ट्री, उनके ऑपरेशन की जियोग्राफिकल प्रेजेंस और बाहरी स्कैन की समीक्षाओं के जरिए किया जाता है
५. वर्कफोर्स को जागरूक करना और ट्रेनिंग देना
६. इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी सर्टिफिकेशन जैसे आईएसओ 27001
७. डाटा जुटाने और स्टोरेज (व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक और आईटी अधिनियम) के संबंध में पॉलिसी
८. बाहरी ऑडिट की फ्रीक्वेंसी और कमजोरियों को दूर करने में प्रगति
उपरोक्त मूल्यांकन बड़ी कंपनियों के लिए तो ठीक है लेकिन आम जनता जो सबसे ज्यादा साइबर ठगी का शिकार हो रही है, उसके लिए कोई सुरक्षा इंश्योरेंस या कवच उपलब्ध नहीं है जो आज समय की मांग है.
इसलिए इस बजट में जरूरी है कि सरकार ऐसी कोई योजना लेकर आए जिसमें एक साधारण दर पर आम व्यक्ति साइबर सुरक्षा इंश्योरेंस ले सकें और उसके नुकसान की भरपाई हो सकें. ऐसा होने से व्यक्ति कैश लेनदेन कम करेगा और डिजिटल लेनदेन पर विश्वास बढ़ेगा. डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा इंश्योरेंस एक प्रमुख हथियार होगा जो समय की मांग और जरुरत भी.
*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर ९८२६१४४९६५*