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कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत कंपनियों के प्रकार 

(Types of Companies, under Companies Act, 2013)

इस लेख को तैयार करने का उद्देश्य आपको कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत पंजीकृत होने वाली कंपनियों के प्रकारों से आपका विस्तृत परिचय कराना है.

कंपनी अधिनियम 2013 के अनुच्छेद 2(20) के अनुसार कंपनी एक कंपनी अधिनियम 2013, इससे पूर्व के किसी कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत/ स्थापित एक संस्था है.

अतः सामान्य भाषा में कंपनी एक निगमित निकाय है जिसका निरंतर उत्तराधिकार के साथ प्रथक वैधानिक अस्तित्व होता है जो अपने सदस्यों से स्वतंत्र होता है, कंपनी की सामूहिक पूँजी होती है जो अंश के रूप में होती है जिसका स्थानांतरण किया जा सकता है तथा इसमें सदस्यों का दायित्व भी सीमित रहता है.

कंपनी के प्रकार :- 

संस्थापन या निगमन के आधार पर कंपनी के प्रकार :-

(Types of Companies on the basis of On Incorporation)

1. वैधानिक कंपनी ( Statutory Company :- वैधानिक कंपनी भारतीय संसद या किसी राज्य सरकार द्वारा पारित किसी विशेष अधिनियम  के प्रावधानों के अनुसार जन सामान्य /  लोक हित को सहायता या सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से संस्थापित या निगमित की जाती है यह कंपनियां विशेष अधिनियम के प्रावधानों के साथ साथ कंपनी अधिनियम 2013, के  वह प्रावधान  जो विशेष अधिनियम  के प्रावधानों से असंगत ना हो के द्वारा  शासित होती हैं

 उदाहरण-  भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया,  भारतीय जीवन बीमा निगम 

2. पंजीकृत कंपनियां (Registered Companies):- कंपनी अधिनियम 2013 या इससे पूर्व के किसी कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कंपनियां पंजीकृत कंपनियां कहलाती है 

पंजीकृत कंपनियां कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत वर्णित प्रक्रिया के अनुसार पंजीकृत होने के उपरांत कंपनी के रजिस्ट्रार द्वारा प्रदान किए जाने वाले पंजीकरण प्रमाण पत्र को प्राप्त कर लेने के उपरांत ही अस्तित्व में आती है

दायित्व के आधार पर कंपनी के प्रकार:-

(Types of Company on the basis on Liability)

अंशो द्वारा सीमित कंपनी (Company Limited by Shares) :- ऐसी कंपनी जिसमें उसके सदस्यों का दायित्व उसके पार्षद सीमा नियम (मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन) मैं उल्लेखित अंशो के मूल्य की सीमा तक बकाया राशि तक के लिए हो| अतः अंशो द्वारा सीमित कंपनी से आशय ऐसी कंपनी से है जिसमें उसके सदस्यों का दायित्व उनके द्वारा लिए गए अंशो की राशि तक सीमित रहता है 

कंपनी द्वारा अपने सदस्यों को अंशो पर बकाया राशि के भुगतान के लिए कंपनी के जीवन काल में किसी भी समय या कंपनी के समापन के समय भी बाध्य किया जा सकता है

उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति द्वारा ₹100 के अंश के एवज में ₹75 का भुगतान किया गया है इस स्थिति में वह व्यक्ति ₹25 भुगतान और करने के लिए दायित्वआधीन है कंपनी द्वारा किसी भी समय उक्त राशि की मांग की जा सकती है.

अंशो द्वारा सीमित कंपनी एक बहुत ही सामान्य रूप है जो निजी कंपनी एवं सार्वजनिक कंपनी दोनों रूपों में पंजीकृत हो सकती है

प्रत्याभूति/जमानत द्वारा सीमित कंपनी ( Company Limited by Guarantee) :- प्रत्याभूति/जमानत द्वारा सीमित कंपनी, कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत एक ऐसी कंपनी जिसके सदस्यों का दायित्व उनके द्वारा प्रदान की गई सहमति, तक की राशि जो कंपनी के सीमा नियम में उल्लेखित है तक सीमित रहता है अतः कंपनी के सदस्य उनके द्वारा प्रदान की गई सहमति प्रत्याभूति/ जमानत की राशि कंपनी के समापन के समय एकत्रित करने के लिए बाध्य होते हैं

ऐसी कंपनी में सदस्यों का दायित्व कंपनी के ऋण मैं सहमति राशि तक रहता है
क्लब, व्यापारिक संगठन, अनुसंधान केंद्र, सोसायटी इस प्रकार की कंपनियों के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं

असीमित दायित्व कंपनी (Unlimited Liability Company):- कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत एक एसी कंपनी जिसके सदस्यों के दायित्व की सीमा का कोई निर्धारण ना हो असीमित दायित्व कंपनी कहलाती है 

अतः इस कंपनी के सदस्य कंपनी के ऋण के लिए कंपनी मैं उनके अधिकार के अनुपात में व्यक्तिगत रूप से ऋणी होते हैं साथ ही उनका दायित्व भी असीमित रहता है
इस तरह की कंपनी की स्थापना अंश पूंजी के साथ या बिना अंश पूंजी के निजी कंपनी या सार्वजनिक कंपनी के रूप में की जा सकती है

कंपनी के सदस्यों की संख्या के आधार पर कंपनी के प्रकार:- (Types of Companies on the basis of Number of Member)

सार्वजनिक कंपनी (Public Company) : – कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 2(71) परिभाषित किया गया है कि जो कंपनी निजी कंपनी नहीं हे वह सार्वजनिक कंपनी है

कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 3(1) मैं परिभाषित प्रावधान के अनुसार सात (7) या उससे अधिक व्यक्तियों द्वारा वैधानिक उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक कंपनी की स्थापना की जा सकती है

कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 149(1) मैं परिभाषित प्रावधान के अनुसार प्रत्येक सार्वजनिक कंपनी के निदेशक मंडल में कम से कम 3 निदेशक/ डायरेक्टर रहना अनिवार्य है
कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 4(1)(a) में परिभाषित प्रावधान के अनुसार सार्वजनिक कंपनी को अपने नाम के अंत में लिमिटेड शब्द लगाना अनिवार्य होता है

सार्वजनिक कंपनी की यह प्रमुख विशेषता होती है कि इसके अंशो एवं ऋण पत्रों का  विक्रय एवं स्थानांतरण स्वतंत्रता पूर्वक इसके सदस्यों द्वारा किया जा सकता है साथ ही वैधानिक तौर पर भी सिर्फ सार्वजनिक कंपनी द्वारा ही अपने अंशो को स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कराया जा सकता है 

एक निजी कंपनी जो किसी सार्वजनिक कंपनी की सहायक कंपनी है,  वह कंपनी भी वैधानिक अधिनियम के अनुसार सार्वजनिक कंपनी ही मानी जाएगी.

 निजी कंपनी (Private Company) :- कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 2(68) मैं परिभाषित, परिभाषा के अनुसार निजी कंपनी एक ऐसी कंपनी है जिसे उसके पार्षद सीमा नियम(Article of Association) द्वारा निम्नलिखित कार्य करने के लिए प्रतिबंधित किया जाता है.

  • अंशो के स्थानांतरण करने  से  
  •  अपने सदस्यों की संख्या 200 से अधिक करने से..

नोट:-

  • कोई व्यक्ति जो कंपनी का नियुक्त कर्मचारी है यह पूर्व में किसी समय वह कंपनी का कर्मचारी रहा है साथ ही वह व्यक्ति कंपनी का सदस्य भी था एवं अपनी नौकरी छोड़ने के पश्चात भी वह व्यक्ति कंपनी का सदस्य रहा है है ऐसी स्थिति में उसे उपरोक्त वर्णित सदस्यों की सीमा में शामिल नहीं किया जाएगा
  • जहां दो व्यक्तियों द्वारा संयुक्त रूप से सदस्यता ग्रहण की गई हो वहां दोनों पंजीकृत सदस्यों को एक ही सदस्य समझा जाएगा
  • निजी कंपनी द्वारा सामान्य जनता को अपनी प्रत्याभूती खरीदने हेतु आमंत्रित नहीं किया जा सकता है
  • कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 3(1) के प्रावधानों के अनुसार- दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा किन्ही वैधानिक उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु निजी कंपनी का पंजीकरण कर स्थापना की जा सकती है
  • कंपनी अधिनियम 2013 के अनुच्छेद 149(1) के प्रावधानों के अनुसार – निजी कंपनी के निदेशक मंडल में कम से कम दो निदेशकों का नियुक्त रहना अनिवार्य होता है
  • कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 4(1)(a) में परिभाषित प्रावधान के अनुसार निजी कंपनी को अपने नाम के अंत में ‘प्राइवेट लिमिटेड’ शब्द लगाना अनिवार्य होता है
  • कंपनी अधिनियम के अंतर्गत निजी कंपनी को कुछ विशेष अधिकार एवं छूट प्रदान की गई हैं

एकल व्यक्ति कंपनी ( One Person Company):– कंपनी अधिनियम 2013 के लागू होने के साथ ही इसमें अनेकों नए सिद्धांतों को प्रतिपादित कर परिचित कराया गया है जो पहले कंपनी अधिनियम 1956 का भाग नहीं थे, उन्हीं सिद्धांतों में से एक है एकल व्यक्ति(One Person Company) कंपनी का सिद्धांत

इस  सिद्धांत के तहत एक ऐसी संस्था की स्थापना को वैधानिकता प्रदान की गई जो  छोटे व्यवसाय उद्यमों को सीमित दायित्व के लाभ के साथ एक निगमित ढाँचा प्रदान करती है  यह विशेषता प्रोपराइटरशिप फर्म या साझेदारी फर्म में प्राप्त नहीं होती हैं 

कंपनी अधिनियम 2013,  के अनुच्छेद 2(62) मैं परिभाषित प्रावधानों के अनुसार एकल व्यक्ति कंपनी ( One Person Company)  एक ऐसी कंपनी है जिसमें सिर्फ एक ही व्यक्ति सदस्य रहता है 

कंपनी अधिनियम 2013,  के अनुच्छेद 3(1) के अनुसार किसी एक व्यक्ति द्वारा वैधानिक उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु  निजी कंपनी के  जैसे ही  एकल व्यक्ति कंपनी (One Person Company)  की पंजीकरण कर स्थापना की जा सकती है  

कंपनी अधिनियम 2013,  के अनुच्छेद  149(1) मैं परिभाषित प्रावधान के अनुसार प्रत्येक एकल व्यक्ति कंपनी  (One Person Company) के निदेशक मंडल में एक निदेशक/ डायरेक्टर  रहना अनिवार्य है  साथ ही इसका जो एक सदस्य रहता है वह स्वयं भी निदेशक नियुक्त हो सकता है 

एकल व्यक्ति कंपनी (One Person Company)के कुछ विशेष लक्षण :-

  • एकल सदस्य – एकल व्यक्ति कंपनी  (One Person Company)  में सिर्फ एक ही व्यक्ति सदस्य रहता है
  • नामाँकित व्यक्ति – यह एक अनोखा लक्षण एकल व्यक्ति कंपनी  (One Person Company) अन्य सभी कंपनियों से अलग करता है इस प्रावधान के तहत कंपनी के एक सदस्य द्वारा किसी एक व्यक्ति को अपना नामाँकित व्यक्ति नियुक्त किया जाता है जो भविष्य में कंपनी के सदस्य की मृत्यु के उपरांत कंपनी का संचालन कर सकता है या उसका समापन कर सकता है यह सिद्धांत अन्य कंपनियों में नहीं होता है अन्य कंपनियों में निरंतर उत्तराधिकारी का सिद्धांत का पालन होता है 

अधिवास के आधार पर कंपनी के प्रकार:-

(Types of Company On the Basis of Domicile)

विदेशी कंपनी (Foreign Company):- कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 2( 42) के अंतर्गत एक ऐसी कंपनी जो भारत के बाहर किसी अन्य देश में निगमित पंजीकृत हुई है तथा जिसके द्वारा

  • भारत में किसी स्थान पर अपने व्यवसाय की स्थापना स्वयं से, अथवा अपने किसी प्रतिनिधि के माध्यम से भौतिक या तकनीकी रूप से स्थापित की है .
  • या उसके द्वारा व्यापारिक गतिविधियों का संचालन किन्ही भी रूपों में किया जा रहा है
  • ऐसी कंपनी विदेशी कंपनी (Foreign Company)  किस श्रेणी में आती है|
  • कंपनी अधिनियम 2013 के, अनुच्छेद 379  से लेकर अनुच्छेद 393 तक के प्रावधान विदेशी कंपनी पर अधिरोपित्त  होते हैं

 भारतीय कंपनी (Indian Company):-  एक ऐसी कंपनी जिसका गठन एवं पंजीकरण भारत में हुआ हो भारतीय कंपनी (Indian Company)  कहलाती है 

अन्य प्रकार की कंपनियां:- 

अनुच्छेद 8 कंपनी (Section 8 Company) :- कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 8 के अंतर्गत पंजीकृत एक कंपनी जिसे केंद्र सरकार द्वारा लिमिटेड कंपनी के रूप में अनुच्छेद 8 के अंतर्गत पंजीकरण की अनुज्ञा प्रदान की गई हो साथ ही जिस के उद्देश्यों में शामिल है

  • व्यापार, वाणिज्य, कला, विज्ञान, शोध, अनुसंधान, शिक्षा, सामाजिक कल्याण, धार्मिक, परोपकार के साथ ही वातावरण की सुरक्षा. को बढ़ावा देना
  • अपने होने वाले लाभ को अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए खर्च करना
  • अपने लाभांश को अपने सदस्यों में वितरित करने का प्रतिबंध

अतः उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कंपनी अधिनियम के अनुच्छेद 8 के प्रावधानों के अंतर्गत पंजीकृत कंपनी अनुच्छेद 8 कंपनी(Section 8 Company) कहलाती है

  • अनुच्छेद 8 कंपनी (Section 8 Company) को कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 4(1)(a) के प्रावधानों से छूट प्रदान की गई जिसके तहत कंपनी को अपने नाम के अंत में लिमिटेड अथवा प्राइवेट लिमिटेड शब्द  लगाना आवश्यक होता है
  • कंपनी अधिनियम 2013 के अनुच्छेद 8 में उक्त कंपनी के पंजीकरण, केंद्र सरकार से प्राप्त किए जाने वाले लाइसेंस अनुज्ञा, एवं केंद्र सरकार द्वारा अनुज्ञा को रद्द करना,  संबंधित प्रावधानों को वर्णित किया गया है 
  • कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत अनुच्छेद 8 कंपनी (Section 8 Company)   को विशेष अधिकार एवं छूट प्रदान की गई है 

सरकारी कंपनी (Government Company):-  कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 2(45) के अनुसार जिस कंपनी की 51% चुकता पूँजी (पैड अप कैपिटल) केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार, अथवा केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा सम्मिलित रूप से अपने अधीन कर रखी हो साथ ही ऐसी कंपनी की सहायक कंपनी भी सरकारी कंपनी की श्रेणी में आती हैं 

स्पष्टीकरण – यहां चुकता पूँजी के साथ मतदान अधिकार को भी सम्मिलित किया गया है जहां कंपनी द्वारा अलग-अलग मताधिकार के साथ अंश जारी किए गए है

सूक्ष्म कंपनी(Small Company):– कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 2(85) के अनुसार जो कंपनी सार्वजनिक कंपनी नहीं है वह सूक्ष्म कंपनी कहलाती हैं साथ ही

  • जिसकी कुल चुकता पूँजी 5000000 और जो अधिकतम निर्धारित सीमा  जो ₹100000000 तक हो सकती है से अधिक नहीं है
  • जिसकी कुल बिक्री तुरंत पिछले वर्ष के वार्षिक लाभ हानि खाते के अनुसार 2 करोड रुपए और जो अधिकतम निर्धारित सीमा जो 100 करोड़ तक हो सकती है से अधिक नहीं है 

इस खंड के प्रावधान निम्नलिखित कंपनियों पर लागू नहीं होंगे

  • स्वामित्व कंपनी एवं सहायक कंपनी
  • अनुच्छेद 8 के अंतर्गत पंजीकृत कंपनी 
  • किसी विशेष अधिनियम के अंतर्गत स्थापित कोई कंपनी या निगमित निकाय 

सहायक कंपनी (Subsidiary Company):- कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 2(87) के अनुसार ‘सहायक कंपनी’ और सहायक, से अभिप्राय एक ऐसी कंपनी से है जिसमें दूसरी कंपनी जो उसकी स्वामित्व कंपनी है उसको निम्नलिखित अधिकार प्राप्त होते हैं

  • निदेशक मंडल के गठन  के नियंत्रण  का  अधिकार 
  • कुल मतदान के आधे से अधिक को स्वयं या अपनी सहायक कंपनियों के साथ मिलकर नियंत्रित करने का अधिकार 

कंपनी अधिनियम के अंतर्गत सहायक कंपनी की तह(Layers) विधान द्वारा निर्धारित संख्या तक ही रह सकती है

स्पष्टीकरण-  उपरोक्त खंड के प्रयोजन हेतु

  • किसी स्वामित्व कंपनी में ऊपर उप खंड 1 एवं 2 में वर्णित नियंत्रण किसी अन्य कंपनी का होने पर स्वामित्व कंपनी की सहायक कंपनियां भी उस कंपनी की सहायक कंपनियां मानी जाएंगी जिस कंपनी का नियंत्रण  स्वामित्व कंपनी पर होता है
  • किसी कंपनी के निदेशक मंडल की संरचना को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नियंत्रित माना जाएगा, यदि कंपनी  के निदेशक मंडल के गठन के लिए किसी अन्य दूसरी कंपनी के दिशा निर्देशों का पालन  किया जाता है या दूसरी कंपनी, कंपनी के समस्त निदेशकों को या  बहुमत निदेशकों  को नियुक्त करने का अधिकार रखती है
  • कंपनी के अंतर्गत समस्त निगमित निकायों को सम्मिलित किया जाता है
  • एक स्वामित्व  कंपनी के संबंध में तह (Layers)  से आशय  उसकी सहायक कंपनियों की संख्या से  होता है 

स्वामित्व कंपनी (Holding Company):- कंपनी अधिनियम 2013, के अनुच्छेद 2(46) के अनुसार स्वामित्व कंपनी एक ऐसी कंपनी है जिसकी 1 या उससे अधिक सहायक कंपनियां हो

  • कंपनी के अंतर्गत समस्त निगमित निकायों को सम्मिलित किया जाता है

सहयोगी कंपनी(Associate Company):- कंपनी अधिनियम 2013 के, अनुच्छेद 2(6) के अनुसार सहयोगी कंपनी एक ऐसी कंपनी है या जिसका किसी अन्य कंपनी के संबंध में यह आशय है की, जहां किसी कंपनी मैं किसी दूसरी कंपनी का महत्वपूर्ण प्रभाव हो परंतु यह प्रभाव सहायक कंपनी या संयुक्त उद्यम कंपनी के सिद्धांत के कारण उत्पन्न ना हो.

स्पष्टीकरण- उपरोक्त खंड के प्रयोजन हेतु

  • यहां शब्द ‘महत्वपूर्ण प्रभाव’ अभिव्यक्त करता है कि वैधानिक अनुबंध के आधार पर कम से कम 20% तक व्यापारिक निर्णय या मतदान को नियंत्रित करने का अधिकार प्राप्त है
  • यहां शब्द ‘ संयुक्त उद्धम’ से आशय है ऐसा उद्धम से है जिसके संचालन के नियंत्रण का अधिकार एवं उसकी संपत्ति की व्यवस्था का दायित्व अनुबंध के पक्षकारों का संयुक्त रूप से रहता है है

प्रोड्यूसर कंपनी (Producer Company):- किसान प्रोड्यूसर कंपनी एक वैधानिक मान्यता प्राप्त कृषक निगमित निकाय है जिसका उद्देश्य कृषकों के जीवन स्तर में सुधार करने हेतु सीमित संसाधनों के प्रयोग से उत्पादन में वृद्धि कर किसानों को अधिक लाभ उपार्जित कराना है एवं कृषकों के जीवन स्तर को बढ़ाने में सहायता प्रदान करना है कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत 10 ऐसे व्यक्ति जो प्राथमिक उत्पाद से जुड़े हैं वह व्यक्ति आपस में मिलकर किसान प्रोड्यूसर कंपनी की स्थापना कर सकते हैं अथवा दो कृषक संस्थान मिलकर भी किसान प्रोड्यूसर कंपनी की स्थापना कर सकते हैं किसान प्रोड्यूसर कंपनी का प्रमुख उद्देश्य अपने सदस्यों के प्राथमिक उत्पाद को क्रय, विक्रय, एकत्रित करना, संभालना, श्रेणीकरण करना, विपणन करना, निर्यात करना

परिभाषा:- प्रोड्यूसर कंपनी / किसान उत्पादक कंपनी से अभिप्राय एक ऐसी कंपनी अथवा निगमित निकाय से है जिसके उद्देश्य एवं गतिविधियाँ अधिनियम के अनुच्छेद 581 बी के अनुरूप हो एवं जो कंपनी अधिनियम 1956/ 2013 के अंतर्गत प्रोड्यूसर कंपनी/ किसान उत्पादक कंपनी के रूप में पंजीकृत हो 

प्रोड्यूसर कंपनी की स्थापना के लिए कुछ विशेष शर्तें होती है जो निम्न है 

  • उत्पादक कंपनी में सिर्फ ऐसे व्यक्ति ही स्वामित्व रख सकते हैं जो प्राथमिक उत्पाद या उससे संबंधित गतिविधियों में मूल रूप से संलिप्त हैं अर्थात जो कृषक हैं या कृषि से संबंधित गतिविधियों में लिप्त हैं
  • प्रत्येक सदस्य के लिए यह आवश्यक है कि वह प्राथमिक उत्पाद का उत्पादक हो
  • सीमित दायित्व के सिद्धांत के पालन अनुसार प्रोड्यूसर कंपनी के सदस्यों का दायित्व उनके अंश की बकाया राशि तक सीमित रहता है
  • प्रोड्यूसर कंपनी के नाम के अंत में प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड शब्द का प्रयोग किया जाता है
  • प्रोड्यूसर कंपनी के पंजीकरण के समय ऐसे पंजीकृत होगी जैसे एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पंजीकृत होती है तथा उस पर लागू होने वाले प्रावधान एवं प्रबंधन/ संचालन संबंधी वैधानिक अनिवार्यताएं प्रोड्यूसर कंपनी पर लागू होते हैं
  • प्रोड्यूसर कंपनी को कंपनी अधिनियम के भाग 19A मैं वर्णित प्रावधानों का अनिवार्यता से पालन किया जाना आवश्यक होता है
  • प्रोड्यूसर कंपनी पर कंपनी के सदस्यों की अधिकतम सीमा वाले प्रावधान लागू नहीं होते हैं

प्रोड्यूसर कंपनी का निगमन/पंजीकरण/ स्थापना निम्नलिखित उत्पादकों के संयोजन से हो सकता है

  • 10 या उससे अधिक उत्पादक
  • 2 या उससे अधिक उत्पादक संस्थाएं
  • उपरोक्त दोनों के संयोजन से 

प्रोड्यूसर कंपनी का अनुच्छेद 581c (1) मे पंजीकरण होने के उपरांत प्रोड्यूसर कंपनी एक निगमित निकाय रहेगी, जैसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रहती है एवं प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर अधिरोपित होने वाले प्रावधान प्रोड्यूसर कंपनी पर भी अधिरोपित होंगे

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6 Comments

  1. Dewesh Upadhyay says:

    सर, मैं एक प्रोपराइटर सिप कंपनी का प्रोपराइटर रहते हुए और समान्य प्रोपराइटर के साथ एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई जिसमें हम सभी चार लोग डायरेक्टर हैं, ये कंपनी कार्य कर रही है ,और प्रोपराइटर सिप से भी काम हो रहा है ,
    हमें जानना है कि प्रोपराइटर का नेट वर्थ भी कंपनी के नेट वर्थ मे काउंट होगा कि नहीं।

  2. rahul says:

    सर मैं एक NGO स्टार्ट करना चाहता हूँ.. कुछ लोगों ने बताया कि सेक्शन 21, 1860 में पंजीकरण कराओ तो कुछ ने कहा सेक्शन 8, कंपनीज एक्ट 2013 के तहत पंजकरण कराओ। कृपया बताएँ मैं सामाजिक सेवा कार्यों को करना चाहता हूँ… किसमें पंजीकरण सर्वोत्तम रहेगा

    1. Sajid says:

      सर मैं एक NGO स्टार्ट करना चाहता हूँ.. कुछ लोगों ने बताया कि सेक्शन 21, 1860 में पंजीकरण कराओ तो कुछ ने कहा सेक्शन 8, कंपनीज एक्ट 2013 के तहत पंजकरण कराओ। कृपया बताएँ मैं सामाजिक सेवा कार्यों को करना चाहता हूँ… किसमें पंजीकरण सर्वोत्तम रहेगा

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