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कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत  किसान प्रोड्यूसर कंपनी 

भारत शुरू से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है आज भी यहां की 60% जनसंख्या कृषि पर आधारित उद्योग धंधों के माध्यम से अपना जीवन यापन करती है परंतु आज के समय में कृषि में अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जैसे सिंचाई के लिए पानी, बिजली, अपने उत्पाद का पर्याप्त मूल्य, अतः केंद्र सरकार द्वारा किसानों को हो रही समस्याओं से निदान दिलाने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष एक अर्थशास्त्री वाय के अलाग जी थे. एवं उनके द्वारा अपनी रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया कि कंपनी अधिनियम के अंदर प्रोड्यूसर  कंपनी के सिद्धांत को भी शामिल किया जाए प्रोड्यूसर कंपनी एक ऐसी कंपनी है जो कृषको को सभी स्तर पर आ रही परेशानियों के लिए सुविधा एवं समाधान प्रदान कर सकती हैं जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है एक ऐसी संस्था है जो कृषकों के मौलिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है एवं उनकी वृद्धि के लिए अग्रेषित रहती है|

किसान प्रोड्यूसर कंपनी/  किसान उत्पादक कंपनी क्या है-

किसान प्रोड्यूसर कंपनी एक वैधानिक मान्यता प्राप्त कृषक निगमित निकाय है जिसका उद्देश्य कृषि से संबंधित समस्याओं के लिए समाधान प्रदान करना  एवं उनके उत्थान के लिए अग्रसर रहना है  जिसके द्वारा उपलब्ध सीमित संसाधनों के उपयोग से उत्पादन में वृद्धि कर कृषकों की आय एवं लाभ में वृद्धि करना है एवं कृषकों के जीवन स्तर को सुधारना एवं बढ़ाना है कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत 10 ऐसे व्यक्ति जो प्राथमिक उत्पाद से जुड़े हैं वह व्यक्ति आपस में मिलकर किसान प्रोड्यूसर कंपनी की स्थापना कर सकते हैं अथवा दो कृषक संस्थान मिलकर भी किसान प्रोड्यूसर कंपनी की स्थापना कर सकते हैं किसान प्रोड्यूसर कंपनी का प्रमुख उद्देश्य अपने सदस्यों के प्राथमिक उत्पाद को क्रय, विक्रय, एकत्रित करना, संभालना, श्रेणीकरण करना, विपणन करना, निर्यात करना

इसके अलावा अपने सदस्यों की सहायता के लिए नई तकनीकों एवं सेवाओं का विदेशों से आयात कर अपने सदस्यों तक पहुंचाना है|

प्रोड्यूसर कंपनी निगमित निकाय के रूप में एक ऐसा केंद्र स्तंभ है जो किसानों को अपने प्राथमिक उत्पाद को अपने मानकों के आधार पर व्यापक बाजार तक पहुंचाने में मदद करता है एकदम नई तकनीकों से अवगत कराता है जिससे उनके जीवन स्तर में वृद्धि हो

प्रोड्यूसर कंपनी/ किसान उत्पादक कंपनी की परिभाषा-

प्रोड्यूसर कंपनी / किसान उत्पादक कंपनी से अभिप्राय एक ऐसी कंपनी अथवा निगमित निकाय से है जिसके उद्देश्य एवं गतिविधियाँ अधिनियम के अनुच्छेद 581 बी के अनुरूप हो एवं जो कंपनी अधिनियम 1956/ 2013 के अंतर्गत प्रोड्यूसर कंपनी/ किसान उत्पादक कंपनी के रूप में पंजीकृत हो

वैधानिक अनुमति प्राप्त गतिविधियां-

मूल रूप से प्रोड्यूसर कंपनी, कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत पंजीकृत एक निगमित निकाय है जिसका निम्नलिखित उद्देश्य या इनसे संबंधित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु संचालित होना अनिवार्य होता है

1. अपने सदस्यों के प्राथमिक उत्पाद का क्रय, विक्रय, विपणन,  संग्रहण,श्रेणीकरण,प्रबंधन करना एवं अपने सदस्यों के लिए नई तकनीक,  नई उपज एवं  आवश्यक सेवाओं का आयात करना|

2. अपने सदस्यों को तकनीकी सेवाएं,  परामर्श सेवाएं, आवश्यक प्रशिक्षण, एवं  उनके हितों के संवर्धन हेतु अध्यन शोध एवं अनुसंधान करना

3. अपने सदस्यों के प्राथमिक उत्पाद में वृद्धि हेतु बिजली की आपूर्ति हेतु बिजली का उत्पादन, स्थानांतरण,वितरण  करना,   जमीनों  का पुनरुद्धार करना, फसलों की सिंचाई हेतु पानी का प्रबंध करना

4. अपने सदस्यों के पारस्परिक विकास के लिए उनकी उपजो  की सुरक्षा के लिए बीमा सुविधाएं उपलब्ध कराना,  वित्तीय सहायता प्रदान करना

प्रोड्यूसर कंपनियों की मूक स्थिति-

  • उत्पादक कंपनी में सिर्फ ऐसे व्यक्ति ही स्वामित्व रख सकते हैं जो प्राथमिक उत्पाद या उससे संबंधित गतिविधियों में मूल रूप से संलिप्त हैं अर्थात जो कृषक हैं या कृषि से संबंधित गतिविधियों में लिप्त हैं
  • प्रत्येक सदस्य के लिए यह आवश्यक है कि वह प्राथमिक उत्पाद का उत्पादक हो
  • सीमित दायित्व के सिद्धांत के पालन अनुसार प्रोड्यूसर कंपनी के सदस्यों का दायित्व उनके अंश की बकाया राशि तक सीमित रहता है
  • प्रोड्यूसर कंपनी के नाम के अंत में प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड शब्द का प्रयोग किया जाता है
  • प्रोड्यूसर कंपनी के पंजीकरण के समय ऐसे पंजीकृत होगी जैसे एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पंजीकृत होती है तथा उस पर लागू होने वाले प्रावधान एवं प्रबंधन/ संचालन संबंधी वैधानिक अनिवार्यताएं प्रोड्यूसर कंपनी पर लागू होते हैं
  • प्रोड्यूसर कंपनी को कंपनी अधिनियम के भाग 19A मैं वर्णित प्रावधानों का अनिवार्यता से पालन किया जाना आवश्यक होता है
  • प्रोड्यूसर कंपनी पर कंपनी के सदस्यों की अधिकतम सीमा वाले प्रावधान लागू नहीं होते हैं

प्रोड्यूसर कंपनी का निगमन-

प्रोड्यूसर कंपनी का निगमन/पंजीकरण/ स्थापना निम्नलिखित उत्पादकों के संयोजन से हो सकता है

  • 10 या उससे अधिक उत्पादक
  • 2 या उससे अधिक उत्पादक संस्थाएं
  • उपरोक्त दोनों के संयोजन से

प्रोड्यूसर कंपनी का अनुच्छेद 581c (1) मे पंजीकरण होने के उपरांत प्रोड्यूसर कंपनी एक निगमित निकाय रहेगी, जैसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रहती है एवं उस पर अधिरोपित होने वाले प्रावधान प्रोड्यूसर कंपनी पर भी अधिरोपित होंगे

प्रोड्यूसर कंपनी को पब्लिक लिमिटेड कंपनी नहीं माना जाता है ना ही माना जा सकता है

अंश पूँजी-

  • प्रोड्यूसर कंपनी में अंश इक्विटी अंश के रूप में ही रहेंगे
  • सदस्यों के अंशों का बाजार में व्यापार नहीं किया जा सकता है लेकिन उनका स्थानांतरण किया जा सकता है

मताधिकार-

  • प्रोड्यूसर कंपनियों में प्रत्येक सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से समान अधिकार के आधार पर एक मत देने का अधिकार होता है
  • सिर्फ उत्पादक संस्थाओं को मताधिकार उनकी प्रोड्यूसर कंपनी में प्रतिभागीता के आधार पर होता है
  • व्यक्तिगत सदस्य एवं संस्थाओं का सम्मिलित संयोजन होने पर प्रत्येक सदस्य को एक मत का अधिकार प्राप्त होता है

निदेशक/ संचालक-

प्रत्येक  प्रोड्यूसर कंपनी में  होना अनिवार्य है –

  • कम से कम पांच निदेशक अधिकतम 15
  • एक पूर्णकालिक मुख्य कार्यकारी अधिकारी निदेशक मंडल द्वारा नियुक्त किया जाएगा
  • जिसे प्रोड्यूसर कंपनी के संचालन संबंधी कुछ विशेष अधिकार प्राप्त होंगे जो निदेशक मंडल द्वारा निर्धारित किए जाएं

यदि किसी निदेशक द्वारा अपने पद से इस्तीफा दे दिया जाता है इस स्थिति में इस्तीफे की तिथि से 90 दिनों के के अंदर निदेशक का चुनाव होगा| निदेशक कम से कम 1 वर्ष एवं अधिकतम 5 वर्ष तक निदेशक कार्यालय को क्रियान्वित करेगा | प्रत्येक निदेशक पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होगा| निदेशक मंडल के सदस्यों का चुनाव कंपनी की वार्षिक साधारण सभा में उसके सदस्यों द्वारा किया जाता है

निदेशक मंडल द्वारा एक विशेषज्ञ निदेशक का अतिरिक्त डायरेक्टर जिनकी संख्या कंपनी के कुल निदेशकों की संख्या से 1/5 से अधिक ना हो को नियुक्त किया जा सकता है| विशेषज्ञ निदेशक या अतिरिक्त डायरेक्टर की कंपनी मैं नियुक्ति की समय सीमा कंपनी के पार्षद अंतर नियम में वर्णित समय सीमा के अनुसार होती है

वार्षिक साधारण सभा (एनुअल जनरल मीटिंग)-

  • प्रोडूसर कंपनी की पहली साधारण सभा कंपनी की स्थापना/ निगमन से 90 दिनों के अंदर होनी चाहिए.
  • कंपनी के रजिस्ट्रार द्वारा अधिकतम 3 माह तक समय सीमा वार्षिक साधारण समय सभा के लिए बढ़ाई जा सकती है( परंतु पहली वार्षिक साधारण सभा के लिए नहीं)
  • प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा प्रत्येक वर्ष कम से कम एक वार्षिक साधारण सभा आयोजित किया जाना आवश्यक होता है तथा दो वार्षिक साधारण सभाओं के मध्य 15 माह से ज्यादा का अंतराल नहीं हो सकता
  • वार्षिक साधारण सभा के आयोजन हेतु कम से कम 14 दिन पहले सभा का नोटिस सदस्यों को प्रेषित करना अनिवार्य होता है
  • प्रत्येक कंपनी द्वारा वार्षिक साधारण सभा की कार्यवाही की सूचना सभा की तिथि से 60 दिनों के अंदर अंकेक्षित वित्तीय विवरण, लाभ हानि खाता, निदेशक की रिपोर्ट के साथ रजिस्ट्रार को प्रेषित किया जाना अनिवार्य होता है

मुख्य कार्यकारी अधिकारी-

प्रोड्यूसर कंपनी में निदेशक मंडल द्वारा एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करना अनिवार्य होता है जो कंपनी के सदस्यों से भिन्न होता है

आंतरिक अंकेक्षण-

प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा अपने आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में वर्णित समय अंतराल मैं अपने खातों का आंतरिक अंकेक्षण चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा करवाया जाता है

निदेशक मंडल की सभाएं  एवं कार्यसाधक संख्या-.

  • प्रत्येक प्रोड्यूसर कंपनी में 3 माह में कम से कम एक एवं 1 वर्ष में कम से कम चार निदेशक मंडल की सभाएं होना अनिवार्य होता है
  • मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा निदेशक मंडल की सभा का नोटिस निदेशकों को कम से कम 7 दिन पहले प्रेषित किया जाना अनिवार्य होता है तथा 7 दिन से कम समय में नोटिस प्रेषित करने पर बोर्ड द्वारा नोटिस प्रेषित का कारण रिकॉर्ड किया जाना अनिवार्य होता है
  • कार्यसाधक संख्या कोरम कुल निदेशकों की संख्या का एक तिहाई अनिवार्य होती है या कम से कम 3 निदेशक

रिजर्व/ भंडार –

  • प्रत्येक प्रोड्यूसर कंपनी प्रत्येक वर्ष एक साधारण भंडार/रिजर्व बनाए रखती है
  • जहां किसी वर्ष भंडार रिजर्व में स्थानांतरण करने के लिए पर्याप्त धनराशि ना होने पर
  • उपरोक्त कमी को कंपनी के सदस्यों द्वारा अपनी सहभागिता के अनुपात में धनराशि एकीकृत कर पूर्ण किया जाता है.

सदस्यों  को लाभ-

  • प्रारंभ में प्रोड्यूसर कंपनी के सदस्यों को उनके द्वारा आपूर्ति/प्रदान किए गए उत्पाद एवं उत्पादों का मूल्य ही प्राप्त होता है
  • बचे हुए मूल्य का भुगतान कुछ समय पश्चात बाद में नगद या किसी अन्य माध्यम से या इक्विटी अंशो के आवंटन कर किया जा सकता है
  • प्रोड्यूसर कंपनी के सदस्य अधिलाभांश (बोनस) अंशो को प्राप्त करने हेतु पात्र होते हैं
  • कंपनी अधिनियम के अंतर्गत एक बहुत ही रोचक प्रावधान है जो कंपनी के वार्षिक खाते अनुमोदित होने के पश्चात सदस्यों के संरक्षण के अनुपात में बोनस(patronage bonus) बचत/अधिलाभांश प्रदान करने से संबंधित है
  • कंपनी की बचत से सदस्यों को किया जाने वाला भुगतान जो उनकी कंपनी को प्रदान की गई संरक्षणता के आधार पर होता है ना की अंशधारीता के अनुपात पर, ऐसे भुगतान को ही सदस्यों के संरक्षण के अनुपात पर बोनस (patronage bonus) कहा जाता है

ऑडिट/लेखा परीक्षा –

  • प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा अपने पार्षद अंतर नियम में वर्णित समय अंतराल पर अपने खातों का नियमित आंतरिक अंकेक्षण चार्टर्ड एकाउंटेंट से करवाया जाएगा
  • ऑडिटर/ लेखापरीक्षक कंपनी के खातों की जांच की एक वार्षिक रिपोर्ट कंपनी के सदस्यों को प्रदान करेंगे

एक अनावश्यक शर्त यह है कि “अधिनियम में संबंधित वर्गों को प्रतिकूल प्रभाव के बिना,” निर्माता कंपनियों के लेखापरीक्षकों को विशेष रूप से कुछ अतिरिक्त वस्तुओं पर रिपोर्ट करना होगा जो है- बकाया ऋण और डूबत ऋण, शेष नगदी और प्रतिभूतियों का सत्यापन, संपत्ति एवं दायित्वों का विवरण, निदेशकों को प्रदान किया गया ऋण, कंपनी द्वारा दिए गए दान एवं कंपनी द्वारा ली गई सदस्यता का विवरण.

कंपनी के पार्षद सीमा नियम एवं पार्षद अंतर नियम में संशोधन-

कंपनी के सदस्यों द्वारा विशेष प्रस्ताव पारित कर कंपनी के पार्षद सीमा नियम एवं पार्षद अंतर नियम में संशोधन किया जा सकता है परंतु यह संशोधन कंपनी अधिनियम के अनुच्छेद 581B के प्रावधानों के विरुद्ध या उनसे विसंगत नहीं हो सकता है

कंपनी के पार्षद अंतर नियम में संशोधन करने हेतु संशोधन का प्रस्ताव कम से कम निदेशक मंडल के दो तिहाई (⅔)चुने हुए निदेशकों या एक तिहाई (⅓) सदस्यों द्वारा रखा जाता है , जिसे सदस्यों द्वारा सभा में विशेष प्रस्ताव पारित कर पास किया जाता है

पार्षद सीमा नियम एवं पार्षद अंतर नियम की संशोधित प्रति विशेष प्रस्ताव की प्रति के साथ कंपनी के रजिस्ट्रार को संशोधन से 30 दिनों में प्रेषित की जानी अनिवार्य होती है|

कंपनी का स्ट्राइक ऑफ-

अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत यदि प्रोड्यूसर कंपनी अपने पंजीकरण की तिथि से 1 वर्ष के अंदर अपना व्यापार प्रारंभ करने में विफल रहती है तो रजिस्ट्रार द्वारा कंपनी के नाम को स्ट्राइक ऑफ कर दिया जाएगा, एवं कंपनी के लेनदेन को बंद कर दिया जाता है

ACS Ankur Mishra, BBA, LLB,  Practicing Company Secretary – [email protected]

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