कंपनी मंत्रालय के नोटिफिकेशन क्र. 205(ई) एवं 247(ई) दिनांक 24/03/2021 एवं 01/04/2021 क्रमशः द्वारा 01/04/2022 से हर कंपनी के लिए जरूरी कर दिया गया कि अब अपने एकाउंटिंग साफ्टवेयर में आडिट ट्रेल का फीचर रखना होगा.
इसका मतलब यह है कि:
1. प्रायः हर कंपनी अपना एकाउंट साफ्टवेयर में बनाती है.
हर लेनदेन प्रतिदिन तारीखवार रिकॉर्ड किया जाता है. साफ्टवेयर के माध्यम से इसमें सुधार, बदलाव और नए लेनदेन आसानी से नोट किए जा सकते हैं.
2. अब उपरोक्त नोटिफिकेशन के माध्यम से सरकार ने हर कंपनी के लिए जरुरी कर दिया है कि इसमें आडिट ट्रेल का फीचर कंपल्सरी रुप से मैंटेन करना होगा.
3. तात्पर्य यह है कि अब एकाउंट्स में कोई भी सुधार, बदलाव, एंट्री की तारीख, आदि सभी चीजें रिकॉर्ड का हिस्सा होंगे जिसे आसानी से देखा जा सकता है और समझा जा सकता है कि क्यों कंपनी ने फलां फलां समय बदलाव या सुधार किए हैं.
4. हर आडिटर को कंपनी की आडिट रिपोर्ट में बताना होगा कि कंपनी द्वारा आडिट ट्रेल मैंटेन किया जा रहा या नहीं और नहीं करने की स्थिति में यह कानून का उल्लंघन होगा और इस पर कंपनी मंत्रालय कार्यवाही कर सकता है.
5. सरकार द्वारा सभी एकाउंटिंग साफ्टवेयर कंपनी को सूचित कर दिया गया है कि अपने साफ्टवेयर में उपरोक्त बदलाव करने के बाद ही अपने उत्पाद को बेचें या अपडेट करें.
6. अब कंपनियों को न केवल साफ्टवेयर अपडेट करने में ज्यादा खर्च करना होगा बल्कि लेनदेन का रिकॉर्ड प्रतिदिन के हिसाब से रखना होगा और ऐसा तभी संभव होगा जब एक फुल टाइम एकाउंटिंग विभाग नियुक्त किया जावे, जिससे कंपनियों की लागत बढ़ना तय है और इसका असर ग्राहक की जेब पर पड़ेगा.
7. विडम्बना यह है कि हमारे देश में लागत को कम रखने के लिए ज्यादातर कंपनियां एकाउंटिंग वर्क को आउटसोर्स या पार्ट टाइम कामगारों से करवाती है, जिस कारण रिकॉर्ड या तो साल खत्म होने के बाद तैयार किए जाते हैं या फिर सुधार और एंट्री एकाउंटिंग फाइनल करते समय दुरस्त की जाती है यानि प्रतिदिन के आधार पर बहुत कम ही कंपनियां खाते बनाती है.
8. अब सरकार या राजस्व विभाग आसानी से जान सकते हैं कि कब खाते बनाए गए, कब एंट्री डीलीट की गई या कब इनमें सुधार हुआ और इस आडिट ट्रेल से खातों पर कई आपत्तियां उठाई जा सकती है. इस तरह विवाद बढ़ने की और गुंजाईशें बन जाती है.
9. सरकार की मंशा साफ है कि इस अनुपालन द्वारा वह चाहती है कि पहले कंपनियां और बाद में अन्य व्यापारिक संगठन भी इसके दायरे में आ जाए ताकि प्रतिदिन के आधार पर लोग एकाउंटिंग करें और किसी भी तरह के बदलाव या सुधार की गुंजाइश साल खत्म होने के बाद न बनें.
10. अब चूंकि यह बदलाव 01/04/2022 से लागू हो जाएगा तो कंपनी करदाता पर लागत और अनुपालन का बोझ बढ़ना तय है, साथ ही व्यापारियों को भी सजग होना पड़ेगा कि यदि सरकारी विभागों से विवादों से बचना है तो सारे रिकॉर्ड प्रतिदिन बनाने और दुरस्त करने होंगे.
साफ है एकाउंटिंग साफ्टवेयर द्वारा ही आज के समय कंपनी करदाता के लिए एकाउंट्स बनाना संभव है, ऐसे में अब आडिट ट्रेल रखना चिंताजनक इसलिए बन जाता है कि सब अपनी अपनी समझ से डाली गई एंट्री पर विचार रखते हैं. ऐसे में राजस्व विभाग व्यापारी के हित में आडिट ट्रेल को देखेगा या फिर इसे विवादित बनाएगा, यह देखना होगा. फिलहाल कंपनी मंत्रालय से आग्रह है कि एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए व्यापारियों को यह विश्वास दिलावें कि आडिट ट्रेल को एक अनुपालन मात्र ही समझा जावेगा और सिर्फ और सिर्फ कुछ खास केस में ही इसे व्यापारी के खिलाफ इस्तेमाल किया जावेगा एवं विवाद का मुद्दा बनाया जावेगा.
इसके अलावा आडिटर पर अहम दबाव बनेगा कि आडिट ट्रेल के रिकॉर्ड को बारीकी से देखा कि नहीं क्यों की बाद में विभाग द्वारा उठाई गई एकाउंट्स में आपत्ति के लिए आडिटर भी जबाबदार होगा और ऐसे में आडिटर कंपनी आडिट करने से काफी डरेंगे एवं कोशिश करेंगे कि कंपनी के रूप में गठन कम से कम हो.
अत: यहाँ पर भी सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो ऐसे नियम और स्टेंडर्ड बनाए कि आडिटर को आडिट ट्रेल में यह बिन्दु देखने होंगे एवं इस पर रिपोर्ट करना होगा ताकि आडिट क्वालिटी बनी रहें. साथ ही व्यापारी में भी निश्चिन्तिता बनी रहे कि यह अनुपालन उसके हित में है, जिससे भविष्य में विवादों की गुंजाईश कम होगी.
*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965*
Dear Mr Anil Ji
You article are very much useful for public , tax payer as well as the businessmen.
i appreciate your efforts
Regards
SHIV AVTAR AGARWAL
Retired officer C&AG of India
Thanks a lot Sir….