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मिनिस्टरी ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के दिनांक २४ मार्च २०२३ के नोटिफ़िकेशन द्वारा ऑडिट ट्रेल के प्रावधान १.४.२०२३ से अनिवार्य कर दिये गए हैं । इस प्रावधान के महत्वपूर्ण बिन्दु इस तरह है :

1. यह उन सभी कंपनियों पर लागू है जो अपने अकाउंटस किसी अकाउंटिंग सॉफ्टवेर के जरिये करते हैं ।

2. उन्हे यह सुनिश्चित करना होंगा की उनका अकाउंटिंग सॉफ्टवेर हर ट्रैंज़ैक्शन के ऑडिट ट्रेल का रेकॉर्ड रखने मे सक्षम है ।

3. ऑडिट ट्रेल का रेकॉर्ड कभी भी अक्षम नहीं होना चाहिए ।उसकी निरंतरता बनी रहना चाहिए ।

ऑडिट ट्रेल क्या है ?

ऑडिट ट्रेल अकाउंटिंग सॉफ्टवेर मे एक ऐसा दस्तावेज़ होता है जो अक्कौंट्स मे किए गए हर बदलाव को रेकॉर्ड करता है एवं उसका एक एडिट लॉग तयार करता है । इसके जरिये यह पता लगाया जा सकता है की अकाउंटिंग मे कभी कोई बदलाव किया गया है क्या ? बदलाव किसने किया है ? क्या बदलाव किया है ?

ऑडिट ट्रेल का रेकॉर्ड रखने से क्या परिणाम होंगे ?

1. अकाउंटिंग धोखादड़ी रोकी जा सकेंगी : बड़ी कंपनियों मे अकाउंटिंग फ्राड्स के मामले अक्सर सुनने मे आते हैं । ऑडिट ट्रेल के जरिये अक्कौंट्स मे किए गए अनधिकृत बदलाव पकड़े जा सकेंगे एवं दोषी व्यक्तियों पर कारवाई की जा सकेंगी। कर्मचारी स्वंय ही ईमानदारी बरतने लगेंगे ।

2. अकाउंट्स की आडिटिंग मे मददगार साबित होंगा : ऑडिटर इस रेकॉर्ड के जरिये अक्कौंट्स मे किए गए बदलावों की जांच कर सकता है । उनके लिए यह एडिट लॉग मे रेडीमेड उपलब्ध राहेंगा । इससे उनके समय की बचत होंगी एवं अक्कौंट्स की विश्वनीयता पर सही रिपोर्ट कर सकेंगे ।

3. अक्कौंट्स की सटीकता एवं विश्वसनीयता बढ़ाएंगा : ऑडिट ट्रेल प्रावधान अनिवार्य होने से अक्कौंट्स मे बदलाव रोके जा सकेंगे । किए गए बदलावों का औचित्य मैनेजमेंट को बताना होंगा । अगर औडिटोर्स ने ऑडिट ट्रेल संबद्धित कोई टिप्पणी की है तो उसका कंपनी पर विपरीत असर हो सकता है । इसके चलते मैनेजमेंट ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे उनकी विश्वसनीयता पर आंच आए ।

4. अकाउंटिंग रेकॉर्ड को सुरक्षित रखने मे भी कारगार साबित होंगा : किसी अकाउंटिंग रेकॉर्ड खोने पर ऑडिट ट्रेल द्वारा फिर से बनाया जा सकेंगा ।

5. सरकारी विभागों के लिए कर चोरी पकड़ने मे मददगार : ऑडिट ट्रेल के जरिये बहीखातों मे की गयी हेरा फेरी आसानी से पकड़ी जा सकेंगी । सरकारी एजेंसिया जैसे की आयकर विभाग , जीएसटी विभाग , इन्फ़ार्समेंट डाइरेक्टरेट विभाग इत्यादि एडिट लॉग के जरिये अक्कौंट्स मे किए गए बदलावों की जांच कर सकती है एवं गैरकानूनी बदलावों पर कारवाई कर सकती है । इसके जरिये उन्हे न्यायालय मे अपना पक्ष रखने मे भी सहूलियत होंगी ।

ऑडिट ट्रेल के प्रावधानों का अनुपालन करना कंपनियों के लिए सरल नहीं होंगा । इसके अनुपालन के लिए छोटी कंपनियों को भी महंगे अकाउंटिंग सॉफ्टवेर एवं कुशल ,अनुभवी कर्मचारी रखना होंगा। जो की उनकी लागत बढ़ाएंगा । अकाउंटिंग मे गलतिया , पिछली तारीखों मे एंट्रिया आम बात है । इन सबका स्पष्टीकरण देना मुश्किल होंगा । सॉफ्टवेर मे आई कोई खामियों का भी जवाब देना होंगा ।

सरकार ने शुरुवात मे ये प्रावधान सिर्फ लिस्टेड कंपनियों , सरकारी इकाइयों पर ही लागू करना चाहिए था । फिर धीरे धीरे नीचे के स्तर पर आना था । जीएसटी मे ई- इन्वोइसिंग मे ऐसा ही किया गया था ।

व्यापारी वर्ग पहले सी ही आयकर , जीएसटी, कंपनी लॉं के अनुपालनों से परेशान है । ऐसे मे एक और अनुपालन व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ाने वाला है । उद्योग एवं ट्रेड संस्थाओं ने सरकार से अनुरोध करना चाहिए की ऑडिट ट्रेल के प्रावधान को स्टेप बाइ स्टेप लागू करे । प्रावधान लागू करने के पहले व्यापारियों को उचित तरीके से शिक्षित करे । सरकार ने कम दरों पर अकाउंटिंग सॉफ्टवेर जो की इस प्रावधान का सही पालन कर सकते है उपलब्ध करना चाहिए ।

व्यापारीयों ने भी अब अकाउंटिंग को खास तवज्जा देनी चाहिए। समय पर अकाउंटिंग होना नितांत जरूरी है । अकाउंटिंग मे किए गए बदलावों का स्पष्टीकरण का भी रेकॉर्ड रखे ताकि समय आने पर सही तरीके से समझाया जा सके । अन्यथा उन्हे कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है ।

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संकलन : सी ए सतीश गिरधरलाल सारडा | मोबा .9822229601, ईमेल – satishsardanagpur@gmail.com

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