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Chitragupta Accounting Systems

हमें यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ की सरकार की Accounting System Single Entry System  है और Accounting Method Cash Method है। आज़ादी के 75 वर्ष में क्या हमारे भारत में हमारे व्यवसाय के लोगो को नहीं पता की Single Entry System और Double Entry System में क्या अंतर है और Cash Method और Accrual Method में क्या अंतर है।

Basis for Comparison Single Entry System Double Entry System
Meaning The system of accounting in which only one sided entry is required to record financial transaction is Single Entry System The accounting system, in which every transaction affect two account simultaneously is known as Double Entry System
Nature Simple Complex
Type of Recording Incomplete Complete
Errors Hard to Identify Esay to locate
Ledger Personal & Cash Account Personal, Real & Nominal Account
Pefrable for Small Enterprises Big Enterprises
Preparation of Financial Statement Difficult Easy
Suitable for tax purpose No Yes
Financial Position Cannot be ascertained easily Can be ascertained easily

Cash Accounting Accrual Accounting
Recognises revenue when cash received Recognises revenue when it’s earned.
Recognises expenses when cash has been spent Recognises expenses when they’re billed
Taxes are not paid on mo ney that hasn’t been received yet. Taxes paid on money that  your’re still owed.
Mostly used by small business & sole Proprietors with no Inventory Mostly used by big business

हमें माफ़ कर देना की हम आप को यह अंतर बता रहे है, पर आप खुद ही सोचिये की जिसकी Accounting Data ही गलत हो वो सही Finance Report कैसे हो सकती है। हमारे हिसाबसे सरकार को Working Capital इस लिए कम होती नजर आती है क्यों की सरकार को यह तो पता है की कितना खर्च होने वाला है परन्तु सरकार को यह नहीं पता की कितना पैसा लेना बाकि है।  सरकार केवल Private Sector से इस लिए पीछे है क्यों की सरकार की Accounting System और Method गलत है। एक बनिया जिस Accounting System और Method पर अपना लेखा जोखा रखता है, उसी Accounting System और Method पर देश का लेखा जोखा रखे तो उस देश की अर्थ व्यवस्ता का क्या हालत होगा यह आप लोग खुद सोच लीजिए।  हमें तो यह जानकर आश्चर्य हो रहा है की पिछले 75 साल में किसीभी सरकार ने इसे बदल ने की कोसिस नहीं करि या तो करि होगी परन्तु अभी तक कामयाबी नहीं मिली।  सरकार को चाहिए की वो अपने Accounting System और Method बदले।

1. व्यापर में नफा का पूरी तरह इस्तमाल नहीं करना

इस अर्थतंत्र में Business नाम का Dam है जिसमे Profit रूपी पानी जमा हो रहा है जोकि Cash और Bank Income की नदी से आ रहा है। इस Dam के खर्च रूपी दरवाजा बंद होने के कारण इस Dam के पानी में एक Loan और Credit Card का बवंडर खड़ा हो गया है जिसमे करीब 90% आदमी फसे है।  इस Dam का पानी खतरे के निशान से ऊपर चला गया है इस लिए जरुरी हो गया है की जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी खर्च का दरवाजा खोल देना चाइये।

महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण नफा का पूरी तरह इस्तमाल नहीं करना है।  हर साल नफा नुकसान खाते से दो खाते Balance Sheet में जाते है एक स्टॉक और नफा, लेकिन दूसरे साल केवल स्टॉक ही नफा नुकसान खाते में लाया जाता है जिससे नफा नुकसान का खाता का Balance बिगड़ जाता है।  किसी भी साल में कोई भी खर्चा पिछले साल  के नफा से बाद नहीं किया जाता।  मान लीजिए की पिछले साल का नफा देखकर इस साल सभी स्टाफ की तन्खा बढ़ायी जाये, बढ़ी हुई तन्खा भी पिछले साल के नफा से बाद  नहीं किया जाता, बल्कि बढ़ी हुई तन्खा का बोझ  इस साल की आय पर पड़ता है, जिससे मालिक अपनी वस्तु की कीमत बढ़ा देता है जिससे महंगाई बढ़ती जाती है।

नफा का इस्तमाल Fixed Assets खरीदने के लिए किया जाता है परन्तु Depreciation के जरिए हर साल नफा नुकसान में बाद लेते है इस लिए नफा का कुछ समय तक इस्तमाल होता है, परन्तु पूरी तरह इस्तमाल नहीं होता।  यदि नफा का इस्तमाल होता तो नफा नुकसान का Balance घटता  जैसे की Fixed Assets का Balance Depreciation के जरिए घटता है लेकिन ऐसा नहीं होता, हर साल नफा नुकसान का Balance बढ़ता ही जाता है, केवल जिस साल नुकसान होता है तभी नफा का इस्तमाल होता है।  हमारे मत से नफा का एक ही इस्तमाल की वह केवल आय कर की गिनती में आता है।  नफा का इस्तमाल नहीं करने की वजह से 1964 में 24 कैरेट सोना प्रति 10 ग्राम 63.25 रूपये था और आज लगभग 88,000 रूपये से ज्यादा हो गया है।

ज्यादा तर व्यापारी का मानना है की खर्च कम करने से नफा बढ़ेगा लेकिन हमारे मत से यह गलत है क्योकि बिना आय के खर्च नहीं हो सकता, वैसे से ही बिना खर्च के आय भी संभव नहीं है, आय और खर्च एक दूसरे के पूरक है।  नफा का इस्तमाल नहीं करने की वजह से अमीर आदमी और  अमीर हो रहा है और गरीब और गरीब।  हमारी अर्थ व्यवस्था ऐसी है की जिसके पास खरीदने के लिए कोई सामान बाकि नहीं है उसकी खरीद शक्ति बढाती है और जिसके पास खरीदने के लिए बहोत सामान बाकि है उसकी खरीद शक्ति घटाती है।  यदि नफा का जल्द इस्तमाल नहीं किया गया तो हम कभी भी महंगाई और बेरोजगारी पे रोक नहीं लगा सकते है।

हमारे हिसाब से नफा नुकसान खाते को दो हिस्से में बाट देना चाहिए, एक Utilise नफा और दूसरा Unutilise नफा।  हमारे हिसाब से Long Term Investment यानि Fixed Assets को Utilise नफा मानना चाहिए और उसी में से Depreciation बाद करना चाहिए। Unutilise नफा को हर साल नफा नुकसान में ले जाना चाहिए और जो साल के अंत में नफा बचता है उस पर कर वसूलना चाहिए।

हमारे हिसाब से नफा या नुकसान केवल दो Accounting Group का अंतर है और कुछ नहीं।  नाही नफा होने से Balance Sheet  में 1 रूपया Assets बढ़ जाता है और नाही नुकसान होने से Balance Sheet में 1 रूपया Liabilities बढ़ जाता है।

3. Depreciation Expenses नहीं बल्कि Income है

आइये हम आप को एक उदाहरण के जरिये समजाये की हम ऐसा क्यों कह रहे है की Depreciation Expenses  नहीं बल्कि Income है। मान लीजिये पहले  साल में Balance Sheet में 2,00,00 Cash & Bank Balance और 2,00,000 रुपये Profit & Loss A/c  है तो Balance Sheet इस प्रकार बनेगी।

First Year Balance Sheet

Liabilities Amount Assets Amount
Profit & Loss A/c 2,00,000 Cash & Bank Balance 2,00,000
Total 2,00,000 Total 2,00,000

मान  लीजिये दूसरे साल में 1,00,000 का Fixed Assets Purchase करते है और 10,00,000 की Sale, 9,00,000 का खर्च और 10,000 का Depreciation हो तो क्या होगा।  जिस प्रकार Cash & Bank Balance  को दो हिस्से में बाटा उसी प्रकार Profit & Loss A/c  को भी दो हिस्से में बाटे तो दूसरे साल का Profit & Loss A/c और Balance Sheet कुछ इस प्रकार होगी।

Second Year Profit & Loss Account

Expenses Amount Income Amount
Expenses 9,00,000 Sale 10,00,000
Depreciation 10,000
Net Profit 90,000
Total 10,00,000 Total 10,00,000

Second Year Balance Sheet

Liabilities Amount Assets Amount
Profit & Loss A/c FA 1,00,000 Fixed Assets
Profit & Loss A/c Purchase 1,00,000
Opening 2,00,000 Less : Depreciation 10,000 90,000
Less : FA 1,00,000 Cash & Bank Balance
Add : Profit 90,000 1,90,000 Opening 2,00,000
Less : Fixed Assets 1,00,000
Add : Sale 10,00,00
Less : Expenses 9,00,000 2,00,000
Total 2,90,000 Total 2,90,000

दूसरे साल की Balance Sheet देख कर पता चलता है की Profit & Loss A/c  Fixed Assets जहा 1,00,000 दिखा ता है वही Fixed Assets 90,000 दिखा रहा है वैसे ही Profit & Loss A/c जहा 1,90,000 दिखा रहा है वही Cash & Bank Balance 2,00,000 ।  इस से पता लगता है की Depreciation का 10,000 Extra Cash & Bank Balance पैदा करता है, इसी लिए हम कहते है की Depreciation Expenses नहीं बल्कि Income है।  यही Depreciation का पैसा Duplicate खर्च डाल के काला धन बनता है।  हमारे हिसाब से Depreciation Balance Sheet के Profit & Loss A/c  से बाद करना चाहिए।  इस तरह Fixed Assets के लिए बाजार से दो बार रूपया लिया जाता है एक बार नफा के जरिये और दूसरी बार Depreciation के जरिये।

हम जानते है की आप लोग मेरी बात से सहमत नहीं होंगे क्यों की हम Accounts Principal पर सवाल उठा रहे है।  लेकिन यह सत्य है और सत्य हमेसा कड़वा होता है।

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