Summary: आयकर अधिनियम, 1961 में आय की परिभाषा सैलरी और लीगल पर्सन के लिए अलग-अलग है, जिससे टैक्स दरों और दायित्वों में असमानता आती है। सैलरी पर्सन (मानव द्वारा अर्जित आय) को अपनी पूरी सैलरी पर टैक्स देना होता है, जबकि लीगल पर्सन (जैसे कंपनियां, फर्म आदि) केवल अपने शुद्ध लाभ पर टैक्स देते हैं। सैलरी पर्सन को कोई खर्च घटाने की अनुमति नहीं है, जबकि लीगल पर्सन को आय प्राप्त करने के लिए किए गए सभी खर्च टैक्स से कम करने की अनुमति है। उदाहरण के तौर पर, यदि सैलरी और लीगल पर्सन दोनों की वार्षिक आय ₹10,00,000 है और उनका शुद्ध बचत या लाभ 10% है, तो सैलरी पर्सन को ₹44,200 टैक्स देना होगा, जबकि लीगल पर्सन केवल ₹30,000 टैक्स देगा। यह असमानता सैलरी पर्सन पर टैक्स का ज्यादा बोझ डालती है, जिससे उनके खर्च कम हो जाते हैं और आर्थिक मंदी जैसे प्रभाव देखे जा सकते हैं। आयकर अधिनियम के तहत सैलरी पर्सन को बुक्स ऑफ अकाउंट बनाए रखने की आवश्यकता नहीं होती, जबकि लीगल पर्सन को यह अनिवार्य है। यह भी उल्लेखनीय है कि लीगल पर्सन अपने उत्पाद या सेवाओं की दरें बढ़ा सकते हैं, जबकि सैलरी पर्सन अपनी आय में वृद्धि नहीं कर सकते। सरकार यदि सैलरी और लीगल पर्सन के लिए आय की परिभाषा समान कर दे, तो टैक्स प्रणाली अधिक समान और अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है।
आर्थिक मंदी यानि के महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने का तीसरा कारण Income Tax Act में Income की परिभासा Salary Person और Legal Person के लिए अलग अलग होना है।
इस लेख में Legal Person का मतलब Proprietor ship Firm, Partner Ship Firm, Private Limited, Limited, Association of Person etc. है।
हमने Feb-2012 में एक प्रश्न CA Club India पर भेजा था जिसका जवाब हमें आज तक नहीं मिला।
Net Profit is Income or Part of Income ?
(a) If Net Profit is Income than what is called Sales or Turnover
(b) If Net Profit is Part of Income than why Income Tax collected on part of Income
हम जानते है की हमें आज तक जवाब क्यों नहीं मिला क्यों की आप सब लोग हमें नादान समझ रहे है। लेकिन आप सब लोग इस की सचाई जानकर आप सब हैरान हो जायेंगे।
हमें माफ़ कर देना की हम आप सब को Income, Expenses और Part of Income की परिभाषा समझा रहे है।
Income
हमारे मत से कोई भी वस्तु या सेवा बाजार में बेचने से जो धन प्राप्त होता है उसे Income कहना चाहिए।
Expenses
हमारे मत से कोई भी वस्तु या सेवा बाजार से प्राप्त करने के लिए जो धन देना पड़ता है उसे Expenses कहना चाहिए।
Part of Income
हमारे मत से Income में से Expenses बाद करने के बाद जो धन बचता है उसे Part of Incomes कहना चाहिए।
Income Tax Act में पांच प्रकार के Income बताये गए है और सबकी Income अलग अलग है और Income Tax का Collection Base भी अलग अलग है।
Type of Income | Income as per Income Tax Act | Income Tax Collection Base |
Income from Salary | Salary | Income |
Income from House & Property | Rental Income | Part of Income |
Income from Business & Profession | Net Profit | Part of Income |
Income from Capital Gain | Capital Gain | Part of Income |
Income from Other Income | Other Income | Income |
कानून की नजर में Legal Person उसका अपना बेटा है और Salary Person सौतेला बेटा है इसी लिए Salary Persons को अपनी Salary (Income) पे Tax Pay करना पड़ता है और Legal Persons को अपनी Net Profit (Part of Income) पे Tax pay करना पड़ता है । लोग हमें कहते है की Legal Persons को Net Profit (Part of Income) पे Tax इस लिए Pay करना पड़ता है क्यों की Legal Persons जो Expenses करता है वह Income पाने के लिए करता है। लेकिन हम भी तो यही कह रहे है के कोई भी Income पाने के लिए Expenses करना ही पड़ता है फिर Salary Person को Income में से Expenses क्यों नहीं बाद मिलता जब की Income Tax Act के मुताबिक Salary Persons और Legal Persons एक बराबर है। हम जानते है के दोनों के लिए Income Tax Rate अलग अलग है। यदि मान लीजिये Assessment Year 2025-26 में एक Salary Persons और Legal Persons सालाना 10,00,000 की Income करते है और दोनों की Part of Income यानि के Saving और Net Profit 10% के हिसाब से 1,00,000 रूपये होती है। तब Salary Persons को 44,200 Tax Pay करना पड़ेगा और Legal Persons को 30,000 रूपए Tax Pay करना पड़ेगा। सरकार यह समझती है की Business Man का पुरे साल का घर खर्च केवल 70,000 रुपये होती है।
भले ही Income Tax Volume में Legal Person ज्यादा भरता हो परन्तु Ratio में Salary Person ही ज्यादा Income Tax भरता है। यदि Legal Person की Income का 10% Net Profit माने तो Legal Person अपनी Income का केवल 3% Income Tax भरता है वही Salary Person को Standard Deduction 75,000 और 3,00,000 की Income तक Income Tax में Free का लॉलीपॉप देकर उसके बाद की Income पर Starting Income Tax Rate 5% से शुरू होता है और जैसे जैसे Income बढ़ती है वैसे वैसे Income Tax Rate भी बढ़ता जाता है।
एक Salary Persons और एक Legal Persons में क्या अंतर है।
Salary Persons | Legal Persons |
Salary Persons birth from Human Being | Legal Persons birth from Legally |
No Expenses allow as per Income Tax Act | All Expenses allow as per Income Tax Act |
Income tax paid on Salary (Income) | Income Tax paid on Net Profit (Part of Income) |
No need to maintain books of accounts | Need to maintain books of account |
Salary Persons not increases his salary at any time | Legal persons increases his product or service rate at any time |
Personal Loan get hire rate of interest | Business Loan get lowest rate of interests |
Salary Persons utilize his saving | Business persons not utilize net profit |
Salary persons organisation is called family | Legal Persons Organization is called Business |
हम जानते है की इस साल के बजट में Salary Person को बोहत बड़ी राहत दी है परन्तु पिछले 75 साल से Salary Person पर Income Tax का ज्यादा बोझ लाद दिया गया था , जिसकी वजह से Salary Person ने अपना खर्च कम कर दिया जिसकी वजह से आर्थिक मंदी का दौर आ गया है। हमारे मत से यदि सरकार Income की परिभाषा Salary Persons और Legal Persons के लिए एक कर दे तो भारत 5% Income Tax Rate पे भी चल सकता है।