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वित्त विधेयक संख्या 02/2024 के तहत सीजीएसटी (CGST) और आईजीएसटी (IGST) अधिनियम, 2017 में कई महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्तावित किए गए हैं। इन संशोधनों का उद्देश्य कर प्रणाली को अधिक सुगम और प्रभावी बनाना है। इस लेख में, हम इन प्रस्तावित संशोधनों की विस्तार से समीक्षा करेंगे।

प्रस्तावित संशोधन निम्नलिखित क्रम के अनुसार 

1. यह कि मानव उपभोग के लिए शराब के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल को केंद्रीय कर के दायरे से बाहर करने के लिए धारा 9 में संशोधन किया जा रहा है। IGST अधिनियम और UTGST अधिनियम में भी इसी तरह के संशोधन प्रस्तावित हैं। वित्त विधेयक के भाग 110 में।

2. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 10 (5) में संशोधन किया जा रहा है ।ताकि 10(5) में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके।हैं।वित्त विधेयक के भाग 111 में।

3. यह कि धारा 11ए को सरकार को व्यापार में प्रचलित किसी भी सामान्य प्रथा के कारण केंद्रीय कर के गैर-उगाही या कम लेवी को नियमित करने के लिए सशक्त बनाने के लिए जोड़ा जा रहा है। IGST एक्ट , UTGST एक्ट और जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम में भी इसी तरह की शक्ति प्रस्तावित की जा रही है।।वित्त विधेयक के भाग 112 में।

4. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 13 (3) में संशोधन प्रस्तावित है। ताकि सेवाओं की आपूर्ति के समय के लिए प्रावधान किया जा सके, जहां रिवर्स चार्ज आपूर्ति के मामलों में सेवाओं के प्राप्तकर्ता द्वारा चालान जारी किया जाना आवश्यक है।वित्त विधेयक के भाग 113 में।

5. यह कि धारा 16(5)को मौजूदा उप-धारा (4) के लिए एक अपवाद बनाने और यह प्रदान करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16 में शामिल किया जा रहा है। कि वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए उक्त उप-धारा के तहत चालान या डेबिट नोट के संबंध में पंजीकृत व्यक्ति 30 नवंबर 2021 तक दायर धारा 39 के तहत किसी भी रिटर्न में इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का हकदार होगा।

यह कि धारा 16(6) नई उपधारा को शामिल किया जा रहा है।जो पंजीकरण रद्द करने की तारीख या पंजीकरण रद्द करने की प्रभावी तारीख से पंजीकरण रद्द करने के आदेश की तारीख तक की अवधि के लिए दाखिल रिटर्न में चालान या डेबिट नोट के संबंध में इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने की अनुमति देने के लिए डाली जा रही है, पंजीकरण रद्द करने के निरसन के आदेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर दायर किया गया।इस शर्त के अधीन कि उक्त चालान या डेबिट नोट के संबंध में क्रेडिट का लाभ उठाने की समय सीमा पहले ही समाप्त नहीं होनी चाहिए। पंजीकरण रद्द करने के आदेश की तारीख को 16 (4) के तहत संशोधन लागू होंगे। ये संशोधन 1 जुलाई, 2017 से प्रभावी हैं। इसके अलावा, जहां कर का भुगतान किया गया है या इनपुट टैक्स क्रेडिट को उलट दिया गया है, वहां कोई रिफंड स्वीकार्य नहीं होगा। वित्त विधेयक के भाग 114 में।

6. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 17 (5) में संशोधन किया जा रहा है। ताकि धारा 74 के तहत भुगतान किए गए कर के संबंध में इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुपलब्धता को केवल वित्तीय वर्ष 2023-24 तक की मांगों के लिए प्रतिबंधित किया जा सके। यह उक्त उपधारा में धारा 129 और 130 के संदर्भ को भी हटा देता है।वित्तविधेयक के खंड 115 में।

7. यह कि प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ उक्त धारा में शामिल करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम की धारा 21 में संशोधन किया जा रहा है। वित्त विधेयक के खंड 116 में।

8. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 30 (2) में एक नया प्रावधान जोड़ा जा रहा है, जिससे पंजीकरण रद्द करने के लिए शर्तें और प्रतिबंध निर्धारित करने हेतु एक सक्षम खंड उपलब्ध कराया जा सके। वित्त विधेयक का खंड 117मे।

9. यह कि रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म(RCM) आपूर्ति के मामले में प्राप्तकर्ता द्वारा चालान जारी करने की समय अवधि निर्धारित करने के लिए एक सक्षम प्रावधान को शामिल करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम की धारा 31(3) के खंड (एफ) में संशोधन किया जा रहा है। उक्त धारा की उप-धारा (3) में स्पष्टीकरण भी शामिल किया गया है। ताकि यह निर्दिष्ट किया जा सके। कि धारा 51 के तहत स्रोत पर कर कटौती के प्रयोजनों के लिए पंजीकृत आपूर्तिकर्ता को धारा 31 (3) के खंड (एफ) के प्रयोजन के लिए पंजीकृत व्यक्ति नहीं माना जाएगा। वित विधेयक का खंड 118 में।

10. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 35 (6) को संशोधित किया जा रहा है ।ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 119 मे।

11. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 39 (3) को प्रतिस्थापित किया जा रहा है। ताकि पंजीकृत व्यक्ति द्वारा स्रोत पर कर कटौती करने के लिए प्रत्येक माह के लिए इलेक्ट्रॉनिक रिटर्न प्रस्तुत करना अनिवार्य हो।भले ही उक्त महीने में कोई कटौती की गई हो या नहीं। यह सरकार को नियमों के माध्यम से यह निर्धारित करने का अधिकार भी देता है। कि ऐसा रिटर्न किस प्रकार, किस तरीके से और किस समय के भीतर दाखिल किया जाएगा। वित्त विधेयक का खंड 120 में।

12. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 49 (8) को संशोधित किया जा रहा है ।ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 121 में।

13. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 50(1) में संशोधन किया जा रहा है ।ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 122 में।

14. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 51 (7) को संशोधित किया जा रहा है ।ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 123 में।

15. यह कि धारा 54 (3) में संशोधन किया जा रहा है ।तथा सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54 में एक नई उप-धारा डाली जा रही है।ताकि यह प्रावधान किया जा सके। कि शून्य-रेटेड वस्तुओं की आपूर्ति के मामलों में अप्रयुक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट या एकीकृत कर की कोई वापसी की अनुमति नहीं दी जाएगी। जहां ऐसी वस्तुएं निर्यात शुल्क के अधीन हैं। वित्त विधेयक का खंड 124 में।

16. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 61 (3) को संशोधित किया जा रहा है ।ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 125 में।

17. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 62 (1) को संशोधित किया जा रहा है। ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 126 में।

18. यह कि प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ में उक्त धारा 63 में शामिल करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम की धारा 63 में संशोधन किया जा रहा है। वित्त विधेयक के खंड 127 में।

19. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 64 (2) को संशोधित किया जा रहा है ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 128 में।

20. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 65 (7) को संशोधित किया जा रहा है ।ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 129 में।

21. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 66(6) को संशोधित किया जा रहा है ।ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 130 में।

22. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 70 में उप-धारा (1ए) जोड़ी जा रही है।ताकि किसी अधिकृत प्रतिनिधि को उक्त अधिकारी द्वारा जारी समन के अनुपालन में समन किए गए व्यक्ति की ओर से उचित अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने में सक्षम बनाया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 131 में।

23. यह कि वित्तीय वर्ष 2023-24 तक की अवधि से संबंधित कर के निर्धारण के लिए उक्त धारा73 की प्रयोज्यता को प्रतिबंधित करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम की धारा 73 और 74में उप-धारा (12) डाली जा रही है। वित्त विधेयक के खंड 132 ,133 में।

24. यह कि वित्तीय वर्ष 2024-25 से संबंधित किसी भी कारण से भुगतान न किए गए या कम भुगतान किए गए या गलत तरीके से वापस किए गए या गलत तरीके से प्राप्त किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट या उपयोग किए गए कर के निर्धारण के लिए सीजीएसटी अधिनियम में धारा 74ए डाली जा रही है। यह वित्तीय वर्ष 2024-25 से आगे की मांगों के संबंध में मांग नोटिस और आदेश जारी करने के लिए समान सीमा अवधि का भी प्रावधान करता है। भले ही धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयानी या तथ्यों को छिपाने के आरोप लगाए गए हों या नहीं, जबकि धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयानी या तथ्यों को छिपाने से जुड़े मामलों के लिए उच्च दंड रखा गया है। वित्त विधेयक के खंड 134 में।

25. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 75 में उपधारा (2ए) डाली जा रही है।ताकि प्रस्तावित धारा 74ए की उपधारा (5) के खंड (ii) के अंतर्गत दंडात्मक प्रावधानों को लागू करने वाले नोटिस में मांगे गए जुर्माने के पुनर्निर्धारण का प्रावधान किया जा सके। ताकि उन मामलों में धारा 74ए की उपधारा (5) के खंड (i) के अनुसार जुर्माना पुनर्निर्धारित किया जा सके। जहां धोखाधड़ी, जानबूझकर गलत बयानी या तथ्यों को छिपाने के आरोप साबित नहीं होते हैं। यह धारा 75 में संशोधन करके इस धारा की प्रासंगिक उपधाराओं में धारा 74ए की उपधारा (2) और (7) या उसकी उपधाराओं का संदर्भ शामिल करता है। वित्त विधेयक के खंड 135 में।

26. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 104 की उप-धारा (1) को संशोधित किया जा रहा है। ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 136 में।

27. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 107 की उपधारा (6) में संशोधन किया जा रहा है। ताकि अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करने के लिए पूर्व-जमा की अधिकतम राशि को पच्चीस करोड़ रुपये से घटाकर बीस करोड़ रुपये किया जा सके। यह उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल करने के लिए उपधारा (11) में भी संशोधन करता है। वित्त विधेयक के खंड 137 में।

28. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 129 में संशोधन किया जा रहा है।ताकि सरकार को ऐसे मामलों के प्रकारों को अधिसूचित करने का अधिकार दिया जा सके। जिनकी सुनवाई केवल अपीलीय न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ द्वारा की जाएगी। वित्त विधेयक के खंड 138 में।

29. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 130 की उप-धारा (1) और (3) को संशोधित किया जा रहा है ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 139 में।

30. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 132 में उप-धारा (1) और (2) तथा उप-धारा (3) के खंड (iii) और (iv) में परिणामी परिवर्तन करने के लिए संशोधन किया जा रहा है, ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 140 में।

31. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 138 की उप-धारा (2) को संशोधित किया जा रहा है ।ताकि उक्त धारा में प्रस्तावित नई धारा 74ए का संदर्भ शामिल किया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 141 में।

32. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की धारा 160 में एक नई उप-धारा (2ए) जोड़ी जा रही है।ताकि यह प्रावधान किया जा सके। कि किसी व्यवसाय के गठन में परिवर्तन के मामले में, इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत पूर्ववर्ती पर लगाया गया कोई जुर्माना, उस स्थिति में उत्तराधिकारी पर लगाया गया जुर्माना माना जाएगा, जब परिवर्तन एकीकरण या विघटन के कारण हुआ हो। वित्त विधेयक के खंड 142 में।

33. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की अनुसूची I में संशोधन किया जा रहा है, ताकि सेवाओं के आयात से संबंधित प्रविष्टि (iv) के दायरे को सीमित किया जा सके।ताकि सीमा शुल्क बांडेड गोदामों में माल की आपूर्ति की गतिविधियों को बाहर रखा जा सके। वित्त विधेयक के खंड 143 में।

34. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की अनुसूची II में संशोधन किया जा रहा है। ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि यदि माल, जो किसी व्यवसाय की परिसंपत्तियों का हिस्सा है।व्यवसाय करने वाले व्यक्ति द्वारा या उसके निर्देशों के तहत स्थानांतरित या निपटाया जाता है।जिससे कि वह उन परिसंपत्तियों का हिस्सा नहीं रह जाता है, तो ऐसे हस्तांतरण या निपटान को व्यवसाय के क्रम में या उसे आगे बढ़ाने के लिए उस व्यक्ति द्वारा माल की आपूर्ति माना जाएगा। वित्त विधेयक के खंड 143 में।

35. यह कि सीजीएसटी अधिनियम की अनुसूची III में पैराग्राफ 8 को शामिल किया जा रहा है।ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि सह-बीमा समझौतों में प्रमुख बीमाकर्ता और सह-बीमाकर्ता द्वारा

बीमित व्यक्ति को संयुक्त रूप से प्रदान की गई बीमा सेवाओं के लिए प्रमुख बीमाकर्ता द्वारा सह-बीमाकर्ता को सह-बीमा प्रीमियम के आवंटन की गतिविधि को न तो वस्तुओं की आपूर्ति और न ही सेवाओं की आपूर्ति के रूप में माना जाएगा, बशर्ते कि प्रमुख बीमाकर्ता बीमित व्यक्ति द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम की पूरी राशि पर कर देयता का भुगतान करता है।

सीजीएसटी अधिनियम की अनुसूची III मे पैराग्राफ 9 को शामिल किया जा रहा है। ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि बीमाकर्ता द्वारा पुनर्बीमाकर्ता को दी गई सेवाएं, जिनके लिए बीमाकर्ता द्वारा पुनर्बीमाकर्ता को भुगतान किए गए पुनर्बीमा प्रीमियम से अधित्याग कमीशन या पुनर्बीमा कमीशन काट लिया जाता है, को न तो वस्तुओं की आपूर्ति और न ही सेवाओं की आपूर्ति के रूप में माना जाएगा। वित्त विधेयक के खंड 143 में।

एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर( IGST) में प्रस्तावित संशोधन 

एकीकृत माल एवं सेवा कर अधिनियम की धारा 5 की उपधारा (2) में संशोधन करना है, ताकि मानव उपभोग के लिए अल्कोहल युक्त शराब के विनिर्माण में प्रयुक्त अविकृत अतिरिक्त उदासीन अल्कोहल या परिशोधित स्प्रिट पर एकीकृत कर न लगाया जा सके। वित्त विधेयक के खंड 144 में।

एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 12 की उपधारा (1) में संशोधन करने का प्रावधान करता है, ताकि उन मामलों में सेवाओं की आपूर्ति का समय निर्दिष्ट किया जा सके जहां रिवर्स चार्ज आपूर्ति में सेवाओं के प्राप्तकर्ता द्वारा चालान जारी किया जाना अपेक्षित है। वित्त विधेयक के खंड 145 में।

एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 17 (8) के खंड (ख) में संशोधन करने का प्रावधान करता है, ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के लिए नवंबर, 2021 की 30 तारीख तक दाखिल रिटर्न को धारा 17 की उप-धारा (8) के खंड (ख) के तहत अधिकतम रिफंड का निर्धारण करने के लिए विचार नहीं किया जाएगा। वित्त विधेयक के खंड 146 में।

एकीकृत माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 20 की उप-धारा (1) में परिणामी संशोधन करना है, ताकि केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की प्रस्तावित नई धारा 74ए के संदर्भ को शामिल किया जा सके।वितविधेयक के खंड 147 में।

निष्कर्ष 

प्रस्तावित फाइनेंस बिल संख्या2/ 2024 के द्वारा जीएसटी अधिनियम 2017 में धारा 9 से लेकर 160 तक जो संशोधन प्रस्तावित है। उसको हमारे द्वारा सरल भाषा में स्पष्ट किया गया है ।अभी तक यह संशोधन प्रस्तावित है ।जब लोकसभा और राज्यसभा की कार्रवाई से यह संशोधन स्वीकार होंगे ।तभी से यह फाइनेंस बिल 2024 के रूप में स्वीकार योग्य होगा।

यह लेखक के निजी विचार हैं। इसका विधि प्रयोग ना करे ।क्योंकि यह अभी प्रस्तावित है।

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