जीएसटी एक्ट में Accounts And Records की समीक्षा
जीएसटी एक्ट 2017 के चैप्टर सात के शीर्षक अकाउंट्स एंड रिकॉर्ड्स में सेक्शन 35 और 36तथा नियम 56 की समीक्षा प्रस्तुत है। जिसे आसान भाषा में प्रत्येक विषय पर अलग-अलग समीक्षा के रूप में प्रस्तुत किया गया है ।जैसा कि आप सभी को ज्ञात है । कि जीएसटी एक्ट के अंतर्गत अकाउंट एंड रिकॉर्ड्स का रखरखाव एक महत्वपूर्ण नियम है ।अकाउंटस की किताबों में सेल ,परचेज , संपति,लायबिलिटी आदि के संबंध में रिकॉर्ड शामिल है। जिसे नियम 56 के साथ पढ़ना होगा ।जीएसटी है 2017 के सेक्शन 35 में एक रजिस्टर्ड पर्सन को अकाउंट्स एंड रिकॉर्ड्स की आवश्यकता को इंगित करती है।
विधि प्रावधन
सेक्शन 35 उप धारा 1 के अंतर्गत एक रजिस्टर्ड पर्सन को अपने व्यवसाय के प्रमुख स्थान पर जो पंजीकरण प्रमाण पत्र में अंकित हो। उस स्थान पर निम्नलिखित का सही और उचित खाता रखा जाएगा जैसे माल और सेवा की आपूर्ति या प्राप्ति माल का स्टॉक , गुडस के निर्माण का विवरण, आईटीसी का विवरण, कर और उसके भुगतान का आउटपुट का रजिस्टर और इस तरह के अन्य विवरण जो निर्धारित किए जा सकते हो।
उपरोक्त के अतिरिक्त नियम 56 उप नियम 1 के अंतर्गत एक रजिस्टर्ड पर्सन को रिवर्स चार्ज पर भुगतान, चालान ,आपूर्ति के बिल, क्रेडिट नोट डेबिट नोट ,आयातित और निर्यात किए गए वस्तु और सेवा का विवरण,सामान्य सेवा का विवरण आदि का सही सही लेखा रिकॉर्ड्स में रखना होगा।
स्टॉक रजिस्टर नियम 56 उप नियम 2के अंतर्गत एक रजिस्टर्ड पर्सन को अपने स्टॉक रजिस्टर में ओपनिंग स्टॉक,सप्लाई, खोए हुए सामान ,चोरी और नष्ट ,बट्टे खाते में डाले गए या उपहार के रूप निस्तारित या निशुल्क नमूने और कच्चे माल, तैयार माल ,स्क्रैप और अन्य का विवरण जिसमें क्लोजिंग स्टॉक का विवरण भी शामिल होगा। का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा।
रिसिप्ट वाउचर नियम 56 उप नियम 3 के अंतर्गत रजिस्टर्ड पर्सन को प्राप्त भुगतान के संबंध में रिसिप्ट वाउचर का रिकॉर्ड रखना होगा।
आईटीसी का विवरण नियम 56 उप नियम 4 के अंतर्गत एक रजिस्टर्ड पर्सन को जो टैक्स उसने एकत्रित किया है ।जो टैक्स उसने भुगतान किया है ।या जो आईटीसी उसके द्वारा दावा किया गया है। का विवरण रिवर्स चार्ज के अंतर्गत भुगतान ,अपंजीकृत व्यक्तियों से खरीदे गए माल का विवरण ,टैक्स का चालान, क्रेडिट नोट ,डेबिट नोट ,डिलीवरी चालान किसी भी कर अवधि के दौरान जारी या प्राप्त किया गया है का विवरण रखना होगा।
इनपुट और आउटपुट सप्लाई का विवरण नियम 56 उप नियम 5के अंतर्गत प्रत्येक रजिस्टर्ड व्यक्ति द्वारा इनपुट आउटपुट सप्लाई के संबंध में पूर्ण विवरण रखना होगा।
उत्पादन और निर्माण का विवरण नियम 56 उप नियम 12 के अंतर्गत प्रत्येक रजिस्टर्ड व्यक्ति को यदि वह उत्पादक है तो उसे कच्चे माल या निर्माण में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का पूर्ण विवरण रखना होगा।
सेवाओं के लिए प्रयोग किए गए माल का विवरण नियम 56 उप नियम 13 के अनुसार सेवाओं की सप्लाई करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक सेवा के संबंध में उपभोग किए गए माल का विवरण उपभोग में की गई इनपुट सेवाओं का विवरण तथा आपूर्ति की गई सेवाओं का विवरण देना होगा।
वर्क्स कांटेक्ट के संबंध में रिकॉर्ड नियम 56 उप नियम 14 के अनुसार यदि कोई पंजीकृत व्यक्ति वर्क्स कांटेक्ट के अंतर्गत निष्पादन का कार्य कर रहा है ।तो उसे प्रत्येक वर्क्स कांटेक्ट के लिए अलग-अलग विवरण रखना होगा ।जैसे उन व्यक्तियों के नाम और पते जिन की ओर से वर्क्स कांटेक्ट दिया गया है । वर्क्स कांटेक्ट के संबंध में प्राप्त गुडस और सर्विस का पूर्ण विवरण ।प्रत्येक वर्क्स कांटेक्ट के लिए उपयोग की जाने वाली गुड्स एंड सर्विस का पूर्ण विवरण ।प्रत्येक वर्क्स कांटेक्ट के संबंध में प्राप्त भुगतान का विवरण तथा आपूर्तिकर्ताओं के नाम और पते जिससे उन्होंने गुडस/ सर्विस की सप्लाई प्राप्त की है।
एजेंट के द्वारा रखे जाने वाला रिपोर्ट नियम 56 उप नियम 17 के अंतर्गत यदि किसी पंजीकृत व्यक्ति ने अपनी ओर से किसी प्राप्तकर्ता को गुड्स डिलीवर किया है । या प्रेषित किया है। और उस व्यक्ति को एजेंट के रूप में नियुक्ति दी है। तो उस व्यक्ति या एजेंट को प्राप्त गुड्स का पूर्ण विवरण रखना होगा।
नियम 56 उप नियम 11 के अंतर्गत प्रत्येक एजेंट को गुडस /सर्विस के विवरण को दर्शाने वाले अकाउंट्स का रखरखाव करना होगा जैसे प्रिंसिपल की ओर से प्रेषित माल और सेवाओं को प्राप्त करने या आपूर्ति करने के लिए प्रिंसिपल से एक ऑथराइज्ड लेटर, प्रिंसिपल की ओर से प्राप्त वस्तुओं सेवाओं का विवरण मूल्य और मात्रा सहित, प्रत्येक प्रिंसिपल की ओर से सप्लाई की गई वस्तुओं या सेवाओं का विवरण तथा आपूर्ति किए गए माल के भुगतान का विवरण।
बिजनेस पैलेस पर एकाउंट्स का रखरखाव सेक्शन 35 उप धारा 1 के अंतर्गत परंतु में व्यवसाय के एक से अधिक स्थान होने पर व्यापार के प्रत्येक स्थान से संबंधित अकाउंट उसको उसके व्यवसाय स्थल पर रखना होगा ।नियम 56 उप नियम 10 के अंतर्गत डाक्यूमेंट्स रजिस्टर या अन्य किसी पंजीकृत व्यक्ति से संबंधित वस्तुओं का विवरण सम्मिलित होना चाहिए।
रजिस्टर्ड पर्सन को मुख्य व्यवसाय स्थल के अतिरिक्त पंजीयन प्रमाण पत्र में घोषित अन्य व्यवसाय स्थल पर भी अपनी अकाउंट्स बुक स्कोर इलेक्ट्रॉनिकल रूप में भी डाटा संग्रहित कर सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक रूप में अभिलेखों का रखरखाव धारा 35 उपधारा 1 के दूसरे परंतु में एक पंजीकृत व्यक्ति अकाउंट्स बुक्स और अन्य स्टेटमेंट को निर्धारित विधि से इलेक्ट्रोनिकी रूप में भी रख सकता है ।जिस के संबंध में नियम 57 उपनियम 1में रिकॉर्ड को उचित इलेक्ट्रॉनिक बैकअप को इस तरीके से बनाया जाएगा और संरक्षित किया जाएगा कि दुर्घटना या किसी प्राकृतिक कारण से ऐसे रिकॉर्ड के नष्ट होने की स्थिति में सूचनाओं को उचित समय के अंदर बहाल किया जा सके ।नियम 56 उप नियम 15 के अनुसार रिकॉर्ड इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखा जा सकता है ।तथा रिकॉर्ड को डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से प्रमाणित किया जाएगा।
अकाउंट्स बुक्स में परिवर्तन नियम 56 उप नियम 8 के अनुसार रजिस्टर्ड पर्सन द्वारा अकाउंट्स या डाक्यूमेंट्स में एंट्री को मिटाया या ओवर राइटिंग नहीं किया जाएगा सभी गलत एंट्री को सत्यापन के अंतर्गत काट दिया जाएगा और उसके बाद सही एंट्री दर्ज की जाएगी जा अकाउंट्स बुक्स को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे जाएंगे। वह संपादित या हटाई गई किसी भी एंट्री को एक अलग foldar में दिखाया जाएगा। नियम 56 उप नियमों के अनुसार रजिस्टर्ड प्रशन द्वारा अकाउंट्स बुक्स , रिकॉर्ड को प्रत्येक खंड को क्रमानुसार संख्यानुसार किया जाएगा।
गोदाम /मालिक /संचालक द्वारा अभिलेखों का रखरखाव सेक्शन 35 उप धारा 2 के अंतर्गत प्रत्येक ट्रांसपोर्टर द्वारा गोदान / भंडारण के लिए उपयोग किए जाने वाले स्थान का मालिक या संचालक चाहे वह पंजीकृत हो या ना। माल भेजने वाले प्रेषक और माल के अन्य विवरण के लिए रिकॉर्ड रखेगा।
आयुक्त को आवश्यकतानुसार अधिसूचित या छूट प्रदान करने की शक्ति धारा 35 उप धारा 3 के अंतर्गत आयुक्त करयोग्य व्यक्तियों के अकाउंटस को ऐसे उद्देश के लिए अतिरिक्त खाते या डाक्यूमेंट्स बनाने के लिए अधिसूचित कर सकता है ।जैसा कि उसमें निर्दिष्ट किया गया हो ।धारा 35 धारा 4 में जहां कमिश्नर को यह मानने का कारण हो कि करयोग्य व्यक्ति का कोई documents इस धारा के प्रावधानों के अनुसार अकाउंट्स बुक्स बनाने में असमर्थ है ।तो वह लिखित रूप में रिकॉर्ड किए जाने वाले कारणों के लिए ऐसे कर योग्य व्यक्तियों के लिए अनुमति दे सकता है ।तथा इस तरीके से कर का निर्धारण किया जा सकता है।
Chartered accountant /Cost accountant द्वारा लेखा परीक्षण की समाप्ति धारा 35 उप धारा 5 के अंतर्गत चार्टर्ड अकाउंटेंट /कॉस्ट अकाउंटेंट द्वारा लेखा परीक्षा की समाप्त कर दिया गया है ।लेकिन वित्तीय वर्ष 2018-19,2019-20 20 -21 की GSTR 9Cके लिए रुपए 5 करोड से अधिक कर योग्य व्यक्ति की 9 C के अंतर्गत पुस्तकों का मिलान होना है ।नोटिफिकेशन संख्या 29 /2021 /सेंट्रल टैक्स/ डेटेड 30/7 /2021 के द्वारा रुपए 5 करोड़ से अधिक के करदाता द्वारा self-certification के द्वारा जीएसटीआर 9C का डिक्लेरेशन करना है।
Accounts books का अनुपालन नहीं करने का परिणाम धारा 35 उप धारा 6 के अंतर्गत जिन वस्तुओं /सेवाओं का हिसाब नहीं मिलेगा ।तो पंजीकृत व्यक्ति वस्तु या सेवा या दोनों का हिसाब किताब देने में विफल रहता है ।उचित अधिकारी ऐसी वस्तुओं या सेवाओं पर देयकर का निर्धारण करेगा ।जैसे कि ऐसी वस्तु या सेवा या दोनों की आपूर्ति की गई है ।तथा ऐसे कर की वसूली धारा 73 और 74 के अंतर्गत प्रवर्तनीय नियम सहित लागू होगी।
नियम 56 उपनियम 6 के अंतर्गत valid दस्तावेजों के संग्रहण के लिए यदि कोई करयोग सामान किसी भी लीगल डाक्यूमेंट्स के बिना घोषित किए गए स्थान अलावा किसी अन्य स्थान पर संग्रहित किया जाता है ।उचित अधिकारी ऐसे सामानों पर देयकर की राशि निर्धारित करेगा ।जैसा कि ऐसे गुडस पंजीकृत व्यक्ति द्वारा सप्लाई की गई है
लेखा पुस्तकों का रखरखाव धारा 36 के अंतर्गत जीएसटी एक्ट की धारा 35 उप धारा 1 के अंतर्गत अकाउंट्स बुक्स और रिकॉर्ड्स के संदर्भ में एक रजिस्टर्ड पर्सन को संबंधित वर्ष के लिए वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की देय तिथि से 72महीनों के समाप्ति तक उनका रखरखाव किया जाएगा।
धारा 36 के परंतु के अनुसार यदि रजिस्टर्ड पर्सन ने विवाद होने की स्थिति में किसी अपीलीय अधिकारी या अदालत के समक्ष किसी कार्रवाई में वह पार्टी है। आयुक्त द्वारा दायर किए गए वाद अध्याय21 के अंतर्गत अपराध की जांच के दिन हो ।ऐसे विवाद अपील या कार्रवाई यह जांच के अंतिम फैसले के 1 वर्ष की अवधि के लिए या ऊपर घोषित की गई अवधि के लिए उपरोक्त में जो भी बाद में हो अकाउंट्स बुक्स की डाक्यूमेंट्स की रखरखाव करना पंजीकृत व्यक्ति के लिए आवश्यक है ।नियम 56 उप नियम 16 के अनुसार रजिस्टर्ड पर्सन को सप्लाई ,क्रेडिट, डेबिट नोट, डिलीवरी नोट ,इनवार्ड सप्लाई ,आउटवार्ड सप्लाई से संबंधितअन्य सभी डाक्यूमेंट्स व्यापार से संबंधित स्थान पर रखा जाना चाहिए ।जो पंजीकरण में अंकित हो।
हिन्दी भाषा में इस लेख को लिखने के लिए, विशेष आभार। कृपा करके इसी तरह से मातृ भाषा में लिखते हुए लोगो का ज्ञान वृद्धि करते रहें।