वैश्विक उथल पुथल, बढ़ती जनसंख्या, मंहगाई, तेल के दाम, बेरोजगारी और सरकारी खर्च के बीच केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों की पेट्रोल डीजल और गैस पर संग्रहित करों पर निर्भरता ने आम आदमी का जनजीवन हलाकान कर दिया है.
राजस्व की वसूली सरकार द्वारा शास्ति, पेनल्टी, लेट फीस, ब्याज, आदि लगाकर जोर जबरदस्ती से करी जा रही है जिससे व्यापारी अलग हलाकान हो चुका है.
और इसके ऊपर इ-कामर्स और बढ़े बढ़े ग्रुप द्वारा रिटेल सेक्टर में कूदना एवं सरकारी प्रोत्साहन नीति से छोटे और रिटेल व्यापारी पर भविष्य का संकट उत्पन्न हो चुका है. इसके अलावा सरकारी योजनाओं और नीतियों के आधे अधूरें क्रियान्वयन से सारे प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं और व्यापार को उचित सहायता नहीं मिलने से राजस्व वृद्धि सही मायनों में नहीं हो पा रही और सरकारी अधिकारियों द्वारा जिस महीने फालोअप नहीं होता राजस्व गिर जाती है.
साफ है कि व्यापारिक वृद्धि के लिए बनाई गई सरकारी नीतियां अभी तक कारगर साबित नहीं हुई है और ऊपर से पेट्रोल डीजल पर निर्भरता ने मंहगाई और बेरोजगारी में आग लगा दी है एवं जनमानस में भारी असंतोष फैलता जा रहा है. जनमानस भलिभांति समझता है कि जो सरकार चलाने में सक्षम हैं, वे उसे ही चुनेंगे लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि जनता मंहगाई सहन करेगी. यदि सरकारों ने उचित कदम जल्द नहीं उठाये तो जनमानस का लोकतंत्र से विश्वास उठ जाएगा.
*ऐसे में सरकारों को क्या कदम उठाने चाहिए ताकि मंहगाई और बेरोजगारी पर लगाम लग सकें:*
1. जैसा कि हम सबको मालूम है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि राज्यों को केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाना जून 2022 से बंद हो जावेगा और ऐसे में जीएसटी काउंसिल के समक्ष जीएसटी दरों को बढ़ाने का विचार चल रहा है जो कि आत्मघाती कदम साबित हो सकता है.
2. इसके अलावा राज्य सरकारों की शराब और जूए के करों पर निर्भरता समाज के हित में बिलकुल भी नहीं है और असमाजिक गतिविधियों को जन्म देंगी जिससे हमें बचना होगा. खुले आम शराब परोसने की नीति से न केवल राजस्व कम होगा बल्कि सरकार के लिए दुविधाएं और बढ़ेंगी. यह विडम्बना ही तो है कि एक तरफ सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च कर रही है तो दूसरी और शराब और जूए की लत बढ़ा रही है.
3. केन्द्र सरकार द्वारा संचालित व्यापारिक प्रोत्साहन नीतियों और सब्सिडी का सही उपयोग न हो पाना एवं केन्द्रीय योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो पाना व्यापारिक वृद्धि दर नहीं बढ़ पाने का मुख्य कारण है और इससे सरकारी राजस्व में एवं रोजगार में बढ़ौतरी नहीं हो पा रही है. राज्य सरकारों को अब यह समझना होगा कि व्यापारिक प्रोत्साहन नीतियां खासकर एमएसएमई के लिए ही लागू कर जीएसटी राजस्व बढ़ाया जा सकता हैं जिससे मंहगाई और बेरोजगारी नियंत्रण में मदद मिलेगी.
4. गैर जरूरी सरकारी खर्चे को कम करना अब बहुत जरूरी हो गया है. सरकारी आफिस खर्च, गैर जरूरी विभागों को हटाना, गैर उत्पादी योजनाओं को बंद करना, टेक्नोलॉजी और आउटसोर्सिंग का उपयोग कर प्रशासनिक खर्च पर नियंत्रण के साथ बिजली कंपनियों के घाटे को कम करते हुए उनकी उत्पादकता को बढ़ाना, आदि कदमों से राजस्व की कमी को पूरा किया जा सकता है.
5. एक मानिटरिंग कमिटी या टीम का गठन हो जो इस बात पर नजर रखेगी कि सरकारी खर्चे का उचित उपयोग और योजनाओं का क्रियान्वयन सही समय पर हो और सही लाभार्थी को मिलें.
6. रीयल एस्टेट प्रापर्टी सेक्टर में सुधार की सबसे ज्यादा आवश्यकता है क्योंकि यह न केवल रोजगार का सबसे बड़ा सेक्टर है बल्कि राजस्व की वृद्धि की सबसे ज्यादा यहाँ पर संभावनाएं है.
7. इसमें सबसे पहले सरकारी प्रापर्टी का कमर्शियल उपयोग कर राजस्व वृद्धि दर्ज की जा सकती है और इसके लिए केन्द्र सरकार के साथ मिलकर राज्य सरकारें नीति बनाए जो समाजिक हितकर हो. आद्योगिक पार्क और कलस्टर का समयबद्ध तरीके से निर्माण और शुरू करना फोकस का क्षेत्र होना चाहिए.
8. व्यापारिक नीतियों में व्यापारी वर्ग और वित्तीय क्षेत्र से जुड़े विषय विशेषज्ञों को जोड़ना बहुत जरूरी है और समय की आवश्यकता है.
9. रीयल एस्टेट प्रापर्टी सेक्टर 70 अन्य क्षेत्रों से जुड़े होने के कारण रोजगार का महत्वपूर्ण साधन है और इसलिए प्रापर्टी खरीद फरोख्त पर करों के प्रावधानों को तर्कसंगत, न्यायसंगत और सुधार की बहुत आवश्यकता है. जब इसके खरीद फरोख्त पर राज्य सरकारों द्वारा स्टाम्प शुल्क लगाया जा रहा है तो फिर इस पर केपिटल गेन टैक्स आयकर के अन्तर्गत नहीं होना चाहिए.
10. स्टाम्प शुल्क का युक्त युक्तिकरण समय की आवश्यकता है. अभी हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा विधानसभा में विधेयक पास किया गया जिसके अनुसार अब प्रापर्टी को यदि 3 साल तक में बेचा जाता है तो स्टाम्प शुल्क सिर्फ खरीद बेच के अंतर की राशि पर ही लगेगा. यह एक महत्वपूर्ण नीति है जो रीयल एस्टेट प्रापर्टी सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव सुनिश्चित करेगी.
साफ है यदि सरकारों को महंगाई और बेरोजगारी पर नियंत्रण करना है तो- न तेल, न बिजली, न शराब, सिर्फ और सिर्फ रीयल एस्टेट सेक्टर में है संभावनाएं.
आपको ध्यान होगा जब पूंजी बाजार को बढ़ाने की जरूरत थी अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए तब पिछली सरकारों ने शेयर खरीद फरोख्त में आयकर में छूट देकर प्रोत्साहित किया था और उसका नतीजा यह है कि हमारा पूंजी बाजार आज इतना मजबूत है कि वैश्विक उथल पुथल के बाद भी कंपनियों और निवेशकों का सहारा बना हुआ है और यही जरूरत आज रीयल एस्टेट सेक्टर चाहता है.
*हजारों प्रोजेक्ट हमारे देश में रेरा के अनुमोदन के लिए महीनों सालों से अटके है. अब समय आ गया है कि सरकार इस क्षेत्र में टैक्स छूट जारी करें, स्टाम्प शुल्कों में सुधार कर दामों में कमी लावें और प्रापर्टी खरीद फरोख्त के नियमों को सरल एवं सुलभ कर सरकारी राजस्व में इस क्षेत्र का योगदान बढावें जिससे राजस्व तो बढ़ेगा साथ ही मंहगाई और बेरोजगारी पर भी लगाम कसेगी.*
*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965*