Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

क्या है आरबीआई की एकीकृत लोकपाल योजना और क्यों इसकी सबसे ज्यादा जरुरत है सहकारी क्षेत्र को:

हाल में भी प्रधानमंत्री ने आरबीआई की एकीकृत लोकपाल योजना को आरंभ किया जो 12/11/2021 से ही लागू हो गई है. इसके तहत आरबीआई के अन्तर्गत आने वाले सभी संस्थान चाहे वो बैंक हो या एनबीएफसी या ही पेमेंट सर्विस आपरेटर- सभी के खिलाफ ग्राहक एक ही लोकपाल जिसकी एक ही पोर्टल होगा और एक ही ईमेल होगा, शिकायत दर्ज करा सकेगा.

यह शिकायत तभी मान्य होगी जब संस्थान द्वारा आपकी शिकायत का निराकरण शिकायत करने के 30 दिन के भीतर नहीं किया गया है.

ग्राहक एक साल के भीतर एकीकृत लोकपाल योजना के अन्तर्गत आरबीआई के अन्तर्गत आने वाले संस्थानों की शिकायत कर सकता है.

आरबीआई की एकीकृत लोकपाल योजना और सहकारी क्षेत्र

यह सरकार द्वारा एक अच्छा कदम है जिसके अंतर्गत आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड संस्थानों की जबाबदेही बढ़ेगी और शिकायत का निराकरण समयबद्ध तरीके से होगा और साथ ही एक पता, एक ईमेल, एक पोर्टल होने से ग्राहक को जगह जगह भटकने की बजाय एक ही जगह से जबाब मिलेगा.

शिकायतें आरबीआई द्वारा अधिसूचित सेंट्रलाइज्ड रिसीप्ट एंड प्रोसेसिंग सेंटर को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से यानी ई-मेल के माध्यम से और फिजिकल मोड में भी दर्ज की जा सकती हैं।

ई-मेल [email protected] पर भेजना होगा।

अगर फिजिकल फॉर्म में शिकायत दर्ज कर रहे हैं तो शिकायतकर्ता या इसके अधिकृत प्रतिनिधि को इसे हस्ताक्षरित करना होगा।

फिजिकल तरीके से निर्धारित प्रारूप में शिकायत फॉर्म को सभी जरूरी जानकारियां भरकर, जरूरी दस्तावेजों के साथ ‘भारतीय रिजर्व बैंक, चौथी मंजिल, सेक्टर 17, चंडीगढ़ – 160017 में स्थापित ‘सेंट्रलाइज्ड रिसीप्ट एंड प्रोसेसिंग सेंटर’ को भेजा जा सकता है.

सही मायनों में आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड संस्थानों में फ्राड के या धोखाधड़ी के मौके सिस्टम की बेहतरी के साथ कम हो गए हैं और साथ ही ऐसी संस्थान अपने ग्राहक और व्यापार के प्रति सजग एवं बेहतर सेवाएं देने प्रतिबद्ध हैं, लेकिन दिक्कत सहकारी क्षेत्र में है जहाँ खुले आम ग्राहक और उनके सदस्यों का पैसा लूटा जा रहा है और उस पर न कोई रेगुलेटर और न ही कोई लोकपाल.

राजनीतिक संरक्षण प्राप्त इस क्षेत्र में धोखाधड़ी और फ्राड आए दिन होता रहता है और खबरों में सुनाई देता है और सही मायनों में इस क्षेत्र को रेगुलेट करने की है.

हालांकि सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है लेकिन आज स्थिति यह है कि सहकारी समितियों और संस्थानों की जबाबदारी लेने वाला कोई नहीं है और न ही सहकारिता मंत्रालय या विभाग किसी भी समस्या या शिकायत का निराकरण कर पाता है.

हजारों शिकायतें सहकारी संस्थाओं के खिलाफ विभागों एवं मंत्रालयों में पेंडिंग पड़ी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं है. सीधा जबाब यह होता है कि ये हमारे दायरे से बाहर है तो फिर रेगुलेशन किस बात का, आखिर रजिस्ट्रार की कोई जिम्मेदारी नहीं.

अधिक ब्याज का लालच देकर सैकड़ों सहकारी समितियों और संस्थानों ने ग्राहकों के करोड़ों रुपये लूट लिए और इनके संस्थापक गण बेखौफ घूम रहे हैं. महाराष्ट्र और यूपी में सबसे अधिक शिकायतें और फ्राड हो रहा है और मंत्रालय एवं विभाग आंखें मूंदे हुए हैं.

क्यों नहीं केन्द्र सरकार जो क्षेत्र सबसे कमजोर है, उस पर लोकपाल गठित नहीं कर रही?

लोकपाल तो दूर एक मजबूत रेगुलेटर भी नहीं बना पा रही और न ही कोई सरकारी एजेंसी मदद कर पा रही है. आम जनता की जमा पूंजी लूट चुकी यह सहकारी संस्थाएँ खुले आम काम कर रही है और कानून को अंगूठा दिखा रही है.

इसीलिए सरकार को बिना देरी किए केन्द्र और राज्य स्तर पर सहकारिता क्षेत्र में एकीकृत लोकपाल योजना को शुरू करना चाहिए क्योंकि आज जरूरत इस क्षेत्र को नियामक के दायरे में लाने की है और दूसरी बात सूक्ष्म वित्त क्षेत्र में सहकारी संस्थाओं के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

Read : Reserve Bank – Integrated Ombudsman Scheme, 2021

Sponsored

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Ads Free tax News and Updates
Sponsored
Search Post by Date
December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031