हाल में ही हैदराबाद आयकर अपीलीय प्राधिकरण ने एक सामाजिक एवं सेवा संस्थान फर्नाडीज फाउंडेशन की करमुक्त मान्यता को विभाग द्वारा रद्द करने के फैसले को सही ठहराया है. इस केस का नं आईटीए १८८४, १८८५, हैदराबाद, २०१९ एवं आईटीए २९९, हैदराबाद, २०२० है.
कहा यह गया कि उपरोक्त संस्थान जो की फर्नाडीज हास्पिटल नाम से अस्पताल चलाती है और स्वास्थ्य सेवाएं देती है, उसका हर मरीज से मार्केट दर से रेट चार्ज करती है.
आयकर अधिकारी द्वारा इस बात की पुष्टि की गई अस्पताल के कोई भी कागजात यह साबित नहीं कर पाए कि किसी भी तरह से मरीजों को सस्ते में सेवाएं दी जा रही हो.
अस्पताल यह भी नहीं बता पाया कि सरकारी दरों में कितना लाभ जोड़कर पैसे लिए जा रहे हैं. साफ प्रतीत हो रहा था कि अस्पताल व्यापारिक दृष्टिकोण से काम कर रहा है और मरीज से बाजार दरों के हिसाब से पैसे लिए जाते हैं एवं कहीं भी जनसेवा की भावना नहीं दिखती थी.
ऐसे में संस्था की करमुक्त मान्यता रद्द करना सही फैसला है ताकि जो पैसा गलत ढंग से जनसेवा के नाम पर कमाया जा रहा है उस पर उचित दर से आयकर भरा जावें.
पूरे देश में अस्पताल ही नहीं, कई धर्मार्थ संस्था द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल और स्कूल सेवा के नाम पर व्यापार कर रहे हैं. करमुक्त आय की आड़ में अपने प्रशासकों को फायदा पहुंचा रहे हैं और आम जनता को लूटा जा रहा है.
सबसे बुरा हाल तो स्कूली संस्थानों का है जहां धर्मार्थ के नाम पर बच्चों से मनमानी फीस वसूली जाती है, वो भी समाज में बिना कुछ योगदान दिए. यदि इनका वित्तीय पटल देखा जाए तो आप पाएंगे कि लाखों करोड़ों रुपए प्रापर्टी और बैंक एफडी के नाम पर पड़े हैं और इसके अलावा हजारों लाखों के हर साल अनाप शनाप खर्च डाले जाते हैं जिसका स्कूली शिक्षा से कोई लेनदेन नहीं होता. लेकिन सबकुछ देखकर और समझकर भी प्रशासन मौन रहता है एवं आयकर विभाग भी कुछ केस को छोड़कर सभी को सही मान लेता है.
अभी हाल में ही जबलपुर स्थित एक मिशनरी स्कूल जो लगभग सौ वर्षों से अध्यापन कार्य कर रही है और देश की एक नामी स्कूल है, उसके अध्यक्ष द्वारा पिछले २० सालों से लगातार शाला के नाम पर घोटाला किया जा रहा था. आज जब वह पकड़ा गया और राज खुला तो करीब ६०० करोड़ रुपए का घोटाला निकला.
यह पैसा उन अभिभावकों का है जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे. एक मिशनरी धर्मार्थ संस्था द्वारा सामाजिक सेवा देते हुए सस्ती और मुफ्त सेवा देने की बजाय मार्केट दर से भी ज्यादा से फीस वसूली गई. इसके अलावा किताबों के नाम पर, कपड़ों के नाम पर, खेलकूद के नाम पर, कंम्पयूटर शिक्षा, आदि के नाम पर जरुरत से ज्यादा आज भी पैसे वसूले जाते हैं.
धर्मार्थ संस्था के नाम पर अस्पतालों और स्कूलों के माध्यम से व्यापक स्तर पर लोगों के साथ करमुक्त के नाम पर सरकार को भी लूटा जा रहा है और वो भी खुलेआम. आप अन्य व्यापारिक संस्थान की तरह टैक्स भरिये और फीस लिजिए लेकिन धर्मार्थ के नाम पर करमुक्त होकर जनता को लूटना अब नहीं चलेगा.
धर्मार्थ कार्य के नाम पर इनके प्रशासकों द्वारा लूटा गया पैसा इनसे वसूलकर संस्थानों के कार्यों को सस्ते और मुफ्त में करवाया जावे तभी समाज को राहत मिलेगी.
हैदराबाद आयकर अपीलीय प्राधिकरण का यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा और ऐसे संस्थानों पर गाज गिरना तय है जो व्यापारिक तरीकों से कार्य कर रहे हैं एवं मार्केट दर से फीस ले रहे हैं.
*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर ९८२६१४४९६५*