पिछले दिनों वित्त मंत्री द्वारा बजट पूर्व सुझावों हेतु कई बड़े व्यापारिक, उद्योगिक एवं अर्थशास्त्रियों के साथ मीटिंग और विचार विमर्श किया गया जिसमें कुछ मुख्य सुझाव जो सामने आए:
1. आम टैक्सपेयर्स के लिये इनकम टैक्स स्लैब को तर्कसंगत करने का सुझाव दिया गया.
2. रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिये ज्यादा बजट का आवंटन
3. डिजिटल सर्विसेज को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देने जिससे उन्हें कर्ज उपलब्ध हो सके.
4. हाईडोजन स्टोरेज और फ्यूल सेल डेवलमेंट को बढ़ावा
5. ऑनलाईन को सुरक्षित बनाने के लिये ज्यादा खर्च करने जैसे सुझाव वित्त मंत्री को सौंपे गए .
साफ है कोई भी सुझाव छोटे व्यापारी और आम आदमी के दृष्टिगत रखते हुए नहीं किए गए और न ही सरकारी मंत्रियों और नौकरशाही ने इस ओर विचार विमर्श करना चाहा.
कैसे सरकारी राजस्व बढ़े, मंहगाई कम हो, रोजगार बढ़े, छोटे व्यापार और उद्योग को कैसे बढ़ावा मिलें, टैक्स अनुपालन और सरलीकरण की दिशा में क्या कदम होने चाहिए- इस पर कोई बात नहीं रखी गई तो फिर सुझाव किस काम कें और आने वाला बजट का क्या स्वरूप होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता हैं.
सुझाव जो आने वाले बजट में प्रावधान लाने चाहिए:
1. आयकर का पुराना स्लेब जो निवेश में की गई छूट प्रदान करता है, उसे जारी रखा जाना चाहिए.
2. नए आयकर स्लेब को खत्म करते हुए, 5 लाख रुपये तक की आय को करमुक्त रखा जाना चाहिए.
3. नए आयकर पोर्टल की खामियां और अभी भी हो रही परेशानियों को ध्यान में रखते हुए, रिटर्न या फार्म फाइल करने में हो रही देरी पर से ब्याज और शास्ति को हटाया जाये एवं पोर्टल को सरल बनाया जाए.
4. जीएसटी आईटीसी और इनवाइसिंग के नियमों को सरल एवं तर्कसंगत बनाया जाए.
5. कर नियमों के अनुपालन में शास्ति संबंधित प्रावधानों को कम किया जावे.
6. कंपनी, फर्म, सोसाइटी, कापरेटिव एवं अन्य संस्थानो के गठन एवं विभागों में रजिस्ट्रेशन संबंधित नियमों को फुल प्रूफ बनाया जाए ताकि सही व्यक्ति और लोग इसमें सम्मिलित हो जिससे फर्जीवाड़ा रुक सकें.
7. ऐसी संस्थानों को सरकार द्वारा चिन्हित किया जावे जिसमें आम आदमी अपनी जमापूंजी सुरक्षित भी रखें और उचित ब्याज दर भी प्राप्त हो.
8. स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी भुमिका को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना ताकि यह क्षेत्र सस्ता, सरल और सुलभ हो सकें और इसके लिए सरकार को व्यापक स्तर पर नीति बनानी होगी क्योंकि इस आपदा में हम सब इस बात को भलीभांति समझ चुके हैं कि ये क्षेत्र लाभ के लिए नहीं होने चाहिए.
9. अनाज की उपलब्धता और किसानों को एमएसपी का लाभ मिलें इसका नीति निर्धारण करना होगा ताकि कृषि लोन माफ करने जैसा कोई निर्णय न लेना पड़े.
10. व्यापार के लिए लोन उपलब्धता और उसका सही आंकलन पहला और सरल कदम होना चाहिए और साथ ही बैंकों को इतना मजबूत किया जावे कि वे लोन डिफाल्ट की वसूली के तुरंत कदम उठा सकें और दिवाला कानून जैसे ढकोसलो पर निर्भर न होना पड़े.
11. देश को आत्मनिर्भर बनाने वाले उत्पादों में काम करने वाली युनिट को 5 साल तक जीएसटी और आयकर से मुक्ति मिलें, इसका प्रावधान हो ताकि रोजगार बढ़ें.
12. छोटे व्यापार एवं उद्योग जिनका टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से कम हो, उनके लिए कैश और कर के नियमों के अनुपालन में ढील मिलें ताकि ऐसे युनिट सारा काम बिल और रिकॉर्ड पर करें और इससे सरकारी राजस्व भी बढ़ेगा.
13. बड़े आयकर दाताओं जिनकी आय 50 लाख रुपये से ऊपर है, उन पर से सरचार्ज हटाया जाए ताकि लोगों को अपनी आय ज्यादा दिखाने का प्रोत्साहन मिलें.
14. रुपये 250000/- से 500000/- तक की सालाना आय दिखाने वाले व्यक्तिगत करदाता को 2500/- रुपये सालाना अनिवार्य रूप से पीएम रीलीफ फंड में देना होगा क्यों कि 5 लाख तक की आय को करमुक्त किया जावे.
15. शेयर, म्यूचुअल फंड, प्रापर्टी, क्रिप्टोकरेंसी एवं अन्य गैर सरकारी निवेश के लिए सालाना शुद्ध आय 5 लाख रुपये से अधिक होना जरूरी किया जावे.
16. सरकारी आनलाइन पोर्टल की स्थापना की जावे ताकि लोकल स्तर पर रिटेलर अपना उत्पाद बेच सकें.
17. शहरी निकाय और स्थानीय एवं निगमीय स्तर पर नीति निर्धारण और फंड आवंटन हो ताकि शहरों और कस्बों का उचित विकास हो सकें.
18. राज्यों को जीएसटी का शेयर और अनुपूरक उनके द्वारा राज्य की जीडीपी में किए गए विकास के आधार पर निर्धारित हो. पिछड़े राज्य और प्राकृतिक रूप से ग्रसित राज्य का अलग नीति निर्धारण हो.
19. इलेक्ट्रिक वाहन पालिसी और विनिर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़े.
20. चिन्हित टेक्नोलॉजी पार्क, साफ्टवेयर पार्क, एसईजेड, इंडस्ट्रियल एरिया, आदि का विकास समयबद्ध तरीके से हो. इसी तरह स्मार्ट सिटी, एम्स हास्पिटल, कारिडोर, डेयरी, पशुपालन, सोलर एनर्जी, मेट्रो रेल, आदि परियोजनाओं की स्थिति एवं निष्पादन समयावधि में हो और बजटीय प्रावधान के मुकाबले कितना अंतर है, इसे भी बजट का हिस्सा बनाया जाए.
21. बिजली उपलब्धता एवं अन्य वैकल्पिक स्त्रोतों के विकास के लिए उचित बजटीय प्रावधान हो, यह तय होना भी जरूरी है.
सबसे जरूरी रीयल एस्टेट सेक्टर में करों और उसके वेल्यूयेशन नियमों पर उचित पालिसी नहीं बनेगी, तब तक यह क्षेत्र काले धन प्रमुख स्रोत बना रहेगा.
बजट पूर्व सुझावों में छोटे धंधों और आम व्यक्ति की छोटी संगठनों और व्यापारिक चैंबर्स को शामिल न करने से सरकार जमीनी स्तर पर हो रही परेशानियां समझ नही पाऐंगी और जब तक आम आदमी इस अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं बनेगा तब तक जीडीपी और राजस्व बढ़ना मुश्किल है.