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माल की खरीद पर आयकर टीडीएस का नया प्रावधान

194 Q – एक जुलाई 2021 से लागू टीडीएस प्रावधान की सरल भाषा में व्याख्या

दिनांक 1 जुलाई 2021 से ‘माल’ की खरीद पर एक टीडीएस का नया प्रावधान लागू हो रहा है जिसके तहत माल के क्रेता को अपने विक्रेता से माल की खरीद पर एक निश्चित प्रतिशत से टीडीएस की कटौती करनी है. आपको याद होगा कि पिछले वर्ष माल की बिक्री पर टीसीएस के प्रावधान धारा 206(C)(1H) के द्वारा आये थे और 194 Q के टीडीएस के प्रावधान इन्ही टीसीएस के प्रावधानों से बहुत कुछ मिलते जुलते भी हैं.

आइये 1 जुलाई 2021 से लागू इन प्रावधानों का अध्ययन करें और साथ में यह देखें कि ये नए प्रावधान क्या है और पिछले वर्ष ही लागू की गई धारा 206(C)((1H) से इन प्रावधानों का कोई सम्बन्ध भी है या केवल कुछ ही समानता है जिसका कोई व्यवहारिक महत्त्व नहीं है लेकिन ये दोनों एक से प्रावधान आपस में एक भ्रम तो पैदा कर ही रहें है. आइये सरल भाषा में समझें  कि इस समय 1 जुलाई 2021 से लागू होने वाले माल की खरीद पर धारा 194Q के टीडीएस के प्रावधान क्या है ताकि इसका सही ढंग से पालन हो सके.

1. धारा 194 Q किन खरीददारों पर लागू है :-

जिन खरीददारों का बीते हुए वर्ष में टर्नओवर, सकल प्राप्तिया बिक्री 10 करोड़ रूपये से अधिक था यह टीडीएस की धारा 194Q सिर्फ उन्ही खरीददारों पर ही लागू है . तो इस प्रकार 31 मार्च 2021 को जो वर्ष समाप्त हुआ है उस वर्ष में जिन क्रेताओं का टर्नओवर 10 करोड़ रूपये  से अधिक था उन्ही को अपने  निवासी  विक्रेता से एक वितीय वर्ष में 50 लाख रूपये से ऊपर की खरीद होने पर  से टीडीएस काटना है. यह टीडीएस पहले 50 लाख रूपये की रकम छोड़ते शेष रकम पर काटा जाना है .

इसलिए यदि किसी क्रेता का टर्नओवर 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष में 10 करोड़ रूपये से कम है उन्हें इस प्रावधान का पालन नहीं करना है इस प्रकार बहुत बड़ी संख्या में खरीददार करदाता टीडीएस के इस प्रावधान के बाहर ही रहेंगे

इस प्रकार के क्रेता जो कि धारा 194Q के टीडीएस काटने के उत्तरदायी है उन्हें हम आगे इस लेख में सुविधा के लिए “विशिष्ट क्रेता” या “क्रेता” कहेंगे यहाँ फिर से आपको याद दिला दें जिन क्रेता का 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष को टर्नओवर 10 करोड़ रूपये से अधिक था वे ही इस धारा 194Q के तहत टीडीएस काटने के उत्तरदायी होंगे .

2. किन विक्रेताओं से टीडीएस काटना है :-

किसी एक वित्तीय वर्ष में यदि जिस भी एक विक्रेता से “विशिष्ट क्रेता”ने जिस पर धारा 194Q लागू होता है 50 लाख रूपये से अधिक का माल खरीदा है उसमें से  50 लाख रूपये से अधिक की राशि पर  0.1 % की दर से टीडीएस काटना है . यहाँ ध्यान रखें कि यह विक्रेता आयकर प्रावधानों के अनुसार भारत का निवासी अर्थात रेजिडेंट होना चाहिए .

3. किस रकम पर टीडीएस काटना है :-

यह टीडीएस एक वित्तीय वर्ष में 50 लाख रूपये से ऊपर की रकम पर ही कटना है अर्थात यदि खरीद 67 लाख रूपये की है तो “विशिष्ट क्रेता” को टीडीएस सिर्फ 50 लाख रूपये  के ऊपर की रकम पर अर्थात 17 लाख रूपये पर ही काटना है . यहाँ ध्यान रखे हर वर्ष यदि टीडीएस इस धारा के तहत काटना बनता है तो हर वर्ष पहले हर विक्रेता का  50 लाख रूपये को छोड़कर ही काटना होगा .

उदाहरण के लिए यदि एक क्रेता ने एक विक्रेता से 4 बार में प्रत्येक बार 70 लाख रूपये का माल खरीदता है तो इस प्रकार एक वित्तीय वर्ष में मान लीजिये उसने कुल 280.00 लाख का माल खरीदा तो अब उसे इसमें से 50 लाख रूपये  घटा कर कुल 230.00 लाख रूपयेपर ही टीडीएस काटना है .

अब एक बात और ध्यान रखें कि यह 50 लाख रूपये की सीमा एक वित्तीय वर्ष के लिए है इसलिए अब जब यह प्रावधान 1 जुलाई 2021 से लागू हो रहा है तो टीडीएस तो आपको 1 जुलाई 2021 के बाद की खरीद पर ही काटना है लेकिन 50 लाख की सीमा मालुम करते समय 1अप्रैल 2021 से खरीद को भी गणना में लेना होगा.

1.उदाहरण :-

X एंड कंपनी ने Y एंड कंपनी से 1 अप्रैल 2021 से 30 जून तक खरीद 40 लाख रूपये की की है और अब 1 जुलाई 2021 को एक और खरीद इसी कम्पनी से 30 लाख रूपये की की है तो अब इस खरीद पर 30 लाख रूपये में से 10 लाख रूपये घटा कर 20 लाख रूपये पर टीडीएस काटना है. एक वित्तीय वर्ष की सीमा प्रति विक्रेता 50 लाख रूपये है तो X एंड कंपनी ने 30 जून से पूर्व ही इस सीमा में से 40 लाख रूपये की खरीद कर ली है तो अब 50 लाख रूपये की सीमा में से 10 लाख रूपये ही बचे है इसलिए यही राशि 1 जुलाई 2021 को की गई खरीद में से घटाई जाएगी .

2.उदाहरण :-

X एंड कंपनी ने Y एंड कंपनी से 1 अप्रैल 2021 से 30 जून तक खरीद 70  लाख रूपये की की है और अब 1 जुलाई 2021 को एक और खरीद इसी कम्पनी से 30 लाख रूपये की की है तो अब इस खरीद पर 30 लाख रूपये पर ही  टीडीएस काटना है. एक वित्तीय वर्ष

की सीमा प्रति विक्रेता 50 लाख रूपये है तो X एंड कंपनी ने 30 जून से पूर्व ही यह सीमा समाप्त हो गई है .

क्या जीएसटी जोड़ते हुए टीडीएस काटा जाना है :-

आप यह ध्यान रखें कि यह विवाद क्यों सामने आया है ? इसका कारण भी धारा 206 (C) (1H) के तहत काटा जाने वाला टीसीएस ही है जहां केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने यह स्पष्टीकरण दिया था कि टीसीएस जीएसटी सहित प्राप्त पूरी रकम पर ही काटा जाना है . 206 (C) (1H) माल की बिक्री से सम्बंधित तो है लेकिन इस पर टीसीएस की गणना पूर्ण रूप से “भुगतान प्राप्ती” के आधार पर होती है इसलिए वहां सर्कुलर नम्बर 17/2020 दिनांक 29 सितम्बर 2020 के द्वारा यह स्पष्टीकरण जारी किया है कि टीसीएस की गणना करते समय जीएसटी को शामिल किया जाएगा.

लेकिन धारा 194Q के तहत  टीडीएस के साथ ऐसा नहीं है इसलिए टीडीएस के सम्बन्ध में बोर्ड का एक सर्कुलर23/2017दिनांक 19 जुलाई 2017 जो कि सर्विसेज के बारे में हैं जहां यह कहा गया है कि “टीडीएस जीएसटी छोड़ते हुए काटा जाना चाहिए”ही लागू होना चाहिए . लेकिन यहाँ ध्यान में रखें कि माल के सम्बन्ध में ऐसा कोई स्पष्टीकरण अभी जारी नहीं हुआ है .

भ्रम और विवाद समाप्ति के लिए स्पष्टीकरण जारी होना चाहिए

यदि सरकार की मंशा कुछ और है अर्थात वह इस टीडीएस को जीएसटी की राशी पर भी कटवाना चाहती है तो इस सम्बन्ध में निर्देश 1 जुलाई 2021 से पूर्व सर्कुलर जारी कर दिए जाना चाहिए ताकि यह विवाद भी समाप्त हो.

4. किस समय टीडीएस काटना है :-

यदि इस धारा 194Q में दी हुई सभी शर्तें पूरी होती है तो यह टीडीएस उस समय काटना है जिस समय यह राशि विक्रेता के खाते में जमा अर्थात क्रेडिट की जाती है या उसे भुगतान की जाती है, में से जो घटना पहले हो अर्थात जब क्रेता द्वारा माल के खरीद की प्रविष्टी करते समय माल खाते को डेबिट कर  विक्रेता के खाते को क्रेडिट किया जाता है उस समय टीडीस काटना है लेकिन इस सम्बन्ध में विक्रेता को भुगतान पहले ही या एडवांस के रूप में  हो गया है तो भुगतान के समय ही टीडीएस काटना है. इसे आप आसान शब्दों में समझ लें आपने यदि एडवांस राशि का भुगतान नहीं किया  है तो आपको माल की खरीद के समय ही आपको यह टीडीएस काटना है और यदि आपने एडवांस भुगतान किया है तो एडवांस भुगतान के समय ही आपको यह टीडीएस काटना है. यहाँ आप ध्यान रखें कि जितनी राशि एडवांस दी है उसपर से एडवांस देते समय और शेष राशि माल खरीदते समय यह टीडीएस काटा जाना है .

5. टीडीएस की दर क्या होगी :-

टीडीएस की दर 0.1% होगी अर्थात व्यवहारिक रूप से टीडीएस काटने के योग्य प्रत्येक एक लाख रूपये पर यह राशि 100 रूपये होगी.  जितनी  रकम जिस पर टीडीएस काटा जाना हैं उसकी गणना आप कर लें यहाँ सिर्फ एक अनुमान के लिए 1 लाख रूपये का उदाहरण दिया गया है राशि की गणना निश्चित रकम के पर 0.1% की दर से करनी है,

उदाहरण -1

जैसे यदि क्रेता द्वारा एक वित्तीय वर्ष में  कुल 52,34,400.00 है और यह सारी खरीद 1 जुलाई 2021 के बाद ही है इसमें से 50 लाख रूपये घटाने 2,34,400.00 बचते है तो इस पर टीडीएस की राशि 234.00 रूपये होगी .

उदहारण-2 :-

यदि एक क्रेता ने अपने विक्रेता से 70 लाख रूपये का माल खरीदा है तो उसे टीडीएस के रूप में पहले 50 लाख रूपये छोड़ते हुए शेष 20 लाख रूपये 0.1% 2000.00 रूपये टीडीएस काटना है.

पेन नंबर नहीं देने पर टीडीएस की दर 5 %- धारा 206AA

यहाँ यह ध्यान रखे कि यदि विक्रेता अपना पेन नंबर नहीं देता है तो टीडीएस की यह दर 5 % होगी लेकिन आप स्वयं कल्पना कर सकते है कि यह एक बहुत ही लगभग दुर्लभ स्तिथी है क्यों कि इस समय पेन नंबर तो लगभग सभी डीलर्स के पास होते ही है लेकिन यदि किसी क्रेता के पास विक्रेता के पेन नंबर नहीं है तो फिर इस टीडीएस की दर 0.1% की जगह 5 प्रतिशत हो जायेगी.सामान्य  स्तिथी में जहाँ जिस व्यक्ति का टीडीएस काटा जाना है उसके पेन नंबर नहीं देने पर 20 प्रतिशत टीडीएस काटने का प्रावधान है लेकिन धारा 194Q के तहत पेन नम्बर नहीं देने पर यह दर 5 प्रतिशत होगी.

रिटर्न फाइल नहीं करने वालों के लिए टीडीएस की दर :- 206AB

1 जुलाई 2021 से जिन व्यक्तियों का टीडीएस काटा जाना है उनकी एक नई श्रेणी बताई गई है जिनके लिए टीडीएस सामान्य दर से नहीं काटा जाकर नियमित दर का दुगना या 5 प्रतिशत ,जो भी अधिक हो , से काटा जाएगा . यह प्रावधान आयकर कानून की धारा 206AB के तहत दी गयी है . आइये देखें, इन विशिष्ट व्यक्तियों की नई श्रेणी को, जिनका टीडीएस अधिक दर से काटा जाना है वह कैसे निर्धारित होगी. इस श्रेणी में जाने के लिए जो शर्तें धारा 206AB दी गई है वे निम्नप्रकार है :-

1. 31मार्च 2019 एवं 31 मार्च 2020 को समाप्त वर्ष के दौरान प्रत्येक वर्ष में जिनका टीडीएस एवं टीसीएस मिला कर 50 हजार रूपये से अधिक था

एवम

2. इन करदाताओं ने इन दो वर्षो अर्थात 31मार्च 2019 एवं 31 मार्च 2020 दोनों ही वर्षों के आयकर रिटर्न नहीं भरा है अर्थात वह व्यक्ति लगातार दो वर्षों के रिटर्न नहीं भरे है . ध्यान रखें यदि इन दो वर्षों में से किसी एक वर्ष का रिटर्न भी भर दिया है तो आपको उस विक्रेता का टीडीएस सामान्य दर अर्थात 0.1% प्रतिशत से ही काटना है .

आइये इस प्रावधान में निर्धारण वर्ष 2021-22 अर्थात 31 मार्च 2021 को समाप्त होने वाला वर्ष के रिटर्न से कब सम्बन्ध होगा तो याद रखें कि जिस दिन इस रिटर्न की धारा 139 (1) के तहत निर्धारित तिथी समाप्त हो जायेगी तब 31 मार्च 2020 और 31 मार्च 2021 वर्ष के रिटर्न और उसमें इन व्यक्तियों पर कटे टीडीएस/टीसीएस से विशिष्ट व्यक्ति का निर्धारण किया जाएगा और 31 मार्च 2019 के वर्ष को उस समय इस गणना से छोड़ दिया जाएगा.

अब हम 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के रिटर्न के बारे में बात करें तो इस रिटर्न के भरने की 139 (1) में दी हुई तारीख तक तो आपको इस वर्ष के रिटर्न के बारे में नहीं सोचना है लेकिन जब मान लीजिये 30 नवम्बर 2021 जो ऑडिट रिटर्न्स  की निर्धारित तिथी है तक रिटर्न नहीं भरा है तो 30 नवम्बर 2021 से  टीडीएस की  बढ़ी हुई दर लागू हो जायेगी यदि इस व्यक्ति ने वितीय वर्ष 19-20 का रिटर्न भी नहीं भरा है  लेकिन जैसे ही वह निर्धारिती वितीय वर्ष 2020-21 का  अपना रिटर्न भर देगा जो कि वह निर्धारित तिथी के बाद भरेगा तब फिर से टीडीएस की सामान्य दर लागू हो जायेगी . ऑडिट के अलावा अन्य रिटर्न्स की निर्धारित तिथी जो भी धारा 139 (1) में दी गई है उनके मामलों में वह तिथी काम आएगी.

यही प्रावधान अब धारा 194 Q के टीडीएस पर भी लागू होगा और इन परिस्तिथियों में  कर की दर 0.1% की जगह 5% प्रतिशत हो जायेगी.

6. टीडीएस कब जमा करना है :-

यह टीडीएस माह समाप्त होने के 7 वें दिन तक जमा करना है. 1 जुलाई 2021 से यह प्रावधान लागू हो रहा है तो इस प्रकार जुलाई 2021 कापहला  एकत्र कर 7 अगस्त 2021 तक जमा कराना हैऔर इसके बाद हर माह की समाप्ति के अगले माह के 7 वें दिन तक जमा करना है. यहाँ एक बात याद रखें कि मार्च माह का टीडीएस 30 अप्रैल तक जमा करना है .ऐसा नहीं होने पर नियमानुसार ब्याज का भुगतान करना होगा जैसा कि देरी से जमा कराये गए टीडीएस के साथ होता है.

7. रिटर्न कब भरना है :-

टीडीएस का रिटर्न 26Q टीडीएस रिटर्न्स में भरना है और इसे तिमाही आधार पर भरना है .

आइये देखें कि इस टीडीएस रिटर्न की निर्धारित तिथी क्या है :-

तिमाही समाप्ति निर्धारित तिथी
जून 31 जुलाई
सितम्बर 31 अक्तूबर
दिसंबर 31 जनवरी
मार्च 31 मई

8. टीडीएस नहीं काटने/जमा कराने का क्या परिणाम होगा :-

आयकर कानूनों की धारा  40(ia) के अनुसारकिसी निवासी को एक ऐसी रकम का भुगतान किया गया है जिस टीडीएस काटना है लेकिन काटा नहीं गया है और यदि काटा गया है और आयकर रिटर्न भरने के लिए जो धारा 139(1) में समय दिया गया है उस तक जमा नहीं कराया गया है तो जिस “रकम” पर टीडीएस काटना और जमा कराना है उस रकम के 30% उस व्यक्ति की आय में जोड़ दिया जाएगा . यह प्रावधान टीडीएस की धारा 194Q के तहत आने वाले टीडीएस पर भी लागू होगा इसलिए जहां भी टीडीएस के प्रावधान लागू होते हैं वहां टीडीएस अवश्य जमा कराना चाहिए क्यों कि माल के खरीद की रकम हमेशा बहुत ज्यादा होती है और उसका 30 प्रतिशत यदि अस्वीकार/अमान्य कर आय में जोड़ दिया जाए तो कर का काफी अधिक नुक्सान हो सकता है और फिर जब एक नियत तिथी , जो कि आयकर रिटर्न भरने की धारा 139 (1) में दी हुई तिथी होती है , के बाद आप टीडीएस जमा भी कराएँ और उस वर्ष,  जिसमें आपने टीडीएस जमा कराया है ,  में आपको इतनी बड़ी रकम की छूट मिले तो भी  उसका कोई महत्त्व नहीं होता है .

9. टीडीएस कब नहीं काटना है :-

इस सम्बन्ध में ऊपर लिखी सभी शर्तें पूरी होकर यदि टीडीएस काटने का दायित्व क्रेता का बनता है तो भी उसे यह टीडीएस नहीं काटना है और  ऐसी दो स्तिथियाँ बनती है:-

(i).जब कि आयकर कानून के तहत किसी अन्य प्रावधान के तहत  इस खरीद के व्यवहार पर टीडीएस काटा जाना हो .

(ii).जब कि उस व्यवहार पर विक्रेता द्वारा 206C (माल के विक्रय पर लागू टीसीएस प्रावधान धारा  206 (C) (1H) को छोड़ते हुए ) के तहत टीसीएस काटने के योग्य है तो वहां टीडीएस के प्रावधान लागू नहीं होते हैं.

यहाँ यह ध्यान रखे कि धारा 206C में टीसीएस के जितने भी प्रावधान है उनमें से 206 (C) (1H) को छोड़ते हुए किसी में भी  टीसीएस काटा जाना है तो फिर इस धारा के तहत टीडीएस नहीं काटा जाना है . लेकिन इस अपवाद से माल की बिक्री पर काटे जाने वाले टीसीएस को बाहर रखा गया है जो कि धारा 206C (1H) में है और यहीं धारा 194 Q और धारा 206C(1H) का सम्बन्ध शुरू होता है जिसे मैंने आगे एक उदहारण के माध्यम से समझाया है लेकिन यहाँ यह ध्यान रखे कि यदि कोई व्यवहार माल के क्रय पर टीडीएस धारा 194 Q के तहत आता हो और साथ ही धारा 206 (C) (1H) के तहत भी आता हो तो उस पर क्रेता ही टीडीएस काटेगा और यदि उसने टीडीएस काट लिया है तो ऐसे व्यवहार पर विक्रेता धारा 206 (C) (1H) को टीसीएस काटने की आवश्यकता नहीं है .- धारा 206 (C) (1H) का SecondProviso एवं बजट मेमोरेंडम वित्त विधयक 2021 पेज 76.

आइये अब कुछ उदहारण देखें

आइये अब कुछ ऐसे उदाहरण देखें जिन में माल की खरीद पर टीडीएस धारा 194Qमाल की बिक्री पर टीसीएस 206 (C) (1H) और एक ही व्यवहार पर  दोनों ही प्रावधान लागू होते है.

उदाहरण -1

X एक क्रेता है जो Y नामक एक विक्रेता से 70 लाख रूपये का माल खरीदता है.X (क्रेता) का 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष में वार्षिक टर्नओवर 15 करोड़ रुपये है लेकिन Y (विक्रेता) का वार्षिक टर्नओवर इसी अवधि में केवल 5 करोड़ रूपये है. माल का भुगतान माल प्राप्त होने के बाद किया जाता है .

इस व्यवहार पर केवल धारा 194 Q लागू होता है और X को इस व्यवहार में 70 लाख रूपये में से 50 लाख घटा कर 0.1% टीडीएस काटना है . इसके बाद 31 मार्च 2022 तक Y से होने वाली हर खरीद पर जितने रकम की भी खरीद हो उस पूरी रकम पर 0.1% टीडीएस काटना है .

उदहारण-2

X एक क्रेता है जो Y नामक एक विक्रेता से 70 लाख रूपये का माल खरीदता है. X (क्रेता) का 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष में वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ रुपये है लेकिन Y (विक्रेता) का वार्षिक टर्नओवर इसी अवधि में केवल 15 करोड़ रूपये है. माल का भुगतान माल प्राप्त होने के बाद किया जाता है.

इस व्यवहार पर 194 Q लागू नहीं होगा क्यों कि यहाँ क्रेता का टर्नओवर 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष के लिए 10 करोड़ रूपये से अधिक नहीं है लेकिन चूँकि विक्रेता का टर्नओवर इस अवधि के दौरान 10 करोड़ से अधिक था जो कि धारा 206 C(1H) की सीमा भी है इसलिए इस व्यवहार पर इस धारा के तहत 70 लाख रूपये के भुगतान के समय विक्रेता 50 लाख रूपये को घटाकर 20 लाख रूपये पर 0.1% की दर से धारा 206 C(1H) के तहत टीसीएस एकत्र कर जमा करायेगा.

उदाहरण -3

X एक क्रेता है जो Y नामक एक विक्रेता से 70 लाख रूपये का माल खरीदता है. X (क्रेता) का 31 मार्च 2021 को समाप्त वर्ष में वार्षिक टर्नओवर 15 करोड़ रुपये है और Y (विक्रेता) का वार्षिक टर्नओवर भी इसी अवधि में 20 करोड़ रूपये है. माल का भुगतान माल प्राप्त होने के बाद किया जाता है.

यही एक ऐसा उदाहरण है जिसके तहत धारा 194Q और धारा 206 C(1H) दोनों की शर्ते पूरी होती है क्यों कि क्रेता और विक्रेता दोनों का ही टर्नओवर 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष के दौरान 10 करोड़ रूपये से अधिक था और माल की खरीद / भुगतान की राशिभी 50 लाख रूपये से अधिक है . लेकिन यहाँ ध्यान रखे कि इस तरह के व्यवहार पर केवल टीडीएस ही काटा जाएगा जो कि क्रेता द्वारा माल की खरीद के समय काटा जाना है . जहाँ क्रेता पर टीडीएस के प्रावधान लागू होते है और टीडीएस काटा भीजाता है वहां धारा 206C(1H) के तहत माल की बिक्री पर लागू होने वाला टीसीएस लागू नहीं होता है .

नोट :- 1 जुलाई 2021 से टीडीएस का नया प्रावधान लागू हो रहा है उस पर किये गए अध्ययन के बाद एक आलेख आपको भेज रहें है . इस लेख को लिखते समय पूरी सावधानी रखी गई है लेकिन चूँकि विषय नया है इसलिए अभी भी इसमें त्रुटी रहने की  संभावना है. आपसे अनुरोध है कि इस आलेख को पढ़ें और इसमें सुधार के लिए सुझाव भेजने का कष्ट करें.

sudhirhalakhandi@gmail.com

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5 Comments

  1. Pawan Kumar Jha says:

    as we know, Normally Tds deducted by Bayer on Job Work Purchased and again TDS / TCS Charged under 194Q or 206 (C) (1H) if Job work Sale / pur is exceed by 50 Lacs. please clear us.

    1. sanjay says:

      Dear Sir,
      Thanks for sharing such simple informative expiation for new provisions of TCS.

      In this regards kindly give your advise if company is liabile for TCS on sale of lignite but due to submission of Form 27 D same is get exempted.
      in such case the provision of new section is apply or not for TCS.

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