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जीएसटी परिषद की 53 वी मीटिंग के  मुख्य प्रस्ताव और विश्लेषण –जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक 22 जून 2024 को नई दिल्ली में हुई। जो पिछली मीटिंग के करीब आठ महीने बाद हुई थी। नवनियुक्त केंद्रीय वित्त मंत्रीश्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस बैठक की अध्यक्षता की। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद यह जीएसटी परिषद की पहली मीटिंग थी। इस मीटिंग के मुख्य प्रस्ताव और उनका विश्लेषण निम्नलिखित हैं –

करदाताओं के लिए जीएसटी रिटर्न में परिवर्तन –

1. जीएसटी परिषद ने एक नए फॉर्म जीएसटी R 1A के लिए कार्यक्षमता को लागू करने को मंजूरी दी है। जो करदाताओं को वर्तमान कर अवधि के जीएसटीआर-1/तिमाही के पहले और दूसरे महीने के लिए आईएफएफ के विवरण को जोड़ने/संशोधित करने की अनुमति देता है। जो जीएसटीआर-3बी दाखिल करने से पहले छूट गया हो।

2. जीएसटीआर-1 में बी2सी आपूर्ति की रिपोर्टिंग: जीएसटीआर-1 की तालिका 5 में बिजनेस-टू-कंज्यूमर्स (बी2सी) अंतरराज्यीय आपूर्ति की चालान-वार रिपोर्टिंग की सीमा 2.5 लाख रुपये से घटाकर 1 लाख रुपये कर दी जाएगी।

3. जीएसटीआर-4 की अंतिम तिथि संशोधित: वित्त वर्ष 2024-25 से कंपोजिशन कर योग्य व्यक्तियों द्वारा फार्म जीएसटी R 4 की अंतिम तिथि को 30 जून  कर दिया गया है ।

विश्लेषण  कंपोजिशन करदाताओं के जीएसटीआर-4 की अंतिम तिथि बढ़ाई गई

पिछली देय तिथि: किसी भी वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद 30 अप्रैल।

प्रस्ताव नई देय तिथि: वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद 30 जून।

लागू तिथि: वित्तीय वर्ष 2024-25 से आगे के वित्तीय वर्षों के लिए।

प्रभाव: यह विस्तार उन करदाताओं को अपना जीएसटीआर-4 रिटर्न दाखिल करने के लिए अधिक समय देता है। जो कंपोजिशन लेवी का विकल्प चुनतेहै।

4. टीसीएस दर में कमी:- इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटरों (ECO) को सीजीएसटी अधिनियम की धारा 52(1) के अंतर्गत शुद्ध कर योग्य आपूर्ति पर 0.50% (सीजीएसटी और एसजीएसटी के अंतर्गत 0.25%/आईजीएसटी के तहत 0.50%) पर स्रोत पर कर एकत्रित करना होगा ।

विश्लेषण ई-कॉमर्स विक्रेताओं के लिए टीसीएस दर में कटौती

उद्देश्य: ई-कॉमर्स विक्रेताओं पर वित्तीय बोझ को कम करना।

नई टीसीएस दर: 1% से घटाकर 0.5% की गई।

नई दर का विवरण:

सीजीएसटी 0.25% + एसजीएसटी 0.25% तथा आईजीएसटी: 0.5%। यह परिवर्तन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले आपूर्तिकर्ताओं पर वित्तीय प्रभाव को कम करने में मदद करता है।

5. जीएसटीआर-7 -की अनिवार्य फाइलिंग: फार्म जीएसटी R 7 अनिवार्य रूप से दाखिल किया जाना चाहिए। भले ही कोई टीडीएस कटौती न की गई हो।चालान-वार रिपोर्ट की गई हो और शून्य फाइलिंग के लिए कोई विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा।

6. जीएसटीआर-9/9ए दाखिल करने की छूट: वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीएसटीआर-9/9A में वार्षिक रिटर्न दाखिल करने से 2 करोड़ रुपये तक के कुल वार्षिक कारोबार वाले करदाताओं को छूट दी जाएगी।

विश्लेषण जीएसटी काउंसिल ने पुनः वित्तीय वर्ष 2023 24 के लिए एनुअल रिटर्न जीएसटी 9/9 ए रुपए 2 करोड़ से कम के लिए छूट प्रदान कर दी है ।पूर्व वित्तीय वर्षों की तरह।मेरे मत अनुसार जीएसटी काउंसिल का यह निर्णय त्रुटि पूर्ण है ।क्योंकि जितने भी विवाद कायम हुए हैं ।वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर वित्तीय वर्ष 2019-20 तक के लिए जीएसटी 9 /9A दाखिल करने की छूट देने के कारण हुए हैं ।यदि करदाता अपना जीएसटी 9 दाखिल करता है। तो वह अपनी ITC का स्पष्ट हिसाब रख सकता था ।और प्रॉपर ऑफिसर को उसके जीएसटी R 9 के आधार से निस्तारण करना चाहिए था।

7. धारा 16(4) में संशोधन: -30 नवंबर 2021 तक दाखिल किए गए ।किसी भी जीएसटीआर-3बी में चालान या डेबिट नोट के लिए आईटीसी का लाभ उठाने की समय सीमा (वित्त वर्ष 17-18, 18-19, 19-20 और 20-21 के लिए लागू) 30 नवंबर 2021 मानी जा सकती है।जो 1 जुलाई 2017 से पूर्वव्यापी रूप से लागू होगी। इसके अलावा, धारा 16(4) में छूट दी जाएगी। जहां पंजीकरण रद्द करने की तारीख/पंजीकरण रद्द करने की प्रभावी तारीख से पंजीकरण रद्द करने की तारीख तक की अवधि के लिए रिटर्न पंजीकृत व्यक्ति द्वारा निरस्त के आदेश के 30 दिनों के भीतर दाखिल किए जाते हैं।

(A)धारा 16(4) के अनुसार आईटीसी का लाभ उठाने के लिए विस्तार वित्त वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए विस्तारित समय सीमा: वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के लिए धारा 16(4) के अनुसार  किसी भी कर चालान के लिए आईटीसी का लाभ उठाने की समय सीमा 30 नवंबर 2021 तक बढ़ा दी गई है। यह प्रावधान 1 जुलाई 2017 से पूर्वव्यापी रूप से लागू होगा।

वित्तीय वर्ष ITC क्लेम की विस्तारित दिनांक  ITC का लाभ लेने की दिनांक (प्रस्तावित)
2017-18 23.4.2019 30.11.2021
2018-19 20.10.2019 30.11.2021
2019-20 24.10.2020 30.11.2021
2020-21 24.10.2021 30.11.2021

(B) निरस्त पंजीकरण के लिए विस्तार: जीएसटी परिषद ने 1 जुलाई 2017 से प्रभावी पूर्वव्यापी संशोधन की प्रस्ताव किया गया  है। ताकि उन मामलों में सशर्त छूट दी जा सके।जहां पंजीकरण रद्द करने की तिथि से लेकर पंजीकरण रद्द करने की तिथि तक की अवधि के लिए रिटर्न पंजीकृत व्यक्ति द्वारा रद्द करने के आदेश के 30दिनों के भीतर दाखिल किया जाता है। उदाहरण विभाग द्वारा पंजीकरण रद्द कर दिया गया दिनांक 01-06-2024 निरस्तीकरण हेतु  आदेश प्राप्त हुआ दिनांक 31-12-2024  वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए धारा 16(4) के अनुसार आईटीसी का लाभ उठाने की मूल अंतिम तिथि 30-11-2024

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए धारा 16(4) के तहत आईटीसी का लाभ उठाने की अंतिम तिथि बढ़ाई गई 30-01-2025

विशेष जिन व्यवसायों का जीएसटी पंजीकरण रद्द कर दिया गया था, वे 30 जनवरी 2025 तक आईटीसी का दावा कर सकते हैं।, बशर्ते उस अवधि के लिए रिटर्न निरस्तीकरण के आदेश से 30 दिनों के भीतर दाखिल किया जाए।, अर्थात 30 जनवरी 2025 तक।

(C) जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 16(4) की उपयोगिता को स्पष्ट करने का प्रस्ताव दिया  है। विशेष रूप से रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) के अंतर्गत प्राप्तकर्ता द्वारा जारी किए गए चालान के संबंध में। ऐसे मामलों में जहां आपूर्ति अपंजीकृत आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त की जाती है। और कर आरसीएम(RCM )के अंतर्गत प्राप्तकर्ता द्वारा देय होता है। इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ उठाने के लिए समय सीमा की गणना करने के लिए  वित्तीय वर्ष वह वित्तीय वर्ष होता है। जिसमें प्राप्तकर्ता चालान जारी करता है।

8. सीजीएसटी नियम 88बी में संशोधन-: जीएसटी परिषद ने फार्म जीएसटी R 3B दाखिल करने  की नियत तिथि पर इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर में उपलब्ध राशि पर ब्याज नहीं लगाने की सिफारिश की है। और जीएसटीआर-3बी दाखिल करने में देरी के मामलों में उक्त रिटर्न दाखिल करते समय इसे डेबिट कर दिया जाता है।

विश्लेषण विलंबित रिटर्न दाखिल करने पर ब्याज से राहत उद्देश्य: करदाताओं पर ब्याज का बोझ कम करना। प्रस्ताव: रिटर्न दाखिल करने में देरी के मामले में सीजीएसटी अधिनियम की धारा 50 के तहत ब्याज न लगाने के लिए नियम 88बी में संशोधन, उक्त रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथि पर इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर (ECL) में उपलब्ध राशि पर।

कर निर्धारण से संबंधित परिवर्तन – 1.नई धारा 128A: जीएसटी काउंसिल ने धोखाधड़ी, दमन और गलत बयानी से जुड़े मामलों के लिए सीजीएसटी की धारा 73 (वित्त वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए लागू) के अंतर्गत जारी किए गए डिमांड नोटिस के लिए ब्याज और दंड माफ कर दिया है। यह उन मामलों पर लागू होता है। जहां करदाता 31 मार्च 2025 तक नोटिस में पूरी राशि का भुगतान करता है।

विश्लेषण 

उपयोगिता : यह छूट वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए धारा 73 के अंतर्गत उठाई गई मांगों पर लागू होती है।

लाभ: करदाताओं को ब्याज और जुर्माने से छूट मिल सकती है।

शर्त: पूर्ण कर राशि का भुगतान 31.03.2025 तक किया जाना चाहिए।

अपवाद: यह छूट निम्नलिखित पर लागू नहीं होती:

a. धारा 74 के अंतर्गत नोटिस जारी किए गए।

b. धन वापसी Refund से संबंधित । रिफंड धारा 73 या धारा 74 के अंतर्गत हों।

2. धारा 73 और 74 में बदलाव:- धोखाधड़ी/गैर-धोखाधड़ी के रूप में मामलों में अंतर किए बिना इन दोनों प्रावधानों के अनुसार मांग नोटिस और आदेश जारी करने के लिए एक सामान्य समय सीमा निर्धारित की जाएगी। करदाताओं के लिए ब्याज के साथ मांगे गए कर का भुगतान करके कम दंड का लाभ लेने की समय सीमा 30 दिनों से बढ़ाकर 60 दिन कर दी जाएगी। वित्तीय वर्ष 2024-25 से प्रस्ताव किया गया।

जीएसटी एक्ट में अपील से संबंधित परिवर्तन- 

1. जीएसटी अपील के लिए निर्धारित मौद्रिक सीमाएं: इन कानूनी मंचों के समक्ष विभाग द्वारा अपील दायर करने के लिए अनुशंसित मौद्रिक सीमाएं जीएसटी अपील ट्रिब्यूनल के लिए 20 लाख रुपये, उच्च न्यायालय के लिए 1 करोड़ रुपये और उच्चतम न्यायालय के लिए 2 करोड़ रुपये हैं। 

2. धारा 107 और 112 में संशोधन: अपीलीय अधिकारियों के समक्ष अपील दायर करने के लिए पूर्व-जमा की अधिकतम राशि को सीजीएसटी के तहत 25 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के तहत 25 करोड़ रुपये से घटाकर क्रमशः 20 करोड़ रुपये कर दिया जाएगा। इसके अलावा, जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील के लिए पूर्व-जमा की राशि को सीजीएसटी के तहत 50 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के तहत 50 करोड़ रुपये की अधिकतम राशि के साथ 20% से घटाकर सीजीएसटी के तहत 20 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के तहत 20 करोड़ रुपये की अधिकतम राशि के साथ 10% कर दिया गया है।

3. धारा 109 और 117 में संशोधन के लिए सनसेट क्लॉज: लंबित मुनाफाखोरी विरोधी मामलों के लिए सनसेट क्लॉज जोड़ा जाएगा और सुनवाई पैनल को सीसीआई से जीएसटीएटी की मुख्य पीठ में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया है। जीएसटी परिषद ने मुनाफाखोरी विरोधी के संबंध में कोई भी नया आवेदन प्राप्त करने के लिए 1 अप्रैल 2025 की सनसेट तिथि की भी सिफारिश की है।

4. जीएसटीएटी के समक्ष अपील दायर करने की समय सीमा: जीएसटी परिषद ने जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर करने के लिए 3 महीने का समय प्रदान करने के लिए धारा 112 को संशोधित करने की सिफारिश की। यह एक ऐसी तारीख से शुरू होगा। जिसे सरकार द्वारा अभी अधिसूचित किया जाना है।संभवतः 5 अगस्त 2024 तक घोषित किया जाएगा क्योंकि यह अंतिम तिथि है।

विश्लेषण जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील दायर करने की तिथि बढ़ाई गई।

कारण: जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) का गठन अभी भी होना बाकी है।

प्रस्ताव: सीजीएसटी अधिनियम में संशोधन करके यह प्रावधान किया जाए कि जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील दायर करने की तीन महीने की अवधि सरकार द्वारा अधिसूचित तिथि से शुरू होगी।

प्रभाव: इससे करदाताओं को न्यायाधिकरण की स्थापना के बाद लंबित मामलों में अपील दायर करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा।

जीएसटीएटी के अध्यक्ष की नियुक्ति 6 मई 2024 को की गई और यह जल्द ही चालू हो जाएगा।

अन्य प्रस्ताव – 1.नई धारा 11ए: नया प्रावधान जीएसटी के गैर-उगाही या कम उगाही को नियमित करने की अनुमति देता है।, जहां सामान्य व्यापार प्रथाओं के कारण कर का कम भुगतान किया जा रहा था, या भुगतान नहीं किया जा रहा था। 

2. निर्यात के बाद मूल्य में वृद्धि के कारण आईजीएसटी रिफंड: निर्यात के बाद वस्तुओं के मूल्य में किसी भी वृद्धि के कारण भुगतान किए गए अतिरिक्त आईजीएसटी के रिफंड का दावा करने के लिए एक system शुरू किया जा रहा है। जिससे करदाताओं को ऐसे कदम के कारण भुगतान किए गए अतिरिक्त आईजीएसटी के लिए रिफंड का दावा करने में मदद मिलेगी।

विश्लेषण यह प्रस्ताव निर्यातकों को किसी भी अतिरिक्त IGST के लिए रिफंड का दावा करने की अनुमति देती है। क्योंकि निर्यात के बाद माल की कीमत में वृद्धि हुई थी।

3. विशिष्ट मामले में आईजीएसटी(IGST) की वापसी नहीं: जहां निर्यात शुल्क देय है। वहां धारा 16 और 54 को संशोधित करके आईजीएसटी(IGST) वापस नहीं किया जाएगा। यह कर के भुगतान के साथ या उसके बिना एसईजेड इकाई/डेवलपर को निर्यात और आपूर्ति दोनों के लिए लागू होता है।

4. इनपुट टैक्स क्रेडिट(ITC) पात्रता वाले संबंधित व्यक्ति द्वारा सेवाओं के आयात के मूल्यांकन पर प्रस्ताव जीएसटी परिषद ने यह स्पष्ट करने की प्रस्ताव दिया है। कि ऐसे मामलों में जहां विदेशी सहयोगी संबंधित घरेलू इकाई को कुछ सेवाएं प्रदान कर रहा है। जिसके लिए उक्त संबंधित घरेलू इकाई को पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC)उपलब्ध है। उक्त संबंधित घरेलू इकाई द्वारा चालान में घोषित सेवाओं की ऐसी आपूर्ति का मूल्य सीजीएसटी नियमों के नियम 28(1) के दूसरे प्रावधान के अनुसार खुले बाजार मूल्य के रूप में माना जा सकता है । इसके अलावा, ऐसे मामलों में जहां प्राप्तकर्ता को पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध है। यदि विदेशी सहयोगी द्वारा प्रदान की गई, किसी भी सेवा के संबंध में संबंधित घरेलू इकाई द्वारा चालान जारी नहीं किया जाता है । तो ऐसी सेवाओं का मूल्य शून्य घोषित किया जा सकता है। और सीजीएसटी नियमों के नियम 28(1) के दूसरे प्रावधान के अनुसार खुले बाजार मूल्य के रूप में माना जा सकता है।

5. जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम की धारा 140(7) में 01.07.2017 से पूर्वव्यापी संशोधन का प्रस्ताव किया हैं।नियत तिथि से पहले प्रदान की गई सेवाओं से संबंधित चालानों के संबंध में संक्रमणकालीन क्रेडिट प्रदान करने के लिए, तथा जहां चालान नियत तिथि से पहले इनपुट सेवा वितरक (आईएसडी) द्वारा प्राप्त किए गए थे।

विश्लेषण इसका अर्थ यह है। कि यदि सेवाएं 1 जुलाई, 2017 से पहले प्रदान की गई थीं।और उन सेवाओं के चालान 1 जुलाई, 2017 से पहले इनपुट सेवा वितरक द्वारा प्राप्त किए गए थे। तो संशोधित कानून के अनुसार संक्रमणकालीन क्रेडिट का दावा अभी भी किया जा सकता है।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए प्रस्ताव-  बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण: जिन आवेदकों ने जीएसटी सुविधा केंद्र पर बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण का विकल्प चुना है। उनका चरणबद्ध तरीके से अखिल भारतीय स्तर पर जीएसटी का पंजीकरण होगा।

मांग पत्र पर प्रस्ताव – .डीआरसी-03 परिपत्र अधिसूचित होने की संभावना है। जीएसटी अपील दाखिल करने के लिए पूर्व-जमा के रूप में देय राशि के विरुद्ध DRC 03 के माध्यम से भुगतान की गई किसी भी मांग राशि को समायोजित करने के लिए एक तंत्र निर्धारित करने के लिए एक सर्कुलर जारी किया जाएगा पेनाल्टी के लिए प्रस्ताव – धारा 122(1बी) में संशोधन किया जाएगा: संशोधन 1 अक्टूबर 2023 से पूर्वव्यापी रूप से लागू होगा। ताकि यह स्पष्ट किया जा सके। कि उक्त दंडात्मक प्रावधान केवल उन ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के लिए लागू है।जिन्हें धारा 52 के तहत टीसीएस एकत्र करना आवश्यक है, अन्य ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के लिए नहीं।

निष्कर्ष- यह कि जीएसटी काउंसिल की दिनांक 22 जून 2024 को आयोजित मीटिंग में अनेक मुद्दे विचार करने से रह गए हैं ।आशा है। कि आगामी मीटिंग में उन सब मुद्दों को भी सुलझाए जाएंगे है। वर्ष 2017 से प्रथम बार जीएसटी काउंसिल ने कुछ सही परिवर्तन किए हैं। जिससे करदाता को लाभ होगा ।केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया। कि 31 दिसंबर 2023 तक जीएसटी के तहत 1.96% से भी कम जीएसटी करदाताओं (1,14,999 करदाताओं) को नोटिस प्राप्त हुए हैं। यह कि जीएसटी काउंसिल ने संशोधन हेतु जीएसटी में परिवर्तन का लाना अत्यंत ही सुखद है। क्योंकि करदाता सप्लायर की गलती के लिए अपनी आईटीसी के लिए परेशान रहता है। इस स्थिति को देखते हुए जीएसटी काउंसिल ने जीएसटीR 1, जीएसटी R 3B दाखिल करने से पूर्व जीएसटी 3b में संशोधन के उपरांत आईटीसी का सारांश 2b उपलब्ध होगा ।और वह उस माह का आईटीसी का लाभ ले सकेगा।GSTR-1A से पहले, दाखिल किए गए GSTR-1 रिटर्न में त्रुटियों या चूक को सुधारना केवल बाद की रिटर्न अवधि में ही किया जा सकता था, जिससे जटिलताएं और विसंगतियां पैदा होती थीं। GSTR-1A के साथ, करदाता अब GSTR-3B सारांश रिटर्न दाखिल करने से पहले, GSTR-1 दाखिल करने के बाद उसी महीने के भीतर रिकॉर्ड को संशोधित या जोड़ सकते हैं। जिससे कर देनदारियों का सटीक प्रतिबिंब सुनिश्चित होता है। यह सुधार खरीदारों द्वारा पहचाने गए परिवर्तनों को शामिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है। जिससे कर(TAX) रिपोर्टिंग में लचीलापन और दक्षता मिलती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई विक्रेता GSTR-1 में बिक्री की गलत रिपोर्ट करता है। तो खरीदार के GSTR-2A से संशोधित जानकारी विक्रेता के GSTR-1A में दिखाई देगी। जिससे दोनों पक्षों द्वारा सटीक रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए त्वरित अपडेट की अनुमति मिलेगी।इसके अतिरिक्त, GSTR-1A के कार्यान्वयन से इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने की प्रक्रिया सरल हो जाती है ।और GSTR-1 फाइलिंग में त्रुटियों के लिए दंड कम हो जाता है। संक्षेप में, GSTR-1A की शुरूआत व्यवसायों को GSTR-3B सारांश रिटर्न दाखिल करने से पहले किसी विशिष्ट कर अवधि के लिए अपने GSTR-1 फाइलिंग में परिवर्तन करने की जानकारी जोड़ने का अवसर प्रदान करती है।इस प्रकार जीएसटी काउंसिल ने करदाता को लाभ प्रदान किया है।लेकिन अब जीएसटी विभाग द्वारा इन प्रस्ताव के संबंध में नोटिफिकेशन, सर्कुलर और शुद्धिकरण से संबंधित सर्कुलर जारी किए जाने अपेक्षित हैं। क्योंकि अभी कई प्रश्न विराजमान है। जिस प्रकार धारा 128A को लाया जा रहा है। उससे स्पष्ट है। कि करदाता वित्तीय वर्ष 2017-18 ,2018-19 और वित्तीय वर्ष 2019-20 में कर मूल ढांचे में चुकाने के पश्चात उस पर ब्याज और पेनाल्टी की मांग शेष नहीं रहेगी ।उससे जीएसटी विभाग को वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 के लिए एक नोटिफिकेशन मांग के संबंध में जारी किया जाना आवश्यक है। क्योंकि करदाता को धारा 16(4) में 31.3.2025 तक का समय दिया गया है। लेकिन वित्तीय वर्ष 2018-19 में डिमांड 1 अगस्त से प्रारंभ हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में क्या होगा ?यह विचारनिय  विषय है ? धारा 16(4) में अभी कई पेच है। जो शायद राजस्व के हित पर प्रभाव डालेंगा।जीएसटी विभाग इस संबंध में कोई समाधान योजना पेश कर सकता है? क्योंकि जीएसटी परिषद की प्रेस विज्ञप्ति में धारा 16(4) ने संशय पैदा किया है ।अब जीएसटी विभाग इस विषय को नोटिफिकेशन या किसी योजना के अनुसार  स्कीम जारी करेगा।मुझे आशा है । कि जीएसटी विभाग इस विषय में जरूर कोई ना कोई सर्कुलर ,नोटिफिकेशन जारी करेगा ।हम जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के प्रस्ताव का स्वागत करते हैं। तथा जो सुधार आवश्यक है। उसके लिए जीएसटी काउंसिल की आगामी सभा में उन पर विचार होना आवश्यक है ।

यह लेखक के निजी विचार है।

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