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सीजीएसटी अधिनियम 2017 के अंतर्गत प्रॉपर ऑफिसर को किसी भी जांच को करने और सबूत देने या दस्तावेज या अन्य कोई चीज पेश करने की प्रक्रिया का अधिकार देता है ।इस आर्टिकल के अंतर्गत हम सेक्शन 70 के अंतर्गत समन जारी करने की शक्ति,/ समन जारी करने के संबंध में बरती जाने वाली सावधानियां और समन किए गए व्यक्ति के दायित्व और समन की कार्रवाई को शामिल करते हैं।

समन जारी करने की शक्ति धारा 70 के अनुसार जहां किसी ऑफिसर को यह विश्वास करने का कारण है । कि साक्ष्य देने और दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए अमुक व्यक्ति की उपस्थिति अनिवार्य है । वह किसी भी अन्य अधिकारी को समन जारी करने के लिए अधिकृत कर सकता है । प्रॉपर ऑफिसर द्वारा विधिवत प्राधिकृत किसी भी व्यक्ति को बुलाने की शक्ति होगी जिसकी वह उपस्थिति आवश्यक समझता हो या सबूत देने के लिए किसी जांच में दस्तावेज या कोई अन्य चीज पेश करने के लिए जो कि वह प्रॉपर अफसर कह रहा है

समन जारी करने की व्याख्या और सावधानी

सेक्शन 70 उप धारा 1के अंतर्गत एक समन जारी किया जा सकता है-

(ए) Cgst act के सेक्शन 70(1) में proper officer के पास किसी व्यक्ति को बुलाने की शक्ति होगी जिसकी उप स्थिति वह आवश्यक समझता है या तो evidence देने के लिए या किसी document या किसी अन्य चीज को किसी भी जांच में प्रस्तुत करने के लिए जैसा सिविल प्रक्रिया के केस प्रदान किया गया है। सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के प्रावधन के अनुसार न्यायालय। अर्थात निर्दिष्ट दस्तावेज या अन्य चीजों का उत्पादन जैसा कि वर्क आर्डर या अकाउंट्स बुक्स की रिपोर्ट में शामिल हो।

(बी) Cgst act के सेक्शन 70(2) मे उपधारा (1) निर्दिष्ट ऐसी जांच को IPC की धारा 193और धारा 228 के अनुसार न्यायिक कार्रवाई माना जायेगा।

किसी विशेष विवरण के सभी डाक्यूमेंट्स या वस्तुओं का उत्पादन अर्थात वित्तीय विवरण-

यहां शर्त यह है कि डाक्यूमेंट्स या चीजें उस व्यक्ति के कब्जे या नियंत्रण में होनी चाहिए जिसे के संबंध में समन जारी किया गया है 

समन की बाध्यता

जिस व्यक्ति को समन जारी किया जाता है । कानूनी रूप से या व्यक्तिगत रूप से या एक अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा उपस्थित होने के लिए बाध्य होता है । वह उस प्रॉपर अफसर को सच्चाई बताने के लिए बाध्य होता है । जिसने किसी विषय पर समन जारी किया है । जो की परीक्षा का विषय है और इस तरह का उत्पादन करने के लिए दस्तावेज और अन्य सामग्री आवश्यक हो सकती हैं।

इस प्रकार समन किए गए व्यक्ति या तो व्यक्तिगत रूप से या अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा जैसा की प्रॉपर ऑफिसर निर्देश दे उपस्थित होने के लिए बाध्य होंगे । और इस तरह समन किए गए सभी व्यक्ति किसी भी विषय की सच्चाई बताने के लिए बाध्य होंगे। जिसके बारे में उनकी जांच की जा रही है या वह बयान दे सकते हैं और ऐसे दस्तावेज और अन्य चीजें पेश कर सकते हैं जो उन्हें आवश्यक लगे । सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 132 ,133 के अंतर्गत छूट की उपस्थिति मांग पर लागू होगी।

सेक्शन 132 कुछ महिलाओं को व्यक्तिगत छूट प्रदान करती है । तथा सेक्शन 132 कुछ अन्य व्यक्ति जैसे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति ,संसद के अध्यक्ष ,केंद्रीय मंत्री सर्वोच्चन्यायालय के न्यायाधीश ,राज्यों के राज्यपाल ,केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक ,राज विधानसभाओं के अध्यक्ष ,राज विधान परिषद के अध्यक्ष ,राज्यों के मंत्री ,उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को छूट देती है 

समन किए गए व्यक्ति निम्नलिखित के लिए बाध्य हैं /और उनके पास अधिकार हैं- 

सम्मनीत व्यक्ति को उपस्थित होना।

-व्यक्तिगत रूप से या ऑथराइज्ड पर्सन के माध्यम से उपस्थित होना जैसा कि समन जारी करने वाला अधिकारी निर्देश करें

-किसी भी विषय पर सभी तथ्यों से अवगत कराएगा

-समन किए गए व्यक्ति को ध्यान देना अधिकारी द्वारा उसके बयान दर्ज किया जाना

-आवश्यक दस्तावेज या उत्पादन से संबंधित तथ्यों को प्रस्तुत करना

-उपस्थिति के संबंध में सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 132 और 133 के अंतर्गत छूट की मांग कर सकते हैं

समन की कार्रवाई की प्रकृति उप धारा 2 

सीजीएसटी अधिनियम 2017 के सेक्शन 70(2) के अनुसार किसी केस के संबंध में साक्ष देना पूछताछ में दस्तावेज पेश करना समन जारी करना ,व्यक्ति को बुलाने के प्रत्येक कार्य को भारतीय अधिनियम की धारा 193 और 228 में प्रदान की गई न्यायिक कार्रवाई माना गया है । आईपीसी 1807 सेक्शन 193 छोटे साक्ष्य के लिए सजा से संबंधित है तथा सेक्शन 228 न्यायिक कार्रवाई में बैठे लोक सेवक के जानबूझकर अपमान या व्यवधान के मामले में कार्रवाई का प्रावधान करती है

बयान दर्ज कराने के समय अधिवक्ता की उपस्थिति

सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 70 के तहत समन कार्रवाई का सहारा आमतौर पर एक जांच या जांच के अंतर्गत तथ्यों को स्थापित करने सूचना दस्तावेजों तथ्यों और अन्य सबूतों को संकलित करने के लिए किया जाता है । जिसमें समन किए गए व्यक्ति के बयान की रिकॉर्डिंग भी शामिल है। जिसे बाद में सबूत या एविडेंस के रूप में प्रयोग किया जाता है । समन किए गए व्यक्ति का बयान दर्ज किया जाता है । आमतौर पर यह देखा जाता है । कि ऐसा व्यक्ति अधिवक्ता या अन्य अधिकृत व्यक्ति द्वारा प्रदर्शित किए जाने की मांग या अनुरोध करता है ।वास्तव में समन व्यक्तिगत उपस्थिति का उल्लेख करता है। और सम्मनित व्यक्ति को अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित नहीं किया जा सकता ।सेक्शन 70 यह स्पष्ट करता है कि व्यक्ति व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक है या एक रूप से यह तय किया गया है । इस समन की कार्रवाई के दौरान इस तरह की सुविधा का लाभ उठाने का अधिकार नहीं है ।समन के बयान के समय किसी अधिवक्ता की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है । इस संदर्भ में Poolpandi etc vs Superintendent,Central Excise 1992 Supreme court

Senior Intelligence Officer vs Jugal Kishore Samra 2011 Supreme court

अक्सर यह भी देखा गया है कि न्यायालय अधिवक्ता की उपस्थिति की अनुमति दे सकती है लेकिन वह कार्रवाई को दूर से देखने के लिए कहा जाएगा ।ताकि वह कार्रवाई सुनने में सक्षम ना हो

समन को कोर्ट का उदारता पूर्वक निमंत्रण भी माना जा सकता हैं। क्यों कि कोर्ट आदर के साथ आदेश जारी करता है कि आप कोर्ट हाजिर हो। ऐसे आदेश से किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन नहीं होता है और उस व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता

कुप्पू स्वामी अय्यर बनाम सम्राट 1915 के case में शमन अधिकारी नामित व्यक्ति के घर में घुस जाता है और नामित व्यक्ति ऐसे अधिकारी को अपने घर से निकल जाने को कहता है तो ऐसी परिस्थिति में उस नामित व्यक्ति ने कोई अपराध नहीं किया है। अतः समन की तामिली आदर पूर्वक किया जाना चाहिए।

सर्कुलर संख्या 03 /_2022 –2023 जीएसटी जांच दिनांक 17 अगस्त 2022 की समीक्षा 

सीजीएसटी डिपार्टमेंट ने धारा 70 के संबंध में समन जारी करने के संबंध में एक आवश्यक दिशा निर्देश सर्कुलर संख्या 03 / 2022- 2023 जारी किया है जिसकी हम निम्न प्रकार समीक्षा करते हैं

  • Cbic बोर्ड के सामने कुछ मामलों में सेक्शन 70 के अंतर्गत कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों को क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा समन जारी किए गए हैं । भौतिक साख दस्तावेजों की मांग के तरीके इसके साथ साथ वैधानिक रिपोर्ट मांगने के लिए समन जारी किया गया। जिनमें जीएसटीआर 3b , GSTR 1 आदि जो जीएसटी पोर्टल पर ऑनलाइन उपलब्ध है । परंतु समन के नोटिस आ रहे हैं।बोर्ड ने इस ओर सीजीएसटी के अधिकारियों को अवगत कराया
  • सीजीएसटी अधिनियम के सेक्शन 70(1)और 70(2) की व्याख्या करते हुए निर्देश जारी किया कि किसी भी कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी को समन करने से पूर्व ध्यानपूर्वक कानूनों का पालन किया जाए
  • पॉइंट नंबर 3 में निर्देश जारी किया समन जारी करने की शक्ति का प्रयोग आमतौर पर सीजीएसटी के अधीक्षक के द्वारा किया जाता है ।Act के अनुसार उच्च अधिकारी भी समन जारी कर सकते हैं ।सुपरिटेंडेंट द्वारा समन जारी करने के कारणों को लिखित रूप में दर्ज करने के लिए डिप्टी कमिश्नर /असिस्टेंट कमिश्नर के पद से नीचे के अधिकारी को लिखित अनुमति प्राप्त की जानी चाहिए
  • . यदि अधीक्षक को लिखित अनुमति नहीं मिल रही है ।और पूछताछ की जानी अनिवार्य है ।वह अपने उच्च अधिकारी से मौखिक या टेलिफोनिक अनुमति प्राप्त की जानी चाहिए ।और अनुमति के लिए अधिकारी को जल्द से जल्द लिखत सूचना दी जाए।
  • समन जारी किए जाने वाले अधिकारी द्वारा सम्मनित व्यक्ति की उपस्थिति /अनुपस्थिति के बारे में फाइल में नोटिंग करनी चाहिए और फाइल में दर्ज बयान की एक प्रति रखनी चाहिए
  • . समन आमतौर पर एक अपराधी के लिए किया जाता है ।यदि समन किया जाता है ।तो सम्मनित व्यक्ति को प्रथम दृष्टया में ऐसा महसूस ना हो कि वह संयुक्त या सह आरोपी या गवाह के रूप में उसे समन किया गया है।
  • . यदि पोर्टल पर डिजिटल रूप में सभी डाक्यूमेंट्स उपलब्ध हैं। तो समन की कार्रवाई से बचना चाहिए।
  • . कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक अधिकारी जैसे सीएमडी /एमडी /सीईओ/ सीएफओ /किसी कंपनी या पब्लिक सेक्टर की यूनिट के अधिकारियों को आमतौर पर पहली बार में समन समझदारी नहीं है। उन्हें तब बुलाना चाहिए जब निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी के स्पष्ट संकेत हो । जिसके कारण राजस्व की हानि हुई हो
  • बोर्ड के सर्कुलर संख्या 122 / 41 /2019 जीएसटी दिनांक 5 नवंबर 2019 की ओर से यह भी ध्यान आकर्षित किया गया । सी बी आई सी के अधिकारियों द्वारा करदाताओं और अन्य संबंधित को जारी संचार पर दस्तावेज पहचान संख्या डी आई एन को अनिवार्य बनाता है l जांच के लिए व्यक्तियों को संबंध का प्रारूप बोर्ड परिपत्र संख्या 128 / 47 / 2019 जीएसटी दिनांक 23 दिसंबर 2019 के तहत निर्धारित किया गया है
  • समन अधिकारी को समन जारी करने के समय और तारीख पर उपस्थित होना अनिवार्य है । किसी भी आपात स्थिति में बुलाए गए व्यक्ति को लिखित या मौखिक रूप से अग्रिम रूप से सूचित किया जाना चाहिए
  • . समन किए गए सभी व्यक्ति संबंधित प्रॉपर ऑफिसर के समक्ष उपस्थित होने के लिए बाध्य हैं । इसमें केवल एकमात्र अपवाद महिलाएं हैं जो परंपरागत रूप से सार्वजनिक क्रिया में विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्तियों के सामने उपस्थित नहीं होती हैं । सीपीसी की धारा 132 और 133 के तहत इन व्यक्तियों को उपलब्ध छूट को मामले की जांच करते समय ध्यान में रखा जाएगा
  • . समन की तामील सुनिश्चित किए बिना बार-बार समन जारी करने से बचना चाहिए कभी-कभी ऐसा हो सकता है सम्मनित व्यक्ति बार-बार समन दिए जाने के बाद भी जांच में शामिल ना हो ऐसे मामलों में उचित अवसर देने के बाद आमतौर पर उचित अंतराल पर तीन समन दिए जाने चाहिए

उपरोक्त समीक्षा से स्पष्ट है कि सीजीएसटी एक्ट 2017 की धारा 70(1) के अंतर्गत किसी प्रॉपर ऑफिसर द्वारा समन किया जा सकता है ।तथा समन किए गए व्यक्ति से जांच में सहयोग की अपेक्षा की जाती है ।तथा यह कार्रवाई यह कार्रवाई सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के प्रावधानों के तहत एक सिविल कोर्ट के मामले में प्रदान किया गया है ।

इसी प्रकार सेक्शन 70 सबसेक्शन 2 के अनुसार इस कानून के प्रावधान में दस्तावेज और मौखिक साक्ष्य को सुरक्षित करना हैं।भारतीय दंड संहिता की धारा 193 और धारा 228 के अर्थ में न्यायिक कार्रवाई माना जाएगा ।

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