एक तरफ सरकार डिजिटल असेट जैसे क्रिप्टोकरेंसी, आदि जुए, सट्टे के प्रारुप को कानूनी मान्यता नहीं देने की बात कह रही है तो दूसरी तरफ इससे होने वाली आय पर टैक्स लेकर कानूनी मान्यता देने तैयार है और अब म्यूचुअल फंड को परमीशन दी जा रही है कि वो इन जुए सट्टे प्रारुप आभाषी मुद्रा में लोगों का खासकर छोटे निवेशकों का अप्रत्यक्ष रूप से इनमें निवेश कराएं. तो कानूनी मान्यता न देकर भी कानूनी निवेश की प्रक्रिया बनाना मात्र एक ढकोसला ही है.
साफ है सरकार समझ चुकी है कि इन आभाषी निवेश पर लगाम नहीं कसी जा सकती और ऐसे में टैक्स के रूप में कमाई हो, वो ही बेहतर. अब लोगों की जुए सट्टे की आदत तो नहीं रोकी जा सकती. आर्थिक दायित्व की वजनदारी सामाजिक दायित्वों से कहीं अधिक होती है.
हाल में ही इन आभाषी योजनाओं में दो म्यूचुअल फंड लाने की घोषणा बाजार में हुई.
सचिन बंसल के नवी म्यूचुअल फंड और आदित्य बिरला सन लाइफ म्यूचुअल फंड ने बाजार नियामक सेबी के पास ईटीएफ फंड ऑफ फंड्स के लिए अलग-अलग आवेदन किया है.
सेबी की वेबसाइट पर 6 अप्रैल 2022 अपलोड किए गए स्कीम इंफॉर्मेशन डॉक्यूमेंट के मुताबिक दोनों ही ओपन एंडेड एफओएफ हैं.
नवी मेटावर्स ईटीएफ एफओएफ का पैसा मेटावर्स सेक्टर की कंपनियों को ट्रैक करने वाली विदेशी ईटीएफ में निवेश होगा. इसमें कम से कम 500 रुपये और इसके बाद एक रुपये के गुणक में निवेश कर सकेंगे.
वहीं आदित्य बिरला सन लाइफ ब्लॉकचेन एंड वर्चुअल डिजिटल एसेट्स ईटीएफ एफओएफ का पैसा ऐसी ईटीएफ में लगेगा जिसका फोकस वैश्विक ब्लॉकचेन थीम में हो. इसमें कम से कम 100 रुपये और इसके बाद एक रुपये के गुणक में निवेश कर सकेंगे.
*दोनों ही योजनाओं में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है.*
आदित्य बिरला सन लाइफ के ईटीएफ के मामले में तकनीक अभी नयी है और इसका अभी तक इस्तेमाल पूरी क्षमता से नहीं हुआ है.
इसके अलावा अभी तक यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को व्यापक तौर पर अपनाया जाएगा.
दोनों ही स्कीम को हाई रिस्क कैटेगरी में रखा गया है.
*हाई रिस्क या कहे सट्टे जैसी स्कीमों को निवेश बाजार में आने की परमीशन देना कहीं से भी युवा वर्ग और सामाजिक दृष्टि से न्यायोचित नहीं हो सकता.*
*लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965*