Sponsored
    Follow Us:
Sponsored

इसमें कोई शक नहीं कि जीडीपी में बढ़त अर्थव्यवस्था रिकवरी का संकेत देती है और यह अच्छी बात है.

खासकर रीयल एस्टेट और उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि समुचित अर्थव्यवस्था में व्यापार मजबूती और रोजगार सृजन दर्शाता है, लेकिन कई कारक अभी भी चिंताजनक स्थिति में है:

1. जीडीपी में 20% की वृद्धि या उछाल 2020 के आधार पर है लेकिन 2019 के मुकाबले में अभी भी 10% कम हैं.

2. सर्विस सेक्टर जो हमारी जीडीपी का लगभग 65% होता है, उसमें वृद्धि दर्ज न होना चिंताजनक है.

3. कैश का हमारी अर्थव्यवस्था में बढ़ता वर्चस्व सरकारी अनुमानों को दरकिनार करता है, आज नोटबंदी के समय 16 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 30 लाख करोड़ रुपये होना एक समांतर अर्थव्यवस्था की ओर संकेत करता है.

4. टैक्स- जीडीपी अनुपात आज भी 20 वर्ष पुराने 10% के लेवल पर ही है.

5. व्यापार कानूनों के बढ़ते गैर जरूरी कवायदों और अनुपालनों से ग्रसित है.

6. बढ़ता राजकोषीय घाटा, मंहगाई, बेरोजगारी ने एक अलग चिंता पैदा कर रखी है.

7. सरकारी स्कीमों के क्रियान्वयन में कमी और ढीली प्रशासनिक व्यवस्था इस जीडीपी का लाभ समाज तक पहुंचाने में नाकाम रही है.

ऐसे में जीडीपी वृद्धि का लाभ जन सामान्य तक पहुँचाने के लिए कुछ जरुरी कदम उठाने होंगे:

1. हर क्षेत्र में वृद्धि दर्ज हो, इसके लिए व्यापार करना आसान करना होगा, गैर जरूरी अनुपालनों को हटाना होगा और कर ढांचे का सरलीकरण और युक्ति करण की तरफ कदम उठाने होंगे.

2. कैश को लेनदेन में रोकने की बजाय, उसके रिकॉर्ड बनाने और नज़र रखने पर काम करना होगा.

3. व्यापार में अनुमानित लाभ दिखाने वाले प्रावधानों को हटाकर, रिकॉर्ड कीपिंग पर जोर देना होगा. मतलब साफ है यदि व्यापार करना है तो लेनदेन का रिकॉर्ड रखना जरुरी होगा.

4. काले धन को रोकने के लिए जो भी व्यक्ति सालाना 250000 रुपये से अधिक की खेती की आय दिखाते हैं, उस कर दायरे में लाना होगा.

5. इसी तरह सभी सामाजिक संस्थानों और राजनैतिक दलों को कर की न्यूनतम दर 10% में लाना होगा.

6. शिक्षा, स्वास्थ्य और खाने पीने की चीजों को एक केन्द्रीय रेगुलेटर की निगरानी में रखना जरुरी होगा ताकि मंहगाई पर नियंत्रण पाया जा सकें.

7. प्रशासनिक व्यवस्था की मजबूती पर ध्यान देना होगा ताकि जीडीपी और सरकार स्कीमों का लाभ जन सामान्य तक पहुँच सकें.

मतलब साफ है- अब समय है सरकार को अपने अनुभव से सीखने का. चाहे चीन हो या फिर ताइवान या साउथ अफ्रीका, हमसे अधिक जीडीपी वृद्धि दर सिर्फ संसाधनों के सही उपयोग, स्कीमों का सही क्रियान्वयन, समय पर लिए गए निर्णय एवं प्रशासनिक कसावट के कारण संभव हो पाया है और यही जरूरत हमारी भी है.

जीडीपी के आँकड़े की सरकारी विज्ञप्ति में ही बताया गया है कि पिछले साल अप्रैल से जून के बीच देश की जीडीपी 26.95 लाख करोड़ रुपए थी जो इस साल अप्रैल से जून की तिमाही में बीस परसेंट बढ़कर 32.38 लाख करोड़ हो गई है.

पिछले साल इस तिमाही की जीडीपी उसके पिछले साल के मुक़ाबले 24.4%कम थी.

यानी 2019 में अप्रैल से जून के बीच भारत की जीडीपी थी 35.85 लाख करोड़ रुपए.

इन तीन आँकड़ों को साथ रखकर देखें तब तस्वीर साफ़ होती है कि अभी देश की अर्थव्यवस्था वहाँ भी नहीं पहुँच पाई है, जहाँ अब से दो साल पहले थी.

*जीडीपी वृद्धि एक दीर्घकालिक सतत् प्रक्रिया होनी चाहिए न कि लघुकालिक प्रचार प्रसार का माध्यम, इसलिए जीडीपी वृद्धि का लाभ हर क्षेत्र और जन सामान्य तक पहुँचे- यही सरकार का असली मकसद होना चाहिए, नहीं तो वही कहावत होगी- हाथी के दांत दिखाने के कुछ और, खाने के कुछ और.*

Sponsored

Join Taxguru’s Network for Latest updates on Income Tax, GST, Company Law, Corporate Laws and other related subjects.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sponsored
Sponsored
Sponsored
Search Post by Date
October 2024
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031