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भारत में सोने की डिमांड के कारण इसका आयात हमको करना पड़ता है जिस कारण से न केवल डालर रिजर्व पर फ़र्क पड़ता है बल्कि सोने में निवेश होने से ज्यादातर सोना घर में ही पड़ा रहता है और मार्केट में नहीं आने से इसका कोई उपयोग नहीं हो पाता एवं हमारी करेंसी में कमजोरी आती है सो अलग.

इसीलिए हाल में ही सरकार ने यूएई के साथ २०० टन सोना भारत में लाने की डील की जिसमें पेमेंट सैटलमेंट रुपए और दिर्हाम में होगा जिससे डालर निर्भरता सोने के क्षेत्र में कम हो सकें.

फिजिकल सोने की भारत में बढ़ती मांग को कम करने के लिए खासकर निवेश के लिए डिजिटल सोना खरीदने के लिए देश में प्रोत्साहन जरूरी है. साथ ही यह भी जरूरी है कि इसकी सुरक्षा और आसान तरलता बनी रहें.

फेस्टिव सीजन में गोल्ड खरीदने का मन बना रहे लोगों के सामने गहनों और सिक्कों के अलावा डिजिटल गोल्ड और सिल्वर खरीदने का विकल्प भी मौजूद है.

इस बार कई बड़े ज्वैलर भी गहनों और सिक्कों के साथ ही डिजिटल गोल्ड और सिल्वर की बिक्री कर रहे हैं. इसके फीचर्स को समझें:

१. ज्वैलर्स की मानें तो अब गोल्ड में लोगों की दिलचस्पी सिर्फ गहनों के रूप में पहनने या जमा करके रखने के मकसद नहीं है.

२. बहुत से लोग इसे निवेश के तौर पर भी देखते हैं, जिसके लिए डिजिटल गोल्ड एक बेहतर विकल्प हो सकता है.

३. पहले के समय में लोग सोने और चांदी से बने गहने खरीदना ज्यादा पसंद करते थे, लेकिन सुरक्षा और रख रखाव में होने वाली परेशानियों को देखते हुए पिछले कुछ समय से लोगों ने गहनों की जगह पर सिक्कों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. इसकी बड़ी वजह गहनो के मुकाबले सिक्को की अधिक शुद्धता और सुरक्षा व्यवस्था में लगने वाली कम मेहनत है.

४. लेकिन अब लोग गोल्ड को फिजिकल फॉर्म में खरीदने की जगह पर डिजिटल रूप में खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं, क्योंकि डिजिटल गोल्ड में निवेश पर आप को गोल्ड फिजिकल फॉर्म की जगह एक कागज के रूप में मिलता है.

६. यानी डिजिटल गोल्ड में निवेश के बाद आप को उसकी सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है.

७. हालांकि आप को उस डिजिटल गोल्ड में निवेश के कागज को संभाल कर रखना होगा.

८. डिजिटल गोल्ड में निवेश का सबसे बड़ा फायदा उसके गहनों की तरह टूटने या फिर चोरी होने के डर का नहीं होना है.

९. इसके साथ ही आपको उसकी सुरक्षा के लिए किसी तिजोरी या फिर लॉकर का इंतजाम करने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. ऐसे में डिजिटल गोल्ड में निवेश आप के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है,

लेकिन इसमें निवेश से पहले आप को डिजिटल गोल्ड बेचने वाली कंपनी या संस्था के बारे में पता करना चाहिए:

१. आप को सरकार से मान्यता प्राप्त कंपनियों या वेंडर्स के जरिए ही डिजिटल गोल्ड खरीदना चाहिए.

२. डिजिटल गोल्ड में लेनदेन के लिए सरकार की ओर से गोल्ड रिफाइनर जैसे MMTC-Pamp, Augmont और SafeGold को मान्यता दी गई है. ये सभी कंपनियां फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर और गोल्ड ब्रांडों के साथ समझौते के तहत कस्टमर्स को डिजिटल गोल्ड देने का काम करती है.

३. मौजूदा वक्त में डिजिटल गोल्ड थर्ड पार्टी के माध्यम से बेचा जा रहा है.

४. साथ ही अच्छी नेट वर्थ वाले ज्वैलर्स खुद का डिजिटल गोल्ड भी पेश कर रहे हैं.

ऐसे में आप को नुकसान से बचने के लिए थोड़ी सावधानी जरूर बरतनी चाहिए:

१. आप को डिजिटल गोल्ड खरीदने से पहले ज्वैलर्स के बारे में यह पता जरूर करना चाहिए कि वो सरकार से मान्यता प्राप्त है या नहीं.

२. अगर आप का ज्वैलर सरकार से मान्यता प्राप्त नहीं है तो आप को उससे डिजिटल गोल्ड खरीदने से बचना चाहिए.

३. हमारे देश में डिजिटल गोल्‍ड को फिजिकल गोल्ड के मुकाबले सुरक्षित निवेश नहीं माना जाता है. क्योंकि इसके बदले में आप को न तो कोई गहना मिलता है और न ही आप को कोई सिक्का. आप के पास सिर्फ एक कागज होता है, जिसमें आप के डिजिटल गोल्ड से जुड़ी जानकारी होती हैं.

४. साल 2021 में सेबी ने डिजिटल गोल्ड में निवेश को लेकर एडवाइजरी जारी करते हुए सलाहकारों और ब्रोकरेज को इसमें निवेश करने से बचने की सलाह दी थी.

५. ऐसे में आप को भी डिजिटल गोल्ड की खरीद से पहले एक बार जरूर सोच लेना चाहिए.

६. अगर आप फिर से डिजिटल गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं तो आप को सिर्फ उसी कंपनी के जरिए गोल्ड में निवेश करना चाहिए जो रजिस्टर्ड हो.

अगर आप ने डिजिटल गोल्ड में निवेश किया है और आप उसे फिजिकल फॉर्म में बदलवाना चाहते हो यानी गहने के रूप में गोल्ड पाना चाहते हो, तो आपको इसके लिए ज्यादा पैसो को भुगतान करना होगा. क्योंकि ज्वैलर्स गहने बनाने के लिए उसकी बनाई, पॉलिश के नाम पर आप से एक्सट्रा चार्ज करेगा:

१. फिजिकल गोल्ड हमेशा डिजिटल गोल्‍ड के मुकाबले महंगा होता है, क्योंकि इसमें कस्टमर्स को टैक्स के साथ ही

२. मेकिंग चार्ज का भी भुगतान करना होता है.

३. ऐसे में जब निवेशक अपने डिजिटल गोल्ड को फिजिकल गोल्ड में बदलवाना चाहता है, तो उसे दो बार टैक्स का पेमेंट करना पड़ता है. पहला जब वो डिजिटल गोल्ड खरीदता है और दूसरा जब गहने के रूप में उसे बदलवाता है.

४. डिजिटल गोल्ड बेचने वाली कंपनियांं हमेशा कस्टमर्स से वादा करती है कि वो निवेश के बराबर का गोल्ड उनके स्टोर में रखती हैं, लेकिन इसका न तो कोई प्रमाण होता है और न ही आप इसकी जांच कर सकते हैं.

५. ऐसे कस्टमर्स के साथ फ्रॉड होने की संभावना बनी रहती है. ऐसे में अगर आप को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, तो आप को इसमें निवेश से बचना चाहिए.

कहने का मतलब साफ है कि डिजिटल गोल्ड हमारे गोल्ड आयात की समस्या को भी हल कर सकता है, फिजिकल गोल्ड के मुकाबले सस्ता भी रहता है, रख रखाव की झंझट भी नहीं रहती और सामान्य कागज़ के भांति रखा जा सकता है. सिर्फ सरकार को यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि यह एक सुरक्षित और तरल निवेश साबित हो. इसके लिए सरकार को रजिस्टर्ड डीलर का नेटवर्क तय करते हुए इसकी सुरक्षा की गारंटी देनी पड़ेगी और साथ ही बैंकों को निर्देश देने होंगे की इसे लोन के लिए सिक्योरिटी का दर्जा भी दें.

सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर ९८२६१४४९६५

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