शेयर बाजार में बढ़ता खुदरा निवेशक- कितना सही और कितना फर्जी?
जिस तेजी से खुदरा निवेशक शेयर बाजार में बढ़ रहे हैं,
विरोधाभास बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि अर्थव्यवस्था के कारक कुछ और ही दर्शाते हैं.
आपको हैरानी होगी कि खुदरा निवेशक 25% की दर से बढ़ रहे हैं और हर एक आईपीओ में 2021 में 15 से 20 लाख निवेशको ने निवेश किया है. हर महीने 25 लाख लोग डीमैट खाते खोल रहे हैं.
आज देश में लगभग 6 करोड़ डीमैट खाते खुल चुके हैं, जबकि आयकर देने वाले मात्र 1.50 करोड़ लोग है.
मात्र 50 लाख लोग ही अपनी आय 10 लाख रुपये से ऊपर बताते हैं और लगभग 1 करोड़ लोग अपनी आय 5 लाख से 10 लाख रुपये के बीच बताते हैं एवं बाकी सब बिना टैक्स की आय दिखाते हैं.
पिछले 6 माह में जनवरी 20 से खुदरा निवेशक लगभग 1 लाख करोड़ रुपये विभिन्न आईपीओ में लगा चुके हैं और यह हैरान करता है कि ये 6 करोड़ डीमैट धारक कौन है, इनकी कितनी कमाई है जो ये शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं और टैक्स भी नहीं भर रहें?
इतनी भारी मात्रा में खुदरा निवेशकों का शेयर बाजार में आना संदेह तो पैदा करता है, हालांकि देश के प्रतिभूति बाजार में रूचि बढ़ने के कुछ प्रमुख कारण भी है:
1. मौजूदा कम ब्याज दर और बैंकों पर घटता विश्वास-
बैंकों में घटता ब्याज मंहगाई के आधार पर अपर्याप्त हैं और ब्याज की आय पर निर्भरता अब रोजमर्रा के खर्च के साथ मेल नहीं कर रही.
तो दूसरी ओर बैंकों में बढ़ता एनपीए और बट्टे खाते में जाता पैसा बैंक डूबने के संकेत देता है और बैंकिंग प्रणाली पर लोगों के विश्वास को कम करता है.
2. पर्याप्त नकदी उपलब्धता-
खर्च कम होने से लोगों की जमा पूंजी के रूप में तरलता है और निवेश के लिए नकदी की उपलब्धता होने से शेयर बाजार में निवेश आकर्षक बन जाता है।
3. अप्रैल-जून के दौरान हर महीने 24.5 लाख डिमैट खाते खाले गए:
नए डीमैट खातों का खुलना परिचायक है कि निवेश के रूप अब बदल रहें हैं. लोग अब बैंको में डिपाजिट के बजाय दीर्घ अवधि के लिए अन्य निवेश के साधनों को टटोल रहे हैं जो उन्हें उतनी आय दें कि मंहगाई से मुकाबला किया जा सकें. और इसलिए इस समय शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, निजी कंपनी के बांड या फिक्स्ड डिपाजिट, आदि में मजबूरन खुदरा निवेशकों को आना पड़ रहा है.
4. विदेशी धन का भारी मात्रा में शेयर बाजार में आना:
एक तरफ तो विदेशी एजेंसियां भारत की ग्रोथ रेट पर शंका पैदा कर रही है और रेंटिंग कम कर रही है तो दूसरी ओर शेयर बाजार में बढ़ते विदेशी निवेश ने इस कोरोना काल में भी बाजार को उच्चतम स्तर पर बनाए रखा.
गिरती जीडीपी, बढ़ती मंहगाई और बेरोजगारी, घटती लोगों की आय और जमापूंजी- पर बढ़ता शेयर बाजार!
यह विरोधाभास नहीं है तो और क्या है जो दो प्रश्नों को जन्म देता है-
1. आखिर ये विदेशी निवेशक कौन है? आपको पिछले दिनों ध्यान होगा कि एनएसडीएल ने अडानी ग्रुप में विदेशी निवेशकों की केवाइसी को लेकर प्रश्न उठाये थे और तबसे अडानी ग्रुप के शेयर फर्श पर आ गए है.
2. दूसरा ये खुदरा निवेशक कौन है? एक तरफ लोगों को आय के लाले पड़े हैं तो फिर कौन है जो डीमैट खाते खुलवाए जा रहे हैं और शेयर में कई लाख करोड़ रुपये के निवेश किए जा रहे हैं.
साफ है इस संदेह से इंकार नहीं किया जा सकता कि बड़े पैमाने पर काले धन को सफेद करने का खेल हो सकता है.
आखिर विदेशी और खुदरा निवेशकों के नाम पर पैसे लगाने वाले ये लोग कौन है?
जिस तरह नोटबंदी के समय कई बड़ी मछलियों ने कर दायरे में नहीं आ रहे लोगों के नाम पर पड़े बैंक खातों का उपयोग करके काफी काला धन सफेद कर लिया, उसी तरह खुदरा निवेशकों के नाम का उपयोग कर करोड़ों रुपये का काला धन शेयर बाजार में गलाया जा रहा है.
शेयर बाजार पूंजी जुटाने का एक महत्वपूर्ण साधन है और इसका पारदर्शी एवं नियमों के अनुरूप होना देशहित और जनहित में जरुरी है.
आज जब यह बाजार आय का अच्छा स्त्रोत हो सकता है, ऐसे में बड़ी मछलियों तालाब को गंदा न कर दें और आम निवेशक न लुट पाए, इसके लिए जरूरी है कि सरकार और नियामक संस्थाएँ जांच करें और निगरानी रखें कि संदेह सही साबित न हो पाए- नहीं तो शेयर बाजार से लोगों का विश्वास उठ जाएगा!
इसलिए जरुरी है कि सरकार शेयर बाजार में ट्रेडिंग और निवेश सिर्फ उन्हीं को करने दें जिनकी आयकर विवरणी में सारी छूट लेने के बाद कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक हो.
मतलब साफ है जो टैक्स भरता है, वही शेयर निवेशक होना चाहिए- तभी हम सही निवेशक को बाजार में ला पाऐंगे और सही कंपनियां ही बाजार से पैसे उगाही कर पाऐगी. शेयर बाजार न केवल विश्वसनीय बनेगा बल्कि सरकार के राजस्व में बढ़ौतरी होगी सो अलग.
लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर 9826144965
देश मे एक PAN नम्बर के हिसाब से वास्तविक ऑपरेटिव डीमैट एकाउंट कितने है इसकी RTI के तहत जानकारी प्राप्त की जावे तभी स्थिति स्पष्ट होगी ।
चुकी शेयर बाजार में फिजिकल शेयर शॉर्टीफिकेट का दौर पूर्ण त: समाप्त हो चुका है ।अतः दिन प्रतिदिन नए डिमैट एकाउंट खुल रहे है ।
साथ ही कई बैंक तथा निजी काम्पनिया मुफ्त डिमैट एकाउंट खोल रही है इस कारण से डिमैट एकाउंट की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ना स्वाभाविक है ।
सर हर एक एक नांमपर जितना brokerage company हे उतने डिमॅट account खोलके रखे है. अकाउंट ओपन करना जितना आसान है उतना बंद करना बहुत कठीण है. सब अकाउंट ऑनलाईन बंद करणेकी अझादी दो तब समझमे आयेगा रिअल कितने demat account है.
in stead of creating confusion with your views, write to Central Govt to issue notice to all shareholders/demat account holders, so that CAs also get income at the cost of investors by reply notices etc.
Sir aajkal Berojgari itni badh gayi hai ki log udhaar lekr paisa laga rhe hain shares market me taaki unke badle wo kuch income earn kar sake …ek share bazar hi hai jo chote chote investment karne deta hai logon ko..