डिजिटल रुपी या कहें डिजिटल रुपया देश का भविष्य बनने जा रहा है. फिलहाल यह सरकार की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया और इसमें आने वाली दिक्कतों को दूर कर इसके प्रयोग का दायरा बढ़ाया जाएगा.
१. डिजिटल रुपया बढ़ती तकनीक के साथ देश और विदेश में भी लेन-देन का माध्यम बन सकता है और इसकी मजबूती भविष्य में अर्थव्यवस्था की दिशा का निर्धारण भी करेगी.
२. अब जब यह लागू होने की दिशा आगे चल चुका है तब लोगों के मन में तमाम तरह के सवाल उठते जा रहे हैं.
पहला सवाल, कई लोग आशंकित हैं कि कहीं यह भविष्य में पूरी तरह से वर्तमान व्यवस्था का विकल्प तो नहीं बन जाएगा?
दूसरा सवाल, कई लोगों को लग रहा है कि आने वाले समय में एक बार फिर मोदी सरकार नोटबंदी की तरह कोई घोषणा कर दे और काला धन एक बार फिर केवल कागज बनकर तिजोरी की शान बन जाए.
फिलहाल सरकार नोटबंदी की तरह जल्दबाजी में डिजिटल रूपी को लागू नहीं करने जा रही है. अभी डिजिटल रुपया पायलेट प्रोजेक्ट की तरह चल रहा है. आगे इसे सरकार सोच समझकर इसका दायरा बढ़ाएगी.
फिलहाल तो संभव नहीं है. चार-पांच साल बाद यह संभव हो पाएगा या नहीं, कहा नहीं जा सकता.
भारत का एक बड़ी आबादी आज भी ग्रामीण इलाकों में रहती है ऐसे में संभावना है कि इसे पूर्ण से लागू कर पुरानी व्यवस्था को बदल दिया जाए ऐसा निकट भविष्य में तो जान नहीं पड़ता है. अभी इस पर काफी काम करने की जरूरत है.
*डिजिटल करेंसी के यह फायदे हो सकते हैं:*
पहला फायदा, डिजिटल रुपया कालेधन पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभाएगा.
दूसरा मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को भी वर्तमान परिस्थिति में रोकने का काम करेगा.
तीसरा सरकार को टैक्स न देने वाले भी अब बच नहीं पाएंगे.
चौथा यह की टेरर फंडिंग पर भी पूरी तरह से रोक लगेगी.
पांचवां क्रिप्टो करेंसी जैसे विदेशी डिजिटल करेंसी के भारत में फैलाव और भारतीयों के इसमें निवेश को भी रोका जा सकेगा.
*अभी यह प्रायोगिक तौर पर लागू किया गया है और अभी कई सारी बातें साफ नहीं हुई हैं, जैसे:*
१. अभी यह नहीं साफ है कि आखिर कैसे डिजिटल लेन-देन को जमीनी स्तर पर उतारा जाएगा.
२. वॉलेट के अलावा क्या और कोई विकल्प होगा.
यह बात तो साफ है कि इस डिजिटल मनी के जरिए सरकार को लाखों करोड़ों रुपये की नकदी की बचत होने जा रही है जो सरकार हर साल नोट व्यवस्था को बनाए रखने के लिए खर्च करती है.
डिजिटल रुपया के जरिए सरकार के पास रुपये के ट्रांसफर की पूरी जानकारी ट्रैक करने की सुविधा होगी.
डिजिटल रुपया से पूरी तरह से बैंकिंग व्यवस्था या कहे रुपये के लेन-देन की व्यवस्था में एकरूपता आ जाएगी.
आज की तारीख में रुपये के डिजिटल बैंकिंग में लेन-देन के लिए आपको बैंक खाते की जरूरत होती है जो डिजिटल रुपये के लेन-देन में नहीं पड़ेगी.
इसके अलावा डिजिटल बैंकिंग में लेन-देन रियलटाइम नहीं होता जो डिजिटल रुपये में रियलटाइम मनी ट्रांसफर होगा.
डिजिटल रुपये में बैंक खाते की जगह वॉलेट अकाउंट से लेन-देन होगा.
कई लोगों को भय लग रहा है कि डिजिटल रुपया भविष्य में बैंकिंग व्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा.
इस बारे में बैंकिंग विशेषज्ञ का कहना है कि डिजिटल रुपये बैंकिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंएगा.
बैंकिंग सिस्टम अपनी जगह यथावत अपना काम करते रहेंगे. हां डिजिटल रुपये के लिए सरकार को आधारभूत ढांचा तैयार करना होगा.
संभव है कि भीम यूपीआई ऐप को सरकार इस डिजिटल रुपया के क्रियान्वयन में प्रयोग में लाए या फिर इसे डिजिटल रुपये के सिस्टम में मिला दिया जाए.
*सो यह तो तय है कि डिजिटल रूपया से फिलहाल नोटबंदी की आशंकाएं कहने का कोई औचित्य नहीं है और इसी तरह इससे बैंकिंग व्यवस्था को भी कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन इसका लांच विश्व मानचित्र पर रखना बहुत जरूरी है क्योंकि:*
१. डिजिटल करेंसी वित्तीय दुनिया की नई खोज है जिसमें पिछड़ना आर्थिक रूप से महंगा साबित हो सकता है.
२. यही कारण है कि वर्तमान समय में दुनिया के 105 देश डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं.
३. इनमें से 50 देश करेंसी लांच करने के एडवांस स्टेज पर पहुंच चुके हैं.
४. जिन 105 देशों में डिजिटल करेंसी पर काम चल रहा है वह विश्व जीडीपी में 95% हिस्सेदारी रखते हैं.
५. जी-20 समूह के भी 90 परसेंट देश (16 देश) अपनी डिजिटल करेंसी पर काम कर रहे हैं.
६. ‘बहामास’ दुनिया का पहला देश था जिसने अपनी डिजिटल करेंसी “सैंड डॉलर” लांच की थी. यह उत्तर अमेरिका महाद्वीप के कैरेबियन क्षेत्र में स्थित एक छोटा-सा मुल्क है.
७. नाइजीरिया ने डिजिटल करेंसी के रूप में “इ-नायरा” और जमैका ने “जैम-डेक्स” लॉन्च की हुई है.
८. डिजिटल करेंसी के पायलट टेस्टिंग स्टेज पर बहुत से देश पहुंच चुके हैं. इनमें प्रमुख नाम घाना, कनाडा, यूएई, सऊदी अरब, स्वीडन, उरुग्वे, ऑस्ट्रेलिया, हॉन्ग कॉन्ग, सिंगापुर और कजाखस्तान आदि हैं.
९. बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चीन ने डिजिटल करेंसी पर एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है. वहां 2023 के अंत तक डिजिटल करेंसी पूर्ण रूप से जनता के बीच स्थापित हो जाएगी.
१०. दुनिया के 2 बड़े मुल्क चीन और अमेरिका अभी ग्लोबल पावर सेंटर की दौड़ में हैं. चीन लगातार यूएसए को चुनौती दे रहा है.
११. डिजिटल करेंसी की दौड़ में भी चीन यूएसए से काफ़ी आगे निकल चुका है. जहां चीन ने वर्ष 2021 में ही डिजिटल युआन लॉन्च कर ली थी, वहीं यूएसए ने अभी तक सिर्फ फ्रेमवर्क पर ही काम किया है.
१२. वर्तमान समय में चीन के 23 प्रांतों में से 15 प्रांतों में e-CNY (डिजिटल युआन) से भुगतान हो रहा है.
१३. चीन के केंद्रीय बैंक ने क्रॉस बॉर्डर पेमेंट के लिए भी इसका इस्तेमाल करना चालु कर दिया है.
१४. चीन की नजर डिजिटल युआन के जरिए ग्लोबल ट्रेड पेमेंट में अग्रणी होने की है ताकि वह डॉलर के एकतरफा दबदबे को ख़ारिज कर सके.
१५. लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि यूएसए जिस समय भी डिजिटल डॉलर लांच करेगा वह समय ग्लोबल इकनॉमिक व्यवस्था को बदल देगा क्योंकि डॉलर अभी भी विश्व व्यापार में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली करेंसी है.
*उपरोक्त १५ बिन्दुओं से यह साफ है कि वैश्विक स्तर पर भारत को अपना दबदबा बनाए रखना है तो डिजिटल करेंसी को विश्व पटल पर स्थापित करना समय की जरूरत भी है और मांग भी. नोटबंदी या भौतिक रुपए बंद होने की बातें मात्र आशंकाएं और व्यर्थ की चिंताएं हैं.*
*सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर ९८२६१४४९६५*